MCQ Questions | Class 6 Hindi अपठित गद्यांश

MCQ Questions | Class 6 Hindi | अपठित गद्यांश with Answers 

MCQ Questions for Class6 Hindi  अपठित गद्यांश

MCQ | अपठित गद्यांश Class 6

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Objective Question | NCERT Hindi Class 6

NCERT Solutions Class 6 Hindi
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 6th
Subject: Hindi
Chapter: (Part-2)
Chapters Name: अपठित गद्यांश
Medium: Hindi

Ncert Solutions for Class 6 Hindi | Objective Type Questions


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अपठित गद्यांश | Class 6 Hindi | NCERT Solutions
Q1.

स्वावलम्बी व्यक्ति के सामने असम्भव कार्य भी सम्भव दीखने लगता है। स्वावलम्बन के दो पहलू हैं आत्मनिश्चय और आत्मनिर्भरता । इसे इस दृष्टान्त से अच्छी तरह समझा जा सकता है- एक बार विधाता अपनी सृष्टि को देखने निकले। धरती पर पहुँच कर उन्होंने देखा कि एक किसान फावड़ा लेकर विशाल पर्वत की जड़ खोद रहा है। उन्होंने किसान से इसका कारण पूछा। किसान ने बताया-बादल आते हैं और इस पर्वत से टकराकर इसकी दूसरी ओर वर्षा कर देते हैं। मेरे खेत सूखे ही रह जाते हैं। अतएव इसे मैं हटाकर ही दम लूँगा। विधाता किसान के स्वावलम्बन से प्रभावित होकर आगे बढ़े। तभी पर्वत गिड़गिड़ाने लगा-भगवान् इस किसान से मेरी रक्षा कीजिए। विधाता ने पूछा ‘तुम एक छोटे से किसान से इतने भयभीत हो? पर्वत बोला-‘किसान छोटा है तो क्या? वह स्वावलम्बी है। उसका आत्मविश्वास अडिग है। इन दोनों के सहारे वह मुझे हटाकर ही दम लेगा।’ इसके ठीक विपरीत छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहना पावलम्बन कहलाता है। परावलम्बी व्यक्ति हाथ रहते लेला और पैर रहते लंगड़ा रहता है। जिसमें अपने पैरों पो खड़े होने का सामर्थ्य नहीं है, वह दूसरों का कन्धा पकड़कर कब तक चलता रहेगा? एक झटका लगते ही ऐसा व्यक्ति धराशायी हो जाता है। इसे इस दृष्टांत से समझा जा सकता है। मेज के सहारे एक शीशा रखा था। चंचल बालक ने मेज को थोड़ा-सा अलग कर दिया और शीशा गिरकर चूर-चूर हो गया। अतःजीवन में जो व्यक्ति दूसरों के सहारे खड़ा होना चाहते हैं, उनका अंने भी ऐसा ही करुण होता है। कहा भी गया है ईश्वर भी उसी की सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वसं करता है।
विश्व-इतिहास ऐसे महापुरुषों के उदाहरणों से भरा पड़ा है जिन्होंने स्वावलम्बन का सहारा लिया है। महाकवि तुलसीदास बचपन से ही अनाथ थे। वे दाने-दाने के लिए भी मुहताज रहते थे, फिर भी आत्मनिर्भरता के सहारे ही स्वतंत्र लेखन का कार्य कर भारत के लोककवि कहलाये।

