NCERT Solutions | Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1)) Chapter 4 | Map Projections (मानचित्र प्रक्षेप)

CBSE Solutions | Geography Class 11
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NCERT | Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1))
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 11 |
Subject: | Geography |
Chapter: | 4 |
Chapters Name: | Map Projections (मानचित्र प्रक्षेप) |
Medium: | Hindi |
Map Projections (मानचित्र प्रक्षेप) | Class 11 Geography | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 (Hindi Medium)
NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 4 Map Projections (Hindi Medium)
[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)
प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) मानचित्र प्रक्षेप, जो कि विश्व के मानचित्र के लिए न्यूनतम उपयोगी है
(क) मर्केटर
(ख) बेलनी
(ग) शंकु
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(ग) शंकु(ii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जो न समक्षेत्र हो एवं न ही शुद्ध आकार वाला हो तथा जिसकी दिशा भी शुद्ध नहीं होती है
(क) शंकु
(ख) ध्रुवीय शिराबिंदु
(ग) मर्केटर
(घ) बेलनी
उत्तर :
(क) शंकु(iii) एक मानचित्र प्रक्षेप, जिसमें दिशा एवं आकृति शुद्ध होती है, लेकिन ध्रुवों की ओर यह बहुत अधिक विकृत हो जाती है
(क) बेलनाकार समक्षेत्र
(ख) मर्केटर
(ग) शंकु
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(ख) मर्केटर(iv) जब प्रकाश के स्रोत को ग्लोब के मध्य रखा जाता है, तब प्राप्त प्रक्षेप को कहते हैं
(क) लंबकोणीय
(ख) त्रिविम
(ग) नोमॉनिक
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(ग) नोमॉनिकप्र० 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें
(i) मानचित्र प्रक्षेप के तत्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
मानचित्र प्रक्षेप के तत्व निम्नलिखित हैं(क) पृथ्वी का छोटा रूप – पृथ्वी के मॉडल को छोटी मापनी की सहायता से कागज के समतल सतह पर दर्शाया जाता है।
(ख) अक्षांश के समांतर – ये ग्लोब के चारों ओर स्थित वे वृत्त हैं जो विषुवत्त वृत्त के समांतर एवं ध्रुवों से समान दूरी पर स्थित होते हैं।
(ग) देशांतर के याम्योत्तर – ये अर्धवृत्त होते हैं। जो कि उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर, एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव तक खींचे जाते हैं तथा दो विपरीत याम्योत्तर एक वृत्त का निर्माण करते हैं| जो ग्लोब की परिधि होती है।
(घ) ग्लोब के गुण – मानचित्र प्रक्षेप बनाने में ग्लोब की सतह के मूल गुणों को कुछ विधियों के द्वारा संरक्षित रखा जाता है।
(ii) भूमंडलीय संपत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :
एक मानचित्र में चार भूमंडलीय गुण- क्षेत्रफल, आकृति, दिशा और दूरी की शुद्धता को संरक्षित रखा जाता है। भूमंडलीय गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को समक्षेत्र, यथाकृतिक तथा समदूरस्थ प्रक्षेप में वर्गीकृत किया जाता है।(iii) कोई भी मानचित्र ग्लोब को सही रूप में नहीं दर्शाता है, क्यों?
उत्तर :
मानचित्र प्रक्षेप अक्षांश और देशांतर रेखाओं का जाल होता है। यह समतल कागज पर बनाया जाता है। ग्लोब पृथ्वी का सही प्रतिनिधित्व करता है। प्रक्षेप ग्लोब की छाया होती है जो कुछ स्थानों पर विकृत हो जाता है। इस तरह प्रक्षेप ग्लोब को सही रूप में नहीं दर्शाता।(iv) बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप में क्षेत्र को समरूप कैसे रखा जाता है?
उत्तर :
बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप को समरूप रखा जाता है। अक्षांश और देशांतर रेखाएँ सीधी रेखा के रूप में एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं।प्र० 3. अन्तर स्पष्ट कीजिए|
(i) विकासनीय एवं अविकासनीय पृष्ठ
उत्तर :
विकासनीय एवं अविकासनीय पृष्ठ में अन्तर-
(ii) समक्षेत्र तथा यथाकृतिक प्रक्षेप
उत्तर :
समक्षेत्र तथा यथाकृतिक प्रक्षेप में अंतर
(iii) अभिलंब एवं तिर्यक प्रक्षेप
उत्तर :
अभिलंब एवं तिर्यक प्रक्षेप में अंतर–
(iv) अक्षांश के समांतर एवं देशांतर के याम्योत्तर
उत्तर :
अक्षांश के समांतर एवं देशांतर के याम्योत्तर में अंतर-
प्र० 4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दीजिए-
(i) मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण करने के आधार की विवेचना कीजिए तथा प्रक्षेपों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
