NCERT Solutions | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics) Chapter 5 | Contemporary South Asia (समकालीन दक्षिण एशिया)

CBSE Solutions | Rajniti Vigyan Class 12
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NCERT | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12 |
Subject: | Rajniti Vigyan |
Chapter: | 5 |
Chapters Name: | Contemporary South Asia (समकालीन दक्षिण एशिया) |
Medium: | Hindi |
Contemporary South Asia (समकालीन दक्षिण एशिया) | Class 12 Rajniti Vigyan | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 Contemporary South Asia (समकालीन दक्षिण एशिया)
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 Text Book Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) राजतन्त्र, लोकतन्त्र-समर्थक समूहों और आतंकवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
(घ) सेना और लोकतन्त्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतन्त्र के ऊपर बाजी मारी।
(ङ) दक्षिण एशिया के केन्द्र में अवस्थित। इस देश की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह एक गणतन्त्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतन्त्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा हुआ है।
उत्तर :
(क) नेपाल,(ख) नेपाल,
(ग) श्रीलंका
(घ) पाकिस्तान,
(ङ) भारत,
(च) मालदीव
(छ) बंगलादेश
(ज) भूटान।
प्रश्न 2.
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख) बंगलादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
(ग) ‘साफ्टा’ पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क सम्मेलन में हुए।
(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर :
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।प्रश्न 3.
उत्तर :
पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण की कठिनाइयाँ पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में निम्नलिखित कठिनाइयाँ विद्यमान हैं-1. सेना का प्रभुत्व–पाकिस्तान में सदैव ही सेना का प्रभुत्व रहा। जितने भी शासक हुए सभी ने लोकतन्त्र के नाम पर सेना के माध्यम से शासन की बागडोर सँभाली। जनता भी सैन्य शासन का इसलिए समर्थन करती है क्योंकि वे सोचते हैं कि इससे देश की सुरक्षा खतरे में नहीं पड़ेगी। पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी रहती है, इस कारण भी सेना समर्थक समूह अधिक मजबूत हैं और अक्सर ये समूह दलील देते हैं कि पाकिस्तान के राजनीतिक दलों और लोकतन्त्र में कमी है। लोकतन्त्र में कमी के कारण पाकिस्तान पूरी तरह सफल नहीं हो सका है।
2. लोकतन्त्र के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन का अभाव-पाकिस्तान में लोकतान्त्रिक शासन चले इसके लिए विशेष अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त नहीं होता। इस तरह भी सेना को अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए बढ़ावा मिलता है।
3. धर्म गुरुओं एवं अभिजन का प्रभाव-पाकिस्तानी समाज में भू-स्वामी अभिजनों और धर्मगुरुओं का काफी प्रभुत्व रहता है। वे लोग भी सेना के शासन को ही उचित मानते हैं।
प्रश्न 4.
उत्तर :
अतीत में नेपाल एक हिन्दू राज्य था। आधुनिक काल में यहाँ कई वर्षों तक संवैधानिक राजतन्त्र रहा। इस दौर में नेपाल की राजनीतिक पार्टियाँ और नागरिक खुले और उत्तरदायी शासन की आवाज उठाते रहे, लेकिन राजा ने सेना की सहायता से शासन पर पूरा नियन्त्रण स्थापित कर लिया और नेपाल में लोकतन्त्र की राह अवरुद्ध हो गई।नेपाल में लोकतन्त्र की बहाली-नेपाल में एक मजबूत लोकतन्त्र समर्थक आन्दोलन प्रारम्भ हुआ, परिणामस्वरूप सन् 1990 में राजा ने नए लोकतान्त्रिक संविधान की माँग की, लेकिन नेपाल में लोकतान्त्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा रहा।
1990 के दशक में नेपाल के माओवादी, नेपाल के अनेक हिस्सों में अपना प्रभाव कायम करने में सफल हुए। माओवादी, राजा और सत्ताधारी अभिजन के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। सन् 2001 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और सरकार को गिरा दिया। इस तरह नेपाल में जो भी थोड़ा-बहुत लोकतन्त्र था उसे राजा ने खत्म कर दिया।
अप्रैल 2006 में यहाँ देशव्यापी लोकतन्त्र समर्थक प्रदर्शन हुआ और राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व सभी दलों के गठबन्धन, माओवादी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया।
अभी भी नेपाल में पूरी तरह से लोकतन्त्र की स्थापना नहीं हो पायी है। यह देश इतिहास के एक अद्वितीय दौर से गुजर रहा है, क्योंकि वहाँ संविधान सभा के गठन की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। माओवादी चाहते हैं कि संविधान में मूलगामी सामाजिक, आर्थिक पुनर्रचना के कार्यक्रमों को शामिल किया जाए। सत्ता दलों के गठबन्धन में शामिल हर एक दल को यह बात स्वीकार हो, ऐसा नहीं लगता।
प्रश्न 5.
उत्तर :
भारतीय मूल के तमिल निवासियों को ब्रिटिश सरकार मजदूरों के रूप में तमिलनाडु से श्रीलंका ले गयी। ये तमिल श्रीलंका में रहने वाले तमिलों से भिन्न हैं। इन तमिलों ने श्रीलंका में नागरिकता की माँग रखी। 1948 में नागरिकता कानून पास किया गया। इस कानून के तहत कुछ ही तमिल नागरिकता प्राप्त कर सके।श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। सन् 1976 में तमिल यूनाइटेड लिबरेशन फ्रण्ट की स्थापना की गयी जिसने तमिल राज्य ईलम की माँग की। तत्पश्चात् सरकार ने इन्हें कुछ सुविधाएँ दीं, दुष्परिणामस्वरूप सन् 1972 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) का गठन हो गया। लिट्टे ने श्रीलंका में हिंसात्मक गतिविधियाँ अपनायीं। इसने श्रीलंका में कुछ सीमा तक सफलता भी प्राप्त की।
सन् 1987 में भारतीय सरकार श्रीलंका में तमिल मसले में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हुई। भारतीय सेना लिट्टे के साथ संघर्ष में फँस गयी। भारतीय सेना की उपस्थिति को श्रीलंका की जनता ने भी पसन्द नहीं किया। सन् 1989 में भारत ने अपनी ‘शान्ति सेना’ लक्ष्य हासिल किए बिना वापस बुला ली। 23 फरवरी, 2002. को श्रीलंका की सरकार और लिट्टे के बीच युद्ध विराम समझौता हुआ। लिट्टे की सफलता का भारत पर काफी प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 6.
