NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 8: Challenges to Democracy (लोकतंत्र की चुनौतियाँ)

NCERT Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 8: Challenges to Democracy
NCERT Solutions for Class 10 Social Science. History, Political Science, Geography and Economics are the part of NCERT Solutions for Class 10. Here we have given CBSE Class 10 Social Science NCERT Solutions of इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र.
Please find Free NCERT Solutions for Class 10 Social Science Itihas, Bhoogol, Rajniti Vigyan aur Arthshastra in this page. We have compiled detailed Chapter wise Class 10 Social Science NCERT Solutions for your reference.
Here you can get free NCERT Solutions for Class 10 Social Science, Political Science in Hindi of Chapter 8 Challenges to Democracy. All NCERT Book Solutions are given here exercise wise for Challenges to Democracy. NCERT Solutions are helpful in the preparation of several school level, graduate and undergraduate level competitive exams. Practicing questions from Democratic Politics -II NCERT Social Science Political Science Solutions in Hindi for Class 10 Chapter 8 Challenges to Democracy is proven to enhance your subject skills.
NCERT Solutions for Class 10 Social Science Political Science Chapter 8: लोकतंत्र की चुनौतियाँ
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
I. बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple choice Questions)
1. राजनीतिक सुधार से क्या तात्पर्य है?
2. लोकतंत्र की परिभाषा या अर्थ बताएँ।
3. एक अच्छे लोकतंत्र को किस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है?
4. लोकतांत्रिक सुधारों को किस प्रकार लागू किया जा सकता है?
5. दुनिया के कितने भागों में लोकतांत्रिक शासन नहीं है?
6. चुनौती किसे कहते हैं?
7. विस्तार की चुनौती से आप क्या समझते हैं?
8. लोकतंत्र की एक चुनौती का उल्लेख करें।
9. लोकतंत्र के विस्तार की चुनौती का एक उदाहरण है
10. लोकतंत्र को मजबूत करने की चुनौती का एक उदाहरण दें।
11. इसमें मौजूदा गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है
12. निम्नलिखित में से कौन सी चुनौती हर लोकतंत्र के सामने किसी रूप में हैं?
उत्तर
- (ख)
- (क)
- (क)
- (क)
- (ग)
- (ख)
- (घ)
- (ख)
- (क)
- (क)
- (ग)
- (ख)
II. अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
III. लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
- लोगों द्वारा चुने गए शासक ही सारे फैसले लें।
- चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलना चाहिए। ये विकल्प और अवसर हर किसी को बराबरी से उपलब्ध होने चाहिए।
- विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए काम करे।
- लोकतांत्रिक अधिकार लोकतंत्र का प्रमुख पहलू है। यह अधिकार सिर्फ वोट देने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने भर के लिए नहीं है। इसमें सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को शामिल करते हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक शासन को अपने नागरिकों को देना ही चाहिए।
- सत्ता में हिस्सेदारी को लोकतंत्र की भावना के अनुकूल माना गया है। इस प्रकार सरकारों और सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए जरूरी है।
- लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही या क्रूर शासन व्यवस्था नहीं हो सकता और अल्पसंख्यक आवाजों का आदर करना लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है।
- समाज में विद्यमान हर प्रकार के भेदभाव को मिटाना लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण काम है।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें कुछ न्यूनतम नतीजों की उम्मीद तो करनी ही चाहिए।
IV. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (Long Answer Type Questions)
- दुनिया के जिन देशों में अभी भी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं है इन इलाकों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की तरफ़ जाने और लोकतांत्रिक सरकार गठित करने के लिए जरूरी बुनियादी आधार बनाने की चुनौती है। इसमें मौजूदा गैरलोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को गिराने, सत्ता पर सेना के नियंत्रण को समाप्त करने और एक संप्रभु तथा कारगर शासन व्यवस्था को स्थापित करने की चुनौती है।
