NCERT Solutions | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics) Chapter 6 | International Organisations (अंतर्राष्ट्रीय संगठन)

CBSE Solutions | Rajniti Vigyan Class 12
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NCERT | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12 |
Subject: | Rajniti Vigyan |
Chapter: | 6 |
Chapters Name: | International Organisations (अंतर्राष्ट्रीय संगठन) |
Medium: | Hindi |
International Organisations (अंतर्राष्ट्रीय संगठन) | Class 12 Rajniti Vigyan | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 International Organisations (अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 Text Book Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) सुरक्षा परिषद् के सिर्फ स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार है। (✓)
(ख) यह एक तरह की नकारात्मक शक्ति है। (✓)
(ग) सुरक्षा परिषद् के फैसले से असन्तुष्ट होने पर महासचिव ‘वीटो’ का प्रयोग करता है। (✗)
(घ) एक ‘वीटो’ से भी सुरक्षा परिषद् का प्रस्ताव नामंजूर हो सकता है। (✓)
प्रश्न 2.
(क) सुरक्षा और शान्ति से सम्बन्धित सभी मसलों का निपटारा सुरक्षा परिषद् में होता है। (✓)
(ख) मानवतावाद नीतियों का क्रियान्वयन विश्व भर में फैली मुख्य शाखाओं तथा एजेन्सियों के मार्फत होता है। (✓)
(ग) सुरक्षा के किसी मसले पर पाँचों स्थायी सदस्य देशों का सहमत होना उसके बारे में लिए गए फैसले के क्रियान्वयन के लिए जरूरी है। (✓)
(घ) संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के सभी सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ के बाकी प्रमुख अंगों और विशेष एजेन्सियों के स्वत: सदस्य हो जाते हैं। (✗)
प्रश्न 3.
(क) परमाणु क्षमता।
(ख) भारत संयुक्त राष्ट्र संघ के जन्म से ही उसका सदस्य है।
(ग) भारत एशिया में है।
(घ) भारत की बढ़ती हुई आर्थिक ताकत और स्थिर राजनीतिक व्यवस्था।
उत्तर :
(घ) भारत की बढ़ती हुई आर्थिक ताकत और स्थिर राजनीतिक व्यवस्था।प्रश्न 4.
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ निरस्त्रीकरण समिति
(ख) अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेन्सी
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा समिति
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ निरस्त्रीकरण समिति।प्रश्न 5.
(क) जनरल एग्रीमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ
(ख) जनरल अरेन्जमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ
(ग) विश्व स्वास्थ्य संगठन
(घ) संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम।
उत्तर :
(क) जनरल एग्रीमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ।प्रश्न 6.
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य ……… है।
(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे जाना-पहचाना पद ……… का है।
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में ……… स्थायी और ……… अस्थायी सदस्य हैं।
(घ) ………संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं।
(च) मानवाधिकारों की रक्षा में सक्रिय दो स्वयंसेवी संगठन ……… और ……… हैं।
उत्तर :
(क) संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्य उद्देश्य विश्व में शान्ति व सुरक्षा बनाए रखना है।(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे जाना-पहचाना पद महासचिव का है।
(ग) संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में पाँच स्थायी और दस अस्थायी सदस्य हैं।
(घ) एण्टोनियो गुटेरेस (पुर्तगाल से) संयुक्त राष्ट्र संघ के वर्तमान महासचिव हैं।
(च) मानवाधिकारों की रक्षा में सक्रिय दो स्वयंसेवी संगठन एमनेस्टी इण्टरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच हैं।
प्रश्न 7.

उत्तर :


प्रश्न 8.