उत्तर :
दोनों ही देश भारत और पाकिस्तान के मध्य स्वतन्त्रता से लेकर अब तक निरन्तर तनाव की स्थिति बनी रही है।अगस्त 2011 में नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में निश्चित हुआ कि-
- दोनों देश एक-दूसरे के कैदियों को छोड़ देंगे।
- सीमा व्यापार बढ़ाने हेतु कश्मीर के दोनों भागों को सुविधाएँ प्रदान करेंगे।
प्रश्न 7.
उत्तर :
भारत और बंगलादेश के बीच आपसी सहयोग के निम्नलिखित दो मसले हैं-- विगत वर्षों के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्ध अधिक बेहतर हुए हैं। बंगलादेश भारत की ‘पूरब चलो’ की नीति का हिस्सा है। इस नीति में म्यानमार के जरिए दक्षिण-पूर्व एशिया से सम्पर्क साधने की बात है।
- आपदा प्रबन्धन और पर्यावरण के मसले पर दोनों देशों में सहयोग है। भारत और बंगलादेश के बीच असहमति के दो मसले
निम्नलिखित हैं-
- भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने का ढाका का फैसला तथा म्यानमार को बंगलादेशी इलाके से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देना।
- भारतीय सेना के पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके में रास्ता देने से बंगलादेश का इनकार करना।
प्रश्न 8.
उत्तर :
कोई भी क्षेत्र अपने आपको गैर-इलाकाई ताकतों से अलग रखने की कितनी भी कोशिश क्यों न करे उस पर बाहरी ताकतों और घटनाओं का असर पड़ता ही है। चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण एशिया की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।भारत और चीन के सम्बन्धों में पहले से निकटता आई है। परन्तु चीन के सम्बन्ध पाकिस्तान से भी हैं, इस कारण भारत-चीन सम्बन्धों में इतनी निकटता नहीं आ पायी है। यह एक बड़ी कठिनाई के रूप में है। शीतयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमेरिकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमेरिका ने शीतयुद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने सम्बन्ध बेहतर किए हैं। दोनों में आर्थिक सुधार हुए हैं और उदार नीतियाँ अपनायी गयी हैं। इससे दक्षिण एशिया में अमेरिकी भागीदारी ज्यादा गहरी हुई है। अमेरिका में दक्षिणी एशियाई मूल के लोगों की संख्या अच्छी खासी है। फिर इस क्षेत्र की सुरक्षा और शान्ति के भविष्य से अमेरिका के हित भी बँधे हुए हैं।
प्रश्न 9.
उत्तर :
दक्षिण एशिया के क्षेत्र यदि अपने आर्थिक मसलों में सहायता का रुख अपनाएँ तो सभी देश अपने देश के संसाधनों का उचित विकास कर सकते हैं। अनेक संघर्षों के बावजूद दक्षिण एशिया (सार्क) के देश परस्पर मित्रवत् सम्बन्ध तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।क्षेत्र के सदस्य देशों ने सन् 2002 में ‘दक्षिण एशियाई’ मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते (SAFTA) पर हस्ताक्षर किए। इसमें पूरे दक्षिण एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वायदा किया। 11वें शिखर सम्मेलन में दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र के लिए प्रारूप तैयार करने का निर्णय लिया गया। अन्तत: 2004 में दक्षेस के देशों में ‘साफ्टा’ (साउथ एशियन फ्री ट्रेड एशिया एग्रीमेण्ट) दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर हस्ताक्षर किए। दक्षेस का उद्देश्य आर्थिक सहयोग उपलब्ध करना भी है। 1 जनवरी, 2006 से यह समझौता प्रभावी हो गया।
सीमाएँ-दक्षेस की कुछ सीमाएँ भी हैं जिन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-
- दक्षिण एशिया के देशों के बीच आपसी विवाद तथा समस्याओं ने विशेष स्थान लिया हुआ है। कुछ देशों का मानना है कि ‘साफ्टा’ का सहारा लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और उनके समाज और राजनीति को प्रभावित करना चाहता है।
- दक्षेस में शामिल देशों की समस्याओं के कारण चीन तथा अमेरिका दक्षिण एशियाई राजनीति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
दक्षेस की भूमिका के लिए सुझाव-- भारत और पाकिस्तान को आपस के विवादों को सुलझाना चाहिए ताकि सभी दक्षिण एशियाई देशों का ध्यान विवादों से हटकर विकास की ओर जा सके। सभी देशों के लिए भारत का विशाल बाजार सहायक हो सकता है।
- वित्तीय क्षेत्र में सुधार करना आवश्यक है।
- श्रम सम्बन्ध, वाणिज्यिक क्षेत्र एवं वित्तीय समस्याओं के लिए कानूनों में परिवर्तन आवश्यक है।
- पड़ोसी देशों के साथ संचार तथा यातायात व्यवस्था में सुधार करना आवश्यक है।
प्रश्न 10.
उत्तर :
वास्तव में दक्षिण एशिया के देशों को एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है, पाकिस्तान और भारत सदैव एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। भारत में हुए हर आतंकवादी क्रियाकलाप में विशेष रूप से पाकिस्तान का नाम आता है। इसी तरह पाकिस्तान, भारत पर सिन्ध और बलूचिस्तान में समस्या भड़काने का आरोप लगाता है।छोटे देशों का भारत के इरादों को लेकर शक करना लाजिमी है। इन देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है।
दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के उपाय-
- उचित वातावरण का निर्माण किया जाए।
- सन्देह को समाप्त किया जाए।
- मिलकर अपनी समस्याओं का हल खोजा जाए।
- एक-दूसरे देश में प्रमुख नेताओं की यात्रा हो ताकि कटुता कम हो सके।
- आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग की भावना का विकास हो।
- बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप पर प्रभावी रोक लगाई जाए।
प्रश्न 11.
