NCERT Solutions | Class 6 Hindi Baal Raam Katha Chapter 11 | लंका विजय

CBSE Solutions | Hindi Class 6
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NCERT | Class 6 Hindi
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 6th |
Subject: | Hindi Baal Raam Katha |
Chapter: | 11 |
Chapters Name: | लंका विजय |
Medium: | Hindi |
लंका विजय | Class 6 Hindi | NCERT Books Solutions
Bal Ram Katha Class 6 Question Answers Chapter 11
प्रश्न 1.
हनुमान द्वारा लंका जला दिए जाने पर लंकावासी क्या सोच रहे थे?उत्तर-
लंका में खलबली मची हुई थी। उनके मन में डर बैठ गया था कि जिनका दूत लंका में आग लगा सकता है, उनका स्वामी कितना शक्तिशाली होगा।प्रश्न 2.
विभीषण ने रावण को क्या सलाह दी?उत्तर-
विभीषण ने रावण से कहा, “आप सीता को लौटा दें। सबका कल्याण इसी में है।” रावण ने विभीषण की बात अनसुनी कर दी और विभीषण को अपने कक्ष से अपमानित करके निकाल दिया।प्रश्न 3.
विभीषण लंका से निकलकर कहाँ गए?उत्तर-
विभीषण लंका से निकलकर राम की शरण में गए। विभीषण ने जाकर कहा कि मैंने रावण को बहुत समझाया, परन्तु उसने मुझे ही लंका से निर्वासित कर दिया। राम ने विभीषण से कहा कि राक्षसों को मार कर लंका का राज्य तुम्हें ही दिया जाएगा।प्रश्न 4.
समुद्र ने रास्ता किस प्रकार दिया तथा समुद्र पर पुल किसने बनाया?उत्तर-
राम तीन दिन तक समुद्र से अनुरोध करते रहे, परन्तु समुद्र ने रास्ता नहीं दिया। राम ने क्रोध में आकर समुद्र को सुखाने के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई तो समुद्र गिड़गिड़ाने लगा। समुद्र ने ही बताया कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है जो पुल बना सकता है।प्रश्न 5.
राम ने अपनी सेना को चार भागों में क्यों बाँटा?उत्तर-
लंका के चार द्वार थे। राम चाहते थे कि लंका पर चारों ओर से आक्रमण किया जाए।प्रश्न 6.
राम ने अंगद को लंका क्यों भेजा?उत्तर-
राम अब भी चाहते थे कि नर-संहार न हो और युद्ध रुक जाए। इसलिए राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। परन्तु अहंकार में चूर रावण पर राम के संदेश का कोई असर नहीं हुआ। अंगद ने आकर बताया कि अब युद्ध ही एकमात्र विकल्प है।प्रश्न 7.
मेघनाद कैसा योद्धा था? वह किस प्रकार युद्ध करता था?उत्तर-
मेघनाद बहुत ही पराक्रमी था। उसने इन्द्र को भी पराजित कर दिया था। मेघनाद छिपकर युद्ध करता था। वह मायावी था। वह किसी को दिखाई नहीं पड़ता था।प्रश्न 8.
अपने बड़े-बड़े योद्धाओं के मारे जाने पर रावण ने क्या किया?उत्तर-
रावण ने युद्ध की कमान स्वयं संभाली, परन्तु उसे लज्जित होकर युद्ध-भूमि से लौटना पड़ा। राम के बाणों ने उसका मुकुट भी धरती पर गिरा दिया था। रावण को जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने कुंभकर्ण को जगाया। कुंभकर्ण को देखते ही वानर सेना में खलबली मच गई। कुंभकर्ण महाबली था। राम-लक्ष्मण के बाणों से कुंभकर्ण भी मारा गया।प्रश्न 9.
मेघनाद की मृत्यु के बाद रावण की कैसी दशा हुई?उत्तर-
मेघनाद की मृत्यु से रावण एकदम टूट गया। वह विलाप करने लगा और कहने लगा-अब लंका अनाथ हो गई है। उसकी दशा पागलों जैसी हो गई। वह क्रोध से बिलबिलाने लगा।प्रश्न 10.
वानर सेना ने महल में प्रवेश करने पर क्या किया?उत्तर-
वानरों ने अपने हाथों में जलती मशालें लेकर जहाँ-तहाँ आग लगा दी। अन्न-भंडार फूंक दिए। शस्त्रागार जला दिए। जो भी सामने पड़ा, मारा गया। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई।प्रश्न 11.
विभीषण दुखी क्यों था? राम ने उसे क्या समझाया?उत्तर-
रावण की मृत्यु के बाद विभीषण उसके मृत शरीर के पास शोकाकुल खड़ा था। राम ने विभीषण को समझाया कि शोक मत करो। रावण महान योद्धा था। उसकी अंत्येष्टि महानता के अनुरूप ही होनी चाहिए। मृत्यु सत्य है। उसे स्वीकार करो।प्रश्न 12.