Question

स्वावलम्बन के दो पहलू कौन-कौन हैं ?
A. परिश्रम और दूसरों का सहारा
B. आत्मनिश्चय और आत्मनिर्भरता
C. मेहनत और पड़ोसियों से सहायता लेना
D. आराम के साथ-साथ सभी पर भरोसा
Ans: आत्मनिश्चय और आत्मनिर्भरता।
Q2. परावलम्बन किसे कहते हैं ? (सही कथन का चयन कीजिए।)
A. दूसरों से काम लेना
B. दूसरों पर भरोसा करके काम बन्द कर देना
C. छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहना
D. पराये काम में सहायता करना
Ans: छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी दूसरों पर आश्रित रहना
Q3. ‘परावलम्बन’ सन्धि विच्छेद कीजिए।
A. परा + वलम्बन
B. पर + अवलम्बन
C. पर + आवलम्बन
D. (b) परा + अवलम्बन
Ans: पर + अवलम्बन
Q4. ईश्वर भी उसी की सहायता करता है, जो ………….। (उपयुक्त कथन से वाक्य पूरा कीजिए)
A. दूसरों से सहायता लेते हैं
B. दूसरों का विरोध करते हैं
C. अपनी सहायता स्वयं करता है
D. किसी की सहायता नहीं करता है
Ans: अपनी सहायता स्वयं करता है
Q5. तुलसीदास किस प्रकार भारत के लोककवि कहलाए ?
A. बिना परिश्रम किए
B. दूसरों की कृपा से
C. आत्मनिर्भरता के सहारे ही स्वतंत्र लेखन का कार्य करके
D. जगह-जगह प्रचार करके
Ans: आत्मनिर्भरता के सहारे ही स्वतंत्र लेखन का कार्य करके।
Q6.

सम्पूर्ण प्रकृति परोपकार पर ही आधारित है, सूर्य हमें प्रकाश देता है और बदले में कुछ नहीं माँगता। चाँद हमें शीतल चाँदनी देता है और बदले में कुछ नहीं माँगता। पृथ्वी माता के समान हमारा पालन-पोषण करती है और बदले में कुछ नहीं माँगती। वृक्ष जग को मीठे फल खिलाता है और बदले में कुछ नहीं माँगता। नदियाँ हमें शीतल जल प्रदान करती हैं और बदले में हमसे कुछ नहीं माँगतीं। इसी प्रकार मानव जीवन की भी सार्थकता केवल इसी में है कि वह परोपकार के लिए जिए। परोपकार की बलिवेदी पर सर्वस्व न्यौछावर कर देना ही भारतीय संस्कृति रही है। इस संबंध में महर्षि दधीचि और राजा शिवि की कहानी उल्लेखनीय है। महर्षि दधीचि ने देवताओं के कल्याण के लिए अपनी हड्डियाँ तक दान में दे डाली और राजा शिवि ने एक कबूतर की जान बचाने के लिए अपना सम्पूर्ण अंग काटकर दान में दे दिया। महात्मा बुद्ध एक राजा के पुत्र थे फिर भी संसार के लोगों के दुःख निवारण हेतु उन्होंने राजवैभव को त्यागकर जंगल की राह ली।

Question

मानव जीवन की भी सार्थकता केवल इसी में है कि वह ……… जिए।
A. अपने लिए
B. अपने यश के लिए
C. परोपकार के लिए
D. अपने लाभ के लिए
Ans: परोपकार के लिए।
Q7. कैसे कह सकते हैं कि सम्पूर्ण प्रकृति परोपकार पर ही आधारित है ? (सही उत्तर चुनकर लिखिए)
A. सूर्य हमें प्रकाश देता है और बदले में कुछ नहीं माँगता
B. चाँद हमें शीतल चाँदनी देता है और बदले में कुछ नहीं माँगता
C. पृथ्वी माता के समान हमारा पालन-पोषण करती है और बदले में कुछ नहीं माँगती
D. उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं
Ans: उपर्युक्त तीनों कथन सही हैं।
Q8. वृक्ष को परोपकारी कहना क्यों उचित है?
A. वृक्ष छाया देता है
B. वृक्ष फल देता है
C. वृक्ष जग को मीठे फल खिलाता है और बदले में कुछ नहीं माँगता
D. वृक्ष लकड़ी देता है
Ans: वृक्ष जग को मीठे फल खिलाता है और बदले में कुछ नहीं माँगता।
Q9. नदियाँ परोपकार करती हैं, क्योंकि वे ……… (वाक्य पूरा कीजिए।)।
A. पानी माँगतीं हैं
B. बादल माँगतीं हैं
C. आँधी तूफान माँगतीं हैं
D. वे बदले में हमसे कुछ नहीं माँगतीं
Ans: वे बदले में हमसे कुछ नहीं माँगतीं।
Q10. भारतीय संस्कृति की क्या विशेषता रही है?
A. त्योहार मनाना
B. परोपकार की बलिवेदी पर सर्वस्व न्यौछावर कर देना
C. अपने भू-भाग का विस्तार करना
D. केवल अपने काम से काम रखना
Ans: परोपकार की बलिवेदी पर सर्वस्व न्यौछावर कर देना।
Q11.

