NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 4: Agriculture (कृषि)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 4: Agriculture
NCERT Solutions for Class 10 Social Science. History, Political Science, Geography and Economics are the part of NCERT Solutions for Class 10. Here we have given CBSE Class 10 Social Science NCERT Solutions of इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र.
Please find Free NCERT Solutions for Class 10 Social Science Itihas, Bhoogol, Rajniti Vigyan aur Arthshastra in this page. We have compiled detailed Chapter wise Class 10 Social Science NCERT Solutions for your reference.
Here you can get free NCERT Solutions for Class 10 Social Science, Geography in Hindi of Chapter 4 Agriculture. All NCERT Book Solutions are given here exercise wise for Agriculture. NCERT Solutions are helpful in the preparation of several school level, graduate and undergraduate level competitive exams. Practicing questions from Contemporary India – II NCERT Social Science Geography Solutions in Hindi for Class 10 Chapter 4 Agriculture is proven to enhance your subject skills.
NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 4: कृषि
पाठ्यपुस्तक से
संक्षेप में लिखें
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिएः
(ii) भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें।
उत्तर
गेहूँ भारत की एक प्रमुख खाद्य फसल है। यह देश के उत्तर और उत्तर-पश्चिमी भागों में पैदा की जाती है। देश में | गेहूँ उगाने वाले दो मुख्य क्षेत्र हैं-उत्तर-पश्चिम में गंगा-सतलुज का मैदान और दक्कन का काली मिट्टी वाला प्रदेश। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ भाग गेहूँ पैदा करने वाले प्रमुख राज्य हैं।
- जमींदारी प्रथा का उन्मूलन-किसानों के लिए जमींदारी प्रथा एक अभिशाप थी। इसलिए सरकार ने जमींदारी प्रथा को समाप्त करके भूमिहीन काश्तकारों को जमीन का मालिकाना हक दे दिया तथा जोतों की अधिकतम सीमा निश्चित कर दी गई।
- खेतों की चकबंदी-पहले किसानों के पास छोटे-छोटे खेत थे जो आर्थिक रूप से गैर-लाभकारी होते थे। इसलिए छोटे खेतों की चकबंदी कर दी गई।
- हरित क्रांति-सरकार ने किसानों को अधिक उपज देने वाले बीज उपलब्ध करवाये जिससे कृषि विशेषकर गेहूँ। | की कृषि में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। इसे हरित क्रांति का नाम दिया गया।
- प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण-किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए कई छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ शुरू की गईं।
- फसल बीमा-फसलें प्रायः सूखा, बाढ़, आग आदि के कारण नष्ट हो जाती थीं। जिससे किसानों को बहुत हानि | उठानी पड़ती थी। इन आपदाओं से बचने के लिए फसल बीमा योजना शुरू की गई। इसके द्वारा फसल नष्ट हो जाने पर किसानों को पूरा मुआवजा मिलने लगा जिससे उसे सुरक्षा प्राप्त हुई।
- सरकारी संस्थाएँ-किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण बैंकों, सहकारी समितियों और बैंकों की स्थापना की गई। ये संस्थाएँ किसानों को महाजनों के चुंगल से बचाती हैं। रेडियो तथा दूरदर्शन द्वारा मौसम की जानकारी तथा कृषि संबंधी कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।
- किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड’ और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना शुरू की है।
- किसानों को बिचौलियों के शोषण से बचाने के लिए न्यूनतम सहायता मूल्य और कुछ महत्त्वपूर्ण फसलों के लाभदायक खरीद मूल्यों की सरकार घोषणा करती है।
- खेती में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग पर बल दिया जाने लगा। इससे उत्पादन में वृद्धि हुई।
