NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3: The Making of a Global World (भूमंडलीकृत विश्व का बनना)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3: The Making of a Global World (भूमंडलीकृत विश्व का बनना)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science

NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3: The Making of a Global World

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 3: भूमंडलीकृत विश्व का बनना

यहाँ हम आप के लिए लाये है हिंदी में एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पुस्तक के इतिहास अध्याय 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना का पूर्ण समाधान | कक्षा 10 के लिए ये एनसीईआरटी समाधान हिंदी माध्यम में पढ़ रहे छात्रों के लिए बहुत उपयोगी हैं। भारत और समकालीन विश्व -II एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान इतिहास अध्याय 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना नीचे दिए हुए है ।



संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर
चीन – 15वीं शताब्दी तक बहुत सारे ‘सिल्क मार्ग’ अस्तित्व में आ चुके थे। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
अमेरिका – सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता खोज लिया और वे अमेरिका तक जा पहुँचे तो अमेरिका की विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें और खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रंग-रूप बदलने लगे। आज के पेरू और मैक्सिको में मौजूद खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं, खासतौर से चाँदी, ने भी यूरोप की संपदा को बढ़ाया और पश्चिम एशिया के साथ होने वाले उसके व्यापार को गति प्रदान की।

प्रश्न 2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद की?
उत्तर

  1. 16वीं सदी के मध्य तक पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।
  2. यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के पास तो कोई परंपरागत किस्म का सैनिक हथियार नहीं था। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे।
  3. लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।
  4. इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई । एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई।
  5. जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे, वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने सभी समुदायों को खत्म कर डाला।
  6. इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
  7. इस तरह से बिना किसी चुनौती के बड़े साम्राज्यों को जीतकर अमेरिका में उपनिवेशों की स्थापना हुई।

बंदूकों को तो खरीदकर या छीनकर हमलावरों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जा सकता था। पर चेचक जैसी बीमारियों के मामले में तो ऐसा नहीं किया जा सकता था क्योंकि हमलावरों के पास उससे बचाव का तरीका भी था और उनके शरीर में रोग-प्रतिरोधी क्षमता भी विकसित हो चुकी थी।

प्रश्न 3. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें

(क) कार्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव ।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।

उत्तर (क) ब्रिटेन की सरकार ने बड़े भू-स्वामियों के दबाव में मक्का के आयात पर पाबंदी लगा दी थी। जिन कानूनों के सहारे सरकार ने यह पाबंदी लागू की थी, उन्हें ‘कार्न लॉ’ कहा जाता था। खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी बाशिंदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वे कार्न लॉ को फौरन निरस्त कर दें। कार्न लों के समाप्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। फलस्वरूप, ब्रिटिश किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित कार्न लॉ की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोज़गार हो गए। गाँवों से उजड़कर वे या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।
(ख)

  1. अफ्रीका में 1890 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
  2. मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरी असर पड़ा।
  3. उस समय पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रिया पर हमला कर रहे इतालवी सैनिकों का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से जानवर लाए जाते थे।
  4. यह बीमारी ब्रिटिश आधिपत्य वाले एशियाई देशों से आए जानवरों के जरिए यहाँ पहुँची थी।
  5. अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से महाद्वीप में दाखिल होने वाली यह बीमारी जंगल की आग की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरफ बढ़ने लगी।
  6. 1892 में यह अफ्रीका के अटलांटिक तट तक जा पहुँची।
  7. रिंडरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया। पशुओं के खत्म हो जाने से अफ्रीकियों के रोजी-रोटी के साधन समाप्त हो गए।

(ग)

  1. प्रथम विश्व युद्ध 1914 में शुरू हुआ था और 1919 में समाप्त हुआ।
  2. इस युद्ध में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों और रासायनिक हथियारों को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया।
  3. इस युद्ध में 90 लाख से अधिक लोग मारे गए तथा 2 करोड़ लोग घायल हुए।
  4. मृतकों और घायलों में ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे।
  5. इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई।
  6. परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।

