NCERT Solutions | Class 12 Arthshastra Chapter 6

NCERT Solutions | Class 12 Arthshastra समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Samashti Arthashastra ka Parichay) Chapter 6 | खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र 

NCERT Solutions for Class 12 Arthshastra समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Samashti Arthashastra ka Parichay) Chapter 6 खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र

CBSE Solutions | Arthshastra Class 12

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NCERT | Class 12 Arthshastra समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Samashti Arthashastra ka Parichay)

NCERT Solutions Class 12 Arthshastra
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12
Subject: Arthshastra
Chapter: 6
Chapters Name: खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र
Medium: Hindi

खुली अर्थव्यवस्था : समष्टि अर्थशास्त्र | Class 12 Arthshastra | NCERT Books Solutions

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NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium)

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. संतुलित व्यापार शेष और चालू खाता संतुलन में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संतुलित बाजार शेष का अर्थ है कि देश में वस्तुओं का निर्यात और वस्तुओं का आयात बराबर है। सूत्र के रूप में,
संतुलित व्यापार शेष वस्तुओं का निर्यात – वस्तुओं का आयात = 0
चालू खाता संतुलन का अर्थ है कि देश में वस्तुओं का निर्यात, सेवाओं का निर्यात तथा हस्तांतरण प्राप्तियों का योग वस्तुओं के आयात, सेवाओं के आयात तथा हस्तांतरण भुगतान के योग के बराबर हो, सूत्र के रूप में।
चालू खाता संतुलन = वस्तुओं का निर्यात + सेवाओं का निर्यात + हस्तांतरण प्राप्तियाँ – वस्तुओं का आयात – सेवाओं का आयात – हस्तांतरण भुगतान = 0

प्र० 2. आधिकारिक आरक्षित निधि का लेन-देन क्या है? अदायगी संतुलन में इनके महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
आधिकारिक आरक्षित लेन-देन से अभिप्राय सरकारी कोषों में उपलब्ध सोने के कोष तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा के कोष
में कमी और वृद्धि से है। इसका प्रयोग अदायगी संतुलन के आधिक्य और घाटे को ठीक करने के लिए किया जाता है। घाटे की दशा में विदेशी विनिमय बाजार में करेंसी को बेचकर तथा अपने देश के विदेशी विनिमय को कम करके कोई देश अधिकृत आरक्षित निधि संव्यवहार का कार्य कर सकता है। अधिकृत आरक्षित निधि में कमी को कुल अदायगी-घाटा संतुलन कहते हैं। इसके विपरीत आधिक्य की दशा में विदेशी विनिमय बाजार में करेंसी को खरीदकर तथा अपने देश के विदेशी विनिमय को बढ़ा करके कोई देश अधिकृत आरक्षित निधि संव्यवहार का कार्य कर सकता है। अधिकृत आरक्षित निधि में वृद्धि को कुल अदायगी आधिक्य संतुलन कहते हैं।

प्र० 3. मौद्रिक विनिमय दर और वास्तविक विनिमय दर में भेद कीजिए यदि आपको घरेलू वस्तु अथवा विदेशी वस्तुओं के बीच किसी को खरीदने का निर्णय करना हो तो कौन-सी दर अधिक प्रासंगिक होगी?
उत्तर :
मौद्रिक विनिमय दर वह विनिमय दर है, जिसमें एक करेंसी की अन्य करेंसियों के संबंध में औसत शक्ति को मापते समय कीमत स्तर में होने वाले परिवर्तनों पर ध्यान नहीं दिया जाता। अन्य शब्दों में, यह मुद्रास्फीति के प्रभाव से मुक्त नहीं होती। इसके विपरीत, वास्तविक विनिमय दर वह है जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के कीमत स्तरों में होने वाले परिवर्तन को ध्यान में रखा जाता है। यह वह विनिमय दर से, जो स्थिर कीमतों पर आधारित होने के कारण मुद्रास्फीति के प्रभाव से मुक्त होती है। किसी भी एक समय पर, घरेलू वस्तुएँ खरीदने के लिए मौद्रिक विनिमय दर अधिक उपयुक्त होती है।

प्र० 4. यदि 1 ₹ की कीमत 1.25 येन है और जापान में कीमत स्तर 3 हो तथा भारत में 1.2 हो तो भारत और जापान के बीच वास्तविक विनिमय दर की गणना कीजिए (जापानी वस्तु की कीमत भारतीय वस्तु के संदर्भ में)। संकेत : रुपये में येन की कीमत के रूप में मौद्रिक विनिमय दर को पहले ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 4