उत्तर :
सुरक्षा परिषद्, संयुक्त राष्ट्र संघ का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंग है। वर्तमान में इसके कुल 15 सदस्य हैं जिनमें 5 स्थायी सदस्य हैं और 10 अस्थायी सदस्य। स्थायी सदस्यों में अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस, फ्रांस एवं चीन हैं। प्रारम्भ में सुरक्षा परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या 11 थी, सन् 1965 में इनकी संख्या बढ़ाकर 15 कर दी गई। अस्थायी सदस्यों (10 सदस्यों) को साधारण सभा दो-तिहाई बहुमत से दो वर्ष के लिए चुनती है। सुरक्षा परिषद् संयुक्त राष्ट्र संघ का निरन्तर कार्य करने वाला निकाय है। यह स्थायी रूप से सत्र में रहती है। सामान्यत: इसकी बैठक 14 दिन में एक बार होती है। प्रत्येक स्थायी सदस्य को सभी महत्त्वपूर्ण विषयों में निषेधाधिकार (veto) प्राप्त है।सुरक्षा परिषद् के कार्य सुरक्षा परिषद् के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) विश्व शान्ति एवं सुरक्षा के प्रति उत्तरदायी होती है। यह विरोधी देशों को बाध्य करती है कि वे विवाद का निपटारा शान्तिपूर्ण तरीकों से करें।
(2) सुरक्षा परिषद् के क्षेत्राधिकार में आने वाले बहुत-से संगठनात्मक विषयों में उसे कानूनी रूप से बाध्यकारी अधिकार प्राप्त है। नए राष्ट्रों को संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता प्रदान करना, महासचिव का चयन, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति आदि सभी ऐसे कार्य जो महासभा से मिलकर करती है, बाध्यकारी प्रभाव रखते हैं।
(3) सुरक्षा परिषद् अपने आन्तरिक मामलों का स्वयं निर्णय करती है।
(4) सुरक्षा परिषद् शान्ति भंग करने वाले किसी भी देश के विरुद्ध कठोर कार्रवाई कर सकती है।
(5) यदि किसी राष्ट्र ने दूसरे राष्ट्र पर आक्रमण कर दिया है तो उसे क्रूटनीतिक, आर्थिक एवं सैन्य कार्रवाई करने का आदेश देने का अधिकार है एवं सदस्य राष्ट्र चार्टर की इच्छानुसार उक्त निर्णय को मानने एवं लागू करने को बाध्य है।
सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर ही कोई भी राष्ट्र, जिसके खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई की गयी हो, सदस्यता के अधिकार से अनिश्चित काल के लिए वंचित किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
उत्तर :
मेरी दृष्टि में आज भारत विश्व के प्रमुख शक्तिशाली देशों में गिना जाता है, अत: उसे सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता प्राप्त होनी चाहिए। इस तर्क के पीछे निम्नलिखित कारण हैं- भारत विश्व का सबसे बड़ी जनसंख्या वाला दूसरा देश है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के शान्ति बहाली के प्रयासों में भारत लम्बे समय से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता आ
रहा है। - भारत अन्तर्राष्ट्रीय फलक पर आर्थिक शक्ति बनकर उभर रहा है।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में नियमित रूप से अपना योगदान दिया है और यह कभी भी अपने भुगतान से चूका नहीं है।
- भारत ने सदैव शीतयुद्ध और सैन्य गुटबन्दी आदि का विरोध किया है।
- भारतीय संस्कृति सदैव ही अहिंसा, शान्ति, सहयोग की समर्थक रही है, अत: भारत को सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनाना चाहिए।
प्रश्न 10.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपाय-- संयुक्त राष्ट्र संघ शान्ति और सुरक्षा से जुड़े अभियानों में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभाए ताकि सभी देशों का इसके प्रति विश्वास बढ़े।
- सुरक्षा परिषद् के स्थायी तथा अस्थायी सदस्यों की संख्या में वृद्धि की जाए।
- सुरक्षा परिषद् में केवल पाँच स्थायी सदस्य देशों को विशेषाधिकार दिया गया है। ये अपनी वीटो शक्ति से किसी भी प्रस्ताव को निरस्त कर सकते हैं, इस अधिकार को समाप्त कर देना चाहिए।
- कोई भी निर्णय महासभा में बहुमत से होना चाहिए। सभी सदस्यों को एक मत देने का अधिकार होना चाहिए और व्यक्तिगत रूप में गुप्त मतदान के रूप में इसका प्रयोग होना चाहिए।
- भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील तथा दक्षिणी अफ्रीका को सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता प्रदान करनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे को बदलने के लिए सुझाए गए उपायों के क्रियान्वयन में आ रही कठिनाइयाँ-उपर्युक्त सुझावों के क्रियान्वयन में निम्नलिखित कठिनाइयाँ आ रही हैं-
- सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या 5 है जबकि साधारण सभा के सदस्यों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। अत: इस आधार पर सुरक्षा परिषद् की सदस्य संख्या में भी वृद्धि होनी चाहिए, लेकिन इनमें किन सदस्यों को शामिल किया जाए यह समस्या आती है।
- जनसंख्या, आर्थिक स्थिति, अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में प्रभाव आदि किस आधार पर देशों को शामिल किया
जाए। - स्थायी सदस्यों की वीटो पावर आदि समाप्त कर दी जाएगी तो वे देश इस संघ में उतनी रुचि नहीं लेंगे। यह भी अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से उचित नहीं रहेगा।
प्रश्न 11.
