CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण समास

CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण समास

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समास CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण समास

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CBSE Class 10 Hindi B व्याकरण समास Textbook Questions and Answers

नए शब्द बनाने के लिए जिन प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है उनमें समास प्रमुख है।
‘समास’ शब्द का अर्थ है-संक्षिप्त करने की प्रक्रिया या संक्षेपीकरण अर्थात् जब दो या दो से अधिक शब्दों को पास-पास लाकर एक नया सार्थक शब्द बनाया जाता है तो शब्दों को इस तरह संक्षेप करने की प्रक्रिया को समास कहते हैं; जैसे –

हवन के लिए सामग्री = हवन सामग्री
कमल के समान नयन है जिसके अर्थात् श्रीराम = कमलनयन
नियम के अनुसार = नियमानुसार
गायों के लिए शाला = गौशाला
डाक के लिए खाना (घर) = डाकखाना

समस्त पद – सामासिक प्रक्रिया में बने नए शब्द को समस्त पद कहते हैं; जैसे –
पुस्तक के लिए आलय = पुस्तकालय
समुद्र तक = आसमुद्र
राजा और रानी = राजा-रानी

पूर्व पद – समस्त पद के पहले पद को पूर्व पद कहते हैं; जैसे –

राजा का कुमार = राजकुमार
मन से चाहा हुआ = मनोवांछित
देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
इन समस्त पदों में राज, मनो और देश पूर्व पद हैं।

उत्तर पद-समस्त पद के अंतिम पद को उत्तर पद कहते हैं; जैसे –

स्थिति के अनुसार = यथास्थिति
प्रत्येक दिन = प्रतिदिन
नीला है गगन = नीलगगन

इन समस्त पदों में स्थिति, दिन और गगन उत्तर पद हैं।

समास विग्रह
सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै जैसे-राज+पुत्र-राजा का पुत्र।

समास की विशेषताएँ –

(i) समास में दो या दो से अधिक पदों का मेल होता है।
(ii) समास में शब्द पास-पास आकर नया शब्द बनाते हैं।
(iii) पदों के बीच विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है।
(iv) समास से बने शब्द में कभी उत्तर पद प्रधान होता है तो कभी पूर्व पद और कभी-कभी अन्य पद। इसके अलावा कभी कभी दोनों पद प्रधान होते हैं।

समास के भेद-समास के निम्नलिखित छह भेद होते हैं –
(क) अव्ययीभाव समास
(ख) तत्पुरुष समास
(ग) कर्मधारय समास
(घ) द्विगु समास
(ङ) द्वंद्व समास
(च) बहुव्रीहि समास

(क) अव्ययीभाव समास – जिस समास में पूर्व पद प्रधान एवं अव्यय होता है तथा समस्त पद भी प्रधान होता है, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसका उत्तर पद संज्ञा या विशेषण होता है। समास किये जाने के पहले दोनों पदों का भाव अलग-अलग होता है।
उदाहरण –

आकण्ठ - कंठ से लेकर

आजीवन - जीवन-भर

यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार

यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार

यथाविधि- विधि के अनुसार

यथाक्रम - क्रम के अनुसार

भरपेट- पेट भरकर

हररोज़ - रोज़-रोज़

हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में

रातोंरात - रात ही रात में

प्रतिदिन - प्रत्येक दिन

बेशक - शक के बिना

निडर - डर के बिना

निस्संदेह - संदेह के बिना

प्रतिवर्ष - हर वर्ष

आमरण - मरण तक

खूबसूरत - अच्छी सूरत वाली

निःसंदेह - बिना संदेह के

गली-गली - प्रत्येक गली

गाँव-गाँव - प्रत्येक गाँव

घर-घर - प्रत्येक घर

घड़ी-घड़ी - प्रत्येक घड़ी

दिनोदिन - प्रत्येक दिन


(ख) तत्पुरुष समास – जिस सामासिक शब्द का दूसरा पद प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच लगी विभक्ति या विभक्ति चिह्नों का लोप हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

उदाहरण –

मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार

काल को जीतने वाला — कालजयी

राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही

खुद को मारने वाला — आत्मघाती

मांस को खाने वाला — मांसाहारी

शाक को खाने वाला — शाकाहारी

विभक्तियों के आधार पर तत्पुरुष समास के छह उपभेद हैं –

(i) कर्म तत्पुरुष- इसमें ‘कर्म कारक’ की विभक्ति (विभक्ति चिह्न) ‘को’ का लोप हो जाता है।
उदाहरण –

