NCERT Solutions | Class 11 Arthshastra Chapter 2

NCERT Solutions | Class 11 Arthshastra भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Bhartiya Arthvyavastha ka Vikas) Chapter 2 | भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990) 

NCERT Solutions for Class 11 Arthshastra भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Bhartiya Arthvyavastha ka Vikas) Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990)

CBSE Solutions | Arthshastra Class 11

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NCERT | Class 11 Arthshastra भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Bhartiya Arthvyavastha ka Vikas)

NCERT Solutions Class 11 Arthshastra
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11
Subject: Arthshastra
Chapter: 2
Chapters Name: भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990)
Medium: Hindi

भारतीय अर्थव्यवस्था (1950-1990) | Class 11 Arthshastra | NCERT Books Solutions

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NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 2 (Hindi Medium)

प्रश्न अभ्यास

(पाठ्यपुस्तक से)

प्र.1. योजना की परिभाषा दीजिए।
उत्तर :
योजना इसकी व्याख्या करती है कि देश के संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाना चाहिये।

प्र.2. भारत ने योजना को क्यों चुना?
उत्तर :
अंग्रेजों ने भारत को विभाजन की समस्याओं के साथ एक स्थिर और खोखली अर्थव्यवस्था के रूप में छोड़ दिया। इसने एक सर्वांगीण विकास योजना का आह्वान किया। यदि सरकार ने अर्थव्यवस्था को निजी हाथों में छोड़ दिया होता तो उन्होंने बड़े पैमाने पर उपस्थित गरीबी, बेरोजगारी की ओर न्यूनतम ध्यान दिया होता, जिससे देश के एक प्रमुख खंड को कष्टों का सामना करना पड़ता। हमें एक बड़े स्तर की योजना के साथ एक एकीकृत प्रयास की जरूरत थी जो सरकार केवल आर्थिक योजना प्रणाली द्वारा ही कर सकती थी। इसीलिए भारत ने योजना को चुना। |

प्र.3. योजनाओं के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
उत्तर :
कोई भी योजना बिना विशिष्ट और सामान्य लक्ष्यों के बनाना पूर्णतः अर्थहीन है। हर योजना में विशिष्टता के साथ कुछ लक्ष्य होना आवश्यक है। एक छात्र तक जब परीक्षा की तैयारी तक की योजना बनाता है तो उसके भी कुछ विशिष्ट लक्ष्य होते हैं। जैसे कब तक एक विशेष विषय को समाप्त करना है, तो हम बिना विशिष्ट लक्ष्यों के राष्ट्रीय योजनाओं के बारे में कैसे सोच सकते हैं। निश्चित रूप से योजनाओं के लक्ष्य होना जरूरी हैं जिन्हें सामान्य और विशिष्ट लक्ष्यों में वर्गीकृत किया जा सके।

प्र.4. उच्च पैदावार वाली किस्म (HYV) बीज क्या होते हैं?
उत्तर :
वे बीज जो पानी, उर्वरक, कीटनाशकों और अन्य सीमाती प्रदान किए जाने के आश्वासन उपरांत अधिक उत्पादन दें, उन्हें उच्च पैदावार वाली किस्म (HYV) के बीच कहा जाता है।

प्र.5. विक्रय अधिशेष क्या है?
उत्तर :
किसानों द्वारा उत्पादन का बाज़ार में बेचा गया अंश विक्रय अधिशेष कहलाता है।

प्र.6. कृषि क्षेत्रक में लागू किए गए भूमि सुधार की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
(क) भारत में बिचौलियों की एक बड़ी सेना थी जैसे जमींदार, महालावार, रैयत आदि जो वास्तविक किसान से किराया वसूल करते थे और उसका एक हिस्सा भू-राजस्व के रूप में सरकार के पास जमा कराते थे। वे किसानों के साथ दासों जैसा व्यवहार करते थे।

