NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4: Globalization and the Indian Economy (वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4: Globalization and the Indian Economy (वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4: Globalization and the Indian Economy

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NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था

यहाँ हम आप के लिए लाये है हिंदी में एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान पुस्तक के अर्थशास्त्र अध्याय 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था का पूर्ण समाधान | कक्षा 10 के लिए ये एनसीईआरटी समाधान हिंदी माध्यम में पढ़ रहे छात्रों के लिए बहुत उपयोगी हैं। आर्थिक विकास की समझ एनसीईआरटी समाधान कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र अध्याय 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था नीचे दिए हुए है ।



प्रश्न अभ्यास

पाठ्यपुस्तक से

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 
वैश्वीकरण का अर्थ एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं से विदेशी व्यापार एवं विदेशी निवेश द्वारा जोड़ा जाता है। वैश्वीकरण के कारण आज विश्व में विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं, तकनीकी तथा श्रम का आदान-प्रदान हो रहा है। इस कार्य में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जब वे अपनी इकाइयाँ संसार के विभिन्न देशों में स्थापित करती हैं।

प्रश्न 2. भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर अवरोधक लगाने के क्या कारण थे? इन अवरोधकों को सरकार क्यों हटाना चाहती थी?
उत्तर 
स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने विदेश व्यापार एवं विदेशी निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों को संरक्षण प्रदान करने के लिए इसे अनिवार्य माना गया। 1950 एवं 1960 के दशक में उद्योगों की स्थापना हुई और इस अवस्था में इन नवोदित उद्योगों को आयात में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी गई। इसलिए भारत ने केवल अनिवार्य चीजों, जैसे–मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की ही अनुमति दी।

सन् 1991 में आर्थिक नीति में परिवर्तन किया गया। सरकार ने निश्चय किया कि भारतीय उत्पादकों को विश्व के उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी जिससे देश के उत्पादकों के प्रदर्शन में सुधार होगा और वे अपनी गुणवत्ता में सुधार करेंगे। इसलिए विदेशी व्यापार एवं निवेश पर से अवरोधकों को काफी हद तक हटा दिया गया। इसका अर्थ है कि वस्तुओं का सुगमता से आयात किया जा सकेगा और विदेशी कंपनियाँ यहाँ अपने कार्यालय और कारखाने स्थापित कर सकेंगी। सरकार द्वारा अवरोधकों एवं प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया को ही उदारीकरण कहते हैं।

प्रश्न 3. श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को कैसे मदद करेगा?
उत्तर 
श्रम कानूनों में लचीलापन कंपनियों को महत्त्वपूर्ण मदद देगा । श्रम कानूनों में लचीलापन से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किसी देश में निवेश करेंगी। जिससे नए उद्योग स्थापित होंगे, नए रोजगारों का सृजन होगा तथा साथ ही इन उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियों का विस्तार होगा और उत्पादन प्रक्रिया का आधुनिकीकरण भी होगा। श्रम कानूनों में लचीलेपन के बाद अनेक भारतीय कंपनियों को लाभ हुआ। इन कंपनियों ने अपने उत्पादक मानकों को ऊँचा उठाया। कुछ ने विदेशी कंपनियों के साथ सफलतापूर्वक सहयोग करके लाभ अर्जित किया।

प्रश्न 4. दूसरे देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ किस प्रकार उत्पादन पर नियंत्रण स्थापित करती हैं?
उत्तर 
बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ वे कंपनियाँ हैं जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व रखती हैं। ये कंपनियाँ उन देशों में अपने कारखाने स्थापित करती हैं जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य साधन मिल सकते हैं। जहाँ सरकारी नीतियाँ भी उनके अनुकूल हों। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इन देशों की स्थानीय कपंनियों के साथ संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं, लेकिन अधिकांशतः बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती हैं। जैस-एक अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘कारगिल फूड्स’ ने अत्यंत छोटी भारतीय कंपनी ‘परख फूड्स’ को खरीद लिया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ एक अन्य तरीके से उत्पादन नियंत्रित करती हैं। विकसित देशों में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों को उत्पादन का आदेश देती हैं। वस्त्र, जूते-चप्पल एवं खेल के सामान ऐसे उद्योग हैं, जिनका विश्वभर में बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों द्वारा उत्पादन किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इनकी आपूर्ति कर दी जाती है, जो अपने ब्रांड नाम से इसे ग्राहकों को बेचती हैं।

