NCERT Solutions | Class 11 Geography Chapter 6

NCERT Solutions | Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1)) Chapter 6 | Introduction to Aerial Photographs (वायव फोटो का परिचय) 

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1)) Chapter 6 Introduction to Aerial Photographs (वायव फोटो का परिचय)

CBSE Solutions | Geography Class 11

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NCERT | Class 11 Geography Practical Work in Geography (खण्ड 3: भूगोल में प्रयोगात्मक कार्य (भाग-1))

NCERT Solutions Class 11 Geography
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11
Subject: Geography
Chapter: 6
Chapters Name: Introduction to Aerial Photographs (वायव फोटो का परिचय)
Medium: Hindi

Introduction to Aerial Photographs (वायव फोटो का परिचय) | Class 11 Geography | NCERT Books Solutions

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NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 (Hindi Medium)

NCERT Solutions for Class 11 Geography Practical Work in Geography Chapter 6 Introduction to Aerial Photographs (Hindi Medium)

[NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED] (पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न)

प्र० 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न
(i) निम्नलिखित में से किन वायव फोटो में क्षितिज तल प्रतीत होता है?
(क) ऊर्ध्वाधर
(ख) लगभग ऊर्ध्वाधर
(ग) अल्प तिर्यक
(घ) अति तिर्यक

उत्तर :

(घ) अति तिर्यक

(ii) निम्नलिखित में से किन वायव फोटो में अधोबिंदु एवं प्रधान बिंदु एक-दूसरे से मिल जाते हैं?
(क) ऊर्ध्वाधर
(ख) लगभग ऊध्र्ध्वाधर
(ग) अल्प तिर्यक
(घ) अति तिर्यक

उत्तर :

(क) ऊर्ध्वाधर

(iii) वायव फोटो निम्नलिखित प्रक्षेपों में से किसका एक प्रकार है?
(क) समांतर
(ख) लंबकोणीय।
(ग) केंद्रक
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर :

(ग) केंद्रक

प्र० 2. लघु उत्तरीय प्रश्न
(i) वायव फोटो किस प्रकार खींचे जाते हैं?

उत्तर :

वायवे फोटो वायुयान या हेलीकॉप्टर में रखे गए कैमर द्वारा लिए जाते हैं। विशेष रूप से वायुयानों में प्रयोग किए जाने वाले परिशुद्ध कैमरे से, जिसे वायु कैमरा कहते हैं। इन फोटो चित्रों द्वारा बहुत ही कम समय में भूतल के विभिन्न तथ्यों की विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

(ii) भारत में वायव फोटो का संक्षिप्त में वर्णन करें।

उत्तर :

भारत में सबसे पहले 1920 में बड़े पैमाने पर आगरा शहर का वायव फोटो लिया गया था। उसके बाद भारतीय सर्वेक्षण विभाग के वायु सर्वेक्षण के द्वारा इरावदी डेल्टा के वनों का वायु सर्वेक्षण किया गया जो कि 1923-24 के दौरान पूरा हुआ था। इसके बाद इसी प्रकार के अनेक सर्वेक्षण किए गए तथा वायव फोटो से मानचित्र बनाने की उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया। आजकल भारत में पूरे देश का वायव फोटो वायु सर्वेक्षण निदेशालय नई दिल्ली की देख-रेख में किया जाता है। तीन उड्डयन एजेंसियों-भारतीय वायु सेना, वायु सर्वेक्षण कंपनी तथा राष्ट्रीय सुदूर संवेदी संस्था को भारत में वायव फोटो लेने के लिए सरकारी तौर पर अधिकृत किया गया है।

प्र० 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों में दें
(i) वायव फोटो के महत्वपूर्ण उपयोग कौन-कौन से हैं?

उत्तर :

वायव फोटो का उपयोग स्थलाकृतिक मानचित्रों को खींचने एवं उनका निर्वचन करने के लिए किया जाता है। इन दो विभिन्न उपयोगों के कारण फोटोग्राममिति तथा फोटो/प्रतिबिंब निर्वचन के रूप में दो स्वतंत्र, लेकिन एक-दूसरे से संबंधित विज्ञानों का विकास हुआ। फोटोग्राममिति-यह वायवे फोटो के द्वारा विश्वसनीय मापन का विज्ञान एवं तकनीक है। फोटोग्राममिति के सिद्धांत, इस प्रकार के फोटो की परिशुद्ध लम्बाई, चौड़ाई एवं ऊँचाई की माप प्रदान करते हैं। इसलिए स्थलाकृतिक मानचित्रों को तैयार करने एवं उन्हें अद्यतन बनाने में, ये अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होते हैं।

प्रतिबिंब निर्वचन – यह वस्तुओं के स्वरूपों को पहचानने तथा उनके सापेक्षिक महत्व से संबंधित निर्णय लेने की प्रक्रिया है। प्रतिबिंब निर्वचन के सिद्धान्त के प्रयोग से वायव फोटो की गुणात्मक जानकारियाँ ज्ञात की जा सकती हैं, जैसे- भूमि उपयोग, स्थलाकृतियों के प्रकार, मिट्टी के प्रकार इत्यादि। इस प्रकार, एक दक्ष इंटरप्रेटर वायव फोटो का उपयोग करके वातावरणीय प्रक्रम एवं कृषि-भूमि उपयोगों में परिवर्तन का विश्लेषण करता है।

उपयोगों में परिवर्तन का विश्लेषण करता है।

(ii) मापनी को निर्धारित करने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?

उत्तर :

फोटो की मापनी की गणना के लिए तीन विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं, जो विभिन्न सूचनाओं पर आधारित होती हैं।
प्रथम विधि – फोटो एवं धरातलीय दूरी के बीच संबंध स्थापित करना : यदि वायव फोटो में कोई अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध है, जैसे-धरातल पर दो। पहचानने योग्य बिन्दुओं की दूरी, तो एक ऊर्ध्वाधर फोटो की मापनी सरलतापूर्वक प्राप्त की जा सकती है। यदि वायव फोटो पर मापी गई दूरी Dp के साथ धरातल Dg की संगत दूरी ज्ञात हो, तो वायव फोटो की मापनी को इन दोनों के अनुपात यानी Dp Dg में मापा जाएगा।
द्वितीय विधि – फोटो दूरी एवं मानचित्र दूरी में संबंध स्थापित करना : धरातल पर विभिन्न बिंदुओं के बीच की दूरी हमेशा ज्ञात नहीं होती है। किन्तु अगर एक वायव फोटो पर दिखाए गए क्षेत्र का मानचित्र उपलब्ध हो, तो इसका उपयोग फोटो मापनी को ज्ञात करने में किया जा सकता है।
तृतीय विधि – फोकस दूरी एवं वायुयान की उड़ान ऊँचाई के बीच संबंध स्थापित करना : यदि मानचित्र एवं फोटोग्राफ की सापेक्ष दूरियों की कोई भी अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध नहीं हो, लेकिन कैमरे की फोकस दूरी तथा वायुयान की उड़ान-ऊँचाई के संबंध में जानकारी हो तो फोटो मापनी प्राप्त की जा सकती है। यदि दिया गया वायव फोटो पूर्ण अथवा आंशिक रूप से ऊर्ध्वाधर हो तथा चित्रित भू-भाग समतल हो तो प्राप्त फोटो मापनी की शुद्धता अधिक होगी। अधिकतर उर्ध्वाधर फोटो में कैमरे की फोकस दूरी f तथा वायुयान की उड़ान-ऊँचाई H को सीमांत जानकारी के रूप में लिया जाता है।

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