NCERT Solutions | Class 12 Arthshastra व्यष्टि अर्थशास्त्र (Vyashti Arthshastra) Chapter 6 | प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

CBSE Solutions | Arthshastra Class 12
Check the below NCERT Solutions for Class 12 Arthshastra व्यष्टि अर्थशास्त्र (Vyashti Arthshastra) Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार Pdf free download. NCERT Solutions Class 12 Arthshastra were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार Class 12 Arthshastra NCERT Solutions to help students understand the concept very well.
NCERT | Class 12 Arthshastra व्यष्टि अर्थशास्त्र (Vyashti Arthshastra)
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
---|---|
Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12 |
Subject: | Arthshastra |
Chapter: | 6 |
Chapters Name: | प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार |
Medium: | Hindi |
प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार | Class 12 Arthshastra | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics Chapter 6 Non Competitive Markets (Hindi Medium)
[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)
प्र० 1. माँग वक्र का आकार क्या होगा ताकि कुल संप्राप्ति वक्र
(a) a मूल बिन्दु से होकर गुजरती हुई धनात्मक प्रवणता वाली सरल रेखा हो।
(b) a समस्तरीय रेखा हो।
उत्तर :
(a) जब TR वक्र से गुजरती हुई एक धनात्मक प्रवणता वाली सरल रेखा हो, तो माँग वक्र अर्थात् AR वक्र एक क्षैतिज रेखा होगा।
(b) यह संभव नहीं है जब तक AR = 0 न हो और AR = कीमत = शून्य नहीं हो सकती।
प्र० 2. नीचे दी गई सारणी से कुल संप्राप्ति माँग वक्र और माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए।
उत्तर :
प्र० 3. जब माँग वक्र लोचदार हो तो सीमान्त संप्राप्ति का मूल्य क्या होगा?
उत्तर :
यदि माँग वक्र लोचदार हो तो सीमान्त संप्राप्ति धनात्मक होगी।
जब तक EDp > 1 तो सीमान्त संप्राप्ति धनात्मक होती है।
जबे EDp = 0 तो सीमान्त संप्राप्ति शून्य होती है।
जब EDp < 1 तो सीमान्त संप्राप्ति ऋणात्मक होती है।
प्र० 4. एक एकाधिकारी फर्म की कुल स्थिर लागत 100 ₹ और निम्नलिखित माँग सारणी है|
अल्पकाल में संतुलन मात्रा, कीमत और कुल लाभ प्राप्त कीजिए। दीर्घकाल में संतुलन क्या होगा? जब कुल लागत 1000 ₹ हो तो अल्पकाल और दीर्घकाल में संतुलन का वर्णन करो।
उत्तर :
(a)
(b) दीर्घकाल में भी संतुलन यही होगा, क्योंकि एकाधिकारी बाजार में नई फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध होता है।
(c) यदि कुल लागत 1000 हो तो प्रत्येक स्तर पर लाभ इस प्रकार होगा
अतः अल्पकाल में यह 6 इकाई पर संतुलन में होगा, जहाँ MR = MC है और TR – TC अधिकतम है (जहाँ लाभ अधिकतम नहीं हो सकता तो कम से कम हानि का न्यूनीकरण किया जाना चाहिए।)
दीर्घकाल में फर्म उत्पादन बंद कर देगी, क्योंकि इससे हानि हो रही है।
प्र० 5. यदि अभ्यास 3 का एकाधिकारी फर्म सार्वजनिक क्षेत्र को फर्म हो, तो सरकार इसके प्रबंधक के लिए दी हुई सरकारी स्थिर कीमत (अर्थात् वह कीमत स्वीकारकर्ता है और इसीलिए पूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के फर्म जैसा व्यवहार करता है) स्वीकार करने के लिए नियम बनाएगी और सरकार यह निर्धारित करेगी कि ऐसी कीमत निर्धारित हो, जिससे बाजार में माँग और पूर्ति समान हो। उस स्थिति में संतुलन कीमत, मात्रा और लाभ क्या होंगे?
