NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 11 Work, Power and Energy (Hindi Medium) - NCERT Solutions
एनसीईआरटी समाधान कक्षा 9 विज्ञान (NCERT Solutions for class 9 Science) Chapter 11 Work, Power and Energy (कार्य और उर्जा)
NCERT Solutions For Class 9 Science In Hindi (PDF): Download NCERT Class 9 Solutions. बोर्ड की परीक्षाएं जल्द ही शुरू होने वाली हैं। इस वर्ष 9वीं बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्र हमारे इस आलेख को ध्यान से पढ़ें। इस आलेख में हम उन छात्रों के लिए समाधान लेकर आए हैं जो एनसीईआरटी की किताबों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। छात्रों को बता दे की परीक्षा में सारे प्रश्न एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से ही आते हैं। एनसीईआरटी सिलेबस से कक्षा 9 की बोर्ड परीक्षाएं देने वाले छात्रों की मुश्किलों को कम करने के लिए हमने यहां एनसीईआरटी के सभी प्रश्नों के हल दिए हैं। तो चलिए पढ़ते हैं कक्षा 9 विज्ञान एनसीईआरटी समाधान और करते हैं बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी।
NCERT Solutions For Class 9 Science In Hindi Medium
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NCERT Solutions for Class 9 Science (Hindi Medium)
NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-164)
प्र० 1. किसी वस्तु पर 7N का बल लगता है। मान लीजिए बल
की दिशा में विस्थापन 8m है (संलग्न चित्र देखिए)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-165)
प्र० 1. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है?
उत्तर- विज्ञान के दृष्टिकोण से हम तब कहते हैं कि कार्य किया गया जब वस्तु पर बल लगाने पर उसमें विस्थापन हो जाए।
प्र० 2. जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर- यदि किसी वस्तु पर F बल लगे और उसमें बल की दिशा में विस्थापन s हो।
तब कार्य W = बल x बल की दिशा में विस्थापन।
W = F x s
प्र० 3. 1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- 1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है।
जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रिया रेखा की
दिशा में 1m विस्थापित कर दे।
प्र० 4. बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लंबा है। खेत की लंबाई को जोतने में कितना कार्य किया गया?
उत्तर-
दिया है : बल F = 140 N
विस्थापन s = 15 m
किया गया कार्य = बल x विस्थापन
W = F x s
W = 140 N x 15 m = 2100 Nm = 2100 J
अतः किया गया कार्य = 2100J
NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-169)
प्र० 1. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर- किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा (Ek)= \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv²
जहाँ, m = वस्तु का द्रव्यमान
v = वस्तु का वेग
प्र० 2. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
उत्तर- गतिज ऊर्जा = \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv²
जहाँ पर, m = वस्तु का द्रव्यमान
v = वस्तु का वेग
प्र० 3. 5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 174)
प्र० 1. शक्ति क्या है?
उत्तर- कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।
प्र० 2. 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- 1 वाट उस अभिकर्ता (एजेंट) की शक्ति है जो 1 सेकंड में 1 जूल कार्य करता है।
दूसरे शब्दों में, यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 हो तो शक्ति 1 W होगी।
या 1 w = 1 Js-1
प्र० 3. एक लैंप 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है?