उत्तर :
दक्षिण एशिया के देशों का यह सोचना कि भारत अपना दबदबा उन पर स्थापित करना चाहता है मनोवैज्ञानिक रूप से उचित लगता है। उनका यह मानना है कि भारत उनके आन्तरिक मामलों में दखल देता है। जैसे नेपाल को लगता है कि भारत उसको अपने भू-क्षेत्र से होकर समुद्र तक पहुँचने से रोकता है। बंगलादेश का यह मानना है कि भारत सरकार नदी जल में भागीदारी के सवाल पर क्षेत्रीय बाहुबली की तरह व्यवहार करती है।दक्षिण एशिया के छोटे देशों की ऐसी सोच के लिए जिम्मेदार घटक-
- भारत का आकार अन्य दक्षिण एशिया के देशों की तुलना में काफी बड़ा है।
- भारत दक्षिण एशिया के छोटे देशों की तुलना में अत्यधिक शक्तिशाली व प्रभावपूर्ण है।
- भारत नहीं चाहता है कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय है कि ऐसी स्थिति में बाहरी शक्तियों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी जबकि छोटे देश सोचते हैं कि भारत, दक्षिण एशिया में अपना दबदबा स्थापित करना चाहता है।
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 InText Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
दक्षिण एशिया एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ के सभी देशों में सद्भाव एवं शत्रुता, आशा व निराशा तथा पारस्परिक शंका एवं विश्वास साथ-साथ बसते हैं।प्रश्न 2.
उत्तर :
कश्मीर मसला दोनों ही देशों के राजनयिकों की राजनीतिक उठा-पटक का प्रतिफल है जिसमें कश्मीरी स्वयं को ठगा हुआ-सा महसूस करते हैं।प्रश्न 3.
उत्तर :
हमारी विदेश नीति अत्यधिक आदर्शवादी रही है। अनेक बार हमने शान्ति दूत का खिताब हासिल करने के लिए राष्ट्रीय हितों की अनदेखी की है। हमारी विदेश नीति की असफलता का एक श्रेष्ठ उदाहरण हमारी तिब्बत नीति थी। जहाँ हमें अपनी गलत विदेश नीति की वजह से सच्चे मित्र नहीं मिल सके वहीं हमने चीन तथा पाक जैसे पड़ोसियों को अपना कट्टर शत्रु बना लिया। हमारी गुटनिरपेक्षता को भी सदैव सन्देहास्पद नजरों से देखा गया है। अत: अब वर्तमान परिप्रेक्ष्य में विदेश नीति में परिवर्तन की आवश्यकता है।प्रश्न 4.
उत्तर :
चूँकि अमेरिका सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक दबदबे तथा सांस्कृतिक बढ़त के मामले में विश्व में चोटी पर है। जब अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में शक्ति का एक ही केन्द्र हो तो उसे वर्चस्व शब्द के प्रयोग में वर्णित करना उचित होता है। इस दृष्टिकोण से यह अध्याय भारतीय वर्चस्व के शीर्षक से नहीं लिखा जा सकता है।प्रश्न 5.

उत्तर :
क्षेत्रीय सहयोग की प्रगति में भारत एवं पाकिस्तान की निर्णायक भूमिका है तथा यह किसी भी फैसले को प्रभावित करने की अपार क्षमता रखते हैं। उल्लेखनीय है कि फरवरी 2004 में इस्लामाबाद के 12वें दक्षेस (सार्क) सम्मेलन में ही मुक्त व्यापार सन्धि (SAFTA) हस्ताक्षरित हुई थी।प्रश्न 6.
उत्तर :
विश्व के अधिकांश संगठन व्यापार के लिए ही बनाए गए हैं। व्यापार लोगों के आपसी मेल-जोल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है, लेकिन व्यापार के माध्यम से लोगों का मेल-जोल भी बढ़ता है।NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 Other Important Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 5 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
बंगलादेश का निर्माण क्यों एवं कैसे?सन् 1947 से सन् 1971 तक बंगलादेश पाकिस्तान का एक अंग था, जिसे पूर्वी पाकिस्तान के नाम से . जाना जाता था। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बंगाल और असम के विभाजित भागों से पूर्वी पाकिस्तान का यह क्षेत्र बना था, लेकिन अनेक कारणों से पूर्वी पाकिस्तान के लोग पाकिस्तान की सरकार से नाराज थे। बंगलादेश निर्माण के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
1. पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू भाषा अनिवार्य करना-पूर्वी पाकिस्तान के लोग पश्चिमी पाकिस्तान के दबदबे एवं उर्दू भाषा की अनिवार्यता के खिलाफ थे।
2. बंगाली संस्कृति एवं भाषा के साथ दुर्व्यवहार-पाकिस्तान के निर्माण के तुरन्त बाद से ही पूर्वी पाकिस्तान के लोग पाकिस्तानी सरकार के बंगाली संस्कृति एवं भाषा के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार से नाराज थे। फलस्वरूप इन्होंने इसका विरोध करना प्रारम्भ कर दिया।
3. प्रशासन एवं राजनीतिक सत्ता में पर्याप्त हिस्सेदारी की माँग-पूर्वी पाकिस्तान की जनता ने प्रशासन में अपने क्षेत्र के लिए न्यायोचित प्रतिनिधित्व एवं राजनीतिक सत्ता में पर्याप्त हिस्सेदारी की माँग उठायी। पश्चिमी पाकिस्तान के प्रभुत्व के विरुद्ध जन-संघर्ष का नेतृत्व शेख मुजीबुर्रहमान ने किया। इन्होंने पूर्वी क्षेत्र के लिए स्वायत्तता की माँग की।
4. सन् 1970 के आम चुनावों में शेख मुजीबुर्रहमान की अवामी लीग पार्टी को बहुमत मिलनासन् 1970 के आम चुनाव में शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली अवामी लीग पार्टी को पाकिस्तान की समस्त सीटों पर विजय प्राप्त हुई। अवामी लीग को सम्पूर्ण पाकिस्तान के लिए प्रस्तावित संविधान सभा में बहुमत प्राप्त हो गया। लेकिन पाकिस्तान पर पश्चिमी पाकिस्तान के नेताओं का दबदबा था; फलस्वरूप सरकार ने इस सभा को आहूत करने से इनकार कर दिया। शेख मुजीब को गिरफ्तार कर लिया गया। जनरल याहिया खान के सैनिक शासन में पाकिस्तानी सेना ने बंगाली जनता के आन्दोलन को कुचलने की कोशिश की।
5. भारत में शरणार्थियों की समस्या एवं भारत-पाक युद्ध (सन् 1971)~याहिया खान की सैनिक सरकार द्वारा बंगालियों के विद्रोह को कुचलने के प्रयास में हजारों लोग पाकिस्तानी सेना के हाथों मारे गए तथा अनेक लोग पूर्वी पाकिस्तान से भारत पलायन कर गए। भारत के समक्ष इन शरणार्थियों की देखभाल की समस्या खड़ी हो गयी।