- अधिकांश स्थापित लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सामने अपने विस्तार की चुनौती है। इसमें लोकतांत्रिक शासन के बुनियादी सिद्धांतों को सभी इलाकों, सभी सामाजिक समूहों और विभिन्न संस्थाओं में लागू करना,शामिल है। स्थानीय अधिकारों को अधिक अधिकार संपन्न बनाना, संघ की सभी इकाइयों के लिए संघ के सिद्धांतों को व्यावहारिक स्तर पर लागू करना, महिलाओं और अल्पसंख्यक समूहों की उचित भागीदारी सुनिश्चित करना आदि ऐसी ही चुनौतियाँ हैं। इसका यह भी मतलब है कि कम-से-कम चीजें ही लोकतांत्रिक नियंत्रण के बाहर रहनी चाहिए। भारत और | दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों में से एक अमेरिका जैसे देशों के सामने भी यह चुनौती है।
- तीसरी चुनौती लोकतंत्र को मजबूत करने की है। हर लोकतांत्रिक व्यवस्था के सामने किसी-न-किसी रूप में यह चुनौती रहती ही है। इसमें लोकतांत्रिक संस्थाओं और व्यवहारों को मजबूत बनाना शामिल है। यह काम इस तरह से होना चाहिए कि लोग लोकतंत्र से जुड़ी अपनी उम्मीदों को पूरा कर सकें। लेकिन अलग-अलग समाजों में आम आदमी की लोकतंत्र में अलग-अलग तरह की अपेक्षाएँ होती हैं। इसलिए यह चुनौती दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग अर्थ और अलग स्वरूप ले लेती है। संक्षेप में कहें तो इसका मतलबे संस्थाओं की कार्य-पद्धति को सुधारना और मज़बूत करना होता है, ताकि लोगों की भागीदारी और नियंत्रण में वृद्धि हो। इसके लिए फैसला लेने की प्रक्रिया पर अमीर और प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण और प्रभाव को कम करने की जरूरत होती है।
लोकतांत्रिक शासन की मुख्य विशेषताएँ –
- लोकतांत्रिक शासन में अंतिम सत्ता जनता के हाथों में होती है। जनता अपने शासकों का चुनाव करती है और जब चाहे तब उन्हें उनके पद से हटा सकती है।
- लोकतांत्रिक शासन में सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी होती है, इसलिए वह संविधान के नियमों तथा जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाती है।
- लोकतांत्रिक देशों में लोगों को वोट डालने, चुनाव लड़ने और राजनीतिक संगठन बनाने के अतिरिक्त विभिन्न सामाजिक और आर्थिक अधिकार भी प्राप्त होते हैं।
- लोकतांत्रिक शासन समाज में विद्यमान मतभेदों का शांतिपूर्ण तरीके से निपटारा कर सकता है। लोकतंत्र विभिन्न सामाजिक टकरावों को कम करने की कोशिश करता है।
- लोकतंत्र में नागरिकों को सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करने का पूरा अधिकार होता है।
- लोकतंत्र देश के बहुसंख्यक समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के हितों की भी रक्षा करता है।
- एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन वह होगा जिसमें अधिक-से-अधिक जनता अधिक-से-अधिक भागीदारी दिखाए। सरकारी मसलों पर जनता अपनी राय दे, यदि जनता राजनीतिक रूप से शिक्षित होगी तो वह लोकतंत्र में भागीदारी कर सकेगी, जो एक अच्छे लोकतंत्र की प्रमुख विशेषता है।
- अच्छे लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराए जाने चाहिए। जिससे सही प्रतिनिधि चुनकर सरकार में आ सकें।
- लोकतांत्रिक देश में जनता को राजनीतिक समानता प्राप्त होती है। कोई भी व्यक्ति सरकार में जा सकता है और राजनीतिक दल का निर्माण कर सकता है।
- एक लोकतांत्रिक देश में सरकार विभिन्न प्रकार की असमानताओं को कम करने की कोशिश करती है।
इस प्रकार एक अच्छे लोकतंत्र की कई विशेषताएँ हैं। जहाँ ये सभी विशेषताएँ होती हैं वहाँ लोकतंत्र को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
- कानून बनाकर कुछ हद तक राजनीतिक सुधार किए जा सकते हैं। सावधानी से कानून बनाकर गलत राजनीतिक आचरणों को हतोत्साहित और अच्छे कामकाज को प्रोत्साहित करेंगे।
- कानूनी परिवर्तनों के कभी-कभी उल्टे परिणाम निकलते हैं। आमतौर पर किसी चीज की मनाही करने वाले कानून राजनीति में ज्यादा सफल नहीं होते। राजनीतिक कार्यकर्ता को अच्छे काम करने के लिए बढ़ावा देने वाले या लाभ पहुँचाने वाले कानूनों के सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। सबसे बढ़िया कानून वे हैं जो लोगों को लोकतांत्रिक सुधार करने की ताकत देते हैं। सूचना का अधिकार-कानून लोगों को जानकार बनाने और लोकतंत्र के रखवाले के तौर पर सक्रिय करने का अच्छा उदाहरण है। ऐसा कानून भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाता है और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने तथा कठोर दंड का प्रावधान करने वाले वाले मौजूदा कानूनों की मदद करता है।