प्र० 4. औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- औसत शक्ति को हम कुल उपयोग की गई ऊर्जा को, कुल लिए गए समय से विभाजित कर प्राप्त कर सकते हैं।
नोटः [औसत शक्ति पद तब उपयोग करते हैं जब किसी अभिकर्ता या एजेंट (जैसे कोई संयंत्र) की शक्ति समय के साथ बदलती है। अर्थात् विभिन्न समय अंतरालों में विभिन्न दरों से कार्य करता है।]
पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)
प्र० 1. निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(i) सूमा एक ताबाल में तैर रही है।
(ii) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(iii) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
(iv) एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(v) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(vi) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(vii) एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशी है।
उत्तर-
(i) कार्य हो रहा है क्योंकि यहाँ विस्थापन हो रहा
(vii) इस स्थिति में कार्य हो रहा है क्योंकि पवन ऊर्जा द्वारा बल लगाने पर पाल नाव (Sailboat) में गति होती है अर्थात् विस्थापन होता है।
प्र० 2. एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर- चूँकि पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर हैं अर्थात पिंड का विस्थापन क्षैतिज दिशा में हो रहा है। इसलिए नेट विस्थापन गुरुत्वीय बल की दिशा में उर्ध्वाधर नीचे नहीं हो रहा है। अतः गुरुत्वीय बल के कारण कोई कार्य नहीं हो रहा है। क्योंकि गुरुत्वीय बल की दिशा और विस्थापन के बीच 90° का कोण बनता है। अर्थात कार्य W =OJ
प्र० 3. एक बैट्री बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्र० 4. 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तन कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
प्र० 5. 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर A बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्र० 6. मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर- किसी बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा में जितनी कमी होती है गतिज ऊर्जा में उतनी ही वृद्धि हो जाती है। किसी ऊँचाई ‘h’ पर स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। जैसे-जैसे वस्तु नीचे गिरती है इसके वेग में वृद्धि होती जाती और इस तरह स्थितिज ऊर्जा में कमी तथा गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है। जब वस्तु पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाला होता है तब इसकी गतिज ऊर्जा अधि कतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूतनम (क्योंकि h = 0) हो जाती है। अत: ऊर्जा नष्ट नहीं होती बल्कि परिवर्तन होती है और प्रत्येक बिंदु पर K.E + P.E = अचर ही रहता है। अतः हम कह सकते हैं कि ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता है।
प्र० 7. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?
उत्तर- जब साइकिल सवार बल लगाता है और पैडल घुमाता है तो इस प्रकार वह यांत्रिक कार्य कर रहा है जिसके फलस्वरूप साइकिल के पहिए गति करने लगते हैं। और यांत्रिक कार्य गतिज ऊर्जा में बदल जाता है। इस गतिज ऊर्जा का कुछ भाग सड़क के द्वारा साइकिल के टायरों पर कार्यरत घर्षण बल का सामना करने में भी व्यय होता है। घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य उष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है।
प्र० 8. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और उसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर- हाँ, ऊर्जा का स्थानांतरण होता है लेकिन चट्टान में विस्थापन नहीं होने के कारण कार्य शून्य हो जाता है। हमारे द्वारा व्यय की गई ऊर्जा के कारण चट्टान में थोड़ा विरूपण (deformation) होता है या ऊर्जा उसे विरूपित करने का प्रयास करती है जिससे व्यक्ति थकान महसूस करता है और अतत: उष्मीय ऊर्जा में (पसीने में) रूपांतरित हो जाती है।
प्र० 9. किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें’ व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
प्र० 10. 40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 5m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गति ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 ms-1)
प्र० 11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर- पृथ्वी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि उपग्रह पर कार्यरत गुरुत्व बल और विस्थापन की दिशा के बीच 90° का कोण बनता है।
गणितीय रूप सेः
प्र० 12. क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर- हाँ, बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन हो सकता है। यदि बाह्य बल अनपस्थित है तब न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार
(i) जब वस्तु विरामावस्था में है तो विरामावस्था में ही रहेगा।
(ii) जब वस्तु एक समान गति से एक सीधी रेखा में गतिशील है तो गतिशील ही रहेगी।
अतः स्थिति (ii) में बाह्य बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन संभव है।
प्र० 13. कोई मनुष्य भूसे के एक गठ्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर- नहीं, उस व्यक्ति द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया। अर्थात कार्य = 0 (शून्य), क्योंकि वह एक ही स्थान पर खड़ा है इसलिए विस्थापन S = 0 है। परंतु उसके पेशीय थकान का कारण उसके पेशी में खिंचाव (Stretch) है तथा रक्त का विकृत पेशी (Strained muscle) की ओर अधिक तेजी से जाना। इस तरह के बदलाव में शारीरिक ऊर्जा व्यय होती है।
प्र० 14. एक विद्युत्-हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
प्र० 15. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन है?