- भारतीय कृषि में सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व कृषि विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। जिससे कृषि के उत्पादन में वृद्धि हो सके।
- भारत दूसरे देशों को अन्न का निर्यात कर अपनी जरूरत का अन्य सामान खरीदने लगा।
- विभिन्न फसलों की माँग बढ़ने से भारत में इन चीजों का अधिक उत्पादन होने लगा।
- अंतर्राष्ट्रीय बाजार में टिकने के लिए भारतीय किसानों ने अपने उत्पादन का गुणवत्ता व स्तर बढ़ाने की | कोशिश की।
- वैश्वीकरण के कारण अधिक उत्पादित होने वाली चीजों को दूसरे देशों को बेचकर अच्छे दाम प्राप्त किए जा सकते हैं।
- कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से बहुत-से देशों में नई-नई चीजों की पैदावार होने लगी जो पहले सम्भव नहीं था।
वैश्वीकरण के कृषि पर कुछ बुरे प्रभाव भी पड़े, जो निम्नलिखित हैं
- विश्व के धनी देशों ने विभिन्न विकासशील देशों में अपना सस्ता अनाज और अन्य कृषि से प्राप्त वस्तुएँ बड़ी मात्रा में भरनी शुरू कर दीं जिससे विकासशील देशों के किसान उनका मुकाबला न कर सकें तथा कृषि का काम छोड़ने पर मजबूर हो गए।
- विश्व के धनी देश निर्धन देशों से सस्ती दरों पर अनाज खरीदने की कोशिश करते हैं।
- कृषि के वैश्वीकरण के कारण छोटे किसानों को कृषि कार्य को छोड़ना पड़ा क्योंकि वे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाए।
- कृषि के वैश्वीकरण ने व्यापारिक कृषि को बढ़ावा दिया। किसानों ने वही वस्तु पैदा की जिसकी बाजार में माँग थी, न कि जनता की आवश्यकता पूरी करने वाली चीजों का उत्पादन किया।
- कृषि के वैश्वीकरण के कारण ही भारत को लंबे समय तक ब्रिटेन का उपनिवेश बनकर कृषि पर अतिरिक्त बोझ को वहन करना पड़ा।
परियोजना कार्य प्रश्न
- भारत में साक्षरता दर
- किसानों में साक्षरता दर-इसके अंतर्गत विद्यार्थी पुरुषों एवं महिलाओं में साक्षरता दर को अलग-अलग ज्ञात करेंगे।
- साक्षरता दर में कमी के क्या कारण हो सकते हैं और कृषि पर इसके क्या प्रभाव पड़ रहे हैं? प्रश्न

क्रियाकलाप
ऊपर-नीचे और दायें-बायें चलते हुए वर्ग पहेली को सुलझाएँ और छिपे उत्तर हुँदें।
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं। (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 52 देखें)
उत्तर
- भारत की दो खाद्य फसलें-Rice, wheat
- यह भारत की ग्रीष्म फसल ऋतु है-Zaid
- अरहर, मूंग, चना, उड़द जैसी दालों से मिलता है-Protein
- यह एक मोटा अनाज है-Maize
- भारत की दो महत्त्वपूर्ण पेय फसल हैं…-Tea, coffee
- काली मिट्टी पर उगाई जाने वाली चार रेशेदार फसलों में से एक-Cotton
अध्याय-समीक्षा
- भारत सबसे अधिक फलों और सब्जियों का उत्पादन करता है।
- रोपण कृषि में एक लंबे चौड़े भूखंड पर एक ही फसल बोई जाती है।
- भारत में चाय, कॉफ़ी, रबड़, गन्ना, केला इत्यादि मुख्य रोपण फसलें हैं।
- भारत में मुख्य रूप से चावल, गेहूँ, मोटे अनाज, दालें (दलहन), चाय, कॉफी, गन्ना, तिलहन, कपास, जूट इत्यादि फसलें उगाई जाती हैं।
- रबी फसलें अक्टूबर से दिसबंर के मध्य में बोई जाती हैं और ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काट ली जाती है। गेहूँ, जौ, मटर, चना और सरसों आदि मुख्य रबी फसलें हैं।
- खरीफ़ फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ जून से बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट ली जाती है।
- खरीफ ऋतु की मुख्य फसलें चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली और सोयाबीन हैं।
- भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- ज्वार, बाजरा, रागी, मिलेट भारत में उगाए जाने वाले मुख्य मोटे अनाज हैं।
- भारत का विश्व में दालों के उत्पादन में अग्रणी स्थान है।
- भूमि को जोतने, बोने, फसलें उगाने, पशुओं को पालने की कला को कृषि कहते हैं।
- निर्वाह कृषि - ऐसी कृषि प्रणाली जिसमें किसान अपने परिवार का पोषण करने के लिए उत्पादन करता है। इसमें परंपरागत कृषि उपकरणों तथा तरीकों का प्रयोग किया जाता है।