उत्तर :
हालाँकि संयुक्त राष्ट्र संघ युद्ध और उससे उत्पन्न विपदा को रोकने में नाकामयाब रहा है परन्तु फिर भी प्रत्येक देश इसे एक महत्त्वपूर्ण एवं अपरिहार्य संगठन मानता है। संयुक्त राष्ट्र संघ अपने पूर्ववर्ती संगठन राष्ट्र-संघ की तरह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद असफल नहीं रहा। अत: संयुक्त राष्ट्र संघ को बनाए रखना आवश्यक है। इसके अन्य प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-(1) संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका और विश्व के अन्य देशों के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करवा सकता है। इसी के माध्यम से छोटे एवं निर्बल देशं अमेरिका से किसी भी मसले पर बात कर सकते हैं।
(2) सन् 2011 तक संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 देश सदस्य बन चुके हैं। यह विश्व का सबसे प्रभावशाली मंच है। यहाँ पर अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति, सुरक्षा तथा सामाजिक, आर्थिक समस्याओं पर खुले मस्तिष्क से वाद-विवाद और विचार-विमर्श होता है।
(3) संयुक्त राष्ट्र संघ के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है कि वह किसी देश को बाध्य करे, परन्तु वह ऐसे देशों की शक्तियों पर अंकुश अवश्य लगा सकता है चाहे वह अमेरिका जैसा देश ही क्यों न हो। संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सदस्यों (देशों) के माध्यम से अमेरिका तक की नीतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता है।
(4) आज कुछ राष्ट्रों के पास अणु व परमाणु बम हैं, किन्तु बड़ी शक्तियों के प्रभाव के कारण काफी सीमा तक सर्वाधिक भयंकर हथियारों के निर्माण और रयायन व जैविक हथियारों का प्रयोग और निर्माण को रोकने में संयुक्त राष्ट्र संघ को सफलता मिली है।
(5) संयुक्त राष्ट्र संघ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, पिछड़े और गरीब राष्ट्रों को ऋण भुगतान और आपातकाल में अनेक प्रकार की सहायता दिलाने में सक्षम रहा है। इसलिए इसका बना रहना आवश्यक है।
(6) आज प्रत्येक देश पारस्परिक निर्भरता को समझने लगा है और पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है। इसके पीछे भी संयुक्त राष्ट्र संघ है। यह एक ऐसा मंच है जिस पर विश्व के अधिकांश देश उपलब्ध रहते हैं। कोई भी देश पूर्ण नहीं होता उसे सदैव दूसरे देश के सहयोग की आवश्यकता होती है फिर चाहे वह अमेरिका हो या इंग्लैण्ड।
उपर्युक्त कारणों से स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रयोग और अधिक मानव-मूल्यों, विश्वबन्धुत्व एवं पारस्परिक सहयोग की भावना से किया जाना चाहिए। इसका अस्तित्व आज अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति व सहयोग के लिए परम आवश्यक है।
प्रश्न 12.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के अंगों में सुरक्षा परिषद् अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार का अर्थ है- सुरक्षा परिषद् के ढाँचे में निश्चित रूप से बदलाव। सुरक्षा परिषद् में वर्तमान में कुल 15 सदस्य हैं जिनमें 10 अस्थायी और 5 स्थायी हैं। इन 5 स्थायी सदस्य देशों में अमेरिका, फ्रांस, रूस, इंग्लैण्ड और चीन हैं। इन पाँचों देशों को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो शक्ति का प्रयोग करने का अधिकार है अत: इनका सुरक्षा परिषद् में आधिपत्य है। एक प्रकार से समस्त निर्णय इन्हीं 5 स्थायी सदस्यों द्वारा किए जाते हैं। ऐसे में अन्य देशों को असन्तोष होता है, वे चाहते हैं कि इन सदस्यों की इस वीटो शक्ति को समाप्त किया जाना चाहिए। यदि इस प्रकार का कोई सुधार संयुक्त राष्ट्र संघ में किया गया तो सुरक्षा परिषद् के ढाँचे में बदलाव होगा।NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 InText Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
हाँ, ऐसी चौपालें वास्तव में होनी चाहिए क्योंकि इनमें हुए वाद-विवाद के पश्चात् समस्याओं के समाधान सरलता से तलाश किए जा सकते हैं।प्रश्न 2.