भारत सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान की जनता की आजादी की माँग का समर्थन किया तथा उन्हें वित्तीय एवं सैन्य सहायता प्रदान की। इसके परिणामस्वरूप सन् 1971 में भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई।
6. बंगलादेश का निर्माण-भारत-पाकिस्तान के इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में आत्म-समर्पण कर दिया। इस प्रकार सन् 1971 में एक स्वतन्त्र राष्ट्र बंगलादेश का जन्म हुआ।
बंगलादेश में लोकतन्त्र की स्थापना की प्रक्रिया-
1. संसदीय लोकतन्त्र की स्थापना की प्रक्रिया-स्वतन्त्रता के तुरन्त पश्चात् स्वतन्त्र बंगलादेश की सरकार का गठन हुआ। बंगलादेश ने अपना एक संविधान बनाया जिसमें इसे धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक एवं समाजवादी देश घोषित किया गया।
2. संसदीय लोकतन्त्र के स्थान पर अध्यक्षीय लोकतन्त्र-सन् 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान ने बंगलादेश के संविधान में संशोधन कराया, जिसमें संसदीय शासन के स्थान पर अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को मान्यता दी गई। शेख मुजीब ने अपनी पार्टी अवामी लीग को छोड़कर अन्य समस्त पार्टियों को समाप्त कर दिया, जिससे बंगलादेश में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी। इस स्थिति में अगस्त 1975 में बंगलादेशी सेना ने शेख मुजीब के विरुद्ध बगावत कर दी। सेना द्वारा शेख मुजीब की हत्या कर दी गई।
3. सैन्य शासन की स्थापना-शेख मुजीब की हत्या के पश्चात् एक सैन्य शासक जियाउर्रहमान ने बंगलादेश नेशनल पार्टी का गठन किया और सन् 1977 के चुनाव में एच०एम० इरशाद के नेतृत्व में एक और सैन्य सरकार का गठन किया गया।
4. लोकतन्त्र स्थापना की माँग-सैन्य शासन की स्थापना के बावजूद बंगलादेश में लोकतन्त्र की स्थापना की माँग निरन्तर उठती रही। लोकतन्त्र की स्थापना से सम्बन्धित आन्दोलन में छात्रों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। लगातार विरोध को देखते हुए जनरल इरशाद ने बाध्य होकर राजनीतिक गविधियों की छूट दे दी। इसके स्थान पर जनरल इरशाद आगामी 5 वर्षों के लिए राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। सन् 1990 में जनता के व्यापक विरोध के आगे झुकते हुए लेफ्टिनेंट जनरल इरशाद को राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र देना पड़ा।
5. पुनः लोकतन्त्र की स्थापना-सन् 1991 में बंगलादेश में चुनाव हुए। इसके पश्चात् बंगलादेश में बहुदलीय चुनावों पर आधारित प्रतिनिधिमूलक लोकतन्त्र आज तक स्थापित है।
प्रश्न 2.
उत्तर :
‘दक्षेस (सार्क)दक्षेस से आशय है-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (साउथ एशियन एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन)। यह दक्षिण एशिया के आठ देशों (भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव, श्रीलंका एवं अफगानिस्तान) का एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना इन देशों ने आपसी सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से की है। दक्षेस की स्थापना दिसम्बर 1985 में की गयी। दक्षेस की स्थापना में बंगलादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर्रहमान की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
प्रारम्भ में सार्क में सात देश शामिल थे। सन् 2007 में अफगानिस्तान भी सार्क के आठवें सदस्य के रूप में शामिल हो गया। सार्क का स्थायी मुख्यालय काठमाण्डू (नेपाल) में है। सार्क, दक्षिण एशियाई देशों द्वारा बहुस्तरीय साधनों से आपस में सहयोग करने की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है।
सार्क की स्थापना के साथ ही दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई एवं सदस्य राष्ट्रों ने आपसी सहयोग का संकल्प लिया।
दक्षिण एशिया की शान्ति व सहयोग में दक्षेस (सार्क) का योगदान-दक्षिण एशिया की शान्ति व सहयोग में दक्षेस (सार्क) के मुख्य योगदान निम्नलिखित हैं-
(1) सार्क ने अपने आठों सदस्य देशों को एक-दूसरे के समीप लाने का कार्य किया है, जिससे उनमें दिखाई देने वाला तनाव कम हुआ है। दक्षेस के सहयोग से भारत और पाकिस्तान के मध्य तनाव में कमी आयी है और दोनों देश युद्ध के जोखिम कम करने के लिए विश्वास बहाली के उपाय करने पर सहमत हो गए हैं।
(2) सार्क के कारण इस क्षेत्र के दोनों देशों में अपने आर्थिक व सामाजिक विकास के लिए सामूहिक आत्मनिर्भरता पर बल दिया है। जिससे विदेशी शक्तियों का इस क्षेत्र में प्रभाव कम हुआ है। ये देश अब अपने को अधिक स्वतन्त्र महसूस करने लगे हैं।
(3) सार्क के कारण इस क्षेत्र के देशों की थोड़े-थोड़े अन्तराल पर आपसी बैठकें होती रहती हैं, जिससे उनके छोटे-मोटे मतभेद अपने-आप आसानी से सुलझ रहे हैं एवं इन देशों में अपनापन विकसित हुआ है।
(4) सार्क ने एक संरक्षित अन्न भण्डार की स्थापना की है जो इस क्षेत्र के देशों की आत्मनिर्भरता की भावना के प्रबल होने का सूचक है।
(5) सार्क के सदस्य देशों ने सन् 2004 में दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते (SAFTA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते में सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के लिए मुक्त व्यापार क्षेत्र बनाने का वायदा है। यदि दक्षिण एशिया के सभी देश अपनी सीमा-रेखा के आर-पार मुक्त व्यापार पर सहमत हो जाएँ तो इस क्षेत्र में शान्ति और सहयोग के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी हो गया। इस समझौते में सार्क देशों के मध्य आपसी व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को सन् 2007 तक 20 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य रखा गया था।
