NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1: The Rise of Nationalism in Europe (यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय)
NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1: The Rise of Nationalism in Europe
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NCERT Solutions for Class 10 Social Science History Chapter 1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें –
- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी
- (ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
- (ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
- (घ) फ्रैंकफर्ट संसद
- (ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका ।
- पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया, जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
- एक नया फ्रांसीसी झंडा चुना गया, जिसने पहले के राष्ट्रध्वज की जगह ले ली।
- इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल एसेंब्ली | कर दिया गया।
- नई स्तुतियाँ रची गईं, शपथे ली गईं, शहीदों का गुणगान हुआ और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
- एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की गई, जिसने अपने भू-भाग में रहनेवाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
- आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार तथा नापने की एक समान व्यवस्था लागू की गई।
- क्षेत्रिय बोलियों को हतोत्साहित किया गया और पेरिस में फ्रेंच जैसी बोली और लिखी जाती थी, वही राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।
- मारीआन – यह लोकप्रिय ईसाई नाम है। अतः फ्रांस ने अपने स्वतंत्रता के नारी प्रतीक को यही नाम दिया। यह छवि जन राष्ट्र के विचार का प्रतीक थी। इसके चिह्न स्वतंत्रता व गणतंत्र के प्रतीक लाल टोपी, तिरंगा और कलगी थे। मारीआन । की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों और अन्य महत्त्वपूर्ण स्थानों पर लगाई गई ताकि जनता को राष्ट्रीय एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और वह उससे अपनी तादात्मय (तालमेल) स्थापित कर सके। मारीआन की छवि सिक्कों व डाक टिकटों पर अंकित की गई थी।
- जर्मेनिया – यह जर्मन राष्ट्र की नारी रूपक थी। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में वह बलूत वृक्ष के पत्तों को मुकुट पहनती है। क्योंकि जर्मनी में बलूत वीरता का प्रतीक है। उसने हाथ में जो तलवार पकड़ी हुई थी उस पर यह लिखा हुआ है “जर्मन तलवार जर्मन राइन की रक्षा करती है। इस प्रकार जर्मेनिया, जर्मनी में स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र की प्रतीक बन कर उभरी एक नारी छवि थी।
- जर्मनी एकीकरण की माँग के दौरान संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की आज़ादी जैसे सिद्धांतों का विकास हुआ।
- संसदीय व्यवस्था स्थापित करने की पृष्ठभूमि तैयार की जाने लगी।
- जर्मन लोगों में 1848 ई० से ही राष्ट्रीय भावना जागृत हो गई थी। इसमें यहाँ के मध्यम वर्ग का योगदान अधिक है।
- उदारवादी विचारधारा के लोगों ने राजशाही और फौजों का कड़ा मुकाबला किया जिसमें वे सफल भी हुए।
- इस प्रक्रिया में प्रशा के बड़े भू-स्वामियों ने भी अपना पूर्ण सहयोग दिया।
- प्रशा ने इस राष्ट्रीय एकीकरण आंदोलन का नेतृत्व संभाला और उसे नया स्वरूप और नई दिशा प्रदान की।
- इस प्रक्रिया के जनक प्रशा के प्रधानमंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क थे। इसमें उन्होंने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद की।
- इस प्रक्रिया में प्रशा ने ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से भी युद्ध किए तथा सफलता प्राप्त की।
- 18 जनवरी 1871 ई० में, वर्साय में प्रशा के राजा काइज़र विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया | जिससे जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया और अधिक सरल हो गई।
- वर्साय के महल के शीशमहल (हॉल ऑफ मिरर्स) में जर्मन राजकुमारों, सेना के प्रतिनिधियों और प्रमुख मंत्री बिस्मार्क ने जर्मन सम्राट काइज़र विलियम प्रथम के नेतृत्व में नवीन जर्मन साम्राज्य निर्माण की महत्त्वपूर्ण घोषणा की।
- इस प्रकार जर्मन राष्ट्र का एकीकरण हुआ।