उत्तर :
मुद्दे व समस्याओं की सूची-- अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद।
- अन्तर्राष्ट्रीय विवादों का शान्तिपूर्ण समाधान।
- युद्धों का रोकना।
- प्राकृतिक आपदाएँ; जैसे-ज्वालामुखी विस्फोट, भूकम्प, सुनामी व बाढ़ आदि।
- वैश्विक ताप वृद्धि को रोकना।
- विभिन्न देशों के मध्य नदी-जल बँटवारा।
- महामारियाँ।
प्रश्न 3.
हम संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल होकर पाँच बड़े दादाओं अर्थात् सुरक्षा परिषद् के वर्तमान स्थायी सदस्य-चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस व संयुक्त राज्य अमेरिका की दादागीरी को खत्म करना चाहते हैं। भारत सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य बनकर निषेधाधिकार शक्ति (वीटो पावर) प्राप्त कर लेगा तो सुरक्षा परिषद् के निर्णयों को न्यायसंगत दिशा में मोड़ना चाहेगा तथा उन देशों की पैरवी करेगा जो दादाओं के व्यवहार से पीड़ित हैं।
भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से छोटे देशों के आर्थिक विकास के प्रस्तावों को सुरक्षा परिषद् में लाकर स्वीकृत कराने का प्रयास करेगा। इस तरह हम सुरक्षा परिषद् में सम्मिलित होकर एक और दादा नहीं बनना चाहते बल्कि पाँच बड़े दादाओं की दादागीरी को खत्म करना चाहते हैं।
प्रश्न 4.
उत्तर :
अगर संयुक्त राष्ट्र संघ किसी को न्यूयॉर्क बुलाए और अमेरिका उसे वीजा न दे तो वह संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं जा सकेगा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित है। इसलिए वीजा देने या न देने का निर्णय करना अमेरिका के क्षेत्राधिकार में आता है।प्रश्न 5.