(घ) महामंदी का प्रभाव जहाँ पश्चिमी देशों पर बडे भयंकर तौर पर पड़ा वहीं उपनिवेशों पर भी इसका प्रभाव पड़ा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ा जो इस प्रकार था
1. व्यापारिक क्षेत्र – 20 वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में भारत से कृषि वस्तुओं का निर्यात और निर्मित सामान का आयात बड़े पैमाने पर होने लगा था। महामंदी के कारण इस प्रक्रिया पर भी बुरा असर पड़ा। 1928-34 के बीच आयात का प्रतिशत आधा रह गया था क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ गई थीं।
2. कृषि उत्पादों पर प्रभाव – इस मंदी के कारण उन कृषि उत्पादों और उनसे निर्मित सामानों पर भारी असर पड़ा जिनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग थी। यानि जूट और पटसन की उपज और बनने वाली वस्तुएं । इस समय टाट का निर्यात बंद हो गया था जिस कारण कच्चे पटसन की कीमतें 60 प्रतिशत से भी अधिक गिर गईं। अत: जिन कृषकों ने पटसन उगाने के लिए कर्जे लिए थे उनकी स्थिति पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा और वे और अधिक कर्जदार हो गए।
3. शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभाव – शहरी अर्थव्यवस्था पर महामंदी का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा स्योंकि यहाँ पर ज्यादातर वेतन भोगी वर्ग रहता था या फिर बड़े जमींदार वर्ग के लोग रहते थे जिन्हें ज़मीन का लगान मिलता था। राष्ट्रीय आंदोलन के प्रभाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने उद्योगों की रक्षा के लिए सीमा शुल्क बढ़ा दिया था, जिससे उद्योगों को भी लाभ हुआ।
इसके विपरीत ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा। सरकार द्वारा लगान कम न करने के कारण कृषकों की स्थिति अत्यधिक दयनीय हो गयी। एक ओर उन्हें अपने उत्पादों की सही कीमत नहीं मिल
रही थी वहीं दूसरी ओर उनपर लगान और कर्जा का भारी बोझ पड़ रहा था। अत: ग्रामीण क्षेत्र में भारी असंतोष का वातावरण था।
4. वैश्वीकरण की प्रक्रिया पुनः प्रारंभ – इस मंदी के समय भारत की कीमती धातुओं विशेषकर सोने का निर्यात पुन: प्रारंभ हो गया था। इससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया पुन: प्रारंभ हो गई थी। ।
(ङ)

  1. 1920 के दशक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना की गई। 70 के दशक के मध्य में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में कई परिवर्तन आए। अब विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से कर्जे और विकास संबंधी सहायता ले सकते थे।
  2. पचास और साठ के दशकों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विश्वव्यापी प्रसार हुआ। चूँकि अधिकतर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर भारी आयात शुल्क वसूल करने लगी थीं अत: बड़ी कंपनियों ने अपने संयंत्रों को उन्ही देशों में लगाने प्रारंभ कर दिए जहां वे अपने उत्पाद बेचना चाहते थे और उन्हें घरेलू उत्पादकों के रूप में काम करना पड़ता था।
  3. 70 के दशक में एशियाई देशों में बेरोजगारी बढ़ने लगी थी। अत: इन कंपनियों ने एशिया के ऐसे देशो में उत्पादन केन्द्रित किए जहां वेतन कम देना पड़ता था। चीन में अन्य एशियाई देशों के मुकाबले सबसे कम वेतन देना पड़ता था। अत: इन कंपनियों ने यहाँ पर अत्यधिक निवेश किया। इससे अर्थव्यवस्था में भारी परिवर्तन आए। जिसने विश्व के आर्थिक भूगोल को बदल दिया।

प्रश्न 4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर 1890 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था सामने आ चुकी थी। इससे तकनीक में भी बदलाव आ चुके थे। खाद्य उपलब्धता पर भी तकनीक का प्रभाव पड़ने लगा जो इस प्रकार था।

  1. रेलवे का विकास-अब भोजन किसी आस-पास के गाँव या कस्बे से नहीं बल्कि हजारों मील दूर से आने लगा था। खाद्य-पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने के लिए रेलवे का इस्तेमाल किया जाता था। पानी के जहाजों से इसे दूसरे देशों में पहुँचाया जाता था।
  2. नहरों का विकास-खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव का बहुत अच्छा उदाहरण हम पंजाब में देखते हैं। यहाँ ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूं की खेती की जा सके। इससे पंजाब में गेहूं का उत्पादन कई गुना बढ़ गया और गेहूँ को बाहर बेचा। जाने लगा।
  3. रेफ्रिजरेशन तकनीक का विकास-1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे, जिन्हें यूरोप ले जाकर काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। बहुत सारे लंबे सफर में मर जाते थे। बहुतों का वजन गिर जाता था या वे खाने लायक नहीं रहते थे। इसलिए मांस खाना एक महँगा सौदा था। नई तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई, जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लंबी यात्राओं पर ले जाया । जा सकता था। अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सब जगह से जानवरों की बजाए उनका मांस ही यूरोप भेजा जाने लगा। इससे न केवल समुद्री यात्रा में आने वाला खर्चा कम हो गया बल्कि यूरोप में मांस के दाम भी गिर गए। अब बहुत सारे लोगों के भोजन में मांसाहार शामिल हो गया।

प्रश्न 5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?
उत्तर युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए। इस फ्रेमवर्क पर जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। इसी को ब्रेटन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है।

सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई। युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे का इंतजाम करने के वास्ते अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक का गठन किया गया। इसी वजह से विश्व बैंक और आई०एम०एफ० को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रिटेन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी आधार पर युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को अक्सर ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।

