NCERT Solutions | Class 6 Hindi Baal Raam Katha Chapter 10 | लंका में हनुमान

CBSE Solutions | Hindi Class 6
Check the below NCERT Solutions for Class 6 Hindi Baal Raam Katha Chapter 10 लंका में हनुमान Pdf free download. NCERT Solutions Class 6 Hindi Baal Raam Katha were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided लंका में हनुमान Class 6 Hindi NCERT Solutions to help students understand the concept very well.
NCERT | Class 6 Hindi
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
---|---|
Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 6th |
Subject: | Hindi Baal Raam Katha |
Chapter: | 10 |
Chapters Name: | लंका में हनुमान |
Medium: | Hindi |
लंका में हनुमान | Class 6 Hindi | NCERT Books Solutions
Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 10
प्रश्न 1.
लंका जाते समय हनुमान के मार्ग में क्या-क्या बाधाएँ आईं ?उत्तर-
लंका जाते समय हनुमान का मार्ग सुरसा नाम की राक्षसी ने रोक लिया। वह हनुमान को खा जाना चाहती थी। हनुमान उसे चकमा देकर निकल गए। सिंहिका नाम की राक्षसी ने हनुमान की परछाईं को पकड़ लिया। हनुमान ने उसका वध कर दिया।प्रश्न 2.
हनुमान लंका नगरी को देखने के लिए कहाँ चढ़े?उत्तर-
हनुमान लंका नगरी को ठीक से देखने के लिए एक पहाड़ी पर चढ़ गए। वे एक-एक चीज को ध्यानपूर्वक देख रहे थे ताकि सीता की खोज सुगम हो सके। लंका मगरी बहुत ही भव्य थी। ऐसा नगर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।प्रश्न 3.
हनुमान ने रात होने पर सीता को कहाँ-कहाँ ढूँढा?उत्तर-
हनुमान ने रात के समय लंका में घुसकर पूरा राजमहल छान मारा। उन्होंने एक-एक कर राक्षसों के सारे घर छान मारे। पशु शालाएँ भी देखीं, परन्तु सीता का कहीं पता न था। वे दुखी होकर सोचने लगे कि रावण ने सीता को अवश्य ही किसी गुप्त स्थान पर छिपा दिया है।प्रश्न 4.
पेड़ पर छिपे हनुमान ने अशोक वाटिका के ऊँचे-ऊँचे वृक्षों के बीच क्या देखा?उत्तर-
हनुमान ने देखा कि अशोक के एक वृक्ष के नीचे राक्षसियों का झुंड था। वे किसी बात पर ठहाके लगा रही थीं। उन्होंने ध्यान से देखा कि राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी है। उसका चेहरा मुरझाया हुआ, उदास, शोकग्रस्त व दयनीय था। हनुमान को विश्वास हो गया कि यही सीता माँ हैं।प्रश्न 5.
हनुमान ने सीता को अपना परिचय किस प्रकार दिया?उत्तर-
हनुमान एक पेड़ पर छिपे बैठे थे। रावण और राक्षसियों के चले जाने पर हनुमान ने पेड़ पर बैठे-बैठे ही राम-कथा प्रारंभ कर दी। राम-कथा सुनकर सीता जी चौंकी। उन्होंने पूछा कि तुम कौन हो? हनुमान ने पेड़ से उतरकर सीता को प्रणाम किया और राम की दी हुई अँगूठी सीता को देते हुए बताया कि वह राम का सेवक है। आपका समाचार लेने के लिए उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है।प्रश्न 6.
सीता से विदा लेकर हनुमान ने क्या किया?उत्तर-
सीता से विदा लेकर हनुमान ने रावण के उपवन को तहस-नहस कर दिया। उपवन की देखभाल करने वाले राक्षसों को मार-मार कर भगा दिया। रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। फिर रावण का बड़ा पुत्र मेघनाद आया। वह हनुमान को बंदी बनाकर राज-दरबार में ले गया।प्रश्न 7.
राज-दरबार में हनुमान ने रावण से क्या निवेदन किया?उत्तर-
हनुमान ने रावण से निवेदन किया कि आप सीता को सम्मान सहित लौटा दें, इसी में आपका कुशल है। धनुर्धर राम से आप युद्ध नहीं जीत सकते।प्रश्न 8.
रावण ने हनुमान को क्या सजा दी? उसका क्या परिणाम हुआ?उत्तर-
रावण ने राक्षसों को हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी। राक्षसों ने हनुमान को पूरे नगर में घुमाया। अचानक हनुमान अपने सारे बंधन तोड़कर एक भवन पर चढ़ गए। इस प्रकार एक भवन से दूसरे भवन पर कूदते हुए उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी।प्रश्न 9.
लंका को जलाते समय अचानक हनुमान चिंतित क्यों हो उठे ?उत्तर-
हनुमान को चिंता हुई कि कहीं सीता की अशोक वाटिका तो नहीं जल गई। वे उस ओर भागे। सीता पेड़ के नीचे सकुशल बैठी थीं। हनुमान ने उन्हें प्रणाम करके और आशीर्वाद लेकर उत्तर दिशा की ओर प्रस्थान किया।प्रश्न 10.