उत्तर-
प्रारंभ में सरल लोलक विरामावस्था में होता है। इस स्थिति में लोलक की स्थिति A होती है। यह मध्यस्थिति (Meanposition) कहलाता है। जब इसे स्थिति B तक धकेला जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है तब निम्न स्थितियाँ होती हैं।
(i) जब लोलक का गोलक स्थिति B पर होता है (देखिए चित्र), उसमें केवल स्थितिज ऊर्जा होती है।
(ii) जैसे ही गोलक स्थिति B से स्थिति A तक गति करना आरंभ करता है, उसकी स्थितिज ऊर्जा घंटती जाती है और गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है।
(iii) जब गोलक मध्य स्थिति A पर पहुँचता है, उसमें केवल गतिज ऊर्जा होती है।
(iv) ठीक इसके विपरीत जैसे ही गोलक स्थिति A से स्थिति C की ओर जाता है, उसकी गतिज ऊर्जा घटने लगती है परंतु उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है।
(v) चरम स्थिति C पर पहुँचकर, गोलक अत्यंत कम समय के लिए रुकता है। इसलिए, स्थिति C पर गोलक में केवल स्थितिज ऊर्जा होती है।
इससे हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि चरम स्थिति B और C पर लोलक के गोलक की कुल ऊर्जा स्थितिज के रूप में ही होती है, जबकि मध्य स्थिति A पर लोलक के गोलक की संपूर्ण ऊर्जा गतिज ऊर्जा (Ek) होती है। अन्य सभी माध्यमिक स्थितियों पर, सरल लोलक के गोलक की ऊर्जा आंशिकतः (Partially) स्थितिज ऊर्जा और आंशिकतः .तिज ऊर्जा होती है। परंतु किसी भी समय पर दोलन करते हुए लोलक की कुल ऊर्जा वही (या संरक्षित) रहती है।
अर्थात् P.E + K.E = अचर रहती है।
अंततः घर्षण बल और वायु के प्रतिअवरोध के कारण सरल लोलक का गोलक विरामावस्था में आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वायु के प्रतिरोध का सामना करने में ऊर्जा व्यय होती है तथा ऊष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है। स्पष्टतः इस स्थिति में भी ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता है।
प्र० 16. m द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग ७ से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
उत्तर-
द्रव्यमान = m
पिंड का नियत वेग = v
पिंड की गतिज ऊर्जा Ek = \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv2
स्पष्टत: पिंड को विरामावस्था में लाने के लिए इसकी गतिज ऊर्जा \(\frac { 1 }{ 2 }\)mv2 से कम होनी चाहिए।
पिंड को विरामावस्था में लाने के लिए किया गया कार्य w = -Ek = – \(\frac { 1 }{ 2 }\) mv2
प्र० 17. 1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
प्र० 18. निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लंबे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर-
(a) शून्य क्योंकि बल की दिशा तथा विस्थापन की दिशा के बीच 90° का कोण है अर्थात् ए दूसरे के लंबवत् हैं।
(b) धनात्मक, क्योंकि विस्थापन, बल की दिशा में हो रहा है।
(c) ऋणात्मक, क्योंकि विस्थापन की दिशा बल की दिशा के विपरीत दिशा में हो रहा है।
प्र० 19. सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर- हाँ, हम सोनी के इस कथन से सहमत हैं। यदि किसी वस्तु पर अनेक बल कार्य कर रहे हों और उनका परिणामी बल अर्थात् नेट बल शून्य हो तो वस्तु का त्वरण शून्य होगा।
[F = ma ⇒ 0 = ma ⇒ a = 0 क्योंकि m शून्य नहीं हो सकता]
प्र० 20. चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 w है। 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kuuh में परिकलित कीजिए।
प्र० 21. मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर- मुक्त रूप से गिरता पिंड अंतत: धरती पर पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा निम्न में बदल जाती है।
(i) कुछ गतिज ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा में
(ii) कुछ गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कि गए कार्य के कारण ऊष्मीय ऊर्जा में। तथा
(iii) कुछ गतिज ऊर्जा उसके विन्यास (Configuation) में परिवर्तन लाकर स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
Chapter 2 Is Matter Around Us Pure (क्या हमारे आस-पास के पदार्थ शुद्ध है)
Chapter 3 Atoms and Molecules (परमाणु एवं अणु)
Chapter 4 Structure of the Atom (परमाणु की संरचना)
Chapter 5 The Fundamental Unit of Life (जीवन की मौलिक इकाई)
Chapter 6 Tissues (ऊत्तक)
Chapter 7 Diversity in Living Organisms (जीवों में विविधता)
Chapter 8 Motion (गति)
Chapter 9 Force and Laws of Motion (बल और गति का नियम)
Chapter 10 Gravitation and Floatation (गुरुत्वाकर्षण)
Chapter 11 Work, Power and Energy (कार्य और उर्जा)
Chapter 12 Sound (ध्वनि)
Chapter 13 Why Do we Fall Ill (हम बीमार क्यों होते है)
Chapter 14 Natural Resources (प्राकृतिक संसाधन)
Chapter 15 Improvement in Food Resources (खाद्य संसाधनों में सुधार)
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