NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन

Sanchayan Hindi Class 10 Solution Chapter 2 सपनों के-से दिन
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Class 10 Hindi Sanchayan Chapter 2 सपनों के-से दिन Textbook Questions and Answers
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
इसके बावजूद कई बार ऐसी स्थितियाँ आती थीं जब उन्हें स्कूल जाना अच्छा भी लगता था। यह मौका तब आता था जब उनके पीटी सर स्काउटिंग का अभ्यास करवाते थे। वे पढ़ाई-लिखाई के स्थान पर लड़कों के हाथों में नीली-पीली झंडियाँ पकड़ा देते थे, वे वन-टू-श्री करके इन झंड़ियों को ऊपर-नीचे करवाते थे। हवा में लहराती यह झंडिया बड़ी अच्छी लगती थीं। अच्छा काम करने पर पीटी सर की शाबाशी भी मिलती थी, तब यही कठोर पीटी सर बच्चों को बड़े अच्छे लगते थे। ऐसे अवसर पर स्कूल आना अच्छा व सुखद प्रतीत होता था।
1. बाह्य व्यक्तित्व-पीटी सर अर्थात् प्रीतमचंद ठिगने कद के थे, उनका शरीर दुबला-पतला पर गठीला था। उनका चेहरा चेचक के दागों से भरा था। उनकी आँखें बाज की तरह तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी, चमड़े के पंजों वाले बूट पहनते थे। उनके बूटों की ऊँची एड़ियों के नीचे खुरियाँ लगी रहती थीं। बूटों के अगले हिस्से में पंजों के नीचे मोटी सिरों वाले कील ठुके रहते थे।
2. आंतरिक व्यक्तित्व
- कुशल अध्यापक-प्रीतमचंद एक कुशल अध्यापक थे। वे चौथी श्रेणी के बच्चों को फ़ारसी पढ़ाया करते थे। वे मौखिक अभिव्यक्ति एवं याद करने पर बल दिया करते थे। वे छात्रों को दिन-रात एक करके पढ़ाई करने की शिक्षा दिया करते थे।
- कुशल प्रशिक्षक-वे कुशल प्रशिक्षक थे। वे छात्रों को स्काउट और गाइड की ट्रेनिंग दिया करते थे वे छात्रों से विभिन्न रंग की झंडियाँ पकड़ाकर हाथ ऊपर-नीचे करके अच्छी ट्रेनिंग दिया करते थे। उनके इस प्रशिक्षण कार्य से छात्र सदा प्रसन्न रहा करते थे। वे उस पर छात्रों द्वारा सही काम करने पर शाबाशी भी देते थे।
- कठोर अनुशासन प्रिय-प्रीतमचंद अनुशासन प्रिय होने के कारण कठोर अनुशासन बनाए रखते थे। वे छात्रों को भयभीत रखते थे। यदि कोई लड़का अपना सिर इधर-उधर हिला लेता था तो वे उस पर बाघ की तरह झपट पड़ते थे। प्रार्थना करते समय भी वह अनुशासनहीन छात्रों को दंडित करते थे।
- कोमल हृदयी-प्रीतम चंद बाहर से कठोर किंतु अंदर से कोमल थे। उन्होंने अपने घर में तोते पाल रखे थे, वे उससे बात करते थे और उसे भीगे हुए बादाम भी खिलाया करते थे। इसके अलावा वे छात्रों द्वारा सही काम किए जाने पर उन्हें शाबाशी भी देते थे।
- खेल आपके लिए क्यों जरूरी हैं?
- आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो ?