प्रश्न 5. विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण क्यों चाहते हैं? क्या आप मानते हैं कि विकासशील देशों को भी बदले में ऐसी माँग करनी चाहिए?
उत्तर 
विकसित देश, विकासशील देशों से उनके व्यापार और निवेश का उदारीकरण चाहते हैं। इनका मानना है कि विदेश व्यापार और विदेशी निवेश पर सभी अवरोधक हानिकारक हैं। इसलिए कोई अवरोधन नहीं होना चाहिए। देशों के बीच मुक्त व्यापार होना चाहिए। विश्व के सभी देशों को अपनी नीतियाँ उदार बनानी चाहिए। इसके लिए विकसित देशों की पहल पर विश्व व्यापार संगठन बनाया गया जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियम लागू करता है। विश्व व्यापार संगठन के नियमों के कारण विकासशील देश व्यापार अवरोधकों को हटाने के लिए विवश हुए हैं जबकि विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है।

विकासशील देश समय-समय पर विकसित देशों की सरकार से प्रश्न पूछते हैं कि उन्होंने विश्व व्यापार संगठनों के नियमों को ताक पर रखकर अपने देश में अवरोधक बना रखे हैं। क्या यह मुक्त और न्यायसंगत है?यदि विकासशील देश विश्व व्यापार संगठनों के नियमों को मानकर अवरोधकों को हटा रहे हैं तो विकसित देशों को भी अवरोधकों को हटाना होगा।

प्रश्न 6. ‘वैश्वीकरण का प्रभाव एक समान नहीं है। इस कथन की अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर 
विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण है। वैश्वीकरण का विश्व के सभी देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा किंतु यह प्रभाव एक समान नहीं है। स्थानीय एवं विदेशी उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धाओं में धनी वर्ग के उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। इन उपभोक्ताओं के समक्ष पहले से अधिक विकल्प हैं और वे अनेक उत्पादों की उत्कृष्टता, गुणवत्ता और कम कीमत से लाभान्वित हो रहे हैं। परिणामतः ये लोग पहले की अपेक्षा एक उच्चतर जीवन स्तर का उपभोग कर रहे हैं।

वैश्वीकरण से बड़ी संख्या में छोटे उत्पादकों और कर्मचारियों को कई चुनौतियों का सामना कंरना पड़ा है। बैटरी, प्लास्टिक, खिलौने, टायर, डेयरी उत्पाद एवं खाद्य तेल के उद्योग कुछ ऐसे उदाहरण हैं, जहाँ प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे निर्माता टिक नहीं सके। कई इकाइयाँ बंद हो गईं। जिसके चलते अनेक श्रमिक बेरोजगार हो गए। वैश्वीकरण और प्रतिस्पर्धा के दबाव ने श्रमिकों के जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण श्रमिकों का रोजगार लंबे समय के लिए सुनिश्चित नहीं रहा। वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं मिला। ये सभी प्रमाण संकेत करते हैं कि वैश्वीकरण सभी के लिए लाभप्रद नहीं रहा है। शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नए अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। दूसरी ओर अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला

प्रश्न 7. व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण वैश्वीकरण प्रक्रिया में कैसे सहायता पहुँचाती है?
उत्तर 
सरकार द्वारा व्यापार पर से अवरोधकों अथवा प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया को ही उदारीकरण कहा जाता है। सरकार व्यापार अवरोधक का प्रयोग विदेश व्यापार में वृद्धि या कटौती करने के लिए कर सकती है। सरकार द्वारा उदारीकरण करने से वस्तुओं का आयात-निर्यात सुगमता से किया जा सकेगा तथा विदेशी कंपनियाँ भी अपने कार्यालय और कारखाने खोल सकेंगी। व्यापार के उदारीकरण से व्यवसायियों को मुक्त रूप से निर्णय लेने की अनुमति मिल जाती है कि वे क्या आयात या निर्यात करना चाहते हैं। विश्व के सभी देशों को अपनी नीतियाँ उदार बनानी होंगी तभी वैश्वीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

प्रश्न 8. विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में किस प्रकार मदद करता है? यहाँ दिए गए उदाहरण से भिन्न उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर 
विदेशी व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों के एकीकरण में निम्नलिखित प्रकार से मदद करता है

  1. विदेशी व्यापार के कारण घरेलू उत्पादकों को अन्य देशों के बाजारों में पहुँचने का अवसर मिलता है। इससे उत्पादक अपने देश के बाजारों के साथ-साथ विश्व के बाजारों से भी प्रतियोगिता कर सकता है।
  2. ग्राहकों को विदेशी व्यापार के कारण सबसे अधिक लाभ रहता है। अब उन्हें विभिन्न प्रकार की चीजें अपने देश में ही उपलब्ध होने लगती हैं।

उदाहरण के लिए भारतीय कंप्यूटर बाजार में विदेशी कंपनियों के प्रवेश से भारतीय तथा विदेशी कंपनियों में प्रतिस्पर्धा होगी। यदि विदेशी कंपनियों के कंप्यूटर बेहतर साबित होंगे तो भारतीय उपभोक्ता के सामने अधिक
विकल्प उपलब्ध होंगे। भारतीय कंपनियाँ भी अपनी हानि को कम करने के लिए अपने उत्पाद की गुणवत्ता और
कीमतों में सुधार करेंगी अन्यथा वे प्रतियोगिता से बाहर हो जाएँगी।

प्रश्न 9. वैश्वीकरण भविष्य में जारी रहेगा। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि आज से बीस वर्ष बाद विश्व कैसा होगा? अपने उत्तर का कारण दीजिए।
उत्तर 
मेरे अनुसार आज से बीस वर्ष बाद भी वैश्वीकरण न केवल जारी रहेगा बल्कि वह अपने चरम पर होगा। विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे से जुड़ी होंगी। उनमें वस्तुओं, सेवाओं, तकनीकी तथा श्रमिकों का आदान-प्रदान बहुत अधिक होगा । बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विभिन्न देशों में अधिक-से-अधिक निवेश करेंगी। विदेशी व्यापार का अधिकांश हिस्से पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नियंत्रण होगा। इस अवस्था में वैश्वीकरण के कारण व्यापार तथा निवेश के क्षेत्र में विभिन्न देशों में एकीकरण में वृद्धि होगी। एक देश की तकनीक, पूँजी तथा श्रम दूसरे देश के काम आने लगेंगे जिससे विश्व अर्थव्यवस्था का विकास होगा।

प्रश्न 10. मान लीजिए कि आप दो लोगों को तर्क करते हुए पाते हैं-एक कह रहा है कि वैश्वीकरण ने हमारे देश के विकास को क्षति पहुँचाई है, दूसरा कह रहा है कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में सहायता की है। इन लोगों को आप कैसे जवाब देगें?
उत्तर 
वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह प्रभाव सकारात्मक भी रहा तथा नकारात्मक भी। इसलिए कुछ लोग मानते हैं कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास में मदद पहुँचाई है तथा कुछ लोग मानते हैं कि वैश्वीकरण ने भारत के विकास को क्षति पहुँचाई। मेरा विचार है कि वैश्वीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है। लोगों को नई व उन्नत तकनीक की वस्तुएँ तथा बेहतर रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है। किंतु ये विकास असमान रहा अर्थात् इसने बड़े-बड़े उद्योगपतियों, शिक्षित व धनी उत्पादकों व धनी उपभोक्ताओं को तो लाभ पहुँचाया किंतु छोटे उद्योगपतियों, सुशीला जैसे श्रमिकों तथा विकासशील देशों को नुकसान पहुँचाया । वैश्वीकरण के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने भारत में कई लघु व कुटीर उद्योगों को लगभग नष्ट कर दिया है। श्रम कानूनों में, वैश्वीकरण के कारण बहुत लचीलापन आ गया जिससे लोगों का रोजगार अनिश्चित हो गया है।

अब जबकि वैश्वीकरण अनिवार्य विकल्प है तो सरकार द्वारा वैश्वीकरण को अधिक न्यायसंगत और सर्वव्यापी बनाने की आवश्यकता है ताकि इसका लाभ कुछ लोगों तक ही सीमित न रहे। सरकार को छोटे उद्योगपतियों को सस्ते दामों पर ऋण देकर, बेहतर बिजली की सुविधाएँ देकर विदेशी प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना चाहिए। विकासशील देशों को विकसित देशों पर अपने व्यापार और निवेश का उदारीकरण करने का दबाव डालना चाहिए।

प्रश्न 11. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
दो दशक पहले की तुलना में भारतीय खरीददारों के पास वस्तुओं के अधिक विकल्प हैं। यह…………….‘की प्रक्रिया से नजदीक से जुड़ा हुआ है। अनेक दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं को भारत के बाजारों में बेचा जा रहा है। इसका अर्थ है कि अन्य देशों के साथः………………बढ़ रहा है। इससे भी आगे भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादित ब्रांडों की बढ़ती संख्या हम बाजारों में देखते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में निवेश कर रही हैं क्योंकि………………: । जबकि बाज़ार में उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प इसलिए बढ़ते……….और…………के प्रभाव का अर्थ है। उत्पादकों के बीच अधिकतम:…………….।
उत्तर 
वैश्वीकरण, विदेशी व्यापार, यहाँ उन्हें उचित परिस्थितियाँ मिल रही हैं, जैसे—बड़ा बाजार, सस्ते श्रमिक आदि, निर्यात, उदारीकरण, प्रतिस्पर्धा।

प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए

(क) बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ छोटे उत्पादकों से सस्ते दरों
(ख) आयात पर कर और कोटा का उपयोग, व्यापार
(ग) विदेशों में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियाँ।
(घ) आई०टी० ने सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में सहायता की है।
(ङ) अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उत्पादन करने के लिए निवेश किया है।

(अ) मोटर गाड़ियों पर खरीदती हैं।
(ब) कपड़ा, जूते-चप्पल, खेल के सामान नियमन के लिए किया जाता है।
(स) कॉल सेंटर
(द) टाटा मोटर्स, इंफोसिस, रैनबैक्सी
(य) व्यापार अवरोधक

उत्तर (क) ब (ख) य (ग) द (घ) स (ङ) अ।।

प्रश्न 13. सही विकल्प का चयन कीजिए
(अ) वैश्वीकरण के विगत दो दशकों में द्रुत आवागमन देखा गया है

(क) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और लोगों का
(ख) देशों के बीच वस्तुओं, सेवाओं और निवेशों का
(ग) देशों के बीच वस्तुओं, निवेशों और लोगों का ।

(आ) विश्व के देशों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा निवेश का सबसे अधिक सामान्य मार्ग है

(क) नए कारखानों की स्थापना
(ख) स्थानीय कंपनियों को खरीद लेना।
(ग) स्थानीय कंपनियों से साझेदारी करना।

(इ) वैश्वीकरण ने जीवन-स्तर के सुधार में सहायता पहुँचाई है

(क) सभी लोगों के
(ख) विकसित देशों के लोगों के
(ग) विकसित देशों के श्रमिकों के
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर (अ) (क) (आ) (ख) (इ) (ख)।

अतिरिक्त परियोजना/कार्य कलाप

प्रश्न 1. कुछ ब्रांडेड उत्पादों को लीजिए, जिनका हम रोजाना इस्तेमाल करते हैं (साबुन, टूथपेस्ट, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ इत्यादि)। जाँच कीजिए कि इनमें से कौन-कौन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादित हैं।
उत्तर 
  निर्देशन: विद्यार्थी इस परियोजना कार्य को स्वयं करें। वे समाचार-पत्रों, पुस्तकों, चित्रों, टेलीविजन, इंटरनेट से लाभ उठा सकते हैं। इस परियोजना कार्य को करने के बाद विद्यार्थी वैश्वीकरण के अर्थ व व्यवहारिक रूप को भली-भाँति समझ पाएँगें।

प्रश्न 2. अपनी पसंद के किसी भी भारतीय उद्योग या सेवा को लीजिए। उद्योग के निम्नलिखित पहलूओं पर लोगों के साक्षात्कारों, समाचार-पत्रों एवं पत्रिकाओं की कतरनों, पुस्तकों, दूरदर्शन एवं इंटरनेट से जानकारियाँ और फोटो संकलित कीजिए

(क) उद्योग में विविध उत्पादक/कंपनियाँ।
(ख) क्या उत्पाद अन्य देशों को निर्यात होता है?
(ग) क्या उत्पादकों के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ हैं?
(घ) उद्योग में प्रतिस्पर्धा।
(ङ) उद्योग में कार्य-परिस्थितियाँ।
(च) क्या विगत पंद्रह वर्षों में उद्योग में कोई बड़ा बदलाव आया है?
(छ) उद्योग में कार्यरत लोगों की समस्याएँ।

उत्तर विद्यार्थी इस परियोजना कार्य को भी स्वयं करें।

अध्याय-समीक्षा


  • वैश्वीकरण - जब कोई देश की अर्थव्यवस्था को संसार के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से सामंजस्य स्थापित करता है तो इसे वैश्वीकरण कहते हैं | 
  • उदारीकरण - सरकार द्वारा अवरोधों और प्रतिबंधों को हटाने की प्रक्रिया या छूट देना उदारीकरण कहलाता है |
  • विश्व बैंक - विश्व बैंक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो अपने सदस्य देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है |
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ - वह कंपनी जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण रखती हैं |
  • निजीकरण - जब सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों को चरणबद्ध तरीके से निजी क्षेत्रों के हाथों बेच दिया जाता है या नियंत्रण दे दिया जाता है तो इसे निजीकरण कहते है | 
  • डब्ल्यू. टी. ओ. - डब्ल्यू. टी. ओ. का पूरा नाम विश्व व्यापार संगठन है | इसका उदेश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है | 
  • चालू खाता - एक वित् वर्ष में वस्तुओं तथा सेवाओं के व्यापार के साथ ही भुगतानों का स्थान्तरण चालू खाता कहलाता है |
  • पूँजी खाता - स्टॉक, ब्रांड, भूमि तथा बैंक में जमा राशियों को ख़रीदा या बेचा जा सकता है अथवा इन्हें पूँजी के रूप में लगाया जा सकता है, इसी के विवरण को पूँजी खाता कहते है | 
  • लचीलापन - सरकार द्वारा उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कानून में जो ढील दी जाती है उसे लचीलापन कहते है |
  • निवेश - भूमि, भवन, मशीन और अन्य उपकरण जैसे शेयर, बीमा, सावधि जमा आदि परिसंपतियों के खरीद पर व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं |
  • मुक्त व्यापार - जब दो देशों के बीच बिना किसी प्रतिबन्ध के व्यापार हो तो इसे मुक्त व्यापार कहते है | 
  • विदेशी निवेश - जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ द्वारा किसी देश में व्यापार स्थापित करने के लिए किया गया निवेश को विदेशी निवेश कहते हैं |
  • भारत में नयी आर्थिक निति 1991 में लागु की गई |
  • SEZ का पूरा नाम विशेष आर्थिक क्षेत्र है | 
  • भारत की अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था है |
  • भारत में अर्थव्यवस्था के तीन क्षेत्रकों में से वैश्वीकरण से सबसे अधिक फायदा/लाभ तृतीय क्षेत्रक को हुआ है ? 
  • राजकोषीय घाटा - सरकार द्वारा अर्जित आय और योजनाओं पर किए गए उससे अधिक खर्च को राजकोषीय घाटा कहते है | 


NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics in Hindi

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Chapter 1: विकास
Chapter 2: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Chapter 3: मुद्रा और साख
Chapter 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
Chapter 5: उपभोक्ता अधिकार




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