NCERT Solutions | Class 8 Hindi अपठित पद्यांश

NCERT Solutions | Class 8 Hindi | अपठित पद्यांश 

NCERT Solutions for Class 8 Hindi अपठित पद्यांश

CBSE Solutions | HindiClass 8

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NCERT | Class 8 Hindi

NCERT Solutions Class 8 Hindi
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 8th
Subject: Hindi
Chapter:
Chapters Name: अपठित पद्यांश
Medium: Hindi

अपठित पद्यांश | Class 8 Hindi| NCERT Books Solutions

You can refer to MCQ Questions for Class 8 Hindi  अपठित पद्यांश to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.

अपठित काव्यांश भी गद्यांश की भाँति बिना पढ़ा अंश होता है। यह पाठ्यक्रम के बाहर से लिया जाता है। इसके द्वारा छात्रों की काव्य संबंधी समझ का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु का मूल्यांकन किया जाता है। इसके अंतर्गत विषय वस्तु, अलंकार, भाषिक योग्यता संबंधी समझ की परख की जाती है।

अपठित काव्यांश हल करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  • दिए गए काव्यांश को कम से कम दो-तीन बार अवश्य पढ़ें।
  • पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों को रेखांकित कर लें।
  • प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में लिखें।
  • उत्तर काव्यांश से ही होना चाहिए।

उदाहरण ( उत्तर सहित)
1. रेशम जैसी हँसती खिलती, नभ से आई एक किरण
फूल-फूल को मीठी, मीठी, खुशियाँ लाई एक किरण
पड़ी ओस की कुछ बूंदें, झिलमिल-झिलमिल पत्तों पर
उनमें जाकर दिया जलाकर, ज्यों मुसकाई एक किरण
लाल-लाल थाली-सा सूरज, उठकर आया पूरब में
फिर सोने के तारों जैसी, नभ में छाई एक किरण

प्रश्न

(क) कवि ने किरण के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है?
(i) रेशम जैसी
(ii) हँसती खिलती
(iii) सोने के तारों जैसी
(iv) उपर्युक्त सभी

(ख) किरण फूलों के लिए क्या खुशियाँ लेकर आई?
(i) सुंदरता
(ii) सुगंध
(iii) मीठी-मीठी खुशियाँ
(iv) विभिन्न रंग

(ग) ओस की बूंदों ने पत्तों पर क्या किया?
(i) उन्हें चमका दिया
(ii) उन पर एक दिया-सा जला दिया
(iii) उन्हें नहला दिया
(iv) उन्हें चमका दिया

(घ) सूरज की विशेषता है
(i) वह गोल-गोल है।
(ii) वह गोल-गोल तथा लाल-लाल है।
(iii) वह लाल-लाल थाली जैसा है।
(iv) वह लाल-लाल गेंद जैसा है।

उत्तर-

(क) (iv)
(ख) (ii)
(ग) (iii)
(घ) (iii)

2. आज जीत की रात
पहरुए, सावधान रहना।
खुले देश के द्वार
अचल दीपक समान रहना
प्रथम चरण है नये स्वर्ग का
है मंजिले का छोर
इस जन-मंथन से उठ आई
पहली रतन हिलोर
अभी शेष है पूरी होना
जीवन मुक्ता डोर
क्योंकि नहीं मिट पाई दुख की
विगत साँवली कोर
ले युग की पतवार
बने अंबुधि समान रहना
पहरुए, सावधान रहना
ऊँची हुई मशाल हमारी
आगे कठिन डगर है।
शत्रु हट गया, लेकिन उसकी
छायाओं का डर है,
शोषण से मृत है समाज ,
कमज़ोर हमारा घर है।
किंतु आ रही नई जिंदगी
यह विश्वास अमर है।

प्रश्न

(क) कविता देश की कौन-सी सुखद घटना की ओर संकेत करती है?
(i) युद्ध में जीत
(ii) 15 अगस्त की सुखद घटना
(iii) गणतंत्र दिवस की सुखद घटना
(iv) विपत्तियों से छुटकारे की रात

(ख) ‘पहरुए’ की ‘दीपक’ और ‘अंबुधि’ के समान बने रहने को क्यों कहा गया है?
(i) क्योंकि दीपक ही प्रकाश देता है और अपनी गहराई से सबको प्रेरणा देता है।
(ii) दीपक और सागर के समान परोपकारी बनने की प्रेरणा
(iii) दीपक और सागर के समान अटल बनने की प्रेरणा
(iv) दीपक और सागर की तरह महान बनने की प्रेरणा