चर्चा करें

प्रश्न 1. कल्पना कीजिए की आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तर मैं मतादीन भारत से जाने वाला एक गिरमिटिया मजदूर था। मुझे 20वीं सदी के प्रारंभ में गुयाना में 10 साल के अनुबंध के तहत काम के लिए जाना पड़ा। वहाँ से मैंने अपने माता-पिता को एक पत्र लिखा

आदरणीय माताजी-पिताजी,
चरण स्पर्श,

मैं यहाँ पर ठीक हूँ। आशा करता हूँ कि आप सब भी सकुशल होंगे। वैसे तो यहाँ पर रोजगार मिला हुआ है परंतु जिस एजेंट ने मुझे यहाँ भेजा था उसने यहाँ के विषय में पूर्ण जानकारी नहीं दी थी जिससे कि मुझे लम्बी समुद्री यात्रा करनी पड़ेगी, यहाँ काम करने के हालात अच्छे नहीं हैं। उसने मुझे कहा था कि मैं बीच में कुछ दिनों के लिए आपसे मिलने भी आ सकेंगा पर अब वह अपने वादे से मुकर रहा है। अतः मैं आपसे मिलने नहीं आ सकता।

मैं यहाँ पर एक बागान में काम करता हूँ। यहाँ मेरे साथ कुलियों जैसा बर्ताव होता है। यदि कोई यहाँ से भागने की कोशिश करता है और पकड़ा जाता है तो उसके साथ बुरा बर्ताव होता है जिसमें कोई-कोई तो मर भी जाता है। अतः हम लोग यहाँ से भागने का प्रयास नहीं करते।

अब तो बस इसी इंतजार में समय कट रहा है कि हमारे नेता इस घिनौनी अनुबंधित दास प्रथा के खिलाफ आवाज उठाएं।
और हमें आजाद करवाएं। मैं वापस घर आना चाहता हूँ। फिलहाल मैं आपको कुछ पैसे भेज रहा हूं। ये पैसे कम हैं क्योंकि पिछले कुछ दिन बीमार होने के कारण काम नहीं कर सका जिससे मेरे पैसे कट गए और मुझे कम वेतन मिला। पत्र का
जवाब शीघ्र देना।
आपका पुत्र
मतादीन

प्रश्न 2. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर अर्थशास्त्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों का उल्लेख किया है

  1. व्यापार का प्रवाह-पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो 19वीं सदी में मुख्य रूप से वस्तुओं जैसे कपड़ा या गेहूँ आदि के व्यापार तक ही सीमित था।
  2. श्रम का प्रवाह-दूसरा प्रवाह श्रम का होता है। इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।
  3. पूँजी का प्रवाह-तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे अल्प या दीर्घ अवधि के लिए दूर-दराज के इलाकों में निवेश कर दिया जाता है।

ये तीनों प्रवाह एक-दूसरे से जुड़े थे और लोगों के जीवन को प्रभावित करते थे।

भारत से तीन प्रवाहों के उदाहरण – भारत में प्राचीन काल से ही तीनों प्रकार के प्रवाह देखने को मिलते हैं

  1. प्राचीन काल से ही भारतीयों ने अपने पड़ोसी देशों के साथ व्यापारिक संबंध बना रखे थे। भारतीय व्यापारी भारत से मसाले, कपास आदि लेकर विदेशों में जाते थे तथा वहाँ से जरूरी चीजें लेकर आते थे।
  2. बहुत से भारतीय कारीगर और इंजीनियर विदेशों में बागानों, खानों, सड़क निर्माण और रेल निर्माण का काम करने के लिए गए।
  3. भारत में प्राचीन काल में बहुत से देशों ने पूँजी का निवेश किया। पुर्तगालियों, फ्रांसीसियों तथा अंग्रेजों ने यहाँ व्यापारिक कंपनियाँ खोली तथा चाय के बागान आदि स्थापित किए।

प्रश्न 3. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर 1929 में आर्थिक महामंदी की शुरूआत हुई। इस मंदी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  1. औद्योगिक क्रांति के कारण अमेरिका तथा ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर उत्पादन कार्य होने लगा था। 1930 तक तैयार माल का इतना बड़ा भण्डार एकत्र हो गया कि उनका कोई खरीददार न रहा।
  2. कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतें गिरने लगी। किसानों ने अपनी घटती आय को बढ़ाने के लिए अधिक उत्पादन करना शुरू कर दिया किंतु इससे कीमतें और गिरने लगी। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज पड़ी-पड़ी सड़ने लगी।
  3. संकट से पूर्व बहुत से देश अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी अर्थव्यवस्था चलाते थे। 1928 के कुछ समय पहले विदेशों में अमेरिका का कर्ज एक अरब डालर था। साल भर के भीतर यह कर्ज घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी कर्ज पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट खड़ा हो गया।
  4. यूरोप में कई बड़े बैंक धराशायी हो गये। कई देशों की मुद्रा की कीमत बुरी तरह गिर गई। अमेरिकी सरकार इस महामंदी से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आयातित पदार्थों पर दो गुना सीमा शुल्क वसूल करने लगी।
  5. अमेरिका के शेयर बाजार में शेयरों की कीमत में गिरावट आ गई। इसकी वजह से वहाँ लाखों व्यापारियों का दीवाला निकल गया।