ग्रामगत : ग्राम को गया हुआ।

यशप्राप्त : यश को प्राप्त।

स्वर्गगत : स्वर्ग को गया हुआ।

ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने वाला।

माखनचोर : माखन को चुराने वाला।

सम्मानप्राप्त : सम्मान को प्राप्त

परलोकगमन : परलोक को गमन।

शरणागत : शरण को आया हुआ।

आशातीत : आशा को लाँघकर गया हुआ।

सिरतोड़ : सिर को तोड़ने वाला।

गगनचुम्बी : गगन को चूमने वाला।

रथचालक : रथ को चलाने वाला।

जेबकतरा : जेब को कतरने वाला।

(ii) करण तत्पुरुष – इसमें ‘करण कारण’ की विभक्ति (विभक्ति चिह्नों) ‘से’, ‘के द्वारा’ का लोप हो जाता है।

उदाहरण –

करुणापूर्ण : करुणा से पूर्ण

शोकाकुल : शौक से आकुल

वाल्मीकिरचित : वाल्मीकि द्वारा रचित

शोकातुर : शोक से आतुर

कष्टसाध्य : कष्ट से साध्य

मनमाना : मन से माना हुआ

शराहत : शर से आहत

अकालपीड़ित : अकाल से पीड़ित

भुखमरा : भूख से मरा

सूररचित : सूर द्वारा रचित

आचार्कुशल : आचार से कुशल

रसभरा : रस से भरा

मनचाहा : मन से चाहा

(iii) संप्रदान तत्पुरुष – इसमें ‘संप्रदान कारक’ की विभक्ति ‘को’, ‘के लिए’ का लोप हो जाता है।

उदाहरण –

प्रयोगशाला : प्रयोग के लिए शाला

डाकगाड़ी : डाक के लिए गाडी

रसोईघर : रसोई के लिए घर

यज्ञशाला : यज्ञ के लिए शाला

देशार्पण : देश के लिए अर्पण

गौशाला : गौओं के लिए शाला

सत्याग्रह : सत्य के लिए आग्रह

पाठशाला : पाठ के लिए शाला

देशभक्ति : देश के लिए भक्ति

विद्यालय : विद्या के लिए आलय

हथकड़ी : हाथ के लिए कड़ी

सभाभवन : सभा के लिए भवन

लोकहितकारी : लोक के लिए हितकारी

देवालय : देव के लिए आलय

राहखर्च : राह के लिए खर्च

(iv) अपादान तत्पुरुष – इसमें ‘अपादान कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘से अलग’ का लोप होता है।

उदाहरण –

ऋणमुक्त : ऋण से मुक्त

धनहीन : धन से हीन

गुणहीन : गुण से हीन

विद्यारहित : विद्या से रहित

पथभ्रष्ट : पथ से भ्रष्ट

जीवनमुक्त : जीवन से मुक्त

रोगमुक्त : रोग से मुक्त

बंधनमुक्त : बंधन से मुक्त

दूरागत : दूर से आगत

जन्मांध : जन्म से अँधा

नेत्रहीन : नेत्र से हीन

पापमुक्त : पाप से मुक्त

जलहीन : जल से हीन

(v) संबंध तत्पुरुष – इसमें ‘संबंध कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘का’, ‘के’, ‘की’ का लोप होता है।

उदाहरण –

भूदान : भू का दान

राष्ट्रगौरव : राष्ट्र का गौरव

राजसभा : राजा की सभा

जलधारा : जल की धारा

भारतरत्न : भारत का रत्न

पुष्पवर्षा : पुष्पों की वर्षा

उद्योगपति : उद्योग का पति

पराधीन : दूसरों के आधीन

सेनापति : सेना का पति

राजदरबार : राजा का दरबार

देशरक्षा : देश की रक्षा

गृहस्वामी : गृह का स्वामी

(vi) अधिकरण तत्पुरुष-इसमें ‘अधिकरण कारक’ के विभक्ति चिह्न ‘में’, ‘पर’ का लोप होता है।

उदाहरण –

गृहप्रवेश : गृह में प्रवेश

पर्वतारोहण  : पर्वत पर आरोहण

ग्रामवास : ग्राम में वास

आपबीती : आप पर बीती

जलसमाधि : जल में समाधि

जलज : जल में जन्मा

नीतिकुशल : नीति में कुशल

नरोत्तम : नारों में उत्तम

गृहप्रवेश : गृह में प्रवेश

(ग) कर्मधारय समास-जिस समास का पहला पद विशेषण या उपमेय और दूसरा पद विशेष्य या उपमेय होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं।