(6) दक्षेस के सहयोग से 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) से भारत सहित समस्त दक्षिण एशियाई देशों को लाभ हुआ है और क्षेत्र में मुक्त व्यापार बढ़ाने से राजनीतिक मामलों पर सहयोग में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के प्रमुख मुद्देभारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं-
1. कश्मीर का मुद्दा-विभाजन के तुरन्त बाद दोनों देश कश्मीर के मुद्दे पर लड़ पड़े। पाकिस्तान की सरकार का दावा था कि कश्मीर पाकिस्तान का है जबकि भारत का कहना है कि कश्मीर भारत का अंग है। दोनों देशों के अपने-अपने तर्क हैं। इस मुद्दे को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच सन् 1947-48 तथा सन् 1965 का युद्ध हो चुका है, लेकिन इन युद्धों से इस मसले का समाधान नहीं हो सका।
2.सियाचिन ग्लेशियर पर नियन्त्रण का मुद्दा-हिमालय में भारत-पाक-चीन सीमा पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर का उचित सीमा निर्धारण नहीं किए जा सकने के कारण भारत-पाक के बीच विवाद का मुद्दा बना हुआ है। सामरिक दृष्टि से इस क्षेत्र का अत्यधिक महत्त्व होने के कारण दोनों देश इस पर अपना अधिकार स्थापित करना चाहते हैं।
3. हथियारों की होड़ का मुद्दा–हथियारों की होड़ को लेकर भी भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी रहती है। सन् 1998 में दोनों ने परमाणु परीक्षण किए तथा दोनों परमाणु अस्त्रों से लैस हैं।
4. एक-दूसरे पर सन्देह तथा आरोप-प्रत्यारोप-दोनों देशों की सरकारें लगातार एक-दूसरे को सन्देह की नजर से देखती हैं। उग्रवाद, आतंकवाद, जासूसी आदि के लिए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करती रहती हैं।
5. नदी-जल बँटवारे पर विवाद–भारत और पाकिस्तान के बीच सिन्धु जल सन्धि की व्याख्या और नदी जल के इस्तेमाल को लेकर विवाद बना हुआ है।
6. सरक्रीक की समस्या-कच्छ के रन में सरक्रीक की सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों के मध्य मतभेद हैं।
भारत-पाक सम्बन्धों को सुधारने हेतु सुझाव भारत-पाक सम्बन्धों को सुधारने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
- राजनीतिक स्तर पर बातचीत एवं विश्वास बहाली के प्रयास–भारत और पाकिस्तान दोनों राजनीतिक स्तर पर प्रयास करके आपसी विवादों को बातचीत और समझौतों के द्वारा दूर कर सकते हैं।
- आर्थिक स्तर पर प्रयास-दोनों देशों को आपसी सम्बन्ध सुधारने के लिए आर्थिक स्तर पर ‘मुक्त व्यापार सन्धि’ तथा एक-दूसरे की आर्थिक जरूरतों को पूरा करके सम्बन्धों में सुधार के प्रयास करने चाहिए।
- सांस्कृतिक स्तर पर प्रयास-सांस्कृतिक स्तर पर दोनों देशों को साहित्य, कला और खेल-गतिविधियों के आदान-प्रदान, वीजा सुविधा तथा सिनेमा के द्वारा सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- सामाजिक स्तर पर प्रयास-~भारत और पाकिस्तान को अपने सम्बन्ध सुधारने के लिए समय-समय पर इन लोगों को आपस में मिलने की सुविधा प्रदान करें।
- तकनीकी तथा चिकित्सा सेवा का आदान-प्रदान-दोनों देश तकनीकी ज्ञान तथा चिकित्सा के क्षेत्र में भी साथ काम करके आपसी सम्बन्ध सुधार सकते हैं।
- शिमला समझौते का पालन-दोनों देशों को शिमला समझौते की शर्तों का पालन करना चाहिए।
प्रश्न 4.
उत्तर :
पाकिस्तान, दक्षिण एशिया का एक महत्त्वपूर्ण देश है। यहाँ लोकतन्त्र एवं सैन्यतन्त्र दोनों प्रकार की शासन-व्यवस्था रही है, जिसे निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-पाकिस्तान में लोकतन्त्र एवं सैन्य तन्त्र (पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था)
1. पाकिस्तान में लोकतन्त्र-सन् 1947 में ब्रिटिश शासन की समाप्ति के बाद भारत और पाकिस्तान का एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में उदय हुआ। पाकिस्तान अपनी स्थापना के समय दो खण्डों में विभाजित राष्ट्र था। इसके एक भाग को पश्चिमी पाकिस्तान एवं दूसरे भाग को पूर्वी पाकिस्तान कहा गया। दोनों के मध्य में भारत राष्ट्र स्थित था। सन् 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के समय लोकतान्त्रिक पद्धति में विश्वास जताया गया। मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मुहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया।
2. सैनिक शासन की स्थापना-पाकिस्तान के पहले संविधान के निर्माण के बाद देश के शासन की बागडोर जनरल अयूब खान ने अपने हाथों में लेकर सैन्य तानाशाही लागू कर दी। शीघ्र ही अयूब खान ने अपना निर्वाचन भी करा लिया। उनके शासन के विरुद्ध जनता ने आन्दोलन कर दिया। फलस्वरूप इन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। जनरल याहिया खान ने सैन्य शासन की बागडोर सँभाली। इनके शासन के दौरान पाकिस्तान को बंगलादेश संकट का सामना करना पड़ा। सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी पाकिस्तान टूटकर एक स्वतन्त्र राष्ट्र बंगलादेश बना।
3. निर्वाचित सरकार का गठन-सन् 1971 में पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में एक निर्वाचित सरकार का गठन हुआ। यह सरकार सन् 1977 तक अर्थात् लगभग 6 वर्षों तक पाकिस्तान में स्थापित रही।