- इस प्रक्रिया में प्रशा राज्य एक प्रमुख शक्ति का केन्द्र बना।
- प्राचीन सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक व्यवस्था को नष्ट किया गया।
- सामाजिक समानता स्थापित करने के लिए निम्न व उच्च वर्ग के भेद को खत्म किया गया।
- 1804 की नेपोलियन संहिता ने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे। उसने कानून के समक्ष समानता और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
- समान कर प्रणाली लागू की गई। प्रतिष्ठा मंडल की स्थापना करके विद्वानों, कलाकारों व देशभक्तों को सम्मानित किया गया।
- डच गणतंत्र, स्विट्जरलैंड, इटली और जर्मनी में नेपोलियन ने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया।
- सामंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भू-दासत्व और जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलाई।
- शहरों में कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया। यातायात और संचार व्यवस्थाओं को सुधारा गया।
- आर्थिक सुधार करने के उद्देश्य से बैंक ऑफ फ्रांस’ की स्थापना की गई।
- उसने दंड विधान को कठोर बनाया तथा जूरी प्रथा व मुद्रित पत्रों को पुनः प्रारंभ किया।
- शिक्षा की उन्नति के लिए यूनिर्वसिटी ऑफ फ्रांस की स्थापना की, जहाँ लैटिन, फ्रेंच भाषा, साधारण विज्ञान व गणित की मुख्य तौर पर शिक्षा दी जाती थी।
- कैथोलिक धर्म को राजधर्म बनाया। इस प्रकार किसानों, कारीगरों, मजदूरों और नए उद्योगपतियों ने नई-नई मिली आजादी को चखा।
चर्चा करें
राजनैतिक क्षेत्र में परिवर्तन
- राजतंत्र का अंत करके गणतंत्र की स्थापना की गई।
- सार्वजनिक मताधिकार के आधार पर निर्मित जन-प्रतिनिधि सभाओं के निर्माण के प्रयास आरंभ हुए।
- जर्मनी, इटली, पोलैंड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्यों में उदारवादी मध्यम वर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग के साथ जोड़ा।
- उदारवादियों ने ऐसे राष्ट्र राज्यों के निर्माण की माँग पर जोर दिया जो संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने जैसे संसदीय सिद्धांतों पर आधारित हो।
- महिलाओं को राजनैतिक मताधिकार दिए जाने की माँग की जाने लगी।
सामाजिक क्षेत्र में परिवर्तन
- महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिया जाने लगा तथा उनकी सभी क्षेत्रों में भागीदारी को महत्त्व व सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा।
- कुलीन वर्ग की अपेक्षा मध्यम वर्ग के सभी क्षेत्रों (राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी जिससे कुलीन वर्ग की श्रेष्ठता कम हुई।
आर्थिक क्षेत्र में परिवर्तन
- मजदूरों और कारीगरों ने भी अपनी माँगों के लिए प्रदर्शन व आंदोलन का मार्ग अपनाया।
- भू-दासता और बंधुआ मजदूरी का अंत किया गया।
- बाज़ारों की मुक्ति, चीजों तथा पूँजी के स्वतंत्र आदान-प्रदान की माँग ने जोर पकड़ा ताकि व्यापारिक उन्नति के मार्ग खुलें।
- फ्रेडरिक सॉरयू का युटोपिया-1848 ई० में फ्रांस के फ्रेडरिक सॉरयू ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई, जिसकेद्वारा विश्वव्यापी प्रजातांत्रिक और सामाजिक गणराज्यों के स्वप्न को साकार रूप देने का प्रयास किया गया। उसने कल्पना पर आधारित आदर्श राज्य या समाज (यूटोपिया) को दर्शाया। इन चित्रों में सभी स्त्री, पुरुषों और बच्चों को स्वतंत्रता की प्रतिमा की वंदना करते हुए दिखाया गया है जिनके हाथों में मशाल व मानव के अधिकारों का घोषणापत्र है। इनमें उनकी पोशाकों को भी राष्ट्रीय आधार देने के लिए एक जैसी रखी गई तिरंगे झंडे, भाषा व राष्ट्रगान द्वारा भी राष्ट्र राज्य के रूप को प्रकट करने का प्रयास किया गया।
- कार्लकैस्पर फ्रिट्ज़ का स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण-जर्मन चित्रकार कोर्लकैस्पर फ्रिट्ज ने स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपण करते हुए एक चित्र बनाया है। इसकी पृष्ठभूमि में फ्रेंच सेनाओं को ज्वेब्रेकन राज्य पर कब्जा करते हुए दिखाया गया। इसमें फ्रांसीसी सैनिकों को नीली, सफेद व लाल पोशाकों में दिखाया गया है जो वहाँ के नागरिकों का दमन कर रहे हैं जैसे किसी किसान की गाड़ी छीन रहे हैं, कुछ महिलाओं को तंग कर रहे हैं या किसी को घुटने के बल बैठने पर मजबूर कर रहे हैं। अतः शोषितों द्वारा जो स्वतंत्रता का वृक्ष रोपते हुए दर्शाया गया है उस पर एक तख्ती लगी है जिस पर जर्मन में लिखा हुआ है-”हमसे आज़ादी और समानता ले लो-यह मानवता का आदर्श रूप है।” यह एक तरह से फ्रांसीसियों पर किया गया व्यंग्य था क्योंकि वे कहते थे कि वे जहाँ जाते हैं वहाँ राजतंत्र का अंत करके नई आदर्श व्यवस्था कायम करते हैं यानि वे मुक्तिदाता हैं।