उत्तर :
आसियान सदस्य-इण्डोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैण्ड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यानमार तथा कम्बोडिया।NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 Other Important Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 6 अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ का विकास-क्रम एवं स्थापना-1. राष्ट्र संघ की असफलता-प्रथम विश्वयुद्ध ने सम्पूर्ण विश्व को इस बात के लिए सचेत किया कि अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों के समाधान के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन के निर्माण का प्रयास आवश्यक रूप से किया जाना चाहिए। इसके परिणामस्वरूप राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशंस) का जन्म हुआ, लेकिन प्रारम्भिक सफलताओं के बावजूद यह संगठन द्वितीय विश्वयुद्ध को रोकने में सफल नहीं हो पाया। प्रथम विश्वयुद्ध की तुलना में द्वितीय विश्वयुद्ध में जन-धन की बहुत हानि हुई।
2. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के प्रयास-
(i) अटलाण्टिक चार्टर (अगस्त 1941)-द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वैश्विक शान्ति की स्थापना हेतु एक नयी विश्व संस्था की स्थापना की दिशा में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति रूजवेल्ट एवं ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री चर्चिल ने विश्व शान्ति के आधारभूत सिद्धान्तों की व्यवस्था की। इस पर दोनों देशों के नेताओं ने अगस्त 1941 में हस्ताक्षर किए जिसे ‘अटलाण्टिक चार्टर’ के नाम से जाना जाता है।
(ii) संयुक्त राष्ट्र घोषणा-पत्र (जनवरी 1942)–धुरी शक्तियों के विरुद्ध लड़ रहे 26 मित्र राष्ट्र अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट एवं ब्रितानी प्रधानमन्त्री चर्चिल द्वारा हस्ताक्षरित किए गए। ये नेता अटलाण्टिक चार्टर के समर्थन में जनवरी 1942 में वाशिंगटन (संयुक्त राज्य अमेरिका) में मिले और दिसम्बर 1943 में संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा पर हस्ताक्षर किए।
(iii) याल्टा सम्मेलन (फरवरी 1945)—विश्व के तीन बड़े नेताओं-अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट, ब्रितानी प्रधानमन्त्री चर्चिल एवं सोवियत राष्ट्रपति स्टालिन ने फरवरी 1945 में याल्टा सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन, प्रकृति व उसकी सदस्यता पर चर्चा की गयी। इस सम्मेलन में ही प्रस्तावित संयुक्त राष्ट्र संघ के बारे में विचार करने के लिए एक सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया।
(iv) सेन-फ्रांसिस्को सम्मेलन (अप्रैल-मई 1945)-अप्रैल-मई 1945 के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के सेन-फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र संघ का अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनाने के मुद्दे पर केन्द्रित सम्मेलन हुआ। यह सम्मेलन दो महीने तक चला। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र संघ का चार्टर तैयार किया गया।
(v) संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर पर हस्ताक्षर (जून 1945)-सेन-फ्रांसिस्को सम्मेलन के दौरान तैयार किए गए संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर पर 26 जून, 1945 को 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए। पोलैण्ड ने इस चार्टर पर 15 अक्टूबर, 1945 को हस्ताक्षर किए। इस तरह संयुक्त राष्ट्र संघ के 51 मूल संस्थापक सदस्य हैं।
3. संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना-24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी। तभी से प्रतिवर्ष 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के पश्चात् राष्ट्र संघ के अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया। भारत 30 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हो गया। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 193 है। इसका अन्तिम सदस्य दक्षिणी सूडान है जो सन् 2011 में इसका सदस्य बना था।
संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना एवं शान्ति स्थापित करना।
- राष्ट्रों के मध्य सहयोग स्थापित करना।
- समस्त विश्व में सामाजिक-आर्थिक विकास की सम्भावनाओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों को एक-साथ लाना।
- किसी कारणवश विभिन्न देशों के मध्य युद्ध छिड़ने की स्थिति में शत्रुता के दायरे को सीमित करना।
प्रश्न 2.
उत्तर :
सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व एक-ध्रुवीय हो गया है। इस एक-ध्रुवीय विश्व की एकमात्र महाशक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका है। वर्तमान में इसका कोई प्रतिद्वन्द्वी देश नहीं है। ऐसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका को अपनी मनमानी करने से रोक नहीं सकता। एक-धुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिका को अपनी मनमानी करने से नहीं रोक सकता एक-ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ निम्नलिखित कारणों से संयुक्त राज्य अमेरिका को अपनी मनमानी करने से नहीं रोक सकता-1. एकमात्र मजबूत सैन्य व आर्थिक शक्ति-सोवियत संघ की अनुपस्थिति में अब संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व की एकमात्र महाशक्ति है। अपनी सैन्य और आर्थिक शक्ति के बल पर संयुक्त राज्य अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ अथवा किसी अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की अनदेखी कर सकता है।
2. संयुक्त राष्ट्र संघ पर अमेरिकी प्रभाव की अधिकता-संयुक्त राष्ट्र संघ में संयुक्त राज्य अमेरिका का अत्यधिक प्रभाव है। वह संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में सबसे अधिक योगदान करने वाला देश है। अमेरिका की वित्तीय ताकत बेजोड़ है। संयुक्त राष्ट्र संघ अमेरिकी भू-क्षेत्र में स्थित है और इस कारण भी अमेरिका का प्रभाव इसमें बढ़ जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के कई नौकरशाह इसके नागरिक हैं।
3. संयुक्त राज्य अमेरिका के पास निषेधाधिकार की शक्ति होना-संयुक्त राज्य अमेरिका के पास निषेधाधिकार (वीटो पावर) की शक्ति है। यदि अमेरिका को कभी यह लगे कि कोई प्रस्ताव उसके अथवा उसके साथी राष्ट्रों के हितों के अनुकूल नहीं है अथवा अमेरिका को यह प्रस्ताव ठीक न लगे तो अपनी निषेधाधिकार शक्ति से वह इसे रोक सकता है।
4. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के चयन में अमेरिकी प्रभाव-संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी ताकत
और निषेधाधिकार शक्ति के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव के चयन में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसकी बात को महत्त्व प्रदान किया जाता है।
5. विश्व समुदाय में फूट डालने में सक्षम-संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सैन्य एवं आर्थिक ताकत के बल पर विश्व समुदाय में फूट डाल सकता है और डालता है ताकि उसकी नीतियों का विरोध संयुक्त राष्ट्र संघ में कमजोर हो जाए। इससे स्पष्ट होता है कि संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राज्य अमेरिका की मनमानी पर अंकुश लगाने में विशेष सक्षम नहीं है।
एक-धुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता
यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ इस एक-ध्रुवीय विश्व में अमेरिका को अपनी मनमानी करने से नहीं रोक सकता, लेकिन इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता।
एक-ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-
1. वार्तालाप के मंच के रूप में उपयोगिता-संयुक्त राष्ट्र संघ संयुक्त राज्य अमेरिका एवं शेष विश्व के मध्य विभिन्न मुद्दों पर बातचीत स्थापित कर सकता है। आवश्यकता पड़ने पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने ऐसा कई बार किया भी है।
2. अमेरिकी दृष्टि से उपयोगिता-अमेरिकी नेता संयुक्त राष्ट्र संघ की आलोचना करते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन वे इस बात को भी समझते हैं कि झगड़ों एवं सामाजिक-आर्थिक विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से 193 देशों को एक-साथ किया जा सकता है।
3. शेष विश्व के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता-शेष विश्व के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ एक ऐसा मंच है जहाँ अमेरिकी रवैये एवं नीतियों पर कुछ अंकुश लगाया जा सकता है। यह बात ठीक है कि अमेरिका के विरुद्ध शेष विश्व शायद ही कभी एकजुट हो पाता है और अमेरिका की ताकत पर अंकुश लगाना एक सीमा तक असम्भव है, लेकिन इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र संघ ही वह स्थान है जहाँ अमेरिका के किसी विशेष रवैये एवं नीति की आलोचना की सुनवाई हो सकती है और कोई मध्य का रास्ता निकालने एवं रियायत देने की बात कही जा सकती है।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि एक-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था होने के बावजूद वर्तमान विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रासंगिकता बनी हुई है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के सुधारों में भारत की भूमिका भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे में सुधार के मुद्दे का निम्नलिखित आधारों पर समर्थन किया है- संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती पर बल-बदलते हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती और दृढ़ता आवश्यक है।