प्रश्न 4. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें।
उत्तर वे विकासशील देश जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए थे किंतु 50 व 60 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और अपना एक संगठन बनाया जिसे समूह-77 या जी-77 के नाम से जाना जाता है।

ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ था जिन्हें ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतान कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक पर केवल कुछ शक्तिशाली विकसित देशों का ही प्रभुत्व था इसलिए उनसे विकासशील देशों को कोई लाभ नहीं हुआ। इसलिए ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रतिक्रिया स्वरूप विकासशील देशों ने जी-77 नामक संगठन बनाकर नई आर्थिक प्रणाली की माँग की ताकि उनके आर्थिक उद्देश्य पूरे हो सकें। उनके प्रमुख आर्थिक उद्देश्य थे-अपने संसाधनों पर उनका पूरा नियंत्रण हो, कच्चे माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1. उन्नीसवीं सदी के दौरान दक्षिण अफ्रीका में स्वर्ण हीरा खनन के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठी करें। सोना और हीरा कंपनियों पर किसका नियंत्रण था? खनिक कौन लोग थे और उनका जीवन कैसा था?
उत्तर 19वीं शताब्दी में दक्षिण अफ्रीका में हीरा और स्वर्ण धातुओं के खनन का कार्य बड़ी तेजी से किया जाने लगा। इसके लिए ब्रिटेन, फ्रांस जैसे बड़े यूरोपीय देशों ने अपने-अपने खोजी दलों का गठन किया जिन्होंने अफ्रीकी महाद्वीप के भयंकर परिस्थितियों का सामना करते हुए इसके विभिन्न क्षेत्रों के नक्शे बनाए और यहाँ तक पहुँचने के रास्ते खोजे । बाद में इन्होंने अफ्रीका का बँटवारा किया जिसे अफ्रीका का कागजी बँटवारे के नाम से जाना जाता है।

अफ्रीका की इन खानों पर ज्यादातर ब्रिटेन व फ्रांस की कंपनियों का नियंत्रण था। इन खादानों में कार्य करने वाले ज्यादातर अफ्रीकी होते थे। इनकी स्थिति बड़ी दयनीय होती थी। उनसे अत्यधिक कार्य लिया जाता था। इनकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता था। इनको बाड़ो में बंद कर दिया जाता था तथा इनको खुलेआम घूमने-फिरने नहीं दिया जाता था। यदि कोई मजदूर भागने का प्रयास करता तो उसे पकड़ लिया जाता था तथा कठोर दंड दिया जाता था, कभी-कभी तो जान से भी मार दिया जाता था।

याद रखने योग्य बाते:-

सिल्क मार्ग: ये मार्ग एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका के साथ-साथ विश्व को जमीन और समुद्र मार्ग से जोड़ते थे।

सिल्क मार्ग का महत्व :

(i) इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे।

(ii) वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।

(iii) इसी मार्ग से व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थी।

(iv) शुरुआती काल के ईसाई मिशनरी इसी मार्ग से एशिया में आते थे।

(v) बौद्ध धर्म भी इसी मार्ग से विश्व के विविध भागों में फैला था।

कॉर्न-लॉ : यह वह कानून है जिसके सहारे सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगा दी थी।

खाद्य पदार्थों का आदान प्रदान :

(i) आलू, सोया, मूँगपफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे दूसरे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे। हमारे बहुत सारे खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकन इंडियनों से हमारे पास आए हैं।

रिंडरपेस्ट  : रिंडरपेस्ट प्लेग की भांति फैलने वाली मवेशियों की बीमारी थी। यह बीमारी 1890 ई० के दशक में अफ्रीका में बड़ी तेजी से फैली।

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ : बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना 1920 के दशक में हुई परन्तु इनका विश्वव्यापी प्रसार पचास और साठ के दशक में ही अधिक हुआ।

एल डोराडो : यह अमेरिका का एक शहर है जिसे सोने का शहर के नाम से जाना जाता है।

अमेरिका में चेचक का प्रभाव : यूरोपीय उपनिवेशवादी अपने साथ चेचक जैसी भयंकर बिमारियों के कीटाणु लेकर आये थे।  यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के सबसे शक्तिशाली हथियारों में परंपरागत किस्म का सैनिक हथियार तो कोई था ही नहीं। यह हथियार तो चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ वहाँ जा पहुँचे थे। लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। फलस्वरूप, इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई। एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई। जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने पूरे के पूरे समुदायों को खत्म कर डाला। इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।

यूरोप का विश्वव्यापार के रूप में विकसित होना :