- कर्तन-दहन प्रणाली - कृषि की ऐसी पद्धति जिसमें किसान जमीन के टुकड़े को साफ करके उन पर अनाज व अन्य खाद्य फसलें उगाते हैं। जब मृदा में उर्वरा शक्ति कम होने लगती है तब उस भूखंड को छोड़ दिया जाता है। फिर अन्य स्थान पर नया खेत बना लिया जाता है।
- गहन कृषि - इस पद्धति में अधिक उत्पादन के उद्देश्य से अधिक निवेश, आधुनिक उपकरणों, कीटनाशकों, उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है।
- रोपण कृषि - एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है जिसमें विस्तृत क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है। जिसमें अत्यधिक पूंजी निवेश व श्रम का प्रयोग होता है।
- शस्यावर्तन - भूमि की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए भूमि के किसी टुकड़े पर फसलें बदल-बदल कर बोना।
- चकबंदी - बिखरी हुई कृषि जोतों अथवा खेतों को एक साथ मिलाकर आर्थिक रूप से लाभ-प्रद बनाना।
- हरित क्रांति - कृषि क्षेत्र में अधिक उपज वाले बीजों का प्रयोग, आधुनिक तकनीक, अच्छी खाद, उर्वरकों का प्रयोग करने से कुछ फसलों विशेषकर गेहूँ के उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि को हरित क्रांति कहते हैं।
- श्वेत क्रांति - दूध के उत्पादन में वृद्धि के लिए पशुओं की नस्लों को सुधारना, आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया गया। ‘ऑपरेशन फ्लड’ इसी कार्यक्रम का मुख्य भाग है।
1. सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए |
उत्तर : (1) जोतों की चकबंदी , सहकारिता तथा जमीदारों को समाप्त करने को प्राथमिकता दी गई |
(2) 1980 तथा 1990 के दशको में पैकेज टेक्नोलीजी पर आधारित हरित क्रातिं श्वेत क्रातिं प्रारभं किए गए |
(3) 1980 तथा 1990 के दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम प्रारंभ किया हया सुखा , बढ़ , चक्रवात , आग बीमारी के लिए फसल बीमा के प्रावधान लागु किए |
(4) कम दर पर ऋण सुविधाएँ के लिए बुलेटिन कृषि कार्यक्रम प्रसतावित करने की व्यवस्था की गई |
(5) " किसान क्रेडिट कार्ड " और व्यकितगत बीमा योजना भी शुरू की गई |
(6) फसलों के न्यूनतम सहायता मूल्य और लाभदायक खरीद मूल्यों की घोषण की गई |
2. भारत में शस्य ऋतुओं की व्याख्या कीजिए |
उत्तर : भारत में तीन शस्य ऋतुओं है :- रबी , खरीब और जायद जिनकी व्याख्या नीचे की गई है |
(a) रबी फसल ऋतु :-
(1) रबी फसलों को अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्ण ऋतु में अप्रेल से जून के मध्य कटा जाता है |
(2) मिख्य फासले जौ , मटर , चना और सरसों है
(3) प्रमुख उत्पादक राज्य पजांब , हरियाणा , हिमाचल - प्रदेश , उत्तरांचल और उत्तर - प्रदेश |
(4) शीत - ऋतु में शीतोष्ण पशिचमी विक्षोभों से होनेव याली वर्षा रबी फसलों के लिए लाभदायक होती है |
(5) पंजाब , हरियाणा में हरित क्रांति भिराबी फसलों में वृद्धि का कारण है |
(b) खरीफ फसल ऋतु :-
(1) समय ये फसले अलग - अलग क्षेत्रों में मानसुन की शुरूआत में ही बोई जाती है और सितम्बर - अक्टूबर में काटी जाती है |
(2) इसकी मुख्य फसल चावल , मक्का , बाजार , ज्वर , कपास , जूट आदि |
(3) प्रमुख राज्य असम , पशिचम बंगाल , आंध्र - प्रदेश , बिहार |
(c) जायद फसल ऋतु :-
(1) समय रबी और खरीफ के मध्य ग्रीष्ण रितुमे बोई जाती है |
(2) इसमे मुख्यता तरबूज , खरबूजा , खीरा , सबिजया आदि आती है |
3. कृषि के प्रकार :-
(i) निर्वाह कृषि
(ii) गहन जीविका कृषि
(iii) वाणिज्यक कृषि
NCERT Solutions for Class 10 Social Science Geography in Hindi
Get here all NCERT Solutions for Class 10 Geography in Hindi Medium
Chapter 1: संसाधन और विकासChapter 2: वन और वन्यजीव संसाधन
Chapter 3: जल संसाधन
Chapter 4: कृषि
Chapter 5: खनिज और ऊर्जा संसाधन
Chapter 6: विनिर्माण उद्योग
Chapter 7: राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ
Post a Comment
इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)