- यूजीन देलाक़ोआ की ‘द मसैकर ऐट किऑस’-फ्रांस के रूमानीवादी चित्रकार देलाक़ोआ ने एक चित्र बनाया था। इसमें उस घटना को चित्रित किया गया है जब तुर्को ने 20,000 यूनानियों को मार डाला था। इसे किऑस द्वीप कहा जाता है। इसमें महिलाओं व बच्चों की पीड़ा को केन्द्र बिंदु बनाया गया है जिसे चटकीले रंगों से रंगा गया है। ताकि देखने वालों की भावनाएं जागृत हों और उनके मन में यूनानियों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न हो। इस प्रकार कलाकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रवाद को उभारा और संस्कृति का इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
1815 ई० में नेपोलियन की हार के बाद वियना संधि द्वारा बेल्जियम और पोलैंड को मनमाने तरीके से अन्य देशों के साथ जोड़ दिया गया। जिनका आधार यूरोपीय सरकारों की यह रूढ़िवादी विचारधारा थी कि राज्य व समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएँ जैसे राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊँच-नीच, संपत्ति और परिवार बने रहने चाहिए। इसका बेल्जियम व पोलैंड ने विरोध किया। अपने को स्वतंत्र राष्ट्र राज्य के रूप में स्थापित किया। इनका निर्माण इस प्रकार हुआ :-
- बेल्जियम – वियना कांग्रेस द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया। परंतु दोनों देशों में ईसाई धर्म के कट्टर । विरोधी मतानुयायी रहते थे। जहाँ बेल्जियम में कैथोलिक थे वहाँ हॉलैंड में प्रोटेस्टेंट। हॉलैंड का शासक भी हॉलैंड वासियों को बेल्जियमवासियों से श्रेष्ठ मानता था। अतः इस श्रेष्ठता को बनाए रखने के लिए उसने सभी स्कूलों में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की राजाज्ञा जारी की। इसका बेल्जियमवासियों ने कड़ा विरोध किया, इसमें इंग्लैंड ने भी उनका साथ दिया जिस कारण हॉलैंड को बेल्जियम को 1830 में स्वतंत्र करना पड़ा। बाद में यहाँ पर इंग्लैंड जैसी संवैधानिक व्यवस्था कायम हुई।
- पोलैंड – वियना संधि द्वारा ही पोलैंड को दो भागों में बाँटा गया और इसका बड़ा भाग रूस को ईनाम के तौर पर दे दियागया। परंतु जब वहाँ के लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ तो 1848 में पोलैंड में, वारसा में, क्रांति आरंभ हुई। इसे रूसी सेनाओं ने कठोरता से दबा दिया। परंतु राष्ट्रवादियों ने हार नहीं मानी और दुबारा विद्रोह किया जिसमें उन्हें सफलता मिली।
- 18वीं शताब्दी से पूर्व ब्रितानी एक राष्ट्र नहीं था। जबकि ब्रितानी द्वीप समूह में-अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश | पहचान वाली नृजातीय समूह रहते थे जिनकी अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक व राजनैतिक परंपराएँ थीं।
- इनमें आंग्ल राष्ट्र ने अपनी धन-दौलत, अहमियत और सत्ता के बल पर अन्य द्वीप समूह के राष्ट्रों पर अपना प्रभाव स्थापित करना प्रारंभ किया।
- 1688 ई० में एक लंबे संघर्ष के माध्यम से राजतंत्र की समस्त शक्ति आंग्ल संसद के अधीन आ गई और एक राष्ट्र का निर्माण किया गया जिसका केन्द्र इंग्लैंड था।
- इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन 1707 ई० में हुआ जिसके द्वारा यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया। इसी के माध्यम से स्कॉटलैंड पर इंग्लैंड का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
- स्कॉटलैंड में ब्रितानी पहचान का विकास करने के लिए यहाँ की संस्कृति व राजनैतिक संस्थाओं को योजनाबद्ध ढंग से नष्ट किया गया। जैसे-स्कॉटिश हाइलैंड्स के वासियों को उनकी गेलिक भाषा बोलने और राष्ट्रीय पोशाक पहनने से रोका गया। इस कारण मजबूर होकर लोगों को अपना देश छोड़कर अन्य जगहों पर जाना पड़ा।
- आयरलैंड में भी ऐसा किया गया और यहाँ पर अंग्रेजों ने धार्मिक मतभेद को हथियार बनाया। आयरलैंड में कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट दो धार्मिक गुट थे। अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंटों की मदद करके कैथोलिकों को दबाया।