उत्तर :
यदि सरकार सरकारी स्थिर कीमत स्वीकार करने के नियम बनाती है और ऐसी कीमत बनाती है, जिससे बाजार माँग और बाजार पूर्ति बराबर हो तो संतुलन कीमत = ₹10
संतुलन मात्रा = 10 इकाई, लाभ = शून्य क्योंकि 10 इकाई पर लाभ = शून्य है।
प्र० 6. उस स्थिति में सीमान्त संप्राप्ति वक्र के आकार पर टिप्पणी कीजिए, जिसमें कुल संप्राप्ति वक्र
(i) धनात्मक प्रवणता वाली सरल रेखा हो
(ii) समस्तरीय सरल रेखा हो।
उत्तर :
(i) जब कुल संप्राप्ति वक्र अक्ष केंद्र से गुजरती हुई एक धनात्मक ढलान वाली सरल रेखा है, तो सीमान्त संप्राप्ति वक्र X-अक्ष के समान्तर क्षैतिज सरल रेखा होगा।
(ii) जब कुल संप्राप्ति वक्र एक समस्तरीय सरल रेखा हो, तो सीमान्त संप्राप्ति वक्र X-अक्ष को स्पर्श करेगा अर्थात् MR = 0 होगा। क्योंकि
TR = CMR, TR = 0
MR = 0
प्र० 7. नीचे सारणी में वस्तु की बाजार माँग वक्र और वस्तु उत्पादक एकाधिकारी फर्म के लिए कुल लागत दी हुई है। इनका उपयोग करके निम्नलिखित की गणना करें-
(a) सीमान्त संप्राप्ति और सीमांत लागत सारणी
(b) वह मात्रा जिस पर सीमांत संप्राप्ति और सीमांत लागत बराबर है।
(c) निर्गत की संतुलन मात्रा और वस्तु की संतुलन कीमत
(d) संतुलन में कुल संप्राप्ति, कुल लागत और कुल लाभ
उत्तर :
(a)
(b) MR = MC (दूसरी इकाई पर) = 30
MR = MC (छठीं इकाई पर) = 4
(c) उत्पादक संतुलन में है जहाँ MR = MC अगली इकाई पर MC बढ़ रहा हो,
अत: उत्पादक छठी इकाई पर संतुलन में है जहाँ MR = MC = 4
संतुलन मात्रा = 6 इकाई
(d) संतुलन में कुल संप्राप्ति = 114, कुल लागत 109 लाभ = 114 – 109 = ₹ 5
प्र० 8. निर्गत के उत्तम अल्पकाल में यदि घाटा हो, तो क्या अल्पकाल में एकाधिकारी फर्म उत्पादन को जारी रखेगी?
उत्तर :
जब तक कुल हानि/घाटा कुल स्थिर लागत से कम है फर्म उत्पादन जारी रखेगी, परन्तु यदि कुल स्थिर लागत से अधिक है तो वह उत्पादन बंद कर देगी।
प्र० 9. एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में किसी फर्म की माँग वक्र की प्रवणता ऋणात्मक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में किसी फर्म की माँग वक्र की प्रवणता ऋणात्मक होती है क्योंकि
(i) माँग के नियम के अनुसार उत्पादक अपने उत्पाद की कीमत कम करके ही उसकी अधिक मात्रा बेच सकता है।
(ii) बाजार में वस्तु के निकट प्रतिस्थापन वस्तुएँ उपलब्ध होती हैं।
प्र० 10. एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में दीर्घकाले के लिए किसी फर्म का संतुलन शून्य लाभ पर होने का क्या कारण है?