- लोकतांत्रिक सुधार तो मुख्यत: राजनीतिक दल ही करते हैं। इसलिए राजनीतिक सुधारों का ज़ोर मुख्यत: लोकतांत्रिक कामकाज को ज्यादा मजबूत बनाने पर होना चाहिए। इससे आम नागरिक की राजनीतिक भागीदारी के स्तर और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- राजनीतिक सुधार के किसी भी प्रस्ताव में अच्छे समाधान की चिंता होने के साथ-साथ यह सोच भी होनी चाहिए कि इन्हें कौन और क्यों लागू करेगा? यह मान लेना समझदारी नहीं कि संसद कोई ऐसा कानून बना देगी जो हर राजनीतिक दल और सांसद के हितों के खिलाफ़ हो। पर लोकतांत्रिक आंदोलन, नागरिक संगठन और मीडिया पर भरोसा करने वाले उपायों के सफल होने की संभावना होती है।
लोकतंत्र की नवीन परिभाषा में ये बातें सम्मिलित की गई हैं –
- जनता द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फैसले लें।
- चुनाव में लोगों को वर्तमान शासकों को बदलने और अपनी पसंद जाहिर करने का पर्याप्त अवसर और विकल्प मिलना चाहिए। ये विकल्प और अवसर हर किसी को बराबरी के आधार पर मिले।
- विकल्प चुनने के इस तरीके से ऐसी सरकार का गठन होना चाहिए जो संविधान के बुनियादी नियमों और नागरिकों के अधिकारों को मानते हुए काम करें।
- लोकतंत्र के उन आदर्शों को इसमें सम्मिलित किया जाना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक सरकारों में अंतर किया जा सके।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकतांत्रिक अधिकार के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक अधिकारों की चर्चा की जानी चाहिए।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी हो।
- लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की आवाज़ का भी आदर होना चाहिए।
- हर प्रकार के भेदभाव को नष्ट करना चाहिए।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमें कुछ न कुछ परिणाम अवश्य प्राप्त करने के प्रयास करने चाहिए।
स्वयं करें
- भारतीय लोकतंत्र के समक्ष आने वाली चुनौतियों का वर्णन करें।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक सुधार कैसे किए जा सकते हैं?
- कानून बनाकर राजनीतिक सुधार करना कहाँ तक सही है?
- लोकतंत्र की परिभाषा दें।
- एक अच्छे लोकतंत्र की विशेषता बताइए।
- चुनौतियों के उन तीन प्रमुख का उल्लेख करें जिनका सामना विश्व के अधिकांश लोकतंत्र कर रहे हैं।
- म्यांमार लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर जाने के लिए बुनियादी आधार बनाने की चुनौती का सामना किस प्रकार कर रहा है? व्याख्या करें।
- कुछ दिशा निर्देशों की चर्चा करें जिन्हें भारत में राजनीतिक सुधारों के लिए तरीका और जरिया हूँढते समय अपने ध्यान में रखा जा सकता है।
- लोकतांत्रिक सुधारों से क्या तात्पर्य है?
Chapter 8. लोकतंत्र की चुनौतिया
अतिरिक्त उपयोगी प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1: भारतीय लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख समस्याएँ क्या है ?
उत्तर - भारतीय लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख समस्याएँ है ।
1. जातिवाद ।
2. साम्प्रदासिकता
3. भ्रष्टाचार
4. निर्धनता
5. अशिक्षा
6. बेरोजगारी ।
7. महँगाई
8. अलगाववाद
प्रश्न 2: सम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है ? इस समाजिक बुराई से भारत को क्या क्या हानियाँ हुई है ?
उत्तर - सम्प्रदायिकता क्या अर्थ है अपने संप्रदाय के लिए दूसरे संप्रदाय की अवहेलना करना तथा समाजिक और मानसिक रूप से उन्हें नुकसान पहूँचाना , यहाँ तक कि राष्ट्रीय हितों की भी अवहेलना करना । जब सम्प्रदायिकता का आधार धर्म हो तो उसे धार्मिक सम्प्रदायिकता कहते है।
इस समाजिक बुराई से भारत को क्या क्या हानियाँ हुई है।
1. इस समाजिक बुराई से 1947 में देश का विभाजन हुआ ।
2. इस समाजिक बुराई से देश में कई बार सम्प्रदायिक दंगे हुए है जिससे सैकडों लोगों की जानें गई है।
3. इससे आपसी सदभाव समाप्त हो जाता है।
4. इससे देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहूँचता है।
प्रश्न 3: आर्थिक विषमता लोकतंत्र की सफलता में किस प्रकार बाधक है ?