राम ने हुनमान को अशोक वाटिका जाने का आदेश क्यों दिया? हुनमान ने आकर राम को क्या बताया?उत्तर-
राम ने हनुमान से कहा कि तुरंत अशोक वाटिका जाओ और सीता को विजय का संदेश दो और उनका संदेश लेकर शीघ्र लौट आओ। हनुमान ने अशोक वाटिका पहुँचकर संदेश सुनाया। सीता संदेश सुनकर बहुत खुश हुई। वह राम से मिलने के लिए अधीर थी। हनुमान ने सीता का संदेश राम तक पहुँचा दिया।Bal Ram Katha Class 6 Chapter 11 Summary
युद्ध की तैयारियाँ पूरे जोरों पर थीं। सुग्रीव ने वानर सेना को संबोधित किया। सेना किष्किंधा से उत्साह में भरी महेन्द्र पर्वत पर पहुँच गई। जामवंत और हनुमान सेना के पीछे चल रहे थे। हनुमान के लंका जला देने के बाद राक्षसों में खलबली मची हुई थी। रावण को समझाने का साहस किसी में भी नहीं था। विभीषण रावण के पास उसे समझाने के लिए गए, परन्तु रावण ने विभीषण की एक न मानी। रावण ने विभीषण का अपमान करके अपने कक्ष से बाहर निकाल दिया। विभीषण ने अपने चार साथियों के साथ लंका त्याग दी। वह वहाँ पहुँचा जहाँ राम की सेना डेरा डाले पड़ी थी। अपनी सेना में राक्षसों को आया देख वानरों में खलबली मच गई। विभीषण को सुग्रीव के सामने लाया गया। उसने रावण के साथ हुई सारी घटना का उल्लेख किया और राम से मिलने की इच्छा व्यक्त की। राम ने विभीषण को शरण दे दी। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि राक्षसों को मारकर लंका का राज्य तुम्हें सौंप दूंगा।
राम की सेना के सामने समुद्र को लाँघना सबसे बड़ी चुनौती थी। राम तीन दिन तक समुद्र से रास्ता माँगते रहे। परन्तु जब समुद्र नहीं माना तो राम ने क्रोध में आकर समुद्र को सुखाने के तीर को धनुष की प्रत्यंचा पर चढ़ा लिया। समुद्र हाथ जोड़कर उपस्थित हो गया और राम से बोला कि आपकी सेना में नल नाम का वानर है। वह पुल बना सकता है। नल ने अगले दिन से ही पुल बनाना आरंभ कर दिया। पुल तैयार होने पर सेना समुद्र के पार पहुंच गई। रावण को जब पता चला तो वह क्रोध से चीख उठा। उसने सेना को तैयार होने की आज्ञा दी और समुद्र-तट पर पहुंच गए।
राम ने अपनी सेना को चार भागों में बाँटा जिससे लंका पर चारों ओर से आक्रमण किया जा सके। राम ने एक शिखर पर चढ़कर लंका का निरीक्षण किया। इसी बीच राम ने अंगद को अपना दूत बनाकर लंका भेजा। रावण ने अंगद की कोई बात नहीं मानी। अंगद ने राम के पास आकर बता दिया कि रावण सुलह के लिए तैयार नहीं है। अब युद्ध के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं है। युद्ध प्रारंभ हो गया। दोनों ओर के वीर मारे जा रहे थे। राक्षसी सेना के अनेक पराक्रमी राक्षस ढेर हो गए। मेघनाद के नागपाश बाण से घायल होकर राम-लक्ष्मण मूर्छित हो गए। मेघनाद मैदान छोड़कर रावण को संदेश देने महल की ओर गया। विभीषण ने दोनों का उपचार कराया। राम-लक्ष्मण की मूर्छा टूट गई। राक्षसी सेना के वीर धूम्राक्ष, वज्रद्रष्ट, अकंपन प्रहस्त आदि मारे गए। रावण ने स्वयं युद्ध की कमान संभाली। रावण भी पराजित होकर लौट गया। फिर रावण ने कुंभकर्ण को युद्ध के लिए भेजा। कुंभकर्ण ने बहुत भयंकर युद्ध किया। अंत में वह भी मारा गया। इसके बाद मेघनाद युद्ध के लिए आया। मेघनाद की शक्ति लगने से लक्ष्मण मूर्छित हो गए। मूर्छा टूटने पर लक्ष्मण के हाथों मेघनाद भी मारा गया। मेघनाद की मृत्यु से रावण एकदम टूट गया। अब रावण स्वयं युद्ध के लिए आया। उधर वानर सेना महल में प्रवेश कर गई थी। उन्होंने वहाँ अनेक राक्षसों को मार दिया। राक्षस सेना भाग खड़ी हुई। राम और रावण का बहुत ही भयंकर युद्ध हुआ। विभीषण के कहने पर राम ने एक बाण रावण की नाभि में मारा। बाण के लगते ही रावण धराशायी हो गया।
लंका-विजय का अभियान पूरा हुआ। वानर सेना किलकारियाँ मार रही थी। विभीषण अपने भाई के मृत शरीर के पास खड़ा शोक में डूबा हुआ था। राम ने विभीषण को समझाया। राम ने एक-एक वानर का आभार माना और सुग्रीव को गले लगा लिया। विभीषण रावण की अंत्येष्टि के बाद ही राज्याभिषेक चाहते थे। राम ने हनुमान को अशोक वाटिका भेजा ताकि सीता को यह समाचार दिया जा सके।
विभीषण का राज्याभिषेक किया गया। हनुमान ने राम को संदेश दिया कि-“माता सीता लंका-विजय का समाचार सुनकर बहुत प्रसन्न हैं और आपसे मिलने के लिए अधीर हैं। राम ने विभीषण से कहा, “लंकापति सीता अब भी आपकी अशोक वाटिका में है। उसे यहाँ लाने का प्रबंध किया जाए। हनुमान के अतिरिक्त सीता को किसी ने नहीं देखा था। सीता को देखने की सभी वानरों को उत्सुकता थी। सीता आईं तो सबको अपनी कल्पनाओं से अधिक लगीं।
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