NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution यूरोप मेंं समाजवाद एवं रूसी क्रांति

      

 NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution यूरोप मेंं समाजवाद एवं रूसी क्रांति 

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution यूरोप मेंं समाजवाद एवं रूसी क्रांति

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प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से


प्रश्न 1. रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे ?
उत्तर : रूस के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक हालात 1905 से पहले जनसाधारण के लिए बहुत बुरे थे।

  • बीसवीं सदी के प्रारंभ में 85 प्रतिशत रूसी कृषक थे।
  • फ्रांस तथा जर्मनी में अनुपात 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत था। रूस अनाज का एक बड़ा निर्यातक था।
  • मॉस्को तथा सेंट पीट्सवर्ग प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे।
  • जब रूसी रेल नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा था तो सन् 1890 के दशक में कई कारखाने स्थापित किए गए और कारखानों में विदेशी निवेश बढ़ गया।
  • कामगार उनकी दक्षता के अनुसार सामाजिक समूहों में बंटे हुए थे। कामगार या तो गांवों से आते थे या कारखानों में नौकरी पाने के लिए शहरों में प्रवास करते थे।
  • इस समय किसानों की बिरादरी बहुत धार्मिक थी किन्तु कुलीनता के बारे में अधिक नहीं सोचती थी। उनका विश्वास था कि भूमि उनके बीच बंटी होनी चाहिए। क्योंकि सामन्ती अधिकारों के कारण यह संभव नहीं था, अतः किसानों की अपनी कम्यून थी जिसमें धन का वितरण प्रत्येक के परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता था।
  • जब कभी कामगार किसी के निकाले जाने पर या कार्यस्थितियों को लेकर नियोक्ताओं से असहमत | होते थे तो विभाजन के बावजूद भी वे हड़ताल के लिए इकट्ठे हो जाते थे।
    सन् 1904 मजदूरों के लिए बुरा था।
  • आवश्यक वस्तुओं के दाम बहुत बढ गए। मजदूरी 20 प्रतिशत घट गई।
  • कामगार संगठनों की सदस्यता शुल्क नाटकीय तरीके से बढ़ जाता है।
  • सेंट पीट्सवर्ग के 1,10,000 से अधिक मजदूर रोज के काम के घण्टों को कम करने, मजदूरी बढाने तथा कार्यस्थितियों में सुधार करने की मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए।

प्रश्न 2. 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी ?
उत्तर : सन् 1917 से पहले रूस की कामकाज करने वाली जनसंख्या यूरोप के अन्य देशों से भिन्न थी क्योंकि सभी रूसी कामगार कारखानों में काम करने के लिए गांव से शहर नहीं आए थे। उनमें से कुछ ने गांवों में रहना जारी रखा और शहर में प्रतिदिन काम पर जाते थे। वे सामाजिक स्तर एवं दक्षता के अनुसार समूहों में बंटे हुए थे और यह उनकी पोशाकों में परिलक्षित होता था। धातुकर्मी मजदूरों में खुद को साहब मानते थे। उनके काम में ज्यादा प्रशिक्षण और निपुणता की जरूरत जो रहती थी। तथापि कामकाजी जनसंख्या एक मोर्चे पर तो एकजुट थी – कार्यस्थितियों एवं नियोक्ताओं के अत्याचार के विरुद्ध हड़ताल।।

अन्य यूरोपीय देशों के मुकाबले में रूस की कामगार जनसंख्या जैसे कि किसानों एवं कारखाना मजदूरों की स्थिति बहुत भयावह थी। ऐसा जार निकोलस द्वितीय की निरंकुश सरकार के कारण था जिसकी भ्रष्ट एवं दमनकारी नीतियों से इन लोगों से उसकी दुश्मनी दिनों-दिन बढती जा रही थी।