आवश्यकता
(क) बिचौलियों के उन्मूलन का उपाय वास्तविक जोतक और किसान के बीच सीधा संबंध स्थापित करने के लिए किया गया।
(ख) बंजर भूमि, जंगल आदि राज्य सरकार को हस्तांतरित करने के लिए।
(ग) भूमि वितरण में समानता लाने के लिए।
(घ) किसानों को भूमि का मालिक बनाने के लिए।

प्रकार
(क) जमींदारी प्रथा का उन्मूलन- सरकार और किसान के बीच में सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए जमींदारी प्रथा का उन्मूलन कर दिया गया ताकि किसानों के शोषण को दूर किया जा सके। इन बिचौलियों ने किसानों पर भारी शुल्क लगाए। परंतु सिंचाई सुविधाओं, भंडारण सुविधाओं, ऋण सुविधाओं, विपणन सुविधाओं की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

(ख) किरायेदारी सुधार- ये निम्नलिखित से संबंधित थे

  1. किराया विनियमन
  2. कार्यकाल सुरक्षा
  3. किरायेदारों के लिए स्वामित्व अधिकार

(ग) अधिकतम भूमि सीमा अधिनियम- इस अधिनियम के अंतर्गत किसी व्यक्ति की कृषि भूमि की अधिकतम सीमा निर्धारित कर दी गई।
कृषि के पुनगठन का संबंध

  1. भूमि के पुनर्वितरण
  2. भूमि चकबंदी
  3. सहकारी खेती से है।

प्र.7. हरित क्रांति क्या है? इसे क्यों लागू किया गया और इससे किसानों को क्या लाभ पहुँचा? संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
यह एक रणनीति थी; जो अक्टूबर 1965 में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी। इसे अलग-अलग नाम दिए गए; जैसे-नई कृषि नीति, बीज-उर्वरक पानी, प्रौद्योगिकी।

नई कृषि निति अपनाने से पूर्व भारतीय कृषि की परिस्थितियाँ इस प्रकार थी
(क) कृषि कम और अनियमित वृद्धि दर्शा रही थी।
(ख) कृषि में चरम क्षेत्रीय असमानता तथा बढ़ती हुई अंतर्वर्गीय असमानता थी।
(ग) लगातार दो वर्ष गंभीर सूखे की स्थिति थी।
(घ) पाकिस्तान के साथ भारत का युद्ध चल रहा था।
(ङ) अमेरिका ने भारत को पी.एल. 480 आयात करने से इंकार कर दिया।

इस स्थिति को सुधारने के लिए हरित क्रांति को अपनाया गया था। भारत ने खाद्यान्न अपूर्ति जैसी महत्त्वपूर्ण मद के लिए विदेशी मदद पर निर्भर न रहने का निर्णय किया। यही हरित क्रांति की उत्पत्ति बना जो एक जैव रासायनिक प्रौद्योगिकी थी, जिसके द्वारा उत्पादन की वैज्ञानिक विधियों का उपयोग करके प्रति एकड़ उत्पादन को बढ़ाया जाना था। 

हरित क्रांति के लाभ
(क) आय में बढ़ोतरी- क्योंकि हरित क्रांति काफी वर्षों तक गेहूँ और चावल तक सीमित था इसलिए इसका लाभ पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे गेहूँ और चावल उत्पादक क्षेत्रों को हुआ। इन राज्यों में किसानों की आय तेजी से बढी। हरित क्रांति इन राज्यों से गरीबी दूर करने में सफल रही।
(ख) सामाजिक क्रांति पर प्रभाव- आर्थिक क्रांति के साथ एक सामाजिक क्रांति भी थी। इसने पुराने सामाजिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों को नष्ट कर दिया और लोग प्रौद्योगिकी, बीज और उर्वरकों के परिवर्तन को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए। खेती की पारंपरिक विधियाँ खेती की आधुनिक विधियों में परिवर्तित हो गई।
(ग) रोज़गार में वृद्धि- हरित क्रांति की वजह से ज़मीन के एक टुकड़े पर एक से अधिक फसल उगाने की संभावना के साथ काफी हद तक मौसमी बेरोजगारी की समस्या हल हो गई क्योंकि इसमें कार्यशील हाथों की आवश्यकता पूरे वर्ष थी। इसके अतिरिक्त पैकेज आदानों के लिए बेहतर सिंचाई सुविधाओं की आवश्यकता थी। इससे भी रोजगार के अवसर बढ़े।