उदाहरण –

चरणकमल = कमल के समान चरण

नीलगगन =नीला है जो गगन

चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मु

अधपका – आधा है जो पका

महाराज – महान है जो राजा

पीतांबर – पीत है जो अंबर

महावीर – महान है जो वीर

महापुरुष – महान है जो पुरुष

प्रधानाध्यापक – प्रधान है जो अध्यापक

कापुरुष – कायर है जो पुरुष

पीताम्बर =पीत है जो अम्बर

महात्मा =महान है जो आत्मा

लालमणि = लाल है जो मणि

महादेव = महान है जो देव

देहलता = देह रूपी लता

नवयुवक = नव है जो युवक

कमलनयन = कमल के समान नयन

नीलकमल = नीला है जो कमल

आदिप्रवर्तक : पहला प्रवर्तक

पुरुषरत्न : रत्न है जो पुरुष

विरहसागर : विरह रुपी सागर

पर्णकुटी : पत्तों से बनी कुटी

चलसम्पति : गतिशील संपत्ति

भवजल : भव(संसार) रुपी जल

कीर्तिलता : कीर्ति रुपी लता

भक्तिसुधा : भक्ति रुपी सुधा

मुखारविंद : अरविन्द के सामान मुख

पुत्ररत्न : रत्न के सामान पुत्र


(घ) द्विगु समास-जिस समास में प्रथम पद संख्यावाचक हो, वह द्विगु समास कहलाता है।

उदाहरण –

दोपहर : दो पहरों का समाहार

शताब्दी : सौ सालों का समूह

पंचतंत्र : पांच तंत्रों का समाहार

सप्ताह : सात दिनों का समूह

चौराहा : चार राहों का समूह

त्रिकोण : तीन कोणों का समूह

तिरंगा : तीन रंगों का समूह

त्रिफला : तीन फलों का समूह

चारपाई : चार पैरों का समूह

चतुर्मुख : चार मुखों का समाहार

नवरत्न : नव रत्नों का समाहार

सतसई : सात सौ दोहों का समाहार

त्रिभुवन : तीन भुवनों का समाहार

दोराहा : दो राहों का समाहार

अठकोना : आठ कोनो का समाहार

छमाही : छह माहों का  समाहार

अष्टधातु : आठ धातुओं का समाहार

त्रिवेणी : तीन वेणियों का समाहार

तिमाही : तीन माहों का समाहार

चौमासा : चार मासों का समाहार

त्रिलोक : तीन लोकों का समाहार

नवरात्र : नौ रात्रियों का समूह

अठन्नी : आठ आनों का समूह

दुसुती : डो सुतो का समूह

पंचतत्व : पांच तत्वों का समूह

पंचवटी : पांच वृक्षों का समूह

सप्तसिंधु : सात सिन्धुओं का समूह

चौमासा : चार मासों का समूह

चातुर्वर्ण : चार वर्णों का समाहार


(ङ) वंद्व समास-जिस समास में प्रथम और दूसरा, दोनों पद प्रधान हों और समास करने पर ‘या’, ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’ जैसे योजकों का लोप होता है।
उदाहरण –

अन्न-जल : अन्न और जल

अपना-पराया : अपना और पराया

राजा-रंक : राजा और रंक

देश-विदेश : देश और विदेश

रात-दिन : रात और दिन

भला-बुरा : भला और बुरा

छोटा-बड़ा : छोटा और बड़ा

आटा-दाल : आटा और दाल

पाप-पुण्य : पाप और पुण्य

देश-विदेश : देश और विदेश

लोटा-डोरी : लोटा और डोरी

सीता-राम : सीता और राम

ऊंच-नीच : ऊँच और नीच

खरा-खोटा : खरा और खोटा

रुपया-पैसा : रुपया और पैसा

मार-पीट : मार और पीट

माता-पिता : माता और पिता

दूध-दही : दूध और दही

भूल-चूक : भूल या चूक

सुख-दुख : सुख या दुःख

गौरीशंकर : गौरी और शंकर

राधा-कृष्ण : राधा और कृष्ण

राजा-प्रजा : राजा और प्रजा

गुण-दोष : गुण और दोष

नर-नारी : नर और नारी

एड़ी-चोटी : एड़ी और चोटी

लेन-देन : लेन और देन

भला-बुरा : भला और बुरा

जन्म-मरण : जन्म और मरण

पाप-पुण्य : पाप और पुण्य

 तिल-चावल : तिल और चावल

भाई-बहन : भाई और बेहेन

नून-तेल : नून और तेल

ठण्डा-गरम – ठण्डा या गरम

नर-नारी – नर और नारी

खरा-खोटा – खरा या खोटा

राधा-कृष्ण – राधा और कृष्ण

राजा-प्रजा – राजा एवं प्रजा

भाई-बहन – भाई और बहन

गुण-दोष – गुण और दोष

सीता-राम – सीता और राम


(च) बहुव्रीहि समास-जिस समास में प्रथम एवं दूसरा पद गौण होते हैं तथा किसी तीसरे पद की तरफ़ संकेत करते हैं, बहुव्रीहि समास कहलाता है।
उदाहरण –