कारखाना मजदूरों की स्थिति भी इतनी ही खराब थी। वे अपनी शिकायतों को प्रकट करने के लिए कोई ट्रेड यूनियन अथवा कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते थे। अधिकतर कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति थे। वे अपने स्वार्थ के लिए मजदूरों का शोषण करते थे। कई बार तो इन मजदूरों को न्यूनतम निर्धारित मजदूरी भी नहीं मिलती थी। कार्य घण्टों की कोई सीमा नहीं थी जिसके कारण उन्हें दिन में 12-15 घण्टे काम करना पड़ता था। उनकी स्थिति इतनी करूणाजनक थी कि न तो उन्हें राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे और सन् 1917 की रूसी क्रांति की शुरूआत से पहले न ही किसी प्रकार के सुधारों की आशा थी।

किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। कुलीन वर्ग, सम्राटे तथा रूढीवादी चर्च के पास बहुत अधिक संपत्ति थी। ब्रिटानी में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान किसान कुलीनों का सम्मान करते थे और उनके लिए लड़ते थे किन्तु रूस में किसान कुलीनों को दी गई जमीन लेना चाहते थे। उन्होंने लगान देने से मना कर दिया और जमींदारों को मार भी डाला।

रूस में किसान अपनी जमीन एकत्र करते और अपने कम्यून (मीर) को सौंप देते थे और उनका कम्यून उसे प्रत्येक परिवार की जरूरत के अनुसार बांट देता था।

प्रश्न 3. 1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया ?
उत्तर : जनता के बढते अविश्वास एवं जार की नीतियों से असंतुष्टि के कारण जार का शासन 1917 में खत्म
हो गया। जार निकोलस द्वितीय ने राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, मतदान के नियम बदल डाले और अपनी सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों अथवा नियंत्रण को खारिज कर दिया। रूस में युद्ध प्रारंभ में बहुत लोकप्रिय था और जनता जार का साथ देती थी। जैसे – जैसे युद्ध जारी रहा, जार ने ड्यूमा के प्रमुख दलों से सलाह लेने से मना कर दिया। इस प्रकार उसने समर्थन खो दिया और जर्मन विरोधी भावनाएं प्रबल होने लगीं। जारीना अलेक्सान्द्रा के सलाहकारों विशेषकर रास्पूतिन ने राजशाही को अलोकप्रिय बना दिया। रूसी सेना लड़ाइयाँ हार गई। पीछे हटते समय रूसी सेना ने फसलों एवं इमारतों को नष्ट कर दिया। फसलों एवं इमारतों के विनाश से रूस में लगभग 30 लाख से अधिक लोग शरणार्थी हो गए जिससे हालात और बिगड़ गए।

प्रथम विश्व युद्ध का उद्योगों पर बुरा प्रभाव पड़ा। बाल्टिक सागर के रास्ते पर जर्मनी का कब्जा हो जाने के कारण माल का आयात बंद हो गया। औद्योगिक उपकरण बेकार होने लगे तथा 1916 तक रेलवे लाइनें टूट गई। अनिवार्य सैनिक सेवा के चलते सेहतमन्द लोगों को युद्ध में झोंक दिया गया जिसके परिणामस्वरूप, मजदूरों की कमी हो गई। रोटी की दुकानों पर दंगे होना आम बात हो गई। 26 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया गया। यह आखिरी दांव साबित हुआ और इसने जार के शासन को पूरी तरह जोखिम में डाल दिया। 2 मार्च 1917 को जार गद्दी छोड़ने पर मजबूर हो गया और इससे निरंकुशता का अंत हो गया।

किसान जमीन पर सर्फ के रूप में काम करते थे और उनकी पैदावार का अधिकतम भाग जमीन के मालिकों एवं विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को चला जाता था। किसानों में जमीन की भूख प्रमुख कारक थी। विभिन्न दमनकारी नीतियों तथा कुण्ठा के कारण वे आमतौर पर लगान देने से मना कर देते । और प्रायः जमींदारों की हत्या करते।

कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं ने भी लोगों को विद्रोह के लिए उत्साहित किया।