प्र० 5. स्वचालित युक्ति की व्याख्या कीजिए, जिसके द्वारा स्वर्णमान के अंतर्गत अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था।
उत्तर :
डेविड ह्यूम (David Hume) नामक एक अर्थशास्त्री ने 1752 में इसकी व्याख्या की कि किस प्रकार स्वर्णमान
के अंतर्गत स्वचालित युक्ति से अदायगी-संतुलन प्राप्त किया जाता था। उनके अनुसार यदि सोने के भण्डार में कमी हुई, तो सभी प्रकार की कीमतें और लागत भी अनुपातिक रूप से कम होंगी और इसके फलस्वरूप घरेलू वस्तुएँ विदेशी वस्तुओं की तुलना में सस्ती हो जायेंगी। तदनुसार, आयात घटेगा और निर्यात बढेगा। जिस देश से घरेलू अर्थव्यवस्था आयात कर रही थी और सोने में उसको भुगतान कर रही थी, उसको कीमतों और लागतों में वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। अतः उनका महँगा निर्यात घटेगा और घरेलू अर्थव्यवस्था से आयात बढ़ेगा। इस प्रकार धातुओं के कीमत तंत्र द्वारा सोने की क्षति उठाकर अदायगी संतुलन में सुधार लाना होता है। सापेक्षिक कीमत । पर जब तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में साम्य की पुनस्र्थापना नहीं होती, तब तक प्रतिकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी संतुलन को अनुकूल व्यापार संतुलन वाले देश के अदायगी संतुलन को समकक्ष लाता है। इस संतुलन की प्राप्ति के बाद शुद्ध सोने का प्रवाह नहीं होता और आयात-निर्यात संतुलन बना रहता हैं इस प्रकार स्वचालित साम्यतंत्र के द्वारा स्थिर विनिमय दर को कायम रखा जाता था।

प्र० 6. नम्य विनिमय दर व्यवस्था में विनिमय दर का निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर :
नम्य विनिमय दर का निर्धारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पूर्ति तथा माँग की शक्तियों द्वारा होता है, जबकि विदेशी विनिमय की माँग इसकी अपनी कीमत से विपरीत रूप से संबंधित होती है, विदेशी विनिमय की पूर्ति इसकी अपनी कीमत से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित होती है।

प्र० 7. अवमूल्यन और मूल्यह्रास में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
अवमूल्यन सरकार द्वारा आयोजन के अनुसार विदेशी करेंसी के संबंध में घरेलू करेंसी के मूल्य में कमी है, यह उस स्थिति में होता है जब विनिमय दर का निर्धारण पूर्ति और साँग की शक्तियों द्वारा नहीं होता है परंतु विभिन्न देशों की सरकारों द्वारा निश्चित किया जाता है। मूल्यहास विदेशी करेंसी के संबंध में, घरेलू करेंसी के मूल्य में आने वाली कमी है, यह उस स्थिति में होता है, जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विनिमय दर का निर्धारण पूर्ति और माँग की शक्तियों द्वारा होता है।

प्र० 8. क्या केंद्रीय बैंक प्रबंधित तिरती व्यवस्था में हस्तक्षेप करेगा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
हाँ केंद्रीय बैंक प्रबंधित तिरती व्यवस्था में हस्तक्षेप करेगा यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में विदेश करेंसी के विक्रय तथा क्रय के द्वारा होता है। जब केंद्रीय बैंक को लगता है कि घरेलू करेंसी के बाजार मूल्य का अत्याधिक मूल्यह्रास हो रहा है, तो इसे नियंत्रित करने के लिए तथा घरेलू करेंसी के पूर्व मूल्य को स्थापित करने के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में यू.एस.डॉलर की बिक्री करेगा। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचकर केंद्रीय बैंक डॉलर पूर्ति में वृद्धि करता है। अन्य बातें समान रहने पर डॉलर की पूर्ति में वृद्धि होने से घरेलू करेंसी के संबंध में डॉलर की कीमत में कमी की संभावना होती है। ऐसी क्रिया तब अनिवार्य हो जाती है, जब रुपये के मूल्य में कमी के कारण सरकार का आयात बिल बढ़ जाता है। इसी भांति जब केंद्रीय बैंक यह महसूस करता है कि घरेलू करेंसी का बाजार मूल्य अत्यधिक बढ़ रहा है तो वह विदेशी करेंसी खरीदना आरंभ कर देता है जब विदेशी करेंसी के लिए माँग में वृद्धि होती है, तो घरेलू करेंसी के संबंध में इसकी कीमत बढ़ने लगती है अब विदेशी एक यू.एस. डॉलर से अधिक घरेलू वस्तुएँ खरीद सकते हैं। तदनुसार, घरेलू वस्तुओं के लिए निर्यात माँग पुनः होने लगती है।