- 1798 ई० में वोल्फ़ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन नेतृत्व में जो विद्रोह हुआ उसे दबा दिया गया और आयरलैंड को यूनाइटेड किंग्डम का भाग बना लिया गया।
- ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण करके इसके राष्ट्रीय प्रतीकों- यूनियन जॅक (ब्रिटेन का झंडा) और गॉड सेव आवर नोबल किंग (राष्ट्रीय गान) को संपूर्ण यूनाइटेड किंग्डम में प्रचारित व प्रसारित किया गया।
- इस क्षेत्र की अपनी भौगोलिक व जातीय भिन्नता थी।
- इस क्षेत्र में आधुनिक यूनान, रोमानिया, बुल्गेरिया, अल्वेरिया, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया, सर्बिया, मॉन्टिनिग्रो आदि देश थे जहाँ पर स्लाव भाषा बोलने वाले लोग रहते थे। ये सभी तुर्को से भिन्न थे।
- तुर्को और इन ईसाई प्रजातियों के बीच मतभेदों के कारण यहाँ पर हालात भयंकर हो गए।
- जब स्लाव राष्ट्रीय समूहों में स्वतंत्रता व राष्ट्रवाद का विकास हुआ तो तनाव की स्थिति और भी भयंकर हो गई।
- इस कारण इन राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा और हथियारों की होड़ लग गई । इसने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
- यूरोपीय देश (रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, हंगरी) भी इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे ताकि काला सागर से होने वाले व्यापार और व्यापारिक मार्ग पर उनका नियंत्रण हो।
उपरोक्त कारणों से इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों और इन राज्यों में आपस में कई युद्ध हुए, जिसका अंतिम परिणाम प्रथम विश्व युद्ध के रूप में सामने आया।
परियोजना कार्य
- चित्र 1. में तिलक जी को विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थानों के मध्य खड़ा किया गया है। यानि धार्मिक एकता या जुड़ाव को दर्शाया गया है न कि अलग-अलग किया गया है।
- चित्र 2. में भारत माता को अन्नपूर्णा के रूप में दर्शाया गया है। जर्मेनिका की तरह केवल वीरता के प्रतीक के रूप में चित्रित नहीं किया गया है।
- चित्र 3. में नेहरू जी को भारत माता व भारत के नक्शे को ह्रदय के पास रखे दिखाया गया है। यह इस बात का प्रतीक है कि इन प्रतीकों द्वारा लोगों की भावनाओं को ही जागृत न किया जाए बल्कि इन भावनाओं को ह्रदय से स्वीकार करते हुए उनके लिए हर प्रकार के बलिदान देने के लिए भी तैयार किया जाए।
- चित्र 1 और चित्र 3 में रूपकों की बजाए लोकप्रिय नेताओं को राष्ट्रीय प्रतीकों से जोड़ा गया है ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग इनकी ओर आकर्षित हों और उनमें राष्ट्रवाद की भावना जागे। ये नेता जननेता थे, जिन्हें आम जनता अपना आदर्श मानती थी।
- चित्र 4. में भारत माता को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में दर्शाया गया है इसमें दुर्गा के रूप को महत्त्व दिया गया है। उनके हाथ में त्रिशूल है जिस पर तिरंगा लहरा रहा है और वे स्वयं शेर तथा हाथी के मध्य खड़ी हैं जो कि शक्ति और सत्ता के प्रतीक हैं। यह चित्र भी यूरोपीय प्रतीकों से भिन्न है क्योंकि इसमें आध्यात्मिकता के गुण को आधार बनाकर विजय प्राप्त करने की कामना की गई है।
अतिरिक्त प्रश्न (परीक्षा-उपयोगी)
1 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न - निरंकुशवाद को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर - ऐसी शासन व्यवस्था जिसकी सत्ता पर किसी प्रकार का
कोई अंकुश नहीं होता ये अत्यंत केन्द्रीकृत , सैन्य बल पर आधारित और दमनकारी
सरकारें होती हैं ।
प्रश्न - कल्पनादर्श सं क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर - एक ऐसे समाज की कल्पना जो इतना आदर्श है। कि
उसका साकार होना लगभग असंभव होता हैं ।
प्रश्न - 1789 में फ्रांसीसी क्रांति के
पश्चात् फ्रांस में आए दो बदलावों का वर्णन करो ।
उत्तर -
1. प्रभुत्ता
राजतंत्र से निकलकर फ्रांसीसी नागरिकों के हाथ में आ गई ।
2. लोगों द्वारा
राष्ट्र का गठन और वे ही इसकी नीतियाँ तय करेंगे |
प्रश्न - आघौगिकीकरण के फलसवरूप यूरोप में कौन से
नए सामाजिक समूह अस्तित्व में आए।
उत्तर - श्रमिक वर्ग के लोग और मध्य वर्ग जो उद्योगपति
इत्यादि ।
प्रश्न - उदारवाद का अर्थ बताइए ।
उत्तर - उदारवाद यानि (libration) मध्य वर्गो के लिए
उदारवाद का मतलब था व्यक्ति के लिए आजादी और कानून के समक्ष बराबरी ।
प्रश्न - 19वीं शताब्दी में उदारवाद की आर्थिक
क्षेत्र में प्रमुख मांग क्या थी?