अठारहवीं शताब्दी का काफी समय बीत जाने के बाद भी चीन और भारत को दुनिया के सबसे धनी देशों में गिना जाता था। एशियाई व्यापार में भी उन्हीं का दबदबा था। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पंद्रहवीं सदी से चीन ने दूसरे देशों वेफ साथ अपने संबंध कम करना शुरू कर दिए और वह दुनिया से अलग-थलग पड़ने लगा। चीन की घटती भूमिका और अमेरिका के बढ़ते महत्त्व के चलते विश्व व्यापार का केंद्र पश्चिम की ओर खिसकने लगा। अब यूरोप ही विश्व व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र बन गया।

वस्तुओं का प्रवाह : अंग्रेजी शासन के साथ गेंहूँ, सूती, ऊनी तथा रेशमी कपड़ों का प्रवाह भारत से इंग्लैंड में होता था।

श्रमिकों का प्रवाह : भारत में श्रमिक इंग्लैंड के श्रमिकों से सस्ते में उपलब्ध थे। इसलिए अंग्रेज इन्हें इंग्लैंड चाय, काफी, नील तथा तम्बाकू के बागानों में काम करने के लिए ले जाते थे।

ब्रिटेन वुड्स : ब्रिटेन वुड्स यु. एस. ए. में स्थित एक होटल का नाम है। दुसरे विश्व युद्ध के बाद इस होटल में अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था संबंधी एक सम्मलेन आयोजित किया गया। इस सम्मलेन को ही ब्रिटेन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है।

G-77 : G-77 विकासशील देशों का समूह जिन्होंने आर्थिक विकास के लिए आवाज उठाई।

उन्नीसवीं सदी के विश्व में परिवर्तन करने वाले अविष्कार : भाप इंजन, रेलवे, टेलीग्राफ इत्यादि।

वीटों का अधिकार : वीटों एक विशेषाधिकार है जिसके सहारे कोई एक ही सद्स्य अपनी असहमति रखते हुए किसी भी प्रस्ताव को रोक सकता है।

1 अंक के प्रश्न :

Q1. दक्षिणी अमेरिका में एल डोराडो क्या है ?

उत्तर : किंवदंतियों की बदौलत सोने का शहर।

Q2. मित्र राष्ट्रों में शामिल देशों का नाम बताइए।

उत्तर : ब्रिटेन, फ्रांस और रूस।

Q3. धुरी राष्ट्र किन्हें कहा जाता है।

उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध का दूसरा पक्ष - जर्मनी, जापान और इटली को धुरी राष्ट्र कहा जाता है।

Q4. लगभग 500 साल पहले किस फसल के बारे में हमारे पूर्वजों को ज्ञान नहीं था।

उत्तर : आलू।

Q5. कौन से दो अविष्कारों ने 19 वीं सदी के विश्व में परिवर्तन किया ?

उत्तर : (i) भाप इंजन और (ii) रेलवे

Q6. किस देश के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetory Fund) और विश्व बैंक (World Bank) में वीटो का प्रभावशाली अधिकार है ?

उत्तर : संयुक्त राज्य अमेरिका।

Q7. 1928 से 1934 के बीच भारत में गेंहूँ की कीमत 50 प्रतिशत तक क्यों गिर गई

उत्तर : महामंदी के कारण।

Q8. अमेरिका महाद्वीप की खोज किसने की ?

उत्तर : क्रिस्टोफर कोलंबस ने।

Q9. उस यूरोपीय देश का नाम लिखों, जिसने अमेरिका पर विजय प्राप्त की ?

उत्तर : स्पेन ने। 

Q10. भूमंडलीकृत विश्व के बनने में मदद देने वाले कोई तीन कारक बताइए।

उत्तर : (i) व्यापार।

(ii) काम की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते लोग।

(iii) पूँजी। 

3 अंक के प्रश्न :

Q1. औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर : औद्योगीकरण का सूती वस्त्र उद्योग पर ब्रिटेन में निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :-

(i) आयात शुल्क के कारण ब्रिटेन में भारतीय कपास के आयात में तेजी से कमी आई।

(ii) भारतीय वस्त्रों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।

(iii) बाद में निर्माण किए गए सूती उत्पादों के निर्यात में कमी आने के पश्चात् ब्रिटिश निर्माताओं ने बहुत ही सस्ती कीमत पर भारत से कपास का आयात आरंभ कर दिया। 

Q2. अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद विश्व में क्या बदलाव हुए ? तीन उदाहरण देकर स्पष्ट करें।

उत्तर : अमेरिका जाने वाले नए समुद्री रास्तों की खोज के बाद अमेरिका विश्व से सीधे जुड़ गया -

(i) आलू का इस्तेमाल शुरू करने पर यूरोप के गरीबों की जिंदगी में बदलाव आया। उनका भोजन बेहतर हो गया और औसत उम्र बढ़ गई।

(ii) अफ्रीका से गुलामों का व्यापार शुरू हो गया।

(iii) यूरोप में धार्मिक टकराव होते रहते थे इसलिए बहुत से लोग यूरोप से भाग कर अमेरिका चले गए। 

Q3. व्यापार अधिशेष से क्या अभिप्राय है ? भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में क्यों रहा ?