- विकास के मुद्दे पर बल-संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने और विकास को बढ़ावा देने में ज्यादा बड़ी भूमिका निभाए।
- सुरक्षा परिषद् की संरचना में सुधार किया जाए-इस सन्दर्भ में भारत के प्रमुख तर्क निम्नलिखित-
- सुरक्षा परिषद् की संरचना प्रतिनिधिमूलक हो-भारत का तर्क है कि सुरक्षा परिषद् का विस्तार करने पर वह ज्यादा प्रतिनिधिमूलक होगी तथा उसे विश्व बिरादरी का अधिक समर्थन मिलेगा।
- सुरक्षा परिषद् में विकासशील देशों की संख्या बढ़ाई जाए–संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में ज्यादातर विकासशील सदस्य देश हैं। इसलिए सुरक्षा परिषद् में उनका यथोचित प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है-सुरक्षा परिषद् के काम-काज की सफलता विश्व-बिरादरी के समर्थन पर निर्भर है। इस कारण सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन की कोई योजना व्यापक धरातल पर बननी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका
24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गई। भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रारम्भिक सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत की भूमिका को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
- संयुक्त राष्ट्र संघ की सदस्यता बढ़ाने में भारत की भूमिका-भारत की सदा ही यह नीति रही है कि विश्व शान्ति को बनाए रखने के लिए तथा संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलता के लिए संसार के सभी देशों को सदस्य बनना चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों में भारत की भूमिका-संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्य अंगों तथा विशेष अभिकरणों में भारत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता आ रहा है।
- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा की दृष्टि से भारत का योगदान-भारत ने विश्व शान्ति एवं सुरक्षा को बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र संघ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उसने कोरिया समस्या के समाधान, स्वेज नहर की समस्या, कांगो की समस्या के समाधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
- उपनिवेशवाद तथा रंगभेद की नीति का विरोध-भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में उपनिवेशवाद तथा रंगभेद की नीति के विरुद्ध आवाज उठायी है।
- निःशस्त्रीकरण के प्रयास-भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के नि:शस्त्रीकरण सम्बन्धी प्रयासों का हमेशा समर्थन किया है।
- मानवाधिकारों का समर्थन-भारत ने अपने नागरिकों को लगभग वे सभी अधिकार प्रदान किए हैं, जो संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित किए गए हैं।
- गुटनिरपेक्ष आन्दोलन-भारत ने शीतयुद्ध काल में गुटनिरपेक्षता की नीति को सामने रखकर गुटनिरपेक्ष आन्दोलन को मजबूत बनाया तथा संयुक्त राष्ट्र संघ को पूरी तरह से दो गुटों में विभक्त होने से बचाया।
लघुउत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
विश्व शान्ति बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका विश्व शान्ति स्थापित करने की दिशा में संयुक्त राष्ट्र संघ ने निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण कार्य किए हैं-1. कोरिया युद्ध को रोकना–सन् 1950 में उत्तरी कोरिया ने दक्षिणी कोरिया पर हमला किया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस युद्ध को रोकने के लिए 16 देशों के सैन्य बलों को कोरिया में प्रतिरोध के लिए भेजा। इस सेना की सहायता से संयुक्त राष्ट्र संघ ने दोनों देशों में युद्ध समाप्त करवाया।
2. स्वेज नहर संकट-मिस्र ने जुलाई 1965 में स्वेज नहर के राष्ट्रीकरण की घोषणा की। इसके विरोध में इंग्लैण्ड, फ्रांस तथा इजराइल ने मिस्र पर हमला कर दिया। इस युद्ध को रुकवाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रयास किए और अन्ततः यह अपने प्रयासों में सफल रहा।
3. खाड़ी युद्ध-सन् 1991 में खाड़ी युद्ध के प्रारम्भ होने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपनी बैठक बुलाई तथा वहाँ शान्ति स्थापित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया। इस प्रकार खाड़ी युद्ध रुकवाने में भी संयुक्त राष्ट्र संघ की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
4.निःशस्त्रीकरण-संयुक्त राष्ट्र संघ ने नि:शस्त्रीकरण को लागू करने तथा विध्वंसक परमाणु हथियारों पर रोक लगाने हेतु समय-समय पर अनेक सम्मेलन आयोजित किए तथा प्रस्ताव पारित किए।
प्रश्न 2.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ की सफलताएँ-- शान्ति एवं सुरक्षा की स्थापना-संयुक्त राष्ट्र संघ ने अनेक अन्तर्राष्ट्रीय विवादों, मतभेदों व तनावों को अनेक बार युद्ध में परिणत होने से बचाया है।
