NCERT Solutions | Class 11 Arthshastra भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Bhartiya Arthvyavastha ka Vikas) Chapter 4 | निर्धनता

CBSE Solutions | Arthshastra Class 11
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NCERT | Class 11 Arthshastra भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास (Bhartiya Arthvyavastha ka Vikas)
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 11 |
Subject: | Arthshastra |
Chapter: | 4 |
Chapters Name: | निर्धनता |
Medium: | Hindi |
निर्धनता | Class 11 Arthshastra | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions for Class 11 Economics Indian Economic Development Chapter 4 (Hindi Medium)
प्रश्न अभ्यास
पाठ्यपुस्तक से
प्र.1. कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए क्यों उपयुक्त नहीं है?
उत्तर :
कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि 2100/2400 कैलोरी एक मनुष्य जैसा जीवन जीने के लिए पर्याप्त नहीं है। यह एक संतुलन आहार की आवश्यकता को महत्त्व नहीं देता। एक गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के लिए एक व्यक्ति को वस्त्र, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, उचित स्वच्छ स्थितियाँ, ईंधन, बिजली आदि की भी आवश्यकता होती है। जब एक व्यक्ति की इन चीजों तक पहुँच होती है तब वह एक गुणवत्तापूर्ण जीवन जी सकता है।
प्र.2. ‘काम के बदले अनाज’ कार्यक्रम का क्या अर्थ है?
उत्तर :
राष्ट्रीय कार्य के बदले अनाज कार्यक्रम को प्रचलित रूप से काम के बदले अनाज’ कहा जाता है जिसे 2004 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश के आठ राज्यों नामित-गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और उत्तराखंड के सूखा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी रोजगार द्वारा खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है। खाद्य अनाज केंद्रीय सरकार द्वारा इन आठ राज्यों को उपलब्ध कराए जाते हैं। मजदूरी राज्य सरकार द्वारा आशिक रूप से नकद और खाद्य अनाजों के रूप में दी जा सकती है।
प्र.3. भारत में निर्धनता से मुक्ति पाने के लिए रोजगार सृजन करने वाले कार्यक्रम क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर :
निर्धनता और बेरोजगारी में एक कारण प्रभाव संबंध है। यदि हम बेरोज़गारी उन्मूलन कर दे गरीबी स्वतः दूर हो जायेगी। इसीलिए भारत सरकार ने गरीबी कम करने के लिए रोजगार सृजन कार्यक्रम शुरू किए हैं। अवश्य ही एक व्यक्ति आय के साधन या रोजगार के साधन की अनुपस्थिति में ही निर्धन होता है। यदि सरकार उसके लिए रोजगार का प्रबंध कर दे चाहे मजदूरी रोजगार चाहे स्वरोजगार के रूप में, तो वह निर्धनता के दुष्चक्र से बाहर आ सकता है।
प्र.4. आय अर्जित करने वाली परिसंपत्तियों के सृजन से निर्धनता की समस्या का समाधान किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर :
आय अर्जित करने वाली परिसंपत्तियाँ व्यक्ति को स्वरोजगार प्रदान करता है। जैसे ही एक व्यक्ति को स्वरोज़गार उपलब्ध हो जाता है उसके पास अपने निर्वाह के लिए आधारभूत आय आ जाती है। अत: व्यक्ति निर्धनता से बाहर आ जायेगा। इसे एक उदाहरण की सहायता से ज्यादा अच्छी तरह समझा जा सकता है। मान लो एक व्यक्ति निर्धनता रेखा से नीचे जी रहा है। सरकार उसे एक गाड़ी खरीदने के लिए कम ब्याज दर पर ऋण दे देती है। वह उससे बच्चों को स्कूल से घर और घर से स्कूल तक ले जा सकता है। अतः उसे स्वरोजगार मिल जायेगा और निर्धनता से बाहर आ जायेगा।
प्र.5. भारत सरकार द्वारा निर्धनता पर त्रि-आयामी प्रहार निर्धनता दूर करने में सफल नहीं रहा है। चर्चा करें।
उत्तर :
यह कहना बिल्कुल सही है कि भारत सरकार द्वारा निर्धनता पर त्रि-आयामी प्रहार निर्धनता दूर करने में सफल नहीं रहा है। त्रि-आयामी प्रहार में निम्नलिखित शामिल हैं
(क) संवृद्धि आधारित रणनीति
(ख) विशिष्ट निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम
(ग) न्यूनतम आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध कराना
परंतु इतने सारे कार्यक्रमों के बावजूद निर्धनों की संख्या जो 1973-74 में 321 मिलियन थी, वह 1999-00 में घटकर केवल 260 मिलियन रह गयी। 1990 के दशक में निर्धनता ग्रामीण क्षेत्रों में कम हुई तथा शहरी क्षेत्रों में बढ़ी जिसका सीधा अर्थ है कि निर्धनता उन्मूलन नहीं हुआ बल्कि निर्धनता ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित हुई है। ऐसा निम्नलिखित कारणों से हुआ है।
(क) देश की राजनैतिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार
(ख) कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन में पर्यवेक्षण का अभाव
(ग) लाभार्थी समूह में उनके लाभ के लिए कार्य कर लाभ कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता का अभाव।
(घ) शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए कोई कार्यक्रम न शुरू किया जाना। |
प्र.6. सरकार ने बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं की सहायतार्थ कौन-से कार्यक्रम अपनाए हैं?