(ग) शोषण से मृत है समाज कमज़ोर हमारा घर है – पंक्ति का अर्थ क्या है?
(i) देश की हालत खास्ता है।
(ii) देश की आर्थिक स्थिति दयनीय है।
(iii) देश की सामाजिक स्थिति ठीक नहीं है।
(iv) देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था कमजोर है।

(घ) ‘ले युग की पतवार बने अंबुधि समान रहना’ पंक्ति में अलंकार है?
(i) उत्प्रेक्षा
(ii) रूपक
(iii) उपमा
(iv) मानवीकरण

उत्तर-

(क) (ii)
(ख) (i)
(ग) (iv)
(घ) (iii)

3. ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।
देखा माता का ऐसा रक्तिम श्रृंगार नहीं।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के वंदन के।
कंठ-कंठ में गान उमड़ते माँ के अर्चन के।
शीश-शीश में भाव उमड़ते माँ पर अर्पण के।
प्राण-प्राण में भाव उमड़ते शोणित तर्पण के।
जीवन की धारा में देखी ऐसी धार नहीं।
सत्य अहिंसा का व्रत अपना कोई पाप नहीं।
विश्व मैत्री का व्रत भी कोई अभिशाप नहीं।
यही सत्य है सदा असत की टिकती चाप नहीं।
सावधान हिंसक! प्रतिहिंसा की कोई माप नहीं।
कोई भी प्रस्ताव पराजय का स्वीकार नहीं।
ऐसा है आवेश देश में जिसका पार नहीं।

प्रश्न

(क) उपरोक्त पद्यांश में किसके आवेश’ का उल्लेख हुआ है?
(i) माता के
(ii) देश के
(iii) शत्रु के
(iv) इनमें से कोई नहीं

(ख) कवि के मतानुसार असत्य है
(i) स्थायी
(ii) व्रत
(iii) अभिशाप
(iv) अस्थायी

(ग) ‘रक्ति श्रृंगार’ का अर्थ है
(i) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना
(ii) रक्त बहाना
(iii) शत्रु का खून बहाना ।
(iv) उपरोक्त में से कोई नहीं

(घ) ‘शोणित तर्पण’ का अर्थ है
(i) खून बहाकर आक्रमणकारी के पितरों का श्राद्ध करना
(ii) शत्रु का शोषण करना
(iii) दुखी होकर श्राद्ध करना
(iv) वीर सपूतों का रक्त बलिदान करना

(ङ) पद्यांश में ‘माता’ का प्रतीक है–
(i) देवी की
(ii) विश्वमैत्री की
(iii) सत्य-अहिंसा की
(iv) राष्ट्र (देश) की

उत्तर-

(क) (ii)
(ख) (i)
(ग) (i)
(घ) (ii)
(ङ) (iv)

4. जग-जीवन में जो चिर महान,
सौंदर्यपूर्ण और सत्यप्राण,
मैं उसका प्रेमी बनूं नाथ!
जिससे मानव-हित हो समान!
जिससे जीवन में मिले शक्ति
छूटे भय-संशय, अंधभक्ति,
मैं वह प्रकाश बन सकें नाथ!
मिल जावे जिसमें अखिल व्यक्ति !

प्रश्न

(क) कवि ने ‘चिर महान’ किसे कहा है?
(i) मानव को
(ii) ईश्वर को
(iii) जो सत्य और सुंदर से संपूर्ण हो
(iv) शक्ति को

(ख) कवि कैसा प्रकाश बनना चाहता है?
(i) जिससे सब तरफ उजाला हो जाए।
(ii) अज्ञान का अंधकार दूर हो जाए
(iii) जो जीने की शक्ति देता है।
(iv) जिसमें मनुष्य सभी भेदभाव भुलाकर एक हो जाते हैं।

(ग) कवि ने ‘अखिल व्यक्ति का प्रयोग क्यों किया है?
(i) कवि समस्त विश्व के व्यक्तियों की बात करना चाहता है।
(ii) कवि अमीर लोगों की बात कहना चाहता है।
(iii) कवि भारत के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाहता है।
(iv) कवि ब्रह्मज्ञानी बनना चाहता है।

(घ) कवि ने कविता की पंक्तियों के अंत में विस्मयादिबोधक चिह्न प्रयोग क्यों किया है?
(i) कविता को तुकांत बनाने के लिए
(ii) कवि अपनी इच्छा प्रकट कर रहा है।
(iii) इससे कविता का सौंदर्य बढ़ता है।
(iv) पूर्ण विराम की लीक से हटने के लिए