NCERT Solutions for Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution यूरोप मेंं समाजवाद एवं रूसी क्रांति

Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution Part-1

Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution Part-2

Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution Part-3

Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution Part-4

Class 9 Social Science History Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution Part-5


प्रश्न 4. दो सूचियाँ बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर : फरवरी क्रांति : 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोग्राद में हालात बिगड़ गए।

फरवरी 1917 में मजदूरों के क्वार्टरों में खाने की अत्यधिक किल्लत अनुभव की गई, संसदीय प्रतिनिधि जार की ड्यूमा को बर्खास्त करने की इच्छा के विरुद्ध थे।

शहर की बनावट इसके नागरिकों के विभाजन का कारण बन गई। मजदूरों के क्वार्टर और कारखाने नेवा नदी के दाएं तट पर स्थित थे। बाएं तट पर फैशनेबल इलाके जैसे कि विंटर पैलेस, सरकारी भवन तथा वह महल भी था जहाँ ड्यूमा की बैठक होती थी।

सर्दियाँ बहुत ज्यादा थी – असाधारण कोहरा और बर्फबारी हुई थी। 22 फरवरी को दाएं किनारे पर एक कारखाने में तालाबंदी हो गई। अगले दिन सहानुभूति के तौर पर 50 और कारखानों के मजदूरों ने हड़ताल कर दी। कई कारखानों में महिलाओं ने हड़ताल की अगुवाई की। रविवार, 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया। 27 फरवरी को पुलिस मुख्यालय पर हमला किया गया।

गलियाँ रोटी, मजदूरी, बेहतर कार्य घण्टों एवं लोकतंत्र के नारे लगाते हुए लोगों से भर गई। घुड़सवार सैनिकों की टुकड़ियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से मना कर दिया तथा शाम तक बगावत कर रहे सैनिकों एवं हड़ताल कर रहे मजदूरों ने मिल कर पेत्रोग्राद सोवियत नामे की सोवियत या काउंसिल बना ली।

जार ने 2 मार्च को अपनी सत्ती छोड़ दी और सोवियत तथा ड्यूमा के नेताओं ने मिलकर रूस के लिए अंतरिम सरकार बना ली। फरवरी क्रांति के मोर्चे पर कोई भी राजनैतिक दल नहीं था। इसका नेतृत्व लोगों ने स्वयं किया था। पेत्रोग्राद ने राजशाही का अंत कर दिया और इस प्रकार उन्होंने सोवियत इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया।

फरवरी क्रांति के प्रभाव :

(क) फरवरी के बाद जनसाधारण तथा संगठनों की बैठकों पर से प्रतिबंध हटा लिया गया।
(ख) पेत्रोग्राद सोवियत की तरह ही सभी जगह सोवियत बन गई यद्यपि इनमें एक जैसी चुनाव प्रणाली का अनुसरण नहीं किया गया।
(ग) अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के नेता व्लादिमीर लेनिन देश निकाले से रूस वापस लौट आए। उसने “अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी जाने वाली तीन मांगें रखीं। ये तीन मांगें थीं : युद्ध को | समाप्त किया जाए, भूमि किसानों को हस्तांतरित की जाए और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
(घ) उसने इस बात पर भी जोर दिया कि अब अपने रेडिकल उद्देश्यों को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी रख दिया जाए।

अक्तूबर क्रांति :
अक्तूबर क्रांति अंतरिम सरकार तथा बोल्शेविकों में मतभेद के कारण हुई।

सितंबर में व्लादिमीर लेनिन ने विद्रोह के लिए समर्थकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। 16 अक्तूबर 1917 को उसने पेत्रोग्राद सोवियत तथा बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर सामाजिक कब्जा करने के लिए मना लिया। सत्ता पर कब्जे के लिए लियोन ट्रॉटस्की के नेतृत्व में एक सैनिक क्रांतिकारी सैनिक समिति नियुक्त की गई।