2. मैं अपने अभिभावकों के लिए वही नियम और कायदों को अपनाऊँगा, जिनसे उनकी भावनाओं को ठेस न पहुँचे इसलिए मैं समय पर खेलूंगा और समय पर खेलकर वापस आऊँगा। खेलने के साथ पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान दूंगा। मैं खेलने में उतना ही समय खर्च करूँगा, जितना आवश्यक होगा। अर्थात् मैं केवल वही नियम और कायदे अपनाऊँगा, जिनसे मेरे अभिभावकों को सुख-शांति मिलेगी।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
याद नहीं कि ऐसा, पाँच-दस बार करते या पंद्रह-बीस बार करते हुए आनंदित होते। आजकल के बच्चों द्वारा ग्रीष्मावकाश पूरी तरह अलग ढंग से बिताया जाता है। अब तालाब न रहने से वहाँ नहाने का आनंद नहीं लिया जा सकता। बच्चे घर में रहकर लूडो, चेस, वीडियो गेम, कंप्यूटर पर गेम जैसे इंडोर गेम खेलते हैं। वे टीवी पर कार्टून और फ़िल्में देखकर अपना समय बिताते हैं। कुछ बच्चे माता-पिता के साथ ठंडे स्थानों या पर्वतीय स्थानों की सैर के लिए जाते हैं।
प्रीतमचंद का निलंबन उचित ही था, क्योंकि बच्चों को इस तरह फ़ारसी क्या कोई भी विषय नहीं पढ़ाया जा सकता है। शारीरिक दंड देने से बच्चों को ज्ञान नहीं दिया जा सकता है। इससे बच्चे दब्बू हो जाते हैं। उनके मन में अध्यापकों और शिक्षा के प्रति भय समा जाता है। इससे पढ़ाई में उनकी रुचि समाप्त हो जाती है।
हेडमास्टर शर्मा जी का ऐसा करना पूरी तरह उचित था, क्योंकि बच्चों के मन से शिक्षा का भय निकालने के लिए मारपीट जैसे तरीके को बच्चों से कोसों दूर रखा जाना चाहिए। मारपीट के भय से अनेक बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं तो बहुत से डरे-सहमें कक्षा में बैठे रहते हैं और पढ़ाई के नाम पर किसी तरह दिन बिताते हैं। ऐसे बच्चों के मन में अध्यापकों के सम्मान के नाम पर घृणा भर जाती है।
छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी विशेष महत्त्व है। ये खेलकूद एक ओर हमारे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक हैं, तो दूसरी ओर सहयोग की भावना, पारस्परिकता, सामूहिकता, मेल-जोल रखने की भावना, हार-जीत को समान समझना, त्याग, प्रेम-सद्भाव जैसे जीवन-मूल्यों को उभारते हैं तथा उन्हें मजबूत बनाते हैं। इन्हीं जीवन-मूल्यों को अपना कर व्यक्ति अच्छा इनसान बनता है।
NCERT Solutions for Class 10 Hindi – A
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Bhag 2 क्षितिज भाग 2
काव्य – खंड
- Chapter 1 पद
- Chapter 2 राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद
- Chapter 3 सवैया और कवित्त
- Chapter 4 आत्मकथ्य
- Chapter 5 उत्साह और अट नहीं रही
- Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल
- Chapter 7 छाया मत छूना
- Chapter 8 कन्यादान
- Chapter 9 संगतकार
गद्य – खंड
- Chapter 10 नेताजी का चश्मा
- Chapter 11 बालगोबिन भगत
- Chapter 12 लखनवी अंदाज़
- Chapter 13 मानवीय करुणा की दिव्या चमक
- Chapter 14 एक कहानी यह भी
- Chapter 15 स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन
- Chapter 16 नौबतखाने में इबादत
- Chapter 17 संस्कृति
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Bhag 2 कृतिका भाग 2
- Chapter 1 माता का आँचल
- Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
- Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि
- Chapter 4 एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!
- Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ?
NCERT Solutions for Class 10 Hindi – B
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Bhag 2 स्पर्श भाग 2
काव्य – खंड
- Chapter 1 साखी
- Chapter 2 पद
- Chapter 3 दोहे
- Chapter 4 मनुष्यता
- Chapter 5 पर्वत प्रदेश में पावस
- Chapter 6 मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
- Chapter 7 तोप
- Chapter 8 कर चले हम फ़िदा
गद्य – खंड
- Chapter 9 आत्मत्राण
- Chapter 10 बड़े भाई साहब
- Chapter 11 डायरी का एक पन्ना
- Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा
- Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र
- Chapter 14 गिरगिट
- Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले
- Chapter 16 पतझर में टूटी पत्तियाँ
- Chapter 17 कारतूस
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan
NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sanchayan Bhag संचयन भाग 2
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