4. पुनः सैन्य शासन की स्थापना–सन् 1977 में जनरल जियाउल-हक ने पाकिस्तान की लोकतान्त्रिक ढंग से चुनी गयी जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को अपदस्थ कर सैन्य शासन की स्थापना की। जनरल जियाउल-हक पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने। सन् 1982 से जनरल जियाउल-हक को पाकिस्तान में अनेक लोकतन्त्र समर्थक आन्दोलनों का सामना करना पड़ा।
5. लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था की स्थापना–सन् 1988 में एक बार पुनः जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में लोकतान्त्रिक सरकार का गठन हुआ। इसके बाद पाकिस्तान की राजनीति बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी एवं मुस्लिम लीग की आपसी होड़ के इर्द-गिर्द घूमती रही। पाकिस्तान मे निर्वाचित लोकतन्त्र की यह अवस्था सन् 1999 तक कायम रही।
6. पुनः सैन्य शासन की स्थापना-सन् 1999 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ को हटाकर सैन्य शासन की स्थापना की । सन् 2001 में परवेज मुशर्रफ ने अपना निर्वाचन राष्ट्रपति के रूप में करा लिया, लेकिन व्यवहार में पाकिस्तान में सैन्य शासन कायम रहा।
7. पाकिस्तान में पुनः लोकतन्त्र की स्थापना–पाकिस्तान में बढ़ते लोकतन्त्र समर्थक जन-आन्दोलन एवं विश्व जनमत के बढ़ते दबाव को देखते हुए राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने फरवरी 2008 में पाकिस्तान में आम चुनाव कराए; जिसमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ। यूसुफ रजा गिलानी को प्रधामन्त्री बनाया गया। सितम्बर 2008 में परवेज मुशर्रफ के स्थान पर आसिफ अली जरदारी को पाकिस्तान का राष्ट्रपति बनाया गया।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
दक्षिण एशिया क्षेत्र की विशेषताएँ-- दक्षिण एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ सद्भाव और शत्रुता, आशा और निराशा एवं पारस्परिक शंका व विश्वास साथ-साथ बसते हैं।
- सामान्यतया भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव एवं श्रीलंका को इंगित करने के लिए ‘दक्षिण एशिया’ पद का व्यवहार किया जाता है। इस क्षेत्र में कभी-कभी अफगानिस्तान एवं म्यानमार को भी शामिल किया जाता है।
- उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत श्रृंखला, दक्षिण में हिन्द-महासागर, पश्चिम में अरब सागर एवं पूर्व में बंगाल की खाड़ी से दक्षिण एशिया एक विशिष्ट प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में नजर आता है।
- दक्षिण एशिया विविधताओं से भरा-पूरा क्षेत्र है फिर भी भू-राजनीतिक धरातल पर यह एक क्षेत्र है।
- दक्षिण एशिया क्षेत्र की भौगोलिक विशिष्टता ही इस उपमहाद्वीप क्षेत्र के भाषायी, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अनूठेपन के लिए जिम्मेदार है।
प्रश्न 2.
उत्तर :
दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में एक-सी राजनीतिक प्रणाली नहीं है, यह निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट है-- दक्षिण एशिया के दो देशों भारत और श्रीलंका में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से ही लोकतान्त्रिक व्यवस्था सफलतापूर्वक स्थापित है।
- नेपाल में सन् 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था। अप्रैल 2006 में एक सफल जन-विद्रोह से यहाँ लोकतन्त्र की स्थापना हुई है।
- पाकिस्तान और बंगलादेश में लोकतान्त्रिक एवं सैन्य दोनों प्रकार की शासन व्यवस्थाएँ परिवर्तित होती रही हैं। वर्तमान समय में दोनों देशों में लोकतान्त्रिक शासन-व्यवस्था स्थापित है।
- भूटान में वर्तमान में राजतन्त्र स्थापित है, लेकिन यहाँ के राजा ने भूटान में बहुदलीय लोकतन्त्र स्थापित करने की योजना की शुरुआत कर दी है।
- मालदीव में सन् 1968 तक सल्तनत शासन था। सन् 1968 में यह देश एक गणतन्त्र बना तथा यहाँ अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अपनायी गयी।
प्रश्न 3.
उत्तर :
दक्षिण एशिया में लोकतन्त्र का मिला-जुला रिकॉर्ड रहा है। इसके बावजूद इस क्षेत्र के देशों की जनता लोकतन्त्र की आकांक्षाओं में सहभागी है। इस क्षेत्र के पाँच बड़े देशों—भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, नेपाल व श्रीलंका में हाल में किए सर्वेक्षण में यह बात स्पष्ट हुई है कि इन पाँच देशों में लोकतन्त्र को व्यापक जनसमर्थन प्राप्त है। इन देशों में प्रत्येक वर्ग एवं धर्म के आम नागरिक लोकतन्त्र को अच्छा मानते हैं तथा प्रतिनिधिमूलक लोकतन्त्र की संस्थाओं का समर्थन करते हैं। इन देशों के लोग शासन संचालन की किसी और प्रणाली की अपेक्षा लोकतन्त्र को वरीयता देते हैं और यह मानते हैं कि उनके देश के लिए लोकतन्त्र ही सर्वश्रेष्ठ प्रणाली हो सकती है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि दक्षिण एशिया की जनता लोकतन्त्र को अन्य शासन प्रणालियों से अच्छा समझती है।प्रश्न 4.
उत्तर :
सार्क के प्रमुख उद्देश्य-सार्क के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण में वृद्धि तथा उनके जीवन-स्तर में उन्नति लाना।
- इस क्षेत्र में आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति एवं सांस्कृतिक विकास लाना।
- दक्षिण एशिया के देशों के बीच सामूहिक आत्मविश्वास को विकसित करने का प्रयास करना।
- एक-दूसरे की समस्याओं को समझने, सुलझाने तथा परस्पर विश्वास को लाने में योगदान करना।
- आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी तथा वैज्ञानिक क्षेत्रों में परस्पर सहयोग करना।
- दूसरे विकासशील देशों के साथ पारस्परिक सहयोग में वृद्धि करना।
- समान हितों के मामलों में अन्तर्राष्ट्रीय आधारों पर परस्पर सहयोग में वृद्धि करना।
- समान उद्देश्यों वाले क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
प्रश्न 5.