हनुमान ने सीता के बारे में राम को क्या-क्या बताया?उत्तर-
हनुमान ने राम को बताया कि सीता व्याकुल हैं। वे हर समय राक्षसियों से घिरी रहती हैं। आपकी प्रतीक्षा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि श्रीराम दो माह में यहाँ नहीं आए तो पापी रावण मुझे मार डालेगा।Bal Ram Katha Class 6 Chapter 10 Summary
जामवंत ने हनुमान का बल याद दिलाया। हनुमान अँगड़ाई लेकर उठे। एक ही छलांग में वे महेन्द्र पर्वत पर पहुँच गए। महेन्द्र पर्वत से फिर उन्होंने छलांग लगाई और वे आकाश में उड़ने लगे। समुद्र के अंदर एक मैनाक नाम का पर्वत था। मैनाक चाहता था कि हनुमान कुछ देर के लिए यहाँ विश्राम करें। वह जल-राशि को चीरकर ऊपर उठा। हनुमान मैनाक से टकराते हुए आगे निकल गए। हनुमान के रास्ते में कई बाधाएँ आईं। सुरसा नाम की राक्षसी हनुमान को खा जाना चाहती थी। हनुमान उसे चकमा देकर निकल गए। आगे सिंहिका राक्षसी मिली। उसने हनुमान की परछाई पकड़ ली। हनुमान ने उसको मार डाला। थोड़ी. ही देर में हनुमान समुद्र के किनारे उतर गए।
लंका नगरी को ठीक से देखने के लिए हनुमान एक पहाड़ी पर चढ़ गए। राक्षसी नगरी की सुंदरता देखकर वे चकित हो गए। दिन के समय हनुमान को लंका में प्रवेश करना उचित नहीं लगा। उनके सामने सबसे पहला काम सीता कहाँ है-इसका पता लगाना था। वह नगर के मध्य में छिपते-छिपाते पहुँच गए। उन्होंने पूरा राजमहल छान मारा। एक-एक कर राक्षसों के घर छान मारे। अंतःपुर के बाहर हनुमान ने रत्नों से सजा हुआ रावण का रथ देखा। तभी उसने वृक्षों से घिरी हुई अशोक वाटिका को देखा, परन्तु सीता यहाँ क्यों होंगी। वह निराशा में डूब रहे थे। वह एक घने पेड़ पर छिपकर बैठ गए। रात हो गई। हनुमान को वाटिका के कोने में राक्षसियों का अट्टाहास सुनाई दिया। उसने देखा कि राक्षसियों के बीच एक स्त्री बैठी है। उसकी दशा दयनीय है। उन्होंने समझ लिया कि यही सीता है।
हनुमान सीता से मिलने के लिए उतावले थे। परन्तु सीता के पास से राक्षसियाँ हट ही नहीं रही थीं। तभी उन्होंने रावण को आते देखा। हुनमान सांस रोककर डाल से चिपक गए और रावण के लौटने की प्रतीक्षा करने लगे। रावण सीता को तरह-तरह के प्रलोभन दे रहा था। सीता काँप रही थी। रावण ने सीता से कहा कि तुम्हारे पास दो महीने और बचे हैं। मेरी बात मान जाओ और सुख का भोग करो अन्यथा मैं तुम्हें तलवार से काट डालूँगा। सीता ने रावण का तिरस्कार करते हुए कहा- “मूर्ख राक्षस, तुम्हारा अंत निकट आ गया है। अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता।”
रावण क्रोध से पैर पटकता हुआ चला गया। देर रात राक्षसियाँ भी एक-एक कर चली गईं। सीता वाटिका में अकेली थी। हनुमान ने यह अच्छा अक्सर जानकर पेड़ पर बैठे-बैठे राम-कथा प्रारंभ कर दी। सीता ने पूछा कि कौन हो तुम? हनुमान पेड़ से नीचे उतर गए और राम की दी अंगूठी सीता को दे दी। हनुमान ने अपना परिचय दिया। सीता ने भी राम का कुशल-क्षेम पूछा। हनुमान सीता को कंधे पर बैठाकर राम तक ले जाना चाहते थे, परन्तु सीता ने कहा कि यह उचित नहीं है। पकड़े गए तो मेरा संदेश भी राम तक नहीं पहुँचेगा।
हनुमान राम के पास लौटना ही चाहते थे कि उनके मन में एक विचार आया। उन्होंने रावण के उपवन को तहस-नहस कर दिया और विरोध करने वाले सभी राक्षसों को मार डाला। हनुमान से लड़ते हुए रावण का पुत्र अक्षय कुमार भी मारा गया। राक्षसों ने यह सूचना रावण को दी। मेघनाद हनुमान को पकड़कर दरबार में ले गया। रावण के पूछने पर हनुमान ने बताया कि मैं श्रीराम का दास हूँ। सीता की खोज में आया था। उनसे मिल चुका हूँ। आपके दर्शन करना चाहता था, इसलिए उत्पात करना पड़ा।
क्रोध से रावण हुनमान को मारने उठे तो उसके छोटे भाई विभीषण ने उसे रोक लिया। हनुमान ने रावण से कहा कि आप सीता को सकुशल लौटा दें। इसी में आपकी भलाई है। रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने की आज्ञा दी। जलती पूँछ के साथ उन्हें नगर में घुमाया। इसी बीच हनुमान बंधन तोड़कर एक भवन पर चढ़ गए और एक भवन से दूसरे भवन कूदकर पूरी लंका में आग लगा दी। हनुमान ने लंका को जलाकर समुद्र में छलांग लगाकर अपनी पूँछ की आग बुझाई। हनुमान ने समुद्र पार कर तट पर बैठे सभी वानरों को लंका का हाल सुनाया। फिर वे राम के पास पहुँचे। राम ने हनुमान को गले से लगा लिया। इसके बाद लंका पर चढ़ाई के लिए योजना बनाई जाने लगी।
Post a Comment
इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)