उत्तर -
1. आर्थिक विषमता के कारण धनी लोग निर्धन वर्ग का शोषण करते है।
2. इसके कारण आपसी बंधुता का भावना समाप्त हो जाती है।
3. अर्थिक असमानता के रहते हुए हम लोकतंत्र की सफलता का कामना नहीं कर सकते है।
4. आर्थिक विषमता के कारण राजनितिक समानता प्राप्त नहीं किया जा सकता जो लोकतंत्र की निशानी नहीं है।
प्रश्न - महिलाओं की असमानतादूर करने के लिए कोई तीन उपाय सूझाइए ।
उत्तर -
1. महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए संधर्ष करना चाहिए।
2. महिलाओं की असमानतादूर करने के लिए उन्हे उच्च शिक्षा की ओर अग्रसर करना चाहिए।
3. महिलाओं को समानता दिलाने के लिए कानून बनना चाहिए।
प्रश्न 4: क्षेत्रवाद भारतीय लोकतंत्र के लिए किस प्रकार खतरा है ?
उत्तर -
1. क्षेत्रवाद देश की एकता और अखण्डता के लिए खतरा है।
2. क्षेत्रवाद को जन्म देने वाले क्षेत्रिय नेता कई बार अलग राज्य या देश की माँग करने लगते है।
3. क्षेत्रवाद के कारण राज्यों के मध्य विवाद उत्पन्न हो जाते है।
4. क्षेत्रवाद के कारण हिंसा में बृद्धि होती है तथा कानून व्यवस्था को गहरा आघात पहँुचता है।
प्रश्न 5: अच्छे लोकतंत्र की तीन विशेषता बताइए।
उत्तर -
1. लोगो द्वारा चुनी गइ सरकार ही सारे फैसले लेती है।
2. चुनाव में लोगों को अपने मत के अनुसार अपना नेता चुनने का अधिकार होता है।
3. यह सर्वसधारण की हितो की रक्षा करता है।
4. यह समानता के सिद्धांत पर कार्य करता है।
5. यह नागरिकों सभी प्रकार की स्वंतंत्रता का अधिकार देता है।
प्रश्न 6: लोकतंत्र की तीन अवगुण बताइए।
उत्तर -
1. लोकतंत्र में जनता द्वारा अयोग्य व्यक्ति को भी चुन लिया जाता है तो वह शासक बन जाता है।
2. यह गुणों की अपेक्षा संख्या को अधिक महत्व देता है।
3. यह अस्थाई और खर्चिला शासन होता है।
प्रश्न 7: भारत पर औद्योगिकरण का तीन समाजिक प्रभावों का वर्णन करो ।
अथवा
भारतीय समाज पर औद्योगिकरण के प्रभावों का वर्णन करो।
उत्तर : भारतीय समाज पर औद्योगिकरण के निम्नलिखित प्रभाव है :
1. औद्योगिकरण के कारण भारतीय समाज से जाति प्रथा और छुआछूत लगभग समाप्त हो चुका है।
2. औद्योगिकरण के कारण समाजिक समानता अब आ गई है गरीब लोग अब अमीर होने लगे है।
3. औद्योगिकरण के कारण भारतीय समाज से बंधुआ मजदूरी तथा मजदूरों का शोषण लगभग समाप्त हो चुका है।
4. औद्योगिकरण के कारण भारतीय समाज दो भागों में बँट गया है। पहला पूँजीपति वर्ग और दूसरा श्रामिक वर्ग ।
प्रश्न 8: आतंकवाद शब्द से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर - आतंकवाद एक ऐसा शब्द है जो लोगो के मनोमस्तिष्क में खौफ तथा डर पैदा करता है। जो लोग आतंकवाद फैलाते है एक ही उदेश्य होता है बम धमाके करके लेागों में डर फैलाना और अपनी नाजायज माँगे पूरी करवाना ।
प्रश्न 9: जातिवाद राजनिति को किस प्रकार प्रभावित करता है।
उत्तर : जातिवाद राजनिति को निम्न प्रकार से प्रभावित करता है।
1. जातिवाद के आधार पर राजनिति में गलत या अयोग्य लोग चले आते है ।
2. जातिवाद से किसी एक जाति के ही राजनितिक उदेश्य पूरा होते है अन्य जातियों के लोगों का अनदेखी होती है।
3. जातिवाद से जातिय संर्धष बढने का खतरा होता है जिसका फायदा जातीय राजनिति करने वाले नेता उठाने लगते है।
4. चुनाव में जातीय आधार पर उम्मिद्वारों का चयन होने लगता है जिससे अन्य जातियों को नुकसान पहूँचता है।
NCERT Solutions for Class 10 Social Science Political Science in Hindi
Get here all NCERT Solutions for Class 10 Political Science in Hindi Medium
Chapter 1: सत्ता की साझेदारीChapter 2: संघवाद
Chapter 3: लोकतंत्र और विविधता
Chapter 4: जाति, धर्म और लैंगिक मसले
Chapter 5: जन-संघर्ष और आंदोलन
Chapter 6: राजनीतिक दल
Chapter 7: लोकतंत्र के परिणाम
Chapter 8: लोकतंत्र की चुनौतियाँ
Post a Comment
इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)