गजानन : गज से आनन वाला (गणेश )

जैसा कि आपने देखा ऊपर दिए गए शब्द में कोई भी पद प्रधान नहीं हैं। दोनों ही पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उत्तर पद मिलकर गणेश की तरफ इशारा कर रहे हैं। गणेश का गज   के सामान आनन् होता है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतएव यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

चतुर्भुज : चार हैं भुजाएं जिसकी (विष्णु)

ऊपर दिए गये उदाहरण में आप देख सकते हैं कि समस्तपद में से कोई भी एक पद प्रधान नहीं है एवं दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद कि और इशारा कर रहे हैं। हम जानते हैं की विष्णु भगवान की चार भुजाएं होती हैं और ये दोनों पद मिलकर भगवान विष्णु की तरफ इशारा कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

त्रिलोचन : तीन आँखों वाला (शिव)

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद एवं उत्तर पद में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलनेके बाद किसी दुसरे ही पद कि और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

दशानन : दस हैं आनन जिसके (रावण)

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद एवं उत्तर पद ‘दस‘ एवं ‘आनन‘ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद किसी दुसरे ही पद दशानन जो कि रावण का एक नाम है उसकी और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

मुरलीधर : मुरली धारण करने वाला 

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘मुरली’ एवं उत्तर पद ‘धर’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद ‘मुरलीधर’ किसी दुसरे ही पद की और संकेत कर रहे हैं। मुरलीधर भगवान कृष्ण का एक नाम है तो ये दोनों पद मिलकर इसकी तरफ संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतः यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

निशाचर : निशा अर्थात रात में विचरण करने वाला (राक्षस)

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘निशा’ एवं उत्तर पद ‘चर’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद ‘राक्षस’ की और संकेत कर रहे हैं जो इन पदों से बिलकुल भिन्न है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

चतुर्मुख : चार हैं मुख जिसके (ब्रह्म)

जैसा कि आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं कि पूर्व पद ‘चतुर’ एवं उत्तर पद ‘मुख’ में से कोई भी पद प्रधान नहीं है और ये दोनों पद मिलने के बाद चार मुख वाले अर्थात ‘ब्रह्म’ की और संकेत कर रहे हैं जो कि इन दोनों पदों से बिलकुल भिन्न है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतएव यह उदाहरण भी बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

लम्बोदर : लंबा है उदर जिसका 

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘लम्ब’ एवं उत्तर पद ‘उदर’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।

कलहप्रिय : कलह है प्रिय जिसे 

जैसा की आप  उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ पूर्वपद ‘कलह’ एवं उतरपद ‘प्रिय’ है। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं बाह पद कलहप्रिय है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

उदार है मन जिसका वह = उदारमनस्

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘उदार’ एवं उत्तर पद ‘मनस’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

अन्य में है मन जिसका वह = अन्यमनस्क

जैसा की आप  उदाहरण में देख सकते हैं यहाँ पूर्वपद ‘अन्य’ एवं उतरपद ‘मनस्क’ है। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं बाह पद कलहप्रिय है। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।

साथ है पत्नी जिसके वह = सपत्नीक

ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं की यहां पूर्व पद ‘स’ एवं उत्तर पद ‘पत्नीक’ हैं। यहां हम देख सकते हैं की पूर्व पद एवं उतर पद में से कोई भी प्रधान नहीं है। ये दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की और संकेत कर रहे हैं। हम यह भी जानते हैं की जब दोनों पद प्रधान नहीं होते तो वहां बहुव्रीहि समास होता है।