उत्तर :
सरकार ने बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं की सहायतार्थ निम्नलिखित कार्यक्रम अपनाए हैं
(क) राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (एन.एस.ए.पी.)-इस कार्य के अंतर्गत गरीब घरों में बुजुर्ग, रोटी कमाने वाले की मृत्यु तथा प्रसूती देखभाल से प्रभावित लोगों को सामाजिक सहायता प्रदान की जाती है। यह कार्यक्रम 15 अगस्त 1995 को लागू किया गया। इस कार्यक्रम के तीन घटक हैं
- राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (एन.ए.ओ.एस
- राष्ट्रीय परिवार हितकारी योजना (एन.ए.बी.एस.)
- राष्ट्रीय मातृत्व हितकारी योजना (एन.एम.बी.एस.)
2. अन्नपूर्णा- यह योजना अप्रैल, 2000 को शुरू की गई थी। यह 100% केंद्रीय प्रयोजित योजना है। यह उन वरिष्ठ नागरिकों को कैलोरी आवश्यकता को खाद्य सुरक्षा प्रदान करके पूरा करती है जो राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत पेंशन पाने के योग्य हैं परंतु उन्हें पेंशन मिल नहीं रही है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत खाद्य अनाज 2 रुपये प्रति किलो गेहूँ और 3 रुपये प्रति किलो चावल की रियायती दर पर उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में यह योजना पूरे भारत में कार्य कर रही है और 6.08 लाख परिवार इससे लाभ उठा रहे हैं। |
प्र.7, क्या निर्धनता और बेरोज़गारी के बीच कोई संबंध है? समझाइए।
उत्तर :
निर्धनता और बेरोजगारी के बीच वृत्तीय संबंध है। यदि एक व्यक्ति बेरोजगार है तो उसके पास आजीविका का कोई साधन नहीं होगा। वह अपने जीवन की आधारभूत आवश्यकताएँ खरीदने में भी सक्षम नहीं होगा। अत: वह निर्धन ही बना रहेगा।
प्र.8. मान लीजिए कि आप एक निर्धन परिवार से हैं और छोटी-सी दुकान खोलने के लिए सरकारी सहायता पाना चाहते हैं। आप किस योजना के अंतर्गत आवेदन देंगे और क्यों?
उत्तर :
हम किस योजना के अंतर्गत आवेदन देंगे वह इस पर निर्भर करता है कि हम ग्रामीण क्षेत्र के निवासी हैं या शहरी क्षेत्र के। यदि हम शहरी क्षेत्र के निवासी हैं तो हमें।
- स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना के अंतर्गत मदद मिल सकती है। यदि हम ग्रामीण क्षेत्र के निवासी हैं तो हमें
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
- ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम ।
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना के अंतर्गत सहायता मिल सकती है।
प्र.9. ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अंतर स्पष्ट करें। क्या यह करना सही होगा कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है? अपने उत्तर के पक्ष में निर्धनता अनुपात प्रवृत्ति का प्रयोग करें।
उत्तर :
स्वतंत्रता के समय से ग्रामीण बेरोजगारी शहरी बेरोज़गारी से अधिक रही है। यह कहना सही होगा कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है। ग्रामीण क्षेत्र में छोटे तथा सीमांत किसान और कृषि श्रमिकों में मौसमी तथा प्रच्छन्न बेरोज़गारी है। वे कर्ज के जंजाल में भी फँस जाते हैं। ऐसे हालात में वे एक बेहतर आय की आशा में शहरों की ओर भागते हैं। इन क्षेत्रों में वे रेड़ी विक्रेता, रिक्शा चालकों तथा अनियत दिहाड़ी मजदूरों के रूप में काम करते हैं और शहरी बेरोज़गारी को बढ़ाते हैं।
समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि से, निर्धनता रेखा से नीचे रहने वालों की संख्या उतनी कम नहीं हुई जितना उनका प्रतिशत कम हुआ है।
प्र.10. मान लीजिए कि आप किसी गाँव के निवासी हैं। अपने गाँव से निर्धनता निवारण के कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर :
मैं गाँवों से निर्धनता निवारण के लिए निम्नलिखित सुझाव दे सकता/सकती हूँ
(क) मानव पूँजी निर्माण, विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य पर सही रीति व्यय करना।
(ख) विभिन्न सरकारी योजनाओं के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना।
(ग) स्वरोजगार शुरू करने के लिए आसान ऋण उपलब्ध कराना।
(घ) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना।
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