उत्तर - उदारवाद , बाजारों की
मुक्ति और चीजों तथा पूँजी
के आवागमन पर राज्य द्वारा लगाए गए निंयत्रणो को खत्म करने के पक्ष में था ।
प्रश्न - शुल्क संघ का मुख्य कार्य लिखो ।
उत्तर - शुल्क संघ के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:
1. इस संघ ने शुल्क
अवरोधों को समाप्त कर दिया ।
2. मुद्राओं की
संख्या तीस से घटाकर दो कर दी गई ।
प्रश्न - रूढ़िवादी किन प्रांरपारिक
संस्थाओ को बनाए रखने के पक्ष में थे?
उत्तर - रूढ़िवादी राजतंत्र , चर्च , सामाजिक ऊँच-नीच
, संपत्ति और
परिवार को बनाए रखने के पक्ष में थे |
प्रश्न - कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे
प्रभुत्वशाली वर्ग क्यों था?
उत्तर - कुलीन वर्ग यूरोप महाद्वीप का सबसे प्रभुत्वशाली
वर्ग था जिसके कारण निम्नलिखिज हैं:
1. इस वर्ग के
सदस्य साक्षा जीवन शैली से बँधे हुए थे जो क्षेत्रीय विभाजनों के आर पर
व्याप्त थी |
2. वे ग्रमीण
क्षेत्रों में जायदाद और शहरी हवेलियों के मालिक थे ।
प्रश्न - ज्युसेपी मेत्सिनी ने किन दो भुमिगत
संगठनों की स्थापना की?
उत्तर - ज्युसेपी मेत्सिनी ने निम्नलिखित दो भूमिगत
संगठनों की स्थापना की:
1. मार्सेई में यंग
इटली
2. बर्न में यंग
यूरोप
प्रश्न - कब और किस संधि के द्वारा यूनान को
एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली?
उत्तर - 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक
स्वतंत्र राष्ट्र कर मान्यता दी ।
प्रश्न - ‘ रूमनीवाद ’ किस विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहा था?
उत्तर - ‘ रूमनीवाद ’ एक साक्षा सामूहिक विरासत की
अनुूभूति और एक सांस्कृतिक अतीत को राष्ट्र का आधार बनाया गया था ।
प्रश्न - ‘कैराल कुर्पिस्की ’ का पौलेंड के राष्ट्रीय संघर्ष में योगदान बताइए
।
उत्तर - ‘कैराल कुर्पिस्की ’ ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने
आॅपेरा और संगीत से गुणगान किया और पोलेनेस और मरजुरका जैसे लोकनृत्यों को
राष्ट्रीय प्रतीक में बदल दिया ।
प्रश्न - ब्रितानी राष्ट्र मे रहने वाले प्रमुख
नृजातीय समूह कौन से थे?
उत्तर - ब्रितानी राष्ट्र मे रहने वाले प्रमुख नृजातीय
समूह अंग्रेज , वेल्श , स्काॅट या आयरिश
थे ।
प्रश्न - उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय
भूमिका के दो बिंदु लिखो ।
उत्तर - उदारवादी आंदोलन में महिलाओं की सक्रिय भूमिका
निम्न हैं:
1. महिलाओं ने अपने
राजनीतिक संगठन स्थापित किये |
2. उन्होंने अखबार
शुरू किए और राजनीतिक बैठकों और प्रदर्शनों में शिरकत की ।
प्रश्न - फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् कौन
थे ?
उत्तर - फ्रांसीसी क्रांति के रूपक चिन्ह् - मरीआॅन , लाल टोपी , तिरंगा और कलगी
थे ।
प्रश्न - जर्मेनिया का अर्थ बताइए ।
उत्तर - जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का रूपक , चाक्षुष
अभिव्यक्तियों में बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनाती है। क्योंकि जर्मन बलूत
वीरता का प्रतीक हैं ।
प्रश्न - बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले
दो प्रमुख राज्यों के नाम लिखो ।
उत्तर - बाल्कन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दो प्रमुख
राज्य आधुनिक रोमानिया, बुल्गारिया, यूनान इत्यादि थे |
प्रश्न - जनमत संग्रह का क्या तात्पर्य हैं ?
उत्तर - एक प्रत्यक्ष मतदान जिसके जरिए एक क्षेत्र के सभी
लोगों से एक प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कराया जाता हैं ।
3 अंक वाले
प्रश्न:
प्रश्न - राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए बताइए ।
उत्तर - राष्ट्र राज्य की तीन विशेषताँए निम्नलिखित हैं:
1. इसमें जनता को
अपने शासक को चुनने कर अधिकार होता हैं ।
2. सभी नागरिकों के
समान कानून बनाए जाते हैं ।
3. लोगों द्वारा
राष्ट्र का गठन होता है हैं और वे ही इसकी नीतियाँ तय करते हैं |
प्रश्न - फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह
शीघ्र ही लोगों में विरोध का कारण क्यों बन गया?