प्रश्न 1.
निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए –

  1. कर्मभूमि
  2. ऋणमुक्त
  3. राजीवलोचन
  4. क्रोधाग्नि
  5. त्रिनेत्र
  6. कार्यकुशल
  7. भारतभूमि
  8. कालीमिर्च
  9. कनकलता
  10. कमलनयन
  11. बाढ़ग्रस्त
  12. अकालपीड़ित
  13. कृपापात्र
  14. सेनानायक
  15. सत्यार्थी
  16. चंद्रमुखी
  17. त्रिफला
  18. सचिवालय
  19. प्रधानमंत्री
  20. पंचवटी
  21. क्रीडांगन
  22. आमरण
  23. महात्मा
  24. घर-घर
  25. परीक्षाफल
  26. आजन्म
  27. चौराहा
  28. यथाशक्ति
  29. सप्तर्षि
  30. रक्तदाता
  31. गजानन
  32. राजा-रानी
  33. रसोईघर
  34. राहखर्च
  35. नीतिनिपुण
  36. विद्यालय
  37. धर्मभ्रष्ट
  38. ऋणमुक्त
  39. त्रिफला
  40. नगरवासी
  41. पदच्युत
  42. ग्रामगत
  43. पीतांबर
  44. हथकड़ी
  45. भुजदंड
  46. नीलगाय
  47. क्रय-विक्रय
  48. नीलकंठ
  49. दयानिधि
  50. पंचानन
  51. रोगग्रस्त
  52. विहारीकृत
  53. हाथोंहाथ
  54. श्वेतवसना
  55. दहीबड़ा
  56. घनश्याम
  57. एकदंत
  58. सप्तपदी
  59. त्रिवेणी
  60. चरणकमल
  61. यश-अपयश
  62. आसमुद्र
  63. घर-आँगन
  64. घुड़सवार
  65. कर्मयोगी
  66. महावीर
  67. मृगाथी
  68. बातोंबात
  69. परीक्षाफल
  70. दशानन
  71. शताब्दी
  72. राजकन्या
  73. ज्वरपीड़ित
  74. अश्वपति
  75. नीलांबुज
  76. घुड़दौड़
  77. शोकाकुल
  78. नवनिधि
  79. त्रिनेत्र
  80. सीता-राम

उत्तरः छात्र स्वयं लिखें।


प्रश्न 2.
नीचे दिए गए विग्रहों के लिए सामासिक पद लिखते हुए समास का नाम भी लिखिए

  1. राह के लिए खर्च
  2. कमल जैसे नयन हैं जिसके अर्थात् श्रीराम
  3. जितना शीघ्र हो
  4. जैसा संभव हो
  5. रसोई के लिए घर
  6. पीला है वस्त्र
  7. रात और दिन
  8. नियम के अनुसार
  9. गुण से हीन
  10. तीन फलों का समूह
  11. प्रधान है जो अध्यापक
  12. आठ अध्यायों का समाहार
  13. विधि के अनुसार
  14. चार आनों का समाहार
  15. मवेशियों के लिए घर
  16. कनक के समान लता
  17. सत्य के लिए आग्रह
  18. चार भुजाएँ हैं जिसकी अर्थात् एक विशेष आकृति
  19. देश और विदेश
  20. कन्या रूपी धन
  21. काला है सर्प
  22. हवन के लिए सामग्री
  23. राधा और कृष्ण
  24. रेखा से अंकित
  25. नवरत्नों का समाहार
  26. माल के लिए गोदाम
  27. वन में वास करने वाला
  28. जीवन भर
  29. राह के लिए खर्च
  30. स्वयं द्वारा रचा हुआ
  31. आज्ञा के अनुसार
  32. जीवन पर्यंत
  33. वचन रूपी अमृत
  34. हाथ ही हाथ में
  35. महान है राजा महान ह राजा
  36. सात ऋषियों का समाहार
  37. जल की धारा
  38. तीन वेणियों का समूह
  39. ज्वर से ग्रस्त
  40. मुसाफ़िरों के लिए खाना (घर)
  41. राजा का निवास स्थल
  42. नीति में निपुण
  43. आनंद में डूबा हुआ
  44. देश के लिए भक्ति
  45. मन से गढ़ा हुआ
  46. मद से अंधा
  47. भूख से मरा हुआ
  48. गुरु के लिए दक्षिणा
  49. पुरुषों में उत्तम
  50. प्रजा का पालक
  51. मानव द्वारा निर्मित
  52. स्नेह से सिंचित
  53. आज्ञा के अनुसार
  54. बिना संदेह के
  55. पाँच तंत्रों का समाहार
  56. कमल के समान चरण
  57. चक्र को धारण करता है जो अर्थात् कृष्ण
  58. जीवन और मरण
  59. गुण से हीन
  60. सत्य के लिए आग्रह
  61. गगन को चूमने वाला
  62. जीवनरूपी संग्राम
  63. चंद्रमा है शिखर पर जिसके अर्थात् चंद्रशेखर

उत्तरः


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