मानचित्र प्रक्षेप का वर्गीकरण करने के आधार|(i) बनाने की तकनीक/विधि के आधार पर प्रक्षेपों को सामान्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। संदर्श, असंदर्श तथा रूढ़ अथवा गणितीय प्रक्षेप।
(ii) विकासनीय पृष्ठ के गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को बेलनी, शंकु तथा खमध्य प्रक्षेपों में वर्गीकृत किया जाता है।
(iii) भूमंडलीय गुणों के आधार पर प्रक्षेपों को समक्षेत्र प्रक्षेप, यथाकृतिक प्रक्षेप, समदूरस्थ प्रक्षेप में वर्गीकृत किया जाता है।
(iv) प्रकाश के स्रोत की स्थिति के आधार पर प्रक्षेपों को नोमॉनिक, त्रिविम एवं लंबकोणीय प्रक्षेपों में वर्गीकृत किया जाता है।
(v) ग्लोब की सतह को स्पर्श करने की स्थिति के आधार पर प्रक्षेपों को अभिलंब प्रक्षेप त्रिर्यक प्रक्षेप तथा ध्रुवीय प्रक्षेप में वर्गीकृत किया जाता है।
प्रक्षेप की मुख्य विशेषताएँ
(i) यह न तो समक्षेत्र है और न ही शुद्ध आकृति।
(ii) अक्षांश रेखाएँ समान दूरी पर खिंची संकेंद्रीय वृत्तों की चाप होती हैं एवं देशांतर रेखाएँ समान कोणात्मक अन्तरालों पर खिंची अरीय रेखीय होती है।
(iii) केंद्र या ध्रुव से प्रत्येक बिंदु अपनी यथार्थ दूरी पर तथा शुद्ध दिशा में स्थित होता है।
(iv) अक्षांशीय मापक शुद्ध नहीं होता है, यह मानक अक्षांश से परे तेज गति से बढ़ता जाता है। देशांतरीय मापक सर्वत्र शुद्ध रहता है।
(ii) कौन-सा मानचित्र प्रक्षेप नौसंचालन उद्देश्य के लि बहुत उपयोगी होता है? इस प्रक्षेप की सीमाओं एवं उपयोगों की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
मर्केटर प्रक्षेप नौसंचालन उद्देश्य के लिए बहुत उपयोगी होता है।मर्केटर प्रक्षेप की सीमाएँ
(i) याम्योत्तर एवं अक्षांशों के सहारे मापनी का विस्तार उच्च अक्षांशों पर तीव्रता से बढ़ता है। जिसके परिणामस्वरूप, ध्रुव के निकटवर्ती देशों को आकार उनके वास्तविक आकार से अधिक हो जाता है। उदाहरण के लिए ग्रीनलैंड का आकार संयुक्त राज्य अमेरिका के बाराबर हो जाता है, जबकि यह अमेरिका के आकार का 1/10वाँ हिस्सा है।
(ii) इस प्रक्षेप में ध्रुवों को प्रदर्शित नहीं किया जा सकता। है, क्योंकि 90° अक्षांश समांतर एवं याम्योतर रेखाएँ अनंत होती है।
मर्केटर प्रक्षेप का उपयोग
(i) यह विश्व के मानचित्र के लिए बहुत ही उपयोगी है। तथा एटलस मानचित्रों को बनाने में इसका उपयोग किया जाता है।
(ii) यह समुद्र एवं वायु मार्गों पर नौसंचालन के लिए बहुत ही उपयोगी है।
(iii) अपवाह प्रतिरूपों, समुद्री धाराओं, तापमान, पवनों एवं उनकी दिशाओं, पूरे विश्व में वर्षा का वितरण इत्यादि को मानचित्र पर दर्शाने के लिए यह उपयुक्त है।
(iii) एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण क्या हैं तथा उसकी सीमाओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :
एक मानक अक्षांश वाले शंकु प्रक्षेप के मुख्य गुण|(i) सभी अक्षांशों के समांतर वृत्तों के चाप होते हैं तथा उनके बीच की दूरी बराबर होती है।
(ii) सभी याम्योत्तर रेखाएँ सीधी होती हैं, जो ध्रुवों पर मिल जाती हैं। याम्योत्तर समांतर को समकोण पर काटती हैं।
(iii) सभी याम्योत्तरों की मापनी सही होती है, अर्थात् याम्योत्तरों पर सारी दूरियाँ सही होती हैं।
(iv) एक वृत्त का चाप ध्रुव को दर्शाता है।
(v) मानक समांतर पर मापनी शुद्ध होती है, लेकिन इससे दूर यह विकृत हो जाती है।
(vi) याम्योत्तर ध्रुवों के निकट जाते हुए एक-दूसरे के समीप आ जाते हैं।
(vii) यह प्रक्षेप न तो समक्षेत्र है तथा न ही यथाकृतिक।
सीमाएँ
(i) यह विश्व मानचित्र के लिए उपयुक्त नहीं है, क्योंकि जिस गोलार्द्ध में मानक अक्षांश वृत्त चुना जाता है। उसके विपरीत गोलार्द्ध में चरम विकृति होती है।
(ii) जिस गोलार्द्ध में यह बनाया जाता है, उसके लिए भी यह उपयुक्त नहीं है, क्योंकि उसमें भी ध्रुव पर तथा विषुवत वृत्त के पास विकृत होने के कारण इसका उपयोग बड़े क्षेत्र को प्रदर्शित करने के लिए अनुपयुक्त है।
क्रियाकलाप
1. 30° उ० से 70° उ० तथा 40° प० से 30° प० के बीच स्थित एक क्षेत्र का रेखाजाल एक मानक अक्षांश वाले सामान्य शंकु प्रक्षेप पर बनाइए, जिसकी मापनी 1 : 20,00,00,000 तथा मध्यांतर 10° है।
2. विश्व का रेखाजाल बेलनाकार समक्षेत्र प्रक्षेप पर बनाइए, जहाँ प्रतिनिधि भिन्न 1:15,00,00,000 तथा मध्यांतर 15° है।
3. 1 : 25,00,00,000 की मापनी पर एक मर्केटर प्रक्षेप का रेखाजाल बनाइए, जिसमें अक्षांश एवं देशांतर 20° के मध्यांतर पर खींची जाए।
उत्तर :
छात्र स्वयं करें।NCERT Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1))
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