प्र.8. योजना उद्देश्य के रूप में “समानता के साथ संवृद्धि” की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
संवृद्धि और समानता दो संघर्षशील उद्देश्य हैं, अर्थात् एक को पाने के लिए दूसरे का त्याग करना होगा। कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार, ‘आय की समानता संवृद्धि में बाधक है क्योंकि इससे काम करने की प्रेरणा में कमी आती है। इसके अतिरिक्त आय की समानता से देश का उपभोग स्तर बढ़ जाता था तथा बचत स्तर कम हो जाता है। उपभोग अधिक होगा तो बचत कम होगी। बचत कम होने से निवेश के लिए धन की कमी होगी जिससे अर्थव्यवस्था की संवृद्धि दर में कमी आयेगी।

प्र.9. “क्या रोजगार सृजन की दृष्टि से योजना उद्देश्य के रूप में आधुनिकीकरण विरोधाभास पैदा करता है’? व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
उद्देश्यों में विरोधाभास का अर्थ है कि दो उद्देश्यों को एक साथ उपलब्ध नहीं कर सकते। एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए हमें दूसरे का बलिदान करना होगा।
आधुनिकीकरण और रोज़गार-

आधुनिकीकरण का अर्थ है उत्पादन की नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करना। नई तकनीकें अधिकतर पूँजी गहन होती है, अतः कम रोजगार उत्पन्न करती है। इसलिए यदि आधुनिकीकरण पर एक योजना लक्ष्य के रूप में बल दिया जाता है तो रोज़गार सृजन कम हो पायेगा। परंतु यह केवल अल्पकाल में होगा। जैसे-जैसे आधुनिकीकरण होगा पूँजीगत वस्तु उद्योगों का विकास होगा और वहाँ भिन्न-भिन्न प्रकार के रोज़गार अवसर सृजित होंगे। परंतु जिस तरह की नौकरियों का सृजन होगा उनके अनुसार श्रम में कौशल होना आवश्यक है।

प्र.10. भारत जैसे विकासशील देश के रूप में आत्मनिर्भरता का पालन करना क्यों आवश्यक था?
उत्तर :
स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारत गरीब, गतिहीन और पिछड़ा हुआ था। खाद्यान्नों का भारी आयात किया जा रहा था। इसलिए आत्मनिर्भर होना अति आवश्यक था। आत्मनिर्भरता की विशेषताएँ इस प्रकार हैं
(क) खाद्यान्नों में आत्मनिर्भर होना।
(ख) विदेशी मदद और आयातों पर निर्भरता में कमी जो तभी संभव है जब घरेलू उत्पादन में वृद्धि हो।
(ग) निर्यातों में वृद्धि।
(घ) सकल घरेलू उत्पाद में उद्योगों के योगदान में वृद्धि।

प्र.11. किसी अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक गठन क्या होता है? क्या यह आवश्यक है कि अर्थव्यवस्था के जी.डी.पी. में सेवा क्षेत्रक को सबसे अधिक योगदान करना चाहिए? टिप्पणी करें।
उत्तर :
एक अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद में तीनों क्षेत्रों के योगदान को अर्थव्यवस्था का क्षेत्रक गठन कहा जाता है। यदि किसी अर्थव्यवस्था के जी.डी.पी. में सेवा क्षेत्रक सबसे अधिक योगदान कर रहा है तो इसका अर्थ है कि हमारी अर्थव्यवस्था आर्थिक रूप से विकसित है।

प्र.12. योजना अवधि के दौरान औद्योगिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्र को ही अग्रणी भूमिका क्यों सौंपी गई थी?
उत्तर :
सार्वजनिक क्षेत्र निम्नलिखित प्रकार से उद्योगों के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है
(क) एक मजबूत औद्योगिक आधार बनाने के लिए।
(ख) बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए।
(ग) पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए।
(घ) बचत जुटाने और विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए।
(ङ) आर्थिक शक्ति की एकाग्रता को रोकने के लिए।
(च) आय और धन वितरण की समानता को बढ़ावा देने के लिए।
(छ) रोजगार प्रदान करने के लिए।
(ज) आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने के लिए।