उत्तर : जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो इसे व्यापार अधिशेष कहा जाता है।

भारत के साथ ब्रिटेन व्यापार अधिशेष की अवस्था में होने के निम्न कारण थे -

(i) 19वीं शताब्दी में भारतीय बाजारों में ब्रिटेन के बने माल की अधिकता हो गई थी।

(ii) भारत से ब्रिटेन और शेष विश्व को भेजे जाने वाले खाद्यान्न व कच्चे मालों के निर्यात में इजाफा हुआ।

(iii) भारतीय निर्यात पर औपनिवेशिक शासन द्वारा निर्यात शुल्क लगा दिए जाने से भारतीय माल की कीमत विदेशों में अधिक हो जाती थी जबकि ब्रिटेन से भारत में आने वाली वस्तुओं पर कोई शुल्क नहीं होता था जिससे ब्रिटेन हमेशा व्यापार अधिशेष की अवस्था में रहता था। 

Q4. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह कौन-कौन से है ? वर्णन कीजिए।

उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन प्रकार के प्रवाह निम्नलिखित हैं -

(i) व्यापार का प्रवाह - शुरू से ही व्यापार में कपड़ों और गेंहू के व्यापार से प्रवाह होता रहता था।

(ii) श्रम का प्रवाह - लोग रोजगार की तलाश में एक स्थान से दुसरे स्थान पर जाते रहते हैं।

(iii) पूँजी का प्रवाह - इस प्रकार का प्रवाह जिसमें अल्प या दीर्ध अवधि के लिए पूँजी का निवेश दुसरे देशों में होता आया है।

महत्वपूर्ण प्रश्न:

प्रश्न 1. वैश्वीकरण क्या हैं ?

उत्तर : वैश्वीकरण का अर्थ हैं - अपनी अर्थव्यवस्था और विश्व अर्थव्यवस्था में सामांजस्य स्थापित करना । इसके अंर्तगत विश्व के अनेक देश अपने व्यापार , काम और पारस्पारिक जरूरतों के लिए एक दूसरे से एक सूत्र से बँध जाते हैं ।

प्रश्न 2. वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन करो ।

उत्तर : वैश्वीकरण के दो प्रभावों का वर्णन निम्नलिखित हैं:-

(i) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पारस्पारिक रूप में एक दूसरे पर र्निभर हो जाते हैं।

(ii) वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश एक दूसरे की सेवाँए ले या दे सकता हैं।

प्रश्न 3. वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कौन कौन से कारक हैं ?

उत्तर : वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले निम्नलिखित कारक हैं:-

(i) व्यापार

(ii) काम की तलाश में एक देश से दूसरे देश में लोगों का पलायन ।

(iii) पूँजी या सेवाओं का वैश्वीक स्तर पर आवा जाही ।

प्रश्न 4. उपनिवेशवाद क्या हैं ?

उत्तर : वह ढंग जिसके द्वारा कोई शक्तिशाली देश कमजोर देश को हर उचित एवं अनुचित तरीके से अपने अधीन लाने का प्रयत्न करते हैं और शासन करते हैं उपनिवेशवाद कहलाता हैं ।

प्रश्न 5. भारत 1947 तक किस देश का उपनिवेश रहा ?

उत्तर : ब्रिटेन का ।

प्रश्न 6. ब्रेटन वुड्स क्या हैं ?

उत्तर : ब्रेटन वुड्स G-77 विकासशील देशों का होने वाला एक सम्मेलन था ।

प्रश्न 7. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म कैसे हुआ ?

उत्तर : सन् 1944 में ब्रेटन वुड्स के सम्मेलन में अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का  जन्म हुआ ।

प्रश्न 8. सयुक्त राष्ट्र के किन दो संस्थाओं को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संताने कहा जाता हैं ?

उत्तर :

1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

2. विश्व बैंक

प्रश्न 9. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने औपचारिक रूप से कब काम करना शुय किया ?

उत्तर :  सन् 1947 में ।

प्रश्न 10. अंर्तराष्ट्रय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के किसी भी फैसले को कौन सा देश वीटो कर सकता हैं ?