उत्तर :
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा बाजार में नये फर्मों का निर्बाध रूप से प्रवेश होता है। यदि उद्योग में फर्म अल्पकाल में धनात्मक लाभ प्राप्त कर रहा हो तो इससे नई फर्ने उद्योग में प्रवेश के लिए आकर्षित होंगी और यह तब तक होगा जब तक लाभ शून्य न हो जायें। इसके विपरीत, यदि अल्पकाल में फर्मों को घाटा हो रहा हो, तो कुछ फर्मे उत्पादन कर देंगी और फर्मों का बाजार से बहिर्गमन होगा। पूर्ति में कमी के कारण संतुलन कीमत बढ़ेगी और यह तब तक होगा जब तक लाभ शून्य न हो जाये।
प्र० 11. तीन विभिन्न विधियों की सूची बनाइए, जिसमें अल्पाधिकारी फर्म व्यवहार कर सकता है।
उत्तर :
एक अल्पाधिकारी फर्म तीन विधियों से व्यवहार कर सकती है
(i) अल्पाधिकारी फर्मे आपस में साँठगाँठ करके यह निर्णय ले सकती हैं कि वे एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करेंगी। इस प्रकार वे फर्मे बाजार का उचित बँटवारा कर लेंगी और प्रत्येक फर्म अपने-अपने बाजार में
एकाधिकारी फर्म की तरह व्यवहार करेगी।
(ii) अल्पाधिकारी फर्मे यह निर्णय ले सकती हैं कि लाभ को अधिक करने के लिए वे उस वस्तु की कितनी मात्रा का उत्पादन करें। इससे उनकी वस्तु की मात्रा की पूर्ति अन्य फर्मों को प्रभावित नहीं करेगी।
(iii) अल्पाधिकारी फर्मे वस्तु अनम्य कीमत (Price rigidity) की नीति भी अपना सकती हैं। इसके अन्तर्गत माँग में परिवर्तन के फलस्वरूप कीमत में परिवर्तन नहीं होगा।
प्र० 12. यदि द्वि-अधिकारी का व्यवहार कुर्नाट के द्वारा वर्णित व्यवहार जैसा हो, तो बाजार माँग वक्र को समीकरण q = 200 – 4 p द्वारा दर्शाया जाता है तथा दोनों फर्मों की लागत शून्य होती है। प्रत्येक फर्म के द्वारा संतुलन और संतुलन बाजार कीमत में उत्पादन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
शून्य कीमत पर उपभोक्ता की माँग की अधिकतम मात्रा 200 है {(200 – 410) – 200 – 0 = 200} कल्पना कीजिये कि फर्म B वस्तु की शून्य इकाई की पूर्ति करती है और फर्म A मानती है कि अधिकतम माँग = 200 इकाई है, तो वह इसकी आधी अर्थात् 100 इकाइयों की पूर्ति का निर्णय लेंगी। दिया हुआ है फर्म A 100 इकाइयों की पूर्ति कर रही है तो फर्म 8 के लिए 100 इकाई (200 – 100) की माँग अब भी विद्यमान है तो वह इसकी आधी 50 इकाई की पूर्ति करेगी। फर्म A के लिए अब 150(200 – 50) की माँग विद्यमान है वह इसकी आधी 75 इकाई की पूर्ति करेगी। इस तरह दोनों फर्मों में एक दूसरे के प्रति संचलन जारी रहेगी। अतः दोनों फर्मे अन्ततः निम्नलिखित के बराबर निर्गत की पूर्ति करेंगे,
प्र० 13. आय अनम्य कीमत का क्या अभिप्राय है? अल्पाधिकार के व्यवहार से इस प्रकार का निष्कर्ष कैसे निकल सकता है?
उत्तर :
अनम्य कीमत का अभिप्राय है कि अल्पाधिकार बाजार में फर्ने वस्तु की कीमत में परिवर्तन नहीं करेंगी। अनम्य कीमत नीति के अन्तर्गत अल्पाधिकारी फर्मों को माँग में परिवर्तन के फलस्वरूप बाजार कीमत में निर्बाध संचालन नहीं होता। इसका कारण यह है कि किसी भी फर्म द्वारा प्रारंभ की गई कीमत में परिवर्तन के प्रति अल्पाधिकारी । फर्म प्रतिक्रिया व्यक्त करती है। यदि यह क्रिया प्रारंभ हो गई तो इससे कीमत युद्ध प्रारंभ हो सकता है जिससे सभी को हानि होगी।
NCERT Class 12 Arthshastra व्यष्टि अर्थशास्त्र (Vyashti Arthshastra)
Class 12 Arthshastra Chapters | Arthshastra Class 12 Chapter 6
NCERT Solutions for Class 12 Economics (Hindi Medium)
Part A – NCERT Solutions for Class 12 Microeconomics व्यष्टि अर्थशास्त्र (Vyashti Arthshastra)
-
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 1 परिचय
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 2 उपभोक्ता के व्यवहार का सिद्धांत
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 3 उत्पादन तथा लागत
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 4 पूर्ण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में फर्म का सिद्धांत
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 5 बाजार संतुलन
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार
NCERT Solutions for Class 12 Economics (Hindi Medium)
Part B – NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Samashti Arthashastra ka Parichay)
-
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 1 परिचय
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 2 राष्ट्रीय आय का लेखांकन
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 4 आय निर्धारण
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था
NCERT Solutions For Class 12 Arthshastra Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र
Post a Comment
इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)