उत्तर - फ्रांसीसी सेना का शुरूआती उत्साह शीघ्र ही लोगों
में विरोध का कारण बन गया क्योंकि जब यह साफ होने लगा कि नयी प्रशासनिक
व्यवस्थाँए राजनीतिक स्वतंत्रता के अनुरूप नहीं थी । बढ़े हुए कर , सेसरशिप और बाकी
यूरोप को जीतने के लिए फ्रेंच सेना में जबरन भर्ती इत्यादि प्रमुख कारण थे
।
प्रश्न - 19वीं शताब्दी में उदारवादी
विचारधारा के राजनैतिक उद्देश्यों की समीक्षा कीजिए ।
उत्तर - 19वीं शताब्दी में उदारवादी विचारधारा , राजनीतिक रूप से
एक ऐसर सरकार पर जोर देता था जो सहमति से बनी हो । फ्रांसीसी
क्रांति के बाद उदारवाद निंरकुश शासक और पादरीवर्ग के विशेषाधिकारों की समाप्ति , संविधान तथा
संसदीय प्रतिनिधि सरकार का पक्षधर था । 19वीं शताब्दी के उदारवादी
निजी संपति के स्वामित्व की अनिवार्यता पर भी बल देता था ।
प्रश्न - 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन
परिणामों की व्याख्या करो ।
उत्तर - 1830 के फ्रांसीसी विरोध के तीन परिणाम
निम्नलिखित हैं:
1. 1830 के फ्रांसीसी विरोध के परिणामस्वरूप बूर्बो राजा जिन्हें 1815 के बाद हुई
रूढ़िवादी प्रतिक्रिया में सत्ता पर बहाल किया गया था उन्हें अब
क्रांतिकारियों ने उखाड़ फेंका ।
2. फ्रांस में
सत्ता अब लुई फिलीप को सौंपी गई ।
प्रश्न - जर्मन दार्शनिक योहान गाॅटफ्रीड के
विचारों की तीन बिन्दुओं में विवेचना कीजिए |
उत्तर -
1. जर्मन दार्शनिक
योहान गाॅटफ्रीड ने दावा किया कि सच्ची जर्मन संस्कृति उसके आमलोगों में
निहित थी |
2. राष्ट्र की
सच्ची आत्मा लोकगीतों , जनकाव्य और लोकनृत्यों से प्रकट होती थी ।
3. स्थानीय बोलियों
पर बल और स्थानीय लोक साहित्य को एकत्र करने का उदेश्य केवल प्राचीन
भावना को वापिस लाना नहीं था बल्कि आधुनिक राष्ट्रीय संदेश को ज्यादा
लोगों तक पहुँचाना था जिनमें से अधिकांश निरक्षर थे ।
4 अंक वाले
प्रश्न:
प्रश्न - ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास मंे भाषा ने
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर - ‘पौलेंड’ में राष्ट्रीय भावनाओं के विकास में भाषा
ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । रूसी कब्जे के बाद पोलिश भाषा को स्कूलों से
बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को हर जगह जबरन लादा गया । 1831 में रूस के विरूद्ध एक
सशस्त्र विद्रोह हुआ जिसे आखिरकार कुचल दिया गया दिया । इससे अनेक सदस्यों ने
राष्ट्रवादी विरोध के लिए भाषा को एक हथियार बनाया । चर्च के आयोजनों और संपूर्ण
धार्मिक शिक्षा में पोलिश का इस् कि बड़ी संख्या में पादरियों और बिशपों को जेल
में डाल दिया गया । इस तरह पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरूद्ध संघर्ष के
प्रतीक में देखी जाने लगी ।
प्रश्न - फ्रैंकफर्ट संसद के जर्मन राष्ट्र
निर्माण में योगदान का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर - जर्मन इलाकों में बड़ी संख्या में फ्रैंकफर्ट शहर
में मिलकर एक सर्व जर्मन एसेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला किया । 18 मई 1848 को 831 निर्वाचित
प्रतिनिधियों पे एक सजे धजे जुलुस में जाकर फ्रैंकफर्ट संसद में अपना स्थान ग्रहण किया ।
यह संसद सेंट पाॅल चर्च में आयोजित हुई | उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान
का प्रारूप तैयार किया । संविधानवाद की राष्ट्रीय माँग को राष्ट्रीय
एकीकरण की माँग से जोड़ दिया गया । उन्होने बढ़ते जन संतोष का फायदा उठाया और एक
राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया । इस तरह फ्रैंकफर्ट संसद के
जर्मन राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।
प्रश्न - 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र यूरोप में
गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का कारण बन गया, कथन के संदर्भ में तीन तर्क दीजिए ।
उत्तर - 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र यूरोप में गंभीर
राष्ट्रवादी तनाव का कारण बन गया जिसके निम्न कारण है :