उत्तर : अमेरिका ।

प्रश्न 11. अफीम युद्ध से आप क्या समझते हैं ? चीन पर अफीम युद्ध पर पड़े प्रभावों का वर्णन करो ।

उत्तर : जब 19वीं शताब्दी में  ब्रिटिश लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए चीनियों पर अफीम को  लादने का प्रयत्न किया तो दोनों पक्षों में आपसी युद्ध छिड़ गया जो इतिहास में अफीम युद्ध  के नाम से प्रसिद्ध हैं ।

अफीम युद्ध  के चीन पर पड़े प्रभाव निम्नलिखित हैं:

(i) चीनियों का शारीरिक एवं नैतिक रूप से पतन हुआ था।

(ii) चीनियों को हर्जाने के रूप में 5 बंदरगाह ब्रिटिश व्यापारियों के लिए खोलने पड़े।

(iii) बिना किसी अवधि के हांगकांग को ब्रिटेन को सौप दिया गया।

(iv) अफीम के व्यापार का चीन पर बुरा प्रभाव पड़ा ।

(v) चीन वालो को अपना बहुत सा धन अँग्रजों को युद्धपूर्ति के रूप में देना पड़ा ।

प्रश्न 12. वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारतीय अर्थ व्यवस्था में क्या नए आयाम जोडे ?

उत्तर : वैश्वीकरण अैर उदारीकरण ने भारतीय अर्थ व्यवस्था में निम्न नए आयाम जोडे।

1.    रोजगार के अवसर बढे ।

2.    आर्थिक स्थिति सुदृढ हुई ।

3.    बेरोजगारी में कमी आई ।

4.    शिक्षा और तकनिकी में काफी सुधार हुआ ।

5.    विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई ।

6.    बहुत सी देशी और विदेशी कंपनियों को भारत में काम करने का मौका मिला ।

7.    अर्थिक स्थिति के साथ साथ विदेशों में साख भी बढा 

8.    विकास दर में वृद्धि हुई ।

प्रश्न 13. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसे कहते हैं ? इनकी स्थापना कब हुई और इनके चार लाभ लिखो ।

उत्तर : बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियों को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशों में जाकर अपनी पूँजी निवेश करती है, वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं ।

बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ के चार लाभ निम्नलिखित हैं:-

(i)बहुराष्ट्रीय कंपनियाों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढे और बेरोजगारी को कम किया । 

(ii) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने उपनिवेशों से निकलने में काफी सहायता की ।

(iii) अपनी उत्पादक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्विक व्यापार और पूँजीप्रवाह को प्रभावित किया ।

(iv) बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को गति प्रदान किया ।

प्रश्न 14. वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : सकारात्मक प्रभाव :

1.    सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन।

2.    विदेशी पूँजी निवेश को बढावा ।

3.    रोजगार में वृद्धि।

4.    जीवन स्तर में सुधार ।

5.    भारतीय कंपनियों का बहुराष्ट्रिय कंपनियों के रूप में उदय।

6.    बजार में अनेक बस्तुओं की उपलब्धता।

नकारात्मक प्रभाव:

1.    लघु और कुटीर उद्योगों पर बुरा प्रभाव ।

2.    बजार में बढती प्रतियोगिता से भारतीय उत्पादों की माँग कम ।

3.    केवल शहरों तक सीमित ग्रामीण  क्षेत्र में कम प्रभाव ।

4.    केवल सूचना और संचार टेकनाॅलाॅजी एवं इलेक्ट्राॅनिक क्षेत्र तक ही सीमित।

प्रश्न 15. अमेरिका के आदिवासियों के लिए किस बीमारी के कीटाणु सबसे भयंकर सिद्ध हुए ?

उत्तर : यूरोपीय लोगों ने अमेरिका को अपने सैनिक बल पर ही नहीं जीता वरन् उन चेचक के कीटाणुओं के कारण जीते जो स्पेन के सैनिक और अफसर अपने साथ ले गए थे। इनचेचक के कीटाणु के हमले से बहुत से अमेरिकी आदिवासी मौत के शिकार हुए।कहीं कहीं तो चेचक से समुदाय के समुदाय ही खत्म हो गए 

प्रश्न 16. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी पर किन्हीं तीन प्रभावों का वर्णन करो ।

उत्तर : भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी के तीन प्रभाव निम्नलिखित हैं:-

1. इंग्लैंड में आने वाली औद्योगिक क्रांति जिसके कारण उसने भारत से सूती कपड़े का आयात करना बिल्कुल बंद कर दिया ।

2. भारतीय बाजारों में मशीनों दारा निर्मित सूती कपड़े की भरमार कर दी ।

3. अँग्रेजी कंपनी थोक में भारत से रूई तथा कपास खरीदकर दूसरे देश को भेज देती थी जिससे भारतीय बाजारों में अच्छे माल की कमी हो जाती थी ।

4. ब्रिटिश सरकार द्वारा भारी उत्पादन कर लगा दिया जाना ।         

प्रश्न 17. महामंदी से क्या तात्पार्य हैं ? इसके कारणों की व्याखया कीजिए 

उत्तर : 1929 ई में समस्त संसार को एक भयंकर अधिक संकट में आ घेरा । यह संकट संयुक्त राज्य अमेरिका में 1929 में पैदा हुआ और देखते ही देखते यह 1931 तक पूरे विश्व में फैल गया ।