(ङ) कविता का मूलभाव क्या है?
(i) कल्याण
(ii) अमरदान की प्राप्ति
(iii) विश्व-परिवार की भावना
(iv) सत्य की प्राप्ति

उत्तर-

(क) (ii)
(ख) (iv)
(ग) (i)
(घ) (ii)
(ङ) (iii)

5. ओ महमूदा मेरी दिल जिगरी
तेरे साथ मैं भी छत पर खड़ी हूँ
तुम्हारी रसोई तुम्हारी बैठक और गाय-घर में पानी घुस आया
उसमें तैर रहा है घर का सामान
तेरे बाहर के बाग का सेब का दरख्त
टूट कर पानी के साथ बह रहा है।
अगले साल इसमें पहली बार सेब लगने थे
तेरी बल खाकर जाती कश्मीरी कढ़ाई वाली चप्पल
हुसैन की पेशावरी जूती
बह रहे हैं गंदले पानी के साथ
तेरी ढलवाँ छत पर बैठा है।
घर के पिंजरे का तोता
वह फिर पिंजरे में आना चाहता है।
महमूदा मेरी बहन
इसी पानी में बह रही है तेरी लाडली गऊ
इसका बछड़ा पता नहीं कहाँ है।
तेरी गऊ के दूध भरे थन ।
अकड़ कर लोहा हो गए हैं।
जम गया है दूध
सब तरफ पानी ही पानी
पूरा शहर डल झील हो गया है।
महमूदा, मेरी महमूदा
मैं तेरे साथ खड़ी हूँ।
मुझे यकीन है छत पर जरूर
कोई पानी की बोतल गिरेगी
कोई खाने का सामान या दूध की थैली
मैं कुरबान उन बच्चों की माँओं पर
जो बाढ़ में से निकलकर ।
बच्चों की तरह पीड़ितों को
सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं।
महमूदा हम दोनों फिर खड़े होंगे
मैं तुम्हारी कमलिनी अपनी धरती पर…
उसे चूम लेंगे अपने सूखे होठों से
पानी की इसे तबाही से फिर निकल आएगा
मेरा चाँद जैसा जम्मू
मेरा फूल जैसा कश्मीर।

प्रश्न

(क) घर में पानी घुसने का कारण है
(i) नल और नाली की खराबी
(ii) बाँध का टूटना
(iii) प्राकृतिक आपदा
(iv) नदी में रुकावट

(ख) महमूदा की बहन को विश्वास नहीं है
(i) छत पर पानी की बोतल गिरेगी
(ii) कुछ खाने-पीने की सहायता पहुँचेगी
(iii) कोई हैलीकॉप्टर उन्हें बचाने छत पर आएगा
(iv) इस मुसीबत से निकल जाएँगे

(ग) “मेरा चाँद जैसा जम्मू
मेरा फूल जैसा कश्मीर’ का भावार्थ है
(i) जम्मू और कश्मीर में फिर से चाँद दिखने लगेगा,
(ii) जम्मू और कश्मीर का सौंदर्य वापिस लौटेगा,
(iii) जम्मू और कश्मीर स्वर्ग है,
(iv) जम्मू और कश्मीर चाँद और फूल जैसा सुंदर है,

(घ) कवयित्री माताओं पर क्यों न्यौछावर होना चाहती है?
(i) दूसरों को बचाने के कार्य में जुटी हैं।।
(ii) बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचा रही हैं।
(iii) स्वयं भूखी रहकर बच्चों की देखभाल करती हैं।
(iv) रसद पहुँचाने का कार्य कर रही हैं।

(ङ) पूरा शहर डल झील जैसा लग रहा है, क्योंकि
(i) डल झील का फैलाव बढ़ गया है।
(ii) पूरे शहर में पानी भर गया है।
(iii) पूरे शहर में शिकारे चलने लगे हैं।
(iv) झील में नगर का प्रतिबिंब झलक रहा है।

उत्तर-

(क) (iii)
(ख) (iv)
(ग) (ii)
(घ) (ii)
(ङ) (ii)

6. तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बँटवारे ने भीतर-भीतर
ऐसी-ऐसी डाह जगाई।
जैसे सरसों के खेतों में
सत्यानाशी उग-उग आई ॥
तेरे-मेरे बीच कहीं है टूट-अनटूटा पतियारा।।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
अपशब्दों की बंदनवारें
अपने घर हम कैसे जाएँ।
जैसे साँपों के जंगल में
पंछी कैसे नीड़ बनाएँ।
तेरे-मेरे बीच कहीं है भूला-अनभूला गलियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥
बचपन की स्नेहिल तसवीरें
देखें तो आँखें दुखती हैं।
जैसे अधमुरझी कोंपल से
ढलती रात ओस झरती है।
तेरे-मेरे बीच कहीं है बूझा-अनबूझा उजियारा।
संबंधों के महासमर में तू भी हारा मैं भी हारा॥

प्रश्न

(क) कविता से किस बँटवारे की बात हो सकती है?
(i) दो भाइयों का बँटवारा
(ii) दो देशों के बीच का बँटवारा
(iii) संपत्ति का बँटवारा
(iv) दो शरणार्थियों के बीच का बँटवारा

(ख) ‘तेरे-मेरे बीच कहीं है एक घृणामय भाईचारा’ का भाव है–
(i) परस्पर संबंधों में इतनी घृणा हो गई कि भाईचारा कहाँ रह गया।
(ii) जब परस्पर संबंधों में दरार आ जाती है तो भाईचारे का प्रश्न ही नहीं उठता।
(iii) परस्पर संबंधों के बीच घृणा के बीज बोए गए फिर भी भाईचारा बना रहा।
(iv) बँटवारे में घृणा के सिवाय और कुछ नहीं।

(ग) सरसों के खेतों में सत्यानाशी’ किसे कहा गया है?
(i) काम बिगाड़ने वाले लोगों को
(ii) दीमक को
(iii) लोगों को
(iv) परस्पर ईष्र्याभाव को

(घ) अपशब्दों की बंदनवारें’ कैसे प्रभावित करती हैं?
(i) मनुष्य को परेशान करती हैं।
(ii) अपनों से मिलने से रोकती हैं।
(iii) सजावट के काम आती हैं।
(iv) मेल-मिलाप की गुंजाइश नहीं रह जाती।

(ङ) बचपन की तसवीरें क्या आशा जगाती हैं?
(i) आँसुओं में मलिनता धुल जाएगी और उजाला होगा।
(ii) यौवन ठीक-ठाक गुजरेगा।
(iii) घर के बुजुर्ग शांति स्थापित कर पाएँगे।
(iv) बीता हुआ बचपन लौट आएगा।

उत्तर-

(क) (i)
(ख) (i)
(ग) (iv)
(घ) (ii)
(ङ) (i)

1. अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है।
मेरे वन में मृदुल वसंत, अभी न होगा मेरा अंत।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूंगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लँगा मैं,
अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको,
हैं मेरे वे जहाँ अनंत
अभी न होगा मेरा अंत।

प्रश्न

(क) कवि क्यों कहता है, अभी न होगा मेरा अंत’?
(i) अधिक जीना चाहता है।
(ii) जीवन के वसंत को भोगना चाहता है।
(iii) रचनाओं से अमर हो जाना चाहता है।
(iv) मीठे सपनों में खो जाना चाहता है।

(ख) जीने की चाह के पीछे कवि का मंतव्य है कि वह
(i) नए-नए पादपों की कलियाँ निहारेगा
(ii) जीवन रूपी वन में वसंत को सजाएगा
(iii) पौधों को सींचकर फूल खिलाएगा
(iv) जीवन भर वसंत में लीन रहेगा

(ग) फूलों से कवि आलस क्यों खींच लेना चाहता है?
(i) उन्हें सुगंधित करने के लिए।
(ii) उन्हें नया जीवन देने के लिए
(iii) उन्हें सहर्ष भेंट करने के लिए
(iv) उन्हें अमृत देने के लिए

(घ) कवि के अनुसार ‘कोमल गात’ हैं
(i) डालियाँ
(ii) कलियाँ
(iii) पत्तियाँ
(iv) लताएँ

(ङ) सोई कलियों को कवि कैसे जगाना चाहता है?
(i) कोमल हाथों के स्पर्श से
(ii) नवजीवन का संदेश देकर
(iii) वसंती हवा के झोंकों से
(iv) भौंरों के गुनगुनाने से