जब 24 अक्तूबर को विद्रोह शुरू हुआ, प्रधानमंत्री केरेंस्की ने स्थिति को नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के लिए सैनिक टुकड़ियों को लाने हेतु शहर छोड़ा।

क्रांतिकारी समिति ने सरकारी कार्यालयों पर हमला बोला; ऑरोरा नामक युद्धपोत ने विंटर पैलेस पर बमबारी की और 24 तारीख की रात को शहर पर बोल्शेविकों का नियंत्रण हो गया। थोड़ी सी गंभीर लड़ाई के उपरांत बोल्शेविकों ने मॉस्को पेत्रोग्राद क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण पा लिया। पेत्रोग्राद में ऑल रशियन कांग्रेस ऑफ सोवियत्स की बैठक में बोल्शेविकों की कार्रवाई को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया।

अक्तूबर क्रांति का नेतृत्व मुख्यतः लेनिन तथा उसके अधीनस्थ ट्रॉटस्की ने किया और इसमें इन नेताओं का समर्थन करने वाली जनता भी शामिल थी। इसने सोवियत पर लेनिन के शासन की शुरूआत की तथा लेनिन के निर्देशन में बोल्शेविक इसके साथ थे।

प्रश्न 5. बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन-से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर : अक्तूबर क्रांति के बाद बोल्शेविकों द्वारा किए गए कई बदलाव में शामिल हैं :

(क) बोल्शेविक निजी संपत्ति के पक्षधर नहीं थे अतः अधिकतर उद्योगों एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
(ख) भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया और किसानों को उस भूमि पर कब्जा करने दिया गया जिस पर वे काम करते थे।
(ग) शहरों में बड़े घरों के परिवार की आवश्यकता के अनुसार हिस्से कर दिए गए।
(घ) पुराने अभिजात्य वर्ग की पदवियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई।
(ङ) परिवर्तन को स्पष्ट करने के लिए बोल्शेविकों ने सेना एवं कर्मचारियों की नई वर्दियाँ पेश की।
(च) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर रूसी कम्यूनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया।
(छ) नवंबर में संविधान सभा के चुनावों में बोल्शेविकों की हार हुई और जनवरी 1918 में जब सभा ने उनके प्रस्तावों को खारिज कर दिया तो लेनिन ने सभा बर्खास्त कर दी। मार्च 1918 में राजनैतिक विरोध के बावजूद रूस ने ब्रेस्ट लिटोव्स्क में जर्मनी से संधि कर ली।
(ज) रूस एक-दलीय देश बन गया और ट्रेड यूनियनों को पार्टी के नियंत्रण में रखा गया।
(झ) उन्होंने पहली बार केन्द्रीकृत नियोजन लागू किया जिसके आधार पर पंचवर्षीय योजनाएं बनाई गई।

प्रश्न 6. निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए ?

(क) कुलक :
(ख) ड्यूमा
(ग) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
(घ) उदारवादी

उत्तर
(क) कुलक रूस के धनी किसान थे। स्तालिन का विश्वास था कि वे अधिक लाभ कमाने के लिए अनाज
इकट्ठा कर रहे थे। 1927-28 तक सोवियत रूस के शहर अन्न आपूर्ति की भारी किल्लत का सामना कर रहे थे। इसलिए इन कुलकों पर 1928 में छापे मारे गए और उनके अनाज के भंडारों को जब्त कर लिया गया। माक्र्सवादी स्तालिनवाद के अनुसार कुलक गरीब किसानों के ‘वर्ग शत्रु’ थे। उनकी मुनाफाखोरी की इच्छा से खाने की किल्लत हो गई और अंततः स्तालिन को इन कुलकों का सफाया करने के लिए सामूहिकीकरण कार्यक्रम चलाना पड़ा और सरकार द्वारा नियंत्रित बड़े खेतों की स्थापना करनी पड़ी।
(ख) 1905 की क्रांति के दौरान जार ने रूस में परामर्शदाता संसद के चुनाव की अनुमति दे दी। रूस की इस निर्वाचित परामर्शदाता संसद को ड्यूमा कहा गया। रूसी क्रांति के दबाव में 6 अगस्त 1905 को गठित यह संस्था प्रारंभ में परामर्शदात्री मानी गई थी। अक्तूबर घोषणापत्र में जार निकोलस द्वितीय ने इसे वैधानिक शक्तियाँ प्रदान की।
(ग) महिला मजदूरों ने रूस के भविष्य निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिला कामगार सन् 1914 तक कुल कारखाना कामगार शक्ति का 31 प्रतिशत भाग बन चुकी थी किन्तु उन्हें पुरुषों की अपेक्षा कम मजदूरी दी जाती थी।