 महामंदी के निम्नलिखित कारण थे:-

1. यह संकट औद्योगिक क्रांति के कारण आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण पैदा हुआ था।

2. अमेरिका में तैयार माल के इतने भंडार हो गए कि कोई उसके खरीददार नहीं रहा ।

3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण यूरोप के बर्बाद हुए देश अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था मे न थे ।

4. अमेरिका की शेयर एक्सचेंज मार्केट में शेयरों की गिरावट आ गई ।

प्रश्न 18. बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किन्हें कहते हैं ? इन कंपनियों की स्थापना कब हुई ? इनके चार लाभ लिखो

उत्तर : बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उन कंपनियाँ को कहते हैं जो विश्व के विभिन्न देशेा में जाकर अपनी पँजी निवेश करते हैं। वहाँ अपना उत्पादन करती हैं और तैयार माल को विश्व के बाजारों में बेचती हैं ।

इन कंपनियों से लाभ निम्नलिखित हैं:-

1. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने जिस देश में काम किया उन देशों में नौकरी के अवसर बढ़े और बेरोजगारी की कमी हुई ।

2. बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील देशों को उनके पुराने निवासी चुगल से काफी सहायता की ।

3. अपनी उत्पादिक और व्यापारिक गतिविधियों के कारण वैश्वासिक व्यापार और पँजी प्रवाह को प्रभावित किया 

4. इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने वैश्वीकरण को प्रवाहित किया ।

प्रश्न 19. अमेरिका पर महामंदी का क्या प्रभाव पड़ा ? वर्णन कीजिए।

उत्तर : अमेरिका में महामंदी के कारण पैदा हुए विषम प्रभाव निम्न हैं:-

1. शेयर बाजार की कीमतों में गिरावट के कारण 1 लाख व्यापारियों को दिवाला निकाला गया ।

2.  किसानों को लाभ में कमी आ गई ।

3.  कृषि मजदूरों की मजदूरी कम हो गई ।

4.  माल का कोई खरीददार न होने के कारण कारखाने बंद हो गए और हजारों मजदूर बेरोजगार हो  गए ।

प्रश्न 20. द्वितीय विश्व युद्ध के क्या परिणाम निकले ?

उत्तर : द्वितीय विश्व युद्ध के निम्न परिणाम निकले:-

1. जानमाल की अपार हानि हुई जिसमें दोनों पक्षों के कोई 2.5 करोड़ से अधिक सैनिक मारे गए साथ ही साथ धन की अपार हानि हुई

2. हथियारों की हौड़ बढ़ गई , विश्व युद्ध के बाद भयानक हथियारों के निर्माण के लिए हौड़ सी लग गई ।

3. द्वितीय विश्व युद्ध में परमाणु बम जैसे भयानक हथियारों का प्रयोग किया गया जिससे कई तरह के भयंकर बीमारी  उत्पन्न हुई ।

4. संयुक्त राष्ट्र यंघ की स्थापना की गई , मानव संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए प्रत्येक देश में  शांति के लिए (UN) की स्थापना की गई यह भी द्वितीय विश्व युद्ध का ही परिणाम था ।

5. उपनिवेशवाद का अंत हो गया । 

प्रश्न 21. ओद्यौगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर : ओद्यौगिक क्रांति वह क्रांति जिसमें कारखानों के विकास के साथ साथ औद्योगिक उत्पादन में बेहतसा वृद्धि हुई और अर्तराष्ट्रीय बाजार में बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा जिसे आद्यौगिक क्रांति के नाम से जाना गया ।

प्रश्न 22. प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत के आद्यौगिक उत्पादन में वृद्धि के क्या कारण थे ?

उत्तर : प्रथम विश्व युद्ध के समय भारत इंग्लैंड का उपनिवेश था । इंग्लैंड भी प्रथम विश्व युद्ध में शामिल था । इस युद्ध से भारत के लिए एक नयी स्थिति पैदा कर दी और औद्योगिक क्षेत्र में वृद्धि हुई जिसके निम्न कारण थे:-

1. ब्रिटिश कारखाने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए युद्ध संबधी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मेनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया जिससे भारतीय बाजारों को रातोंरात एक विशाल देशी बाजार मिल गया ।

2. युद्ध लंबा खींचा तो भारतीय कारखाने में भी फौज के लिए समान बनाने के आर्डर आने लगे ।

3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत में नए नए कारखाने लगाए गए और पुराने कारखाने कई पालियों में चलने लगे ।   

 

 



NCERT Solutions for Class 10 Social Science History in Hindi

Get here all NCERT Solutions for Class 10 History in Hindi

Chapter 1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
Chapter 2: भारत में राष्ट्रवाद
Chapter 3: भूमंडलीकृत विश्व का बनना
Chapter 4: औद्योगिकीकरण की युग
Chapter 5: मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography in Hindi


NCERT Solutions for Class 10 Social Science Political Science in Hindi


NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics in Hindi

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