2. मैंने देखा
एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है।
उसके नीचे
कुछ छोटे-छोटे पौधे ।
बड़े सुशील विनम्र
देखकर मुझको यों बोले
हम भी कितने खुशकिस्मत हैं।
जो खतरों को नहीं सामना करते।
आसमान से पानी बरसे, आगी बरसे
आँधी गरजे
हमको कोई फ़िक्र नहीं है।
एक बड़े की वरद छत्रछाया के नीचे
हम अपने दिन बिता रहे हैं।
बड़े सुखी हैं।

प्रश्न

(क) इस कविता में ‘बरगद’ किसका प्रतीक है?
(i) रक्षक का
(ii) अभिभावक का
(iii) दयालु व्यक्ति का
(iv) हितचिंतक का

(ख) इनमें कौन-सा शब्द विशेषण नहीं है?
(i) छोटे-छोटे
(ii) छत्रछाया
(iii) विनम्र
(iv) सुशील

(ग) ‘आँधी गरजे’ से क्या तात्पर्य है?
(i) प्रसन्नता
(ii) खुशकिस्मत
(iii) मुसीबतें
(iv) वरद छत्रछाया

(घ) छोटे पौधे कैसा जीवन बिता रहे हैं?
(i) सुंदर और सुशील
(ii) कठिन
(iii) सुखी
(iv) खतरों से पूर्ण

(ङ) बरगद के पेड़ की क्या विशेषता होती है?
(i) बहुत छोटा होता है।
(ii) सदा पवित्रहीन होता है।
(iii) बहुत विशाल होता है।
(iv) बहुत कठोर होता है।

3. मैंने देखा
एक बड़ा बरगद का पेड़ खड़ा है।
उसके नीचे कुछ छोटे-छोटे पौधे
असंतुष्ट और “रुष्ट
देखकर मुझको यों बोले हम भी कितने बदकिस्मत हैं ।।
जो खतरों को नहीं सामना करते
वे कैसे ऊपर को उठ सकते हैं।
इसी बड़े की छाया ने ही
हमको बौना बना रखा
हम बड़े दुखी हैं।”

प्रश्न

(क) इस कविता में बरगद प्रतीक है
(i) बूढ़े व्यक्ति का
(ii) बड़े-बुजुर्गों का
(iii) पुरानी परंपराओं
(iv) रूढ़ियों का

(ख) ‘छोटे-छोटे पौधे’ प्रतीक हैं
(i) छोटे बच्चों का
(ii) नवजात शिशु का
(iii) नई पीढ़ी को
(iv) नई परंपराओं का

(ग) दूसरे अंश में छोटे-छोटे पौधे असंतुष्ट और रुष्ट हैं, क्योंकि
(i) वे बरगद को अपना दुश्मन मानते हैं।
(ii) वे बरगद को खतरनाक मानते हैं।
(iii) उन्हें बरगद से कोई लगाव नहीं है।
(iv) वे बरगद की छाया को अपने विकास में बाधा मानते हैं।

(घ) इनमें कौन-सा विशेषण नहीं है?
(i) छोटे-छोटे
(ii) असंतुष्ट
(iii) रुष्ट
(iv) छाया

(ङ) छोटे पौधे कैसी जीवन बिता रहे हैं?
(i) दुखी
(ii) प्रसन्न
(iii) सुखी
(iv) खतरों से पूर्ण

4. हम दीवानों की क्या हस्ती,
हैं आज यहाँ कल वहाँ चले।
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले।
सब कहते की रह गए, अरे।
तुम कैसे आए, कहाँ चले?
आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी।

प्रश्न

(क) दीवानों की सबसे बड़ी विशेषता है
(i) दीवाने एक बड़ी हस्ती हैं।
(ii) आँसू बहाते रहते हैं।
(iii) एक स्थान पर नहीं रहते।
(iv) किसी के साथ नहीं रहते।

(ख) दीवाने किस रूप में आते हैं?
(i) उल्लास बनकर
(ii) आँसू बनकर
(iii) धूल उड़ाते हुए
(iv) मस्ती के साथ

(ग) वे किस रूप में जाते हैं?
(i) धूल उड़ाते हुए
(ii) आँसू के रूप में बहकर
(iii) खुशियाँ छोड़कर
(iv) अनजान बनकर

(घ) दीवाने किसे कहा गया है?
(i) मनुष्य
(ii) यायावर
(iii) बादल
(iv) लेखक

(ङ) धूल उड़ाते हुए चलने से क्या तात्पर्य है?
(i) मिट्टी उड़ाना
(ii) दुनिया की परवाह न करना
(iii) कच्चे रास्तों पर चलना
(iv) सँभलकर न चलना।

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