उत्तर :
सार्क की प्रमुख संस्थाएँ–सार्क की प्रमुख संस्थाएँ निम्नलिखित हैं-- शिखर सम्मेलन-सार्क देशों का प्रतिवर्ष एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाता है जिसमें सदस्य देशों के शासनाध्यक्ष भाग लेते हैं।
- मन्त्रिपरिषद्-सार्क के सभी राष्ट्रों के विदेश मन्त्रियों ने मिलकर एक मन्त्रिपरिषद् का निर्माण किया गया है जो नीतियों का निर्माण करती है।
- स्थायी समिति सार्क की एक स्थायी समिति है जो परिषद् की योजनाओं को स्वीकृति देती है तथा उनका वित्तीय प्रबन्ध करती है।
- तकनीकी समिति-सार्क की तकनीकी समिति क्षेत्रीय सहयोग के विस्तार, योजनाओं का निर्माण व उनके कार्यान्वयन का मूल्यांकन आदि कार्य करती है।
- सचिवालय-सार्क का एक सचिवालय है। इसका एक महासचिव होता है जिसका कार्यकाल 2 वर्ष रखा गया है।
- वित्तीय व्यवस्था-सार्क के चार्टर के अनुच्छेद-9 में वित्तीय व्यवस्थाओं का प्रावधान किया गया है।
प्रश्न 6.
उत्तर :
कश्मीर समस्या कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में एक देशी रियासत थी। भारत की स्वतन्त्रता के बाद कश्मीर के राजा ने कश्मीर को स्वतन्त्र रखने का निर्णय लिया, लेकिन पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त में कबाइली लोगों को सहयोग देकर 22 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर कश्मीर के कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।अन्ततः कश्मीर के शासक ने कश्मीर को भारत के साथ विलय करने के लिए सन्धि की। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को कश्मीर से खदेड़ना शुरू कर दिया। इसी बीच विवाद संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाया गया और स्थिति आज तक यथावत् बनी हुई है।
दोनों देशों के बीच प्रमुख समस्या यह है कि पाकिस्तान मुस्लिम बहुल प्रान्त होने के कारण कश्मीर को पाकिस्तान का भाग मानता है, जबकि देशी रियासतों के विलय प्रस्ताव के हिसाब से कश्मीर का विलय भारत में हुआ है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए हैं। दोनों देशों के बीच बातचीत के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन समस्या जस-की-तस बनी हुई है।
प्रश्न 7.
उत्तर :
दक्षिण एशिया में लोकतन्त्र का रिकॉर्ड मिला-जुला रहा है। इसके बावजूद इस क्षेत्र के देशों की जनता लोकतन्त्र की आकांक्षाओं की सहभागी है अर्थात् वह लोकतन्त्र को अन्य शासन प्रणालियों से अच्छा समझती है।इस क्षेत्र के पाँच बड़े देशों-बंगलादेश, नेपाल, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में हाल ही में एक सर्वेक्षण किया गया था जिसमें यह बात स्पष्ट हुई कि इन पाँच देशों में लोकतन्त्र को व्यापक जन-समर्थन हासिल है। इन देशों में हर वर्ग और धर्म के आम नागरिक लोकतन्त्र को अच्छा मानते हैं और प्रतिनिधिमूलक लोकतन्त्र की संस्थाओं का समर्थन करते हैं। इन देशों के लोग शासन की किसी और प्रणाली की अपेक्षा लोकतन्त्र को वरीयता देते हैं और मानते हैं कि उनके देश के लिए लोकतन्त्र ही ठीक है।
प्रश्न 8.
उत्तर :
भारत और बंगलादेश के बीच मतभेद के मुद्दे भारत और बंगलादेश के बीच मतभेद के प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं-(I) भारत के बंगलादेश से अप्रसन्न होने के कारण भारतीय सरकारों के बंगलादेश से अप्रसन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं-
- भारत में अवैध अप्रवास के विषय का ढाका द्वारा खण्डन करना।
- बंगलादेश सरकार द्वारा भारत-विरोधी इस्लामी कट्टरपन्थी जमातों को समर्थन देना।
- भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बंगलादेश का इनकार करना।
(II) बंगलादेश भारत पर निम्नलिखित कारणों से अप्रसन्न है-
- बंगलादेश की सरकार का मानना है कि भारत सरकार नदी-जल में हिस्सेदारी के प्रश्न पर इलाके के बाहुबली की तरह बरताव करती है।
- बंगलादेश का आरोप है कि भारत की सरकार चटगाँव पर्वतीय क्षेत्र में विद्रोह को हवा दे रही है।
प्रश्न 9.
उत्तर :
भारत-नेपाल के सम्बन्धों के बीच तनाव के मुद्दे भारत-नेपाल के मधुर सम्बन्धों के बीच निम्नलिखित मुद्दे मनमुटाव पैदा करते रहे हैं-- भारत की चीन के साथ मित्रता को लेकर भारत सरकार ने अक्सर अपनी अप्रसन्नता प्रकट की है।
- नेपाल सरकार भारत-विरोधी तत्त्वों के विरुद्ध आवश्यक कदम नहीं उठाती है। इससे भी भारत अप्रसन्न है।
- भारत की सुरक्षा एजेन्सियाँ नेपाल में चल रहे माओवादी आन्दोलन को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानती हैं।
- नेपाल के लोगों की यह सोच है कि भारत की सरकार नेपाल के अन्दरूनी मामलों में दखल दे रही है और उसके नदी-जल तथा पन-बिजली पर आँख गड़ाए हुए है।
- नेपाल को यह भी लगता है कि भारत उसको अपने भू-क्षेत्र से होकर समुद्र तक पहुँचने में रोकता है।
प्रश्न 10.
उत्तर :
श्रीलंका का जातीय संघर्ष श्रीलंका के जातीय संघर्ष में भारतीय मूल के तमिल प्रमुख भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। उनके संगठन लिट्टे की हिंसात्मक कार्रवाइयों तथा आन्दोलन की वजह से श्रीलंका को जातीय संघर्ष का सामना करना पड़ा। लिट्टे की प्रमुख माँग है कि श्रीलंका के एक क्षेत्र को अलग राष्ट्र बनाया जाए।श्रीलंकाई राजनीति पर बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का वर्चस्व रहा है और तमिल सरकार एवं राजनेताओं पर उनके हितों की अनदेखी किए जाने का दोषारोपण किया गया। सिंहली राष्ट्रवादियों की मान्यता है कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत नहीं की जानी चाहिए क्योंकि तमिल केवल सिंहली लोगों का है।
तमिलों के प्रति उपेक्षित व्यवहार से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज बुलन्द हुई। सन् 1983 के पश्चात् उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम’ (लिट्टे) देश की सीमा के साथ सशस्त्र संघर्षरत है। इसने तमिल ईलम अर्थात् श्रीलंकाई तमिलों हेतु एक पृथक् देश की माँग कर डाली। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि सन् 2009 में श्रीलंकाई सरकार द्वारा लिट्टे का सफाया कर दिए जाने के बाद उक्त स्थिति में बदलाव आ गया है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
सामान्यतया भारत, बंगलादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, मालदीव एवं श्रीलंका को इंगित करने के लिए ‘दक्षिण एशिया’ शब्द का प्रयोग किया जाता है। यह एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी, दक्षिण में हिन्द महासागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर स्थित है।प्रश्न 2.