1. बाल्कन क्षेत्र
में यूरोप के अनेक देश अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाहते थे इसलिए उन्होनें
वहाँ की समस्या को ओर भी उलझनपूर्ण बना दिया ।
2. बाल्कन क्षेत्र
एक के बाद एक उसके अधीन यूरोपीय राष्ट्रीयताएँ उसके चुगंल से बाहर
निकलकर स्वतंत्रता की माँग करने लगे।
3. बाल्कन लोगों ने
आजादी या राजनैतिक अधिकारों के अपने दावे को राष्ट्रीयता का आधार
दिया । उन्होंने इतिहास का इस्तेमाल यह साबित करने के लिया कि वे कभी
स्वतंत्र थे किन्तु विदेशी शक्तियों ने उन्हें अपने आधीन कर लिया ।
प्रश्न - एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण में
काउंट कैमिलों दे काबूर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - एकीकृत इतावली गणराज्य के निर्माण का वास्तविक
श्रेय कैवूर को ही जाता हैं । 1852 में वह साड्निर्या में वह साडनिर्या का
प्रधानमंत्री बना तथा इटली के एकीकरण के कार्य में जुट गया । उसने अपनी कूटनातिक
चालों द्वारा इस कार्य को पूरा किया । उसने कई युद्धों में भाग लेकर इटली के
राज्यों को साडनिर्या के साथ मिलाने का प्रयत्न किया । लोम्बार्डी , मोडेना , पार्मा टस्कनी
आदि राज्य धीरे धीरे विदेशी सत्ता से छुटकारा प्राप्त कर साडनिर्या
में जा मिले । इतिहासकार उसे ’इटली का विस्मार्क ’ कहते है ।
प्रश्न - फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने
सामाजिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए कौन से चार कदम उठाए ।
उत्तर - फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने सामाजिक पहचान
की भावना पैदा करने के लिए निम्नलिखित चार कदम उठाए:
1. क्रांतिकारियों
ने यह भी घोषण कि , कि युरोप के लोगों
को निरंकुश शासकों से मुक्ति दिलाया जाय।
2. एक नया
फ्रांसीसी झंडा तैयार किया गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली |
3. सक्रिय नागरिकों
द्वारा चुनी गई एक सभा का गठन किया गया जिसका नाम नेशनल एसेम्बली रखा
गया ।
4. राष्ट्र के नाम
पर नयी नयी स्तुतियाँ रची गई , शपथें ली गई और शहीदों का गुणगान किया गया ।
प्रश्न - 1804 की नागरिक संहिता के चार प्रमुख
विशेषताओं का उल्लेख कीजिए |
उत्तर - 1804 की नागरिक संहिता के चार प्रमुख
विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
1. इस संहिता ने
जन्म पर आधारित विशेषाधिकार को समाप्त कर दिया ।
2. इसने कानून के
समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया ।
3. इस संहिता ने
प्रशासनिक विभाजनों को समाप्त किया , सांमंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भू-दासत्व और जागीदारों से मुक्ति दिलाई ।
4. शहरों मे भी
कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रणों को हटा दिया गया । यातायात और
संचार व्यवस्थाओं मे सुधार किया गया । किसानों , कारीगरो मजदूरों और नए उद्योगपतियों ने नयी
आजादी चखी ।
प्रश्न - वियना संधि 1815 के चार प्रमुख
विशेषताओं का उल्लेख करों |
उत्तर - वियना संधि 1815 के चार प्रमुख विशेषताँए:
1. सन् 1815 की वियना संधि
ने उन कई सारे बदलावों को खत्म किया जो नेपोलियाई युद्धों के
दौरान हुए थे ।
2. इस संधि ने
फ्रांसीसी क्रांति के दौरान उठाए गए बुर्बो राजा जिन्हें सत्ता में ब
इलाकों को खो दिया जिन पर कब्जा उसने नेपोलियन के
अधीन किया गया था ।
3. फ्रांस की सीमा
पर कई राज्यकायम कर दिए गए ताकि भविष्य में फ्रांस विस्तार न कर सके ।
4. प्रशा को उसकी
पश्चिमी सीमाओं पर महत्वपुर्ण नए इलाके सौपे गए जबकि आस्ट्रीया को
उतरी इटली का नियंत्रण मिला ।
प्रश्न - ‘‘ यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर आया’’ । चार कारण बताइए
।
उत्तर - यूरोप में 1830 का दशक भारी कठिनाइयाँ लेकर
आया जिसके चार कारण निम्न हैं:
1. यूरोप मे जनसंख्या
में जबरदस्त वृद्धि हुई ।
2. ज्यादातर देशों
में नोकरी ढुढ़ने वालों की तदाद उपलब्ध रोजगार से अधिक थी ।
3. नगरो के लघु
उत्पादकों को अकसर इंग्लैंड से आयतित मशीन से बने सस्ते कपड़े से कड़ी