प्र० 9. क्या देशी वस्तुओं की माँग और वस्तुओं की देशीय माँग की संकल्पनाएँ एक समान हैं?
उत्तर :
घरेलू वस्तुओं के लिए माँग तथा वस्तुओं के लिए घरेलू माँग दोनों अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। घरेलू वस्तुओं के लिए माँग में घरेलू उपभोक्ताओं तथा विदेशियों द्वारा वस्तुओं के लिए की गई माँग शामिल होती है। वस्तुओं के लिए घरेलू माँग देश तथा विदेश में उत्पादित वस्तुओं के लिए की गई माँग है।
घरेलू वस्तुओं के लिए माँग = C + I + G + X – M
वस्तुओं के लिए घरेलू माँग = C + I + G
अतः घरेलू वस्तुओं के लिए माँग = वस्तुओं के लिए घरेलू माँग + (X – M)

प्र० 10. जब M = 60 + 0.06Y हो, तो आयात की सीमांत प्रवृत्ति क्या होगी? आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग फलन में क्या संबंध है?
उत्तर :
आयात की सीमांत प्रवृत्ति = 0.06 होगी आयात की सीमांत प्रवृत्ति और समस्त माँग फलन से अप्रत्यक्ष संबंध है। अर्थात आयात की सीमांत प्रवृत्ति बढ़ने पर समस्त माँग फलन कम हो जाता है और आयात की सीमांत प्रवृत्ति कम होने पर समस्त माँग फलन बढ़ जाता है।

प्र० 11. खुली अर्थव्यवस्था स्वायत्त व्यय खर्च गुणक बंद अर्थव्यवस्था के गुणक की तुलना में छोटा क्यों होता है?
उत्तर :
खुली अर्थव्यवस्था गुणक बंद अर्थव्यवस्था गुणक से छोटा होता है, क्योंकि घरेलू माँग का एक हिस्सा विदेशी | वस्तुओं के लिए होता है। अतः स्वायत्त माँग में वृद्धि से बंद अर्थव्यवस्था की तुलना में निर्गत में कम वृद्धि होती। है। इससे व्यापार शेष में भी गिरावट होती है।

प्र० 12. पाठ में इकमुश्त कर की कल्पना के स्थान पर आनुपातिक कर T = tY के साथ खुली अर्थव्यवस्था गुणक की। गणना कीजिए।
उत्तर :
यदि कर = T है तो गुणक की गणना इस प्रकार होगी-
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 12
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 12.1
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 12.2
इससे सिद्ध होता है कि एकमुश्त कर की स्थिति में कर गुणक अधिक होता है और अनुपातिक कर की स्थिति में यह कम होता है। इकमुश्त कर की स्थिति में जब सरकारी व्यय में वृद्धि के फलस्वरूप, जब आय में वृद्धि होती है तो उपभोग में आय की वृद्धि की C गुणा वृद्धि होती है। अनुपातिक कर के साथ उपभोग में C – Ct गुणा आय में वृद्धि होती है।

प्र० 13. मान लीजिए C = 40 +0.8 yD, T = 50, I = 60, G = 40, X = 90, M = 50 + 0.05Y
(a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए,
(b) संतुलन आय पर निवल निर्यात संतुलन ज्ञात कीजिए,
(c) संतुलन आय और निवल निर्यात संतुलन क्या होता है जब सरकार के क्रय में 40 से 50 की वृद्धि होती है?
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 13

प्र० 14. उपर्युक्त उदाहरण में यदि निर्यात में x = 100 का परिवर्तन हो तो संतुलन आय और निवल निर्यात संतुलन में परिवर्तन ज्ञात कीजिए।
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 14

प्र० 15. व्याख्या कीजिए कि
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 15
उत्तर :
एक अर्थव्यवस्था में आय संतुलन में होता है जब AD = AS हो।
AD = C + I + G + (X – M)
AS = C + S + T
अतः अर्थव्यवस्था संतुलन में होती है जब
C + S + T = C + I + G + (X – M)
पुनः प्रतिबंधित करने पर
(S – I) – (X – M) = G – T
अतः सिद्ध हुआ।
यह इसकी बीजगणितीय सिद्धि थी। तार्किक आधार पर अर्थव्यवस्था संतुलन में होती है, जब क्षरण = भरण हो। S, T और M क्षरण हैं जबकि I, G और X भरण हैं। जब इनका अंतर बराबर होगा तो आय को चक्रीय प्रवाह संतुलन होगा।