सदाचार के कुछ सामान्य नियम हैं। सत्यवादिता सदाचारी का प्रथम लक्षण है। सदाचारी व्यक्ति कभी अपने जीवन में झूठ को स्थान नहीं देते हैं। वे अपने परिश्रम की कमाई खाते हैं। उनका जीवन सादा और विचार उच्च होते हैं। वे सांसारिक भोगों से कोसों दूर रहते हैं। सदाचारी व्यक्ति कभी अपना समय व्यर्थ नहीं खोते। उनका जीवन नियमित एवं संयमित होता है। वे किसी भी काम को कल के सहारे नहीं छोड़ते। वे अपना काम स्वयं ही करते हैं। जहाँ तक संभव होता है, वे प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करते हैं। इससे वे सबके प्रियजन बन जाते हैं। ईश्वर की पूजा-अर्चना भी सर्वोपरि सदाचार में आता है। सदाचारी अपनी इन्द्रियों को वश में रखते हैं। क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और निन्दा आदि सदाचार के दुश्मन हैं। जो इन्हें त्याग देते हैं, वही सच्चे सदाचारी कहलाते हैं। सदाचार के अभाव में धन, सम्पत्ति, वैभव या अन्य उपलब्धियाँ निरर्थक हो जाती हैं। कहा भी गया है-सदाचार के अभाव में विद्या और धन अन्धे हैं एवं ऐसा धन और ऐसी विद्या संसार के लिए हानिकारक हैं। ‘आँख का अन्धा और गाँठ का पूरा’ कभी समाज में प्रतिष्ठा या आदर नहीं पा सकता है। यही कारण था कि रावण जैसा धनवान, पराक्रमी और विद्वान सदाचार के अभाव में आदर का पात्र नहीं बन सका। ठीक इसके विपरीत राम अपने सदाचार के सहारे ही विश्ववन्द्य हो गए।

Question

……….. सदाचारी का प्रथम लक्षण है। (वाक्य पूरा कीजिए)
A. आराम करना
B. सत्यवादिता
C. कर्म करने से दूर रहना
D. दूसरों के भरोसे रहना
Ans: सत्यवादिता
Q12. निम्नलिखित में से कौन-सा गुण सदाचारी का नहीं है ?
A. सादा और उच्च विचार
B. नियमित एवं संयमित जीवन
C. ऐशो आराम का जीवन
D. परिश्रम की कमाई
Ans: ऐशो आराम का जीवन
Q13. सदाचारी ………… सबके प्रियजन बन जाते हैं। (सही शब्दों से वाक्य पूरा कीजिए)
A. प्रत्येक व्यक्ति की खुशामद करके
B. प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करके
C. प्रत्येक व्यक्ति की बात मान करके
D. प्रत्येक व्यक्ति को बहलाकर करके
Ans: प्रत्येक व्यक्ति के साथ मधुर व्यवहार करके
Q14. कैसे व्यक्ति सच्चे सदाचारी कहलाते हैं ?
A. क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और निन्दा आदि का त्याग करने वाले
B. अपना काम करने वाले
C. किसी पर ध्यान न देने वाले
D. सदा चुपचाप रहने वाले
Ans: क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और निन्दा आदि का त्याग करने वाले
Q15. ‘आँख का अन्धा और गाँठ का पूरा’ का अर्थ है (सही अर्थ का चयन कीजिए।)
A. जिसे दिखाई न दे
B. मूर्ख लेकिन धनी
C. बहुत अमीर
D. बहुत बड़ा मूर्ख
Ans: मूर्ख लेकिन धनी

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