महिला कामगारों को न केवल कारखानों में काम करना पड़ता था अपितु उनके परिवार एवं बच्चों की भी देखभाल करनी पड़ती थी।

वे देश के सभी मामलों में बहुत सक्रिय थीं।

वे प्रायः अपने साथ काम करने वाले पुरुष कामगारों को प्रेरणा देती थी।

1917 की अक्तूबर क्रांति के बाद समाजवादियों ने रूस में सरकार बनाई। 1917 में राजशाही के पतन एवं अक्तूबर की घटनाओं को ही सामान्यतः रूसी क्रांति कहा जाता है। उदाहरण के लिए, लॉरेंज टेलीफोन की महिला मजदूर मार्फा वासीलेवा ने बढ़ती कीमतों तथा कारखाने के मालिकों के | मनमानी के विरुद्ध आवाज उठाई और सफल हड़ताल की। अन्य महिला मजदूरों ने भी माफ वासीलेवा का अनुसरण किया और जब तक उन्होंने रूस में समाजवादी सरकार की स्थापना नहीं की तब तक उन्होंने राहत की सांस नहीं ली।

(घ) रूस के उदारवादी वे लोग थे जो ऐसा देश चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर सम्मान मिले। वे वंश आधारित शासकों की अनियंत्रित सत्ता के भी विरुद्ध थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति के अधिकारों की सुरक्षा के पक्ष में थे। वे प्रतिनिधित्व करने वाली, निर्वाचित संसदीय सरकार के पक्षधर थे जो शासकों एवं अफसरों के प्रभाव से मुक्त हो तथा सुप्रशिक्षित न्यायपालिका द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन कार्य चलाए । किन्तु वे लोकतंत्रवादी नहीं थे। वे सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (प्रत्येक नागरिक का वोट देने का अधिकार) में विश्वास नहीं रखते थे। उनका विश्वास था कि वोट का अधिकार केवल संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए। वे महिलाओं को भी वोट देने का अधिकार नहीं देना चाहते थे।


कक्षा 9वी के सामाजिक विज्ञान के प्रश्न उत्तर 



Chapter 1 The French Revolution फ़्रांसिसी क्रांति
Chapter 2 Socialism in Europe and the Russian Revolution यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
Chapter 3 Nazism and the Rise of Hitler नात्सीवाद और हिटलर का उदय
Chapter 4 Forest Society and Colonialism वन्य समाज एवं उपनिवेशवाद
Chapter 5 Pastoralists in the Modern World आधुनिक विश्व में चरवाहे


Chapter 1 India Size and Location भारत – आकार और स्थिति
Chapter 2 Physical Features of India भारत का भौतिक स्वरुप
Chapter 3 Drainage अपवाह
Chapter 4 Climate जलवायु
Chapter 5 Natural Vegetation and Wild Life प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
Chapter 6 Population जनसंख्या




Chapter 1 What is Democracy? Why Democracy? लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों?
Chapter 2 Constitutional Design संविधान निर्माण
Chapter 3 Electoral Politics चुनावी राजनीति
Chapter 4 Working of Institutions संस्थाओं का कामकाज
Chapter 5 Democratic Rights लोकतांत्रिक अधिकार


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