उत्तर :
पाकिस्तान में लोकतन्त्र के स्थायी न बन पाने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-- यहाँ सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का सामाजिक दबदबा है।
- भारत के साथ निरन्तर तनातनी रहने के कारण सेना-समर्थक समूह अधिक मजबूत है।
- अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने स्वार्थपूर्ति हेतु पाकिस्तान में सैन्य शासन को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 3.
उत्तर :
शिमला समझौते की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-- नियन्त्रण रेखा से दोनों देशों की सेनाओं की वापसी की जाए।
- जीता हुआ क्षेत्र वापस किया जाए।
- भारत द्वारा बन्दी बनाए गए एक लाख सैनिकों की रिहाई की जाए।
- दोनों देश आगे आपसी विवादों को द्विपक्षीय वार्ता के द्वारा सुलझाएँगे।
प्रश्न 4.
उत्तर :
श्रीलंका की प्रमुख सफलताएँ निम्नलिखित हैं-- श्रीलंका ने अच्छी आर्थिक वृद्धि और विकास के उच्च स्तर को हासिल किया है।
- इसने जनसंख्या की वृद्धि दर पर सफलतापूर्वक नियन्त्रण स्थापित किया है।
- दक्षिण एशियाई देशों में सबसे पहले श्रीलंका ने ही आर्थिक उदारीकरण किया।
- श्रीलंका में निरन्तर लोकतान्त्रिक व्यवस्था कायम रही है।
प्रश्न 5.
उत्तर :
दक्षिण एशिया में लोकतन्त्र लोकप्रिय है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-- दक्षिण एशिया में कराए गए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लोकतन्त्र को यहाँ भरपूरं जनसमर्थन प्राप्त है।
- दक्षिण एशिया में सभी जाति, धर्म एवं वर्ग के लोगों को लोकतन्त्र अच्छा लगता है।
- दक्षिण एशिया के लोग शासन की अन्य प्रणाली की अपेक्षा लोकतन्त्र को वरीयता देते हैं।
प्रश्न 6.
उत्तर :
सन् 1971 से पहले बंगलादेश पूर्वी पाकिस्तान के रूप में पाकिस्तान का ही एक भाग था। पाकिस्तानी शासकों के तानाशाही रवैये के विरुद्ध बंगलादेश के लोगों ने आन्दोलन किया, जिसे पाकिस्तान सरकार ने दबाने का भरपूर प्रयास किया। पूर्वी पाकिस्तान के लोग भारत पलायन कर गए। भारत ने शरणार्थियों की समस्या से परेशान होकर पूर्वी पाकिस्तान के लोगों की आजादी का समर्थन किया। अन्तत: दिसम्बर 1971 में भारत-पाक के मध्य युद्ध में पाकिस्तान की पराजय हुई और बंगलादेश के रूप में एक नए राष्ट्र का उदय हुआ।प्रश्न 7.
उत्तर :
साफ्टा का पूरा नाम है-दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र। दक्षेस के सदस्य देशों ने फरवरी 2004 में साफ्टा समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी हो गया है। इस समझौते के तहत दक्षेस देशों के बीच आपसी व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को सन् 2007 तक 20 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य था।बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
(a) भारत
(b) पाकिस्तान
(c) श्रीलंका
(d) बंगलादेश।
उत्तर :
(a) भारत।प्रश्न 2.
(a) 1985 में
(b) 1986 में
(c) 1990 में
(d) 1991 में।
उत्तर :
(a) 1985 में।प्रश्न 3.
(a) 7
(b) 8
(c) 9
(d) 10
उत्तर :
(b) 8प्रश्न 4.
(a) आसियान से
(b) सार्क से
(c) हिमवेक्ष से
(d) ओपेक से
उत्तर :
(b) सार्क सेप्रश्न 5.
(a) नई दिल्ली में
(b) ढाका में
(c) इस्लामाबाद में
(d) काठमाण्डू में।
उत्तर :
(d) काठमाण्डू में।प्रश्न 6.
(a) भारत व पाकिस्तान
(b) भारत व चीन
(c) भारत व बंगलादेश
(d) भारत व श्रीलंका।
उत्तर :
(c) भारत व बंगलादेश।प्रश्न 7.
(a) 2002 में
(b) 2001 में
(c) 2006 में
(d) 2004 में।
उत्तर :
(c) 2006 में।प्रश्न 8.
(a) 1955 में
(b) 1960 में
(c) 1965 में
(d) 1971 में।
उत्तर :
(d) 1971 में।NCERT Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Class 12 Rajniti Vigyan Chapters | Rajniti Vigyan Class 12 Chapter 5
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Contemporary World Politics
( भाग ‘अ’ – समकालीन विश्व राजनीति)
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NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 The Cold War Era
(शीतयुद्ध का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 The End of Bipolarity
(दो ध्रुवीयता का अंत)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 US Hegemony in World Politics
(समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 Alternative Centres of Power
(सत्ता के वैकल्पिक केंद्र)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Contemporary South Asia
(समकालीन दक्षिण एशिया)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 International Organisations
(अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Security in the Contemporary World
(समकालीन विश्व में सुरक्षा)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Environment and Natural Resources
(पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Globalisation
(वैश्वीकरण)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Politics In India Since Independence
(भाग ‘ब’ – स्वतंत्र भारत में राजनीति)
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NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 Challenges of Nation Building
(राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 Era of One Party Dominance
(एक दल के प्रभुत्व का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 Politics of Planned Development
(नियोजित विकास की राजनीति)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 India’s External Relations
(भारत के विदेश संबंध)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Challenges to and Restoration of Congress System
(कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 The Crisis of Democratic Order
(लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Rise of Popular Movements
(जन आन्दोलनों का उदय)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Regional Aspirations
(क्षेत्रीय आकांक्षाएँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics
(भारतीय राजनीति : नए बदलाव)
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