प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था ।
4. यूरोप के उन
इलाकों में जहाँ कुलीन वर्ग अभी भी सत्ता में था क
था ।
प्रश्न - जर्मन एकीकरण प्रक्रिया के
विभिन्न चरणों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
1. राष्ट्रवादी
भावनाँए मध्य वर्ग के जर्मन के लोगों में काफी समय से थी । उन्होनें 1848 में जर्मन महांसघ
के विभिन्न इलाकों को जोड़कर
एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया ।
2. राष्ट्र निर्माण
की यह उदारवादी पहल राजशाही व फौज की ताकत ने मिलकर दबा दी | उनका प्रशा के
बड़े भू-स्वामियों ने भी समर्थन किया । ,
3. इसके पश्चात्
प्रशा के प्रमुख मंत्री बिस्मार्क ने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद
की ।
4. सात साल के
दौरान प्रशा ने आस्ट्रिया , डेनमार्क व फ्रांस को जीता । इस प्रकार जर्मन
एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हुई । सन् 1871 में राजा विलीयम प्रथम को जर्मनी का सम्राट
घोषित किया गया ।
प्रश्न - इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार परिस्थितियों का वर्णन करो ।
उत्तर - इटली के एकीकृत होने से पूर्व की चार
परिस्थितियाँ निम्न हैं:
1. इटली अनेक
वंशानुगत राज्यों तथा बहुराष्ट्रीय हैब्सबर्ग साम्राज्य में बिखरा
हुआ था ।
2. 19वीं शताब्दी के
मध्य में इटली सात राज्यों में बटाँ हुआ था जिनमें से केवल एक
सार्डनिया पीडामाॅण्ट में एक इतावली गणराज्य का शासन था ।
3. उतरी भाग
आस्ट्रियाई हैब्सबर्ग के अधीन था , मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी
क्षेत्र स्पेन के बुर्बो राजाओं के अधीन था ।
4. इतावली भाषा ने
भी साक्षा रूप हासिल नहीं किया था और अभी तक उसके विविध क्षेत्रीय
और स्थानीय रूप मौजूद था ।
प्रश्न - ‘रूपक’ से क्या तात्पर्य हैं ? फ्रांस एवं जर्मनी के सन्दर्भ में इसकी व्याख्या
कीजिए |
उत्तर - जब किसी अर्मूत विचार ( जैसे स्वतन्त्रता, मुक्ति, इर्ष्या को किसी
व्यक्ति या चीज द्वारा इंगित किया जाता है तो उसे रूपक कहते हैं । रूपतामक कहावत के दो
अर्थ होते हैं:- एक शाब्दिक ओर दूसरा प्रतीकात्मक । फ्रांसीसी क्रांति के
दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए
प्रयोग किया । इन आदर्शो को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया
। स्वतंत्रता का प्रतीक लाल टोपी या टूटी जंजीर और इंसाफ को आमतौर पर एक महिला
के प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया जाता हैं जिसकी आँखो पर पट्टी
बँधी हुई हैं और वह तराजू लिए हुए है । जर्मन में
मारीआॅन की प्रतिमाँए सार्वजनिक चैकी पर लगाई गई ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय
प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्मय स्थापित कर सकें । मारीआॅन की छवि
सिक्को और डाक टिकटों पर अंकित की गई । इसी तरह जर्मेनेयिा जर्मन राष्ट्र का रूपक
बन गई |
प्रश्न - आयरलैंड के संबंध में अंग्रेजी की नीति
की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - अंग्रजो न आयरलैंड में प्रोटेस्टेंट धर्म मानने वालों को बहुसंख्यक कैथिलिक देश पर प्रभुत्व बढ़ाने में सहायता की । वोल्फटोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन की अगुवाई में हुए सफल विद्रोह के बाद 1801 में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेड किंग्डम में शामिल किया गया । एक नए ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण किया गया जिस पर हावी आंग्ल संस्कृति का प्रचार प्रसार किया गया ।
NCERT Solutions for Class 10 Social Science History in Hindi
Get here all NCERT Solutions for Class 10 History in Hindi
Chapter 1: यूरोप में राष्ट्रवाद का उदयChapter 2: भारत में राष्ट्रवाद
Chapter 3: भूमंडलीकृत विश्व का बनना
Chapter 4: औद्योगिकीकरण की युग
Chapter 5: मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
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