- आतंकवाद का विरोध-संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 दिसम्बर, 1994 को सब प्रकार के आतंकवाद के विरुद्ध एक प्रस्ताव पारित कर विश्व समुदाय से आतंकवाद की चुनौती को मिलकर सामना करने का आग्रह किया है।
- निःशस्त्रीकरण-संयुक्त राष्ट्र संघ ने नि:शस्त्रीकरण के लिए अनेक प्रयास किए हैं और आज भी कर रहा है।
- साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद का विरोध-संयुक्त राष्ट्र संघ ने साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद को समाप्त करने में बहुत सहायता दी है।
- अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास-संयुक्त राष्ट्र संघ निरन्तर अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग, सद्भावना और सह-अस्तित्व की भावना का विकास कर रहा है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
हमें अन्तर्राष्ट्रीय संगठन की आवश्यकता अग्रलिखित कारणों से है-1. अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं के शान्तिपूर्ण समाधान के लिए-दो या दो से अधिक देशों के मध्य उपजे हुए विवाद का शान्तिपूर्ण समाधान बातचीत द्वारा ही हो सकता है। बातचीत के माध्यम से ऐसे विवादों को बिना युद्ध के हल करने की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। ऐसे संगठन समस्याओं के शान्तिपूर्ण समाधान के सदस्य देशों की सहायता करते हैं।
2. चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान में विभिन्न देशों को मिलकर कार्य करने में सहायता करना-अन्तर्राष्ट्रीय संगठन ऐसी चुनौतीपूर्ण समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक होते हैं जिनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों को मिलकर सहयोग करना आवश्यक होता है।
3. सहयोग करने के उपाय एवं सूचनाएँ जुटाने में सहायता करना—एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन नियमों एवं नौकरशाही की एक रूपरेखा दे सकता है ताकि सदस्यों को यह विश्वास हो कि आने वाली लागत में सभी की समुचित साझेदारी होगी, लाभ का बँटवारा न्यायोचित होगा और कोई सदस्य उस समझौते में शामिल हो जाता है तो वह इस समझौते के नियम व शर्तों का पालन करेगा।
प्रश्न 4.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंग संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न अंगों का परिचय निम्नवत् है-1. आम सभा-यह संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे बड़ा अंग है। इसे महासभा भी कहा जाता है। यह एक तरह से विश्व की संसद है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इसके सदस्य होते हैं। सभी सदस्यों को एकसमान मत का अधिकार होता है। प्रमुख निर्णयों के लिए दो-तिहाई तथा अन्य निर्णयों के लिए सामान्य बहुमत की आवश्यकता होती है।
2.सुरक्षा परिषद्-सुरक्षा परिषद् के 15 सदस्य होते हैं जिनमें से 5 स्थायी एवं 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। स्थायी सदस्य-संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस व इंग्लैण्ड हैं जो वीटो का अधिकार रखते हैं।
3. सचिवालय–सचिवालय में महासचिव एवं संघ की आवश्यकतानुसार कर्मचारी होते हैं। महासचिव की नियुक्ति सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा पाँच साल के लिए की जाती है।
4. अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय-अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय का मुख्यालय हेग में है। इसमें 15 न्यायाधीश होते हैं। इनका चुनाव 9 वर्षों के लिए आम सभा व सुरक्षा परिषद् द्वारा पूर्ण बहुमत से किया जाता है।
5. आर्थिक और सामाजिक परिषद्-इसके सदस्य देशों का चुनाव आम सभा द्वारा तीन वर्षों के लिए किया जाता है। इसके 54 सदस्य होते हैं।
6. न्यासिता परिषद्-संयुक्त राष्ट्र संघ का यह अंग 1 नवम्बर, 1994 से स्थगित है। इसका कार्य पलाउ के स्वतन्त्र होने के साथ समाप्त हो चुका है।
प्रश्न 5.
उत्तर :
सन् 1991 के बाद वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक स्थितियों में निम्नलिखित परिवर्तन आए हैं-- 25 दिसम्बर, 1991 को शीतयुद्ध के काल की दो महाशक्तियाँ संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ में से एक महाशक्ति सोवियत संघ का विघटन हो गया।
- सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व एक-ध्रुवीय हो गया है जिसमें सबसे ताकतवर देश संयुक्त राज्य अमेरिका है।
- वर्तमान में सोवियत संघ का उत्तराधिकारी राज्य रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य कहीं अधिक सहयोगात्मक सम्बन्ध हैं।
- चीन बड़ी तीव्र गति से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
- भारत भी तीव्र गति से एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।
- एशिया की