प्र० 16. यदि देश B से देश A में मुद्रास्फीति ऊँची हो और दोनों देशों में विनिमय दर स्थिर हो तो दोनों देशों के व्यापार शेष का क्या होगा?
उत्तर :
देश B के लोग घरेलू वस्तुएँ अधिक लेंगे और आयात कम करेंगे विदेशी भी देश की वस्तुएँ अधिक खरीदेंगे।
अतः देश B में निर्यात > आयात होगा इसीलिए देश B का व्यापार शेष धनात्मक होगा। इसके विपरीत देश A के लोग विदेशी वस्तुएँ अधिक लेंगे और आयात अधिक करेंगे। विदेशी भी देश A से वस्तुएँ
खरीदना नहीं चाहेंगे अतः देश A में आयात > निर्यात होगा इसीलिए देश A का व्यापार शेष ऋणात्मक होगा।

प्र० 17. क्या चालू पूँजीगत घाटा खतरे का संकेत होगा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
चालू पूँजीगत खाता खतरे का संकेत होगा यदि इसका प्रयोग उपभोग अथवा गैर विकासात्मक कार्यों के लिए किया जा रहा है। यदि इसका उपयोग विकासात्मक योजनाओं के लिए किया जा रहा है, तो इससे अर्थव्यवस्था में आय और रोजगार का स्तर ऊँचा उठेगा। आय और रोजगार का स्तर ऊँचा उठने का अर्थ है कि भारतीयों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। भारतीय अर्थव्यवस्था की निर्यात क्षमता बढ़ेगी, विदेशों में निवेश करने की क्षमता बढ़ेगी तथा सरकारी आय (कर तथा अन्य कारकों से) बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था इस घाटे की पूर्ति करने में समर्थ हो जायेगी।

प्र० 18. मान लीजिए C = 100 + 0.75YD, I = 500, G = 750 कर आय का 20 प्रतिशत है, x = 150, M = 100 + 0.2Y है तो संतुलन आय, बजट घाटा अथवा आधिक्य और व्यापार घाटा अथवा अधिक्य की गणना कीजिए।
उत्तर :
अर्थव्यवस्था में संतुलन आय स्तर वह होता है जहाँ
NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics Chapter 6 Open Economy Macroeconomics (Hindi Medium) 18
750 – 0.2(2333.33) = 750 – 466.66 = 283.34 करोड़
व्यापार घाटा = X – M = 150 – 100 – 0.2y
50 – 0.292333.33 = 50 – 466.66 = 411.66 करोड़

प्र० 19. उन विनिमय दर व्यवस्थाओं की चर्चा कीजिए, जिन्हें कुछ देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए। किया है।
उत्तर :
निम्नलिखित विनिमय दर व्यवस्थाओं का कुछ देशों ने अपने बाह्य खाते में स्थायित्व लाने के लिए प्रयोग किया है:

  1. विस्तृत सीमा पट्टी प्रणाली-इस प्रणाली के अंतर्गत अंतराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में दी करेंसियों की समता दर के बीच + 10% तक का सामंजस्य करके भुगतान शेष को ठीक करने की छूट होती है। यह ऐसी प्रणाली को कहते हैं, जो स्थिर विनिमय दर में विस्तृत परिवर्तन/समंजन की अनुमति देती है।
  2. चलित सीमाबंध प्रणाली-यह भी स्थिर और लोचशील विनिमय दर के बीच एक समझौता है, परंतु जैसा कि नाम है चलित यह कम विस्तृत है। इसके केवल समता दर के बीच + 1% तक का सामंजस्य करके भुगतान शेष को ठीक करने की छूट होती है। यह लघु सामंजस्य है जिसे समय-समय पर दोहराया जा सकता है।
  3. प्रबंधित तरणशीलता प्रणाली-स्थिर और लोचशील विनिमय दरों की एक अंतिम मिश्रित प्रणाली है। यह स्थिर विनिमय दर और नम्य विनिमय दर का मिश्रण है, जो सरकार द्वारा प्रबंधित तथा नियंत्रित होता है। इसमें विनिमय दर को लगभग पूरी तरह से स्वतंत्र छोड़ दिया जाता है और मौद्रिक अधिकारी कभी-कभी हस्तक्षेप करते हैं।
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Part B – NCERT Solutions for Class 12 Macroeconomics समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Samashti Arthashastra ka Parichay)

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