प्र.13. इस कथन की व्याख्या करें: ‘हरित क्रांति ने सरकार को खाद्यान्नों के प्रापण द्वारा विशाल सुरक्षित भंडार बनाने के योग्य बनाया, ताकि वह कमी के समय उसका उपयोग कर सके।’
उत्तर :
हरित क्रांति नई कृषि तकनीक के उपयोग से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में होने वाली भारी वृद्धि को संदर्भित करता है। इसने एक दुर्लभतापूर्ण अर्थव्यवस्था को बहुतायत पूर्ण अर्थव्यवस्था में बदल दिया।

हरित क्रांति से उत्पादन तथा उत्पादकता में भारी परिवर्तन आया। हरित क्रांति ने लगातार उपस्थित खाद्यान्नों की कमी को दूर करने में मदद की। अधिक पैदावार वाली किस्मों का कार्यक्रम (HYP) केवल पाँच फसलों अर्थात् गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का तक ही प्रतिबंधित रहा। वाणिज्यिक फसलों को नई कृषि तकनीक के दायरे से बाहर रखा गया। गेहूँ उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि देखने में आई।

गेहूं का उत्पादन जो तीसरी पंचवर्षीय योजना में 12.1 मिलियन टन था, वह 2006 में बढ़कर 79.8 मिलियन टन हो गया। इसी तरह चावल का उत्पादन 1968-69 में 38.1 मिलियन टन से बढ़कर 2005-06 में 93.4 मिलियन टन हो गया। मोटे अनाजों का उत्पादन में 1968-69 में 26.1 मिलियन टन से मात्र 33.9 मिलियन टन तक बढ़ा।

प्र.14. सहायिकी किसानों को नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने को प्रोत्साहित तो करती है पर उसका सरकारी वित्त पर भारी बोझ पड़ता है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर सहायिकी की उपयोगिता की चर्चा करें।
उत्तर :
अलग-अलग अर्थशास्त्रियों के सहायिकी के विषय में अलग-अलग विचार है। कुछ सहायिकी का पक्ष लेते हैं तो कुछ इसके उन्मूलन पक्षधर हैं। अपने पक्ष के लिए वे जो तर्क देते हैं वे नीचे दिए गए हैं
सहायिकी के पक्ष में तर्क
(क) नई तकनीक अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए सहायिकी आवश्यक है।
(ख) अधिकांशतः किसान गरीब हैं। अतः वे सरकारी मदद के बिना नई तकनीक को वहन करने में सक्षम नहीं होंगे।
(ग) कृषि जोखिम भरा व्यवसाय है। अतः जो गरीब किसान इसका जोखिम उठाने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें सरकारी सहायता की आवश्यकता है।
(घ) यह सहायिकी न दी जाए तो नई तकनीक का लाभ केवल अमीर किसानों को होगा और इससे आय की असमानताएँ बढ़ेगी।
(ङ) सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सहायिकी का लाभ केवल गरीब किसानों को मिले।

सहायिकी के विप्क्ष तर्क
(क) सहायिकी का उद्देश्य पूरा हो चुका है, अतः इस चरणबद्ध रीति से हटा दिया जाना चाहिए।
(ख) सहायिकी का लाभ अमीर किसानों तथा उर्वरक कंपनियों को भी मिल रहा है जिसकी आवश्यकता नहीं है।
(ग) सहायिकी सरकारी वित्त पर भारी बोझ है जो अन्तत: आम आदमी को ही उठाना पड़ता है।

प्र.15. हरित क्रांति के बाद भी 1990 तक हमारी 65% जनसंख्या कृषि क्षेत्रक में ही क्यों लगी रही?
उत्तर :
हरित क्रांति के बाद भी 1990 तक हमारी 65% जनसंख्या कृषि क्षेत्रक में ही लगी रही। इसके कारण निम्नलिखित हैं
(क) हरित क्रांति पूरे देश में नहीं हुई। यह मुख्यत: पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सफल रही। अन्य राज्यों में कृषि पर निर्भर आबादी में गिरावट नहीं थी।
(ख) हरित क्रांति केवल कुछ फसलों तक ही सीमित थी। जिसमें मुख्य गेहूँ और चावल हैं। कुछ अर्थशास्त्री इसे गेहूँ क्रांति भी कहते हैं।
(ग) अन्य क्षेत्रों में वैकल्पिक नौकरियों का सृजन नहीं हुआ। इसने कृषि में प्रच्छन्न बेरोजगारी को जन्म दिया।

प्र.16. यद्यपि उद्योगों के लिए सार्वजनिक क्षेत्रक बहुत आवश्यक रहा है, पर सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक उपक्रम ऐसे हैं जो भारी हानि उठा रहे हैं और इस क्षेत्रक के अर्थव्यवस्था के संसाधनों की बर्बादी के साधन बने हुए हैं। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक क्षेत्रक के उपक्रमों की उपयोगिता पर चर्चा करें।
उत्तर :
यह. भलीभाँति ज्ञात है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम लाभार्जन नहीं बल्कि समाज कल्याण के उद्देश्य से संचालित किए जाते हैं। एक संस्था जो लाभ के लिए नहीं बल्कि समाज कल्याण के लिए कार्यरत हैं, उस उपयोगिता को लाभ के आधार पर आँकना गलत है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम लाभार्जन न कर रहे हो परंतु ये उपयोगी हैं क्योंकि
(क) ये एक मज़बूत औद्योगिक आधार का निर्माण करते हैं।
(ख) यह सामाजिक और आर्थिक ढाँचे के विकास में मदद करता है।
(ग) यह पिछड़े क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित है और क्षेत्रीय समानता को बढ़ावा देता है।
(घ) यह सत्ता को कुछ हाथों में एकाग्र होने से रोकता है।
(ङ) यह आय की असमानताओं को कम करता है।
(च) यह औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन करता है।

प्र.17. आयात प्रतिस्थापन किस प्रकार घरेलू उद्योगों को संरक्षण प्रदान करता है?
उत्तर :
आयात प्रतिस्थापन घरेलू उद्योग की रक्षा कर सकता है। ये विदेशी उत्पादकों को घरेलू बाजार में प्रवेश नहीं करने देते। इसीलिए भारतीय उत्पादकों को इन उत्पादकों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती, और वे उतने कुशल न होते हुए भी बाजार में जीवित रह सकते हैं। यह शैशव अवस्था तर्क पर आधारित थी कि भारतीय उद्योग अभी शैशव अवस्था में हैं इसलिए इन्हें विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। इसने विदेशी मुद्रा बचाने में भी मदद की जो विकास के लिए आवश्यक निर्यात के लिए उपयोग की जा सकती थी। इसने घेरलू स्तर पर उत्पादित वस्तुओं की माँग में भी वृद्धि की।

प्र.18. औद्योगिक नीति प्रस्ताव, 1956 में निजी क्षेत्रक का नियमन क्यों और कैसे किया गया था?
उत्तर :
औद्योगिक नीति प्रस्ताव ने उद्योगों को तीन वर्गों में बाँटा
(क) प्रथम श्रेणी में उन उद्योगों को शामिल किया गया जो पूर्णत: सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित थे तथा जिसमें निजी क्षेत्र को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इसमें 17 उद्योग शामिल थे।
(ख) दूसरी श्रेणी में वे उद्योग शामिल किए गए जिसमें निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका में पूरक की भूमिका निभा सकता है।
(ग) तीसरी श्रेणी में शेष सभी उद्योग शामिल थे जिसमें निजी क्षेत्र सहज प्रवेश कर सकता है।

प्र.19. निम्नलिखित युग्मों को सुमेलित कीजिए।
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 2 (Hindi Medium) 1
उत्तर :
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 2 (Hindi Medium) 2

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