NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 5: Consumer Rights (उपभोक्ता अधिकार)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 5: Consumer Rights
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NCERT Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 5: उपभोक्ता अधिकार
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिएप्रश्न
भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म, अनैतिक और अनुचित व्यवसाय कार्यों में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के फलस्वरूप हुआ। अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों एवं खाद्य तेल में मिलावट की वजह से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ। 1970 तक उपभोक्ता संस्थाएँ बड़े पैमाने पर उपभोक्ता अधिकार से संबंधित आलेखों के लेखन और प्रदर्शन का आयोजन करने लगीं। इसके लिए उपभोक्ता दल बनाए गए। भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में भारी वृद्धि हुई ।
- उपभोक्ता जागरूकता इसलिए आवश्यक है क्योंकि अपने स्वार्थों से प्रेरित होकर दोनों-उत्पादक और व्यापारी कोई भी गलत काम कर सकते हैं। जैसे—वे खराब वस्तु दे सकते हैं, कम तौल सकते हैं, अपनी सेवाओं के अधिक मूल्य ले सकते हैं, आदि। धन के लालच के कारण ही समय-समय पर जरूरी वस्तुओं के दाम बहुत बढ़ जाते हैं।
- उपभोक्ता जागरूकता की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि बेईमान व्यापारी अपने थोड़े से फायदे के लिए जनसाधारण के जीवन से खेलना शुरू कर देते हैं। जैसे विभिन्न खाद्य पदार्थों—दूध, घी, तेल, मक्खन, खोया और मसालों आदि में मिलावट करते हैं जिससे आम व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस कारण उपभोक्ता जागरूकता आवश्यक है जिससे व्यापारी हमारे स्वास्थ्य से खिलवाड़ न कर सकें।
- घटिया सामान- कुछ बेईमान उत्पादक जल्दी धन एकत्र करने के उद्देश्य से घटिया किस्म का माल बाजार में बेचने लगते हैं। दुकानदार भी ग्राहक को घटिया माल दे देता है क्योंकि ऐसा करने से उसे अधिक लाभ होता है।
- कम तौलना या मापना- बहुत से चालाक व लालची दुकानदार ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की चीजें कम तोलकर | या कम मापकर उनको ठगने का प्रयत्न करते हैं।
- अधिक मूल्य- जिन चीजों के ऊपर विक्रय मूल्य नहीं लिखा होता, वहाँ कुछ दुकानदारों का यह प्रयत्न होता है कि ऊँचे दामों पर चीजों को बेचकर अपने लाभ को बढ़ा लें।
- मिलावट करना- लालची उत्पादक अपने लाभ को बढ़ाने के लिए खाने-पीने की चीजों, जैसे-घी, तेल, मक्खन, | मसालों आदि में मिलावट करने से बाज नहीं आते। ऐसे में उपभोक्ताओं का दोहरा नुकसान होता है। एक तो उन्हें घटिया माल की अधिक कीमत देनी पड़ती है दूसरे उनके स्वास्थ्य को भी नुकसान होता है।
- सुरक्षा उपायों की अवहेलना- कुछ उत्पादक विभिन्न वस्तुओं को बनाते समय सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करते। बहुत-सी चीजें हैं जिन्हें सुरक्षा की दृष्टि से खास सावधानी की जरूरत होती है, जैसे प्रेशर कुकर में खराब सेफ्टी वॉल्व के होने से भयंकर दुर्घटना हो सकती है। ऐसे में उत्पादक थोड़े से लालच के कारण जानलेवा उपकरणों को बेचते हैं।
- अधूरी या गलत जानकारी- बहुत से उत्पादक अपने सामान की गुणवत्ता को बढ़ा-चढ़ाकर पैकेट के ऊपर लिख देते हैं जिससे उपभोक्ता धोखा खाते हैं। जब वे ऐसी चीजों का प्रयोग करते हैं तो उल्टा ही पाते हैं और अपने-आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
- असंतोषजनक सेवा- बहुत-सी वस्तुएँ ऐसी होती हैं जिन्हें खरीदने के बाद एक लंबे समय तक सेवाओं की आवश्यकता होती है, जैसे- कूलर, फ्रिज, वाशिंग मशीन, स्कूटर और कार आदि। परंतु खरीदते समय जो वादे उपभोक्ता से किए जाते हैं, वे खरीदने के बाद पूरे नहीं किए जाते। विक्रेता और उत्पादक एक-दूसरे पर इसकी जिम्मेदारी डालकर उपभोक्ताओं को परेशान करते हैं।
- कृत्रिम अभाव- लालच में आकर विक्रेता बहुत-सी चीजें होने पर भी उन्हें दबा लेते हैं। इसकी वजह से बाजार में वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा हो जाता है। बाद में इसी सामान को ऊँचे दामों पर बेचकर दुकानदार लाभ कमाते हैं। इस प्रकार विभिन्न तरीकों द्वारा उत्पादक, विक्रेता और व्यापारी उपभोक्ताओं का शोषण करते हैं।
- उपभोक्ता के रूप में हमारा यह कर्तव्य है कि बाज़ार से सामान खरीदते समय उसकी गुणवत्ता अवश्य देखें और गारंटी लेना न भूलें।
- हमें वही माल खरीदना चाहिए जिन पर आई०एस०आई० या एगमार्क का निशान लगा हो।
- जब भी कोई सामान खरीदें, सामान व सेवा की रसीद अवश्य लें।
- एक उपभोक्ता के रूप में हमारा कर्तव्य है कि जब कोई उत्पादक, व्यापारी या दुकानदार किसी भी प्रकार से ठगने की | कोशिश करे तो हमें उपभोक्ता अदालत में शिकायत करनी चाहिए।
- उपभोक्ताओं को अपने संगठन बनाने चाहिए ताकि एक साथ मिलकर सरकार के सामने उपभोक्ता संरक्षण संबंधी | माँगें रख सकें।
- उपभोक्ताओं का यह कर्तव्य है कि वे अपने अधिकारों की जानकारी रखें और अवसर आने पर उनको प्रयोग करें। संक्षेप में कहा जा सकता है कि उपभोक्ताओं को बेईमान उत्पादकों अथवा दुकानदारों के शोषण से तभी बचाया जासकता है, जब उपभोक्ताओं को अधिकारों का ज्ञान हो तथा वे अपने कर्तव्यों का पालन करें।
- सुरक्षा का अधिकार-उपभोक्ताओं को यह अधिकार दिया गया है कि वे ऐसी सभी वस्तुओं की बिक्री से अपना बचाव कर सकें, जो उनके जीवन और संपत्ति के लिए हानिकारक हो सकती हैं।
- सूचना का अधिकार-उपभोक्ता को यह अधिकार दिया गया है कि वह हर खरीदी जानेवाली वस्तु की गुणवत्ता, मात्रा, शुद्धता और मूल्य आदि के विषय में हर सूचना प्राप्त कर सके ताकि वह अपने-आप को शोषण से बचा सके।
- चुनाव का अधिकार-हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह देख-परखकर विभिन्न प्रकार की वस्तुओं में से अपनी इच्छानुसार चीजों का चुनाव कर सकें और सही मूल्य भी चुकाए।
- सुनवाई का अधिकार-उपभोक्ताओं को अनुचित सौदेबाजी और शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति माँगने का अधिकार है। यदि एक उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचाई जाती है तो क्षति की मात्रा के आधार पर उसे क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार होता है। इस कार्य को पूरा करने के लिए सुनवाई का अधिकार सभी उपभोक्ताओं को दिया गया है।
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार-हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि उसके अधिकारों के प्रति सजग रखने के लिए सरकार प्रयत्न करती रहे। उसे बाजार में मिलनेवाली विभिन्न वस्तुओं के गुण-दोषों की जानकारी होनी चाहिए जिससे वह वस्तुओं को खरीदने से पहले उस जानकारी का प्रयोग कर सके।
- प्रस्तुतीकरण का अधिकार-हर उपभोक्ता को यह अधिकार है कि वह विभिन्न संस्थाओं एवं संगठनों के सामने अपनी समस्याओं को प्रस्तुत कर सके तथा ये संगठन उसे उसकी समस्याओं के समाधान में मदद कर सकें।
प्रश्न 12. निम्नलिखित को सुमेलित करें –
उत्तर 1. (ङ), 2. (ग), 3. (क), 4. (ख), 5. (घ), 6. (च) ।
प्रश्न 13. सही या गलत बताएँ।
उत्तर (क) गलत, (ख) सही, (ग) सही, (घ) गलत, (ङ) सही, (च) सही, (छ) सही।
अतिरिक्त परियोजना/कार्यकलाप
प्रश्न 4. आकर्षक नारों वाले विज्ञापन तैयार करें, जैसे
- ग्राहक सावधान रहो।
- ग्राहक अपने अधिकार पहचानो।
- जागरूक ग्राहक की जिम्मेदारी निभाओ ।

अध्याय-समीक्षा
- उपभोक्ता - वह व्यक्ति जो बाज़ार से चीजें खरीदकर उनका उपयोग करता है |
- उत्पादक - वह व्यक्ति जो वस्तु और सेवाओं का निर्माण करता है |
- कोपरा - उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 |
- एफ. ए. ओ. - खाध्य एवं कृषि संगठन |
- डब्लू. एच. ओ. - विश्व स्वास्थ्य संगठन |
- आई. एस. आई. - भारतीय मानक संसथान |
- आई. एस. ओ. - अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन |
- बी. एस. आई. - भारतीय मानक ब्यूरों |
- पी. डी. एस. सार्वजानिक वितरण प्रणाली |
- एन. सी. सी. - राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग |
- रैल्फ नाडर - उपभोक्ता आन्दोलन का जन्मदाता |
- उपभोक्ता अधिकार - इसमें उपभोक्ता हित से जुड़े प्रसंगों और वस्तुओं की जानकारी सम्मिलित है |
- उपभोक्ता जागरूकता - इसका अर्थ है उपभोक्ताओं का अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सचेत होना होता है |
- मानकीकरण - उत्पादों की गुणवता, आकार तथा बनावट आदि की गुणवता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को मानकीकरण कहते हैं |
- 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है |
- 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है |
- एगमार्क का उपयोग खाने-पीने की वस्तुओं की गुणवता के लिए उपयोग किया जाता है |
- सोने के आभूषणों के लिए हॉल मार्क का चिन्ह का प्रयोग किया जाता है |
- आई. एस. आई. चिन्ह का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं या उपकरणों के लिए किया जाता है |
अतिरिक्त प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: ऐसे कुछ तरीके बताइए जिनसे दुकानदारों द्वारा उपभोक्ताओं वस्तु खरीदते समय शोषण किया जाता है |
उत्तर :
(1) घाटियां किस्म की वस्तुएँ देना |
(2) कम मापना या तौलना आदि |
(3) अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक मूल्य वसूलना |
(4) नकली वस्तुएँ देना |
(5) मिलावटी/ दोषपूर्ण वस्तु देना |
(6) जमाखोरी
(7) झूठी या अधूरी सूचना देना |
(8) उपभोक्ताओं के साथ बुरा व्यवहार करना |
प्रश्न 2: कोपरा क्या है ? यह कैसे उपभोक्ताओं की मदद करता है ?
उत्तर : कोपरा (COPRA) का पूरा नाम उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 1986 है, जो विभिन्न प्रकार से उपभोक्ताओं के शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है |
(1) दुकानदारों की मनचाही कीमत वसूलने, घटिया वस्तु देने कम तोलने, मिलावट को रोकने तथा नकली वस्तुओं से उपभोक्ताओं को बचाने के लिए यह अधिनियम बनाया गया है |
(2) इस कानून के अंतर्गत कोई भी ठगी का शिकार उपभोक्ता, उपभोक्ता न्यायालय में आवेदन देकर न्याय प्राप्त कर सकता है |
(3) यह अधिनयम व्यावसायिक कंपनियों और सरकार पर दबाव डालने में सफल हुआ है |
प्रश्न 3: सूचना के अधिकार (RTI) से आप क्या समझते है ?
उत्तर : सन 2005 के अक्टूबर में भारत सरकार में एक कानून लागु किया जी RTI या सूचना पाने का अधिकार के नाम से जाना जाता है | यह अधिकार नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यकलापों की सभी सूचनाएँ पाने का अधिकार सुनिश्चित करता है |
प्रश्न 4: उपभोक्ताओं के कोई चार अधिकार बताओं ?
उत्तर : उपभोक्ताओं के चार निम्नलिखित अधिकार हैं -
(i) सुरक्षा का अधिकार
(ii) सूचना पाने का अधिकार
(iii) चुनने का अधिकार
(iv) सुनवाई का अधिकार
प्रश्न 5: भारत सरकार ने उपभोक्ताओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कौन-कौन से कदम उठाये है ?
उत्तर :
(i) क़ानूनी कदम : उपभोक्ता सुरक्षा अधिनयम 1986 (COPRA) लाया गया है |
(ii) प्रशासनिक कदम : उपभोक्ताओं के शिकायत पर तुरंत कारवाई करना और उपभोक्ता न्यायालयों का गठन साथ-ही साथ उपभोक्ताओं के लिए अलग से मंत्रालय भी बनाया गया है|
(iii) तकनीकी कदम : भारत सरकार उपभक्ताओं को जागरूक करने के लिए विभिन माध्यम और तकनीकों द्वारा भिन्न-भिन्न कदम उठाती रहती है |
प्रश्न 6: उपभोक्ताओं के शोषण के लिए उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए |
उत्तर :
(i) दुकानदारों द्वारा सिमित सूचना देना |
(ii) निम्न साक्षरता का होना |
(iii) सिमित पूर्ति
(iv) सिमित प्रतियोगिता
(v) उपभोक्ताओं में जागरूकता का आभाव
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Chapter 1: विकासChapter 2: भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
Chapter 3: मुद्रा और साख
Chapter 4: वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
Chapter 5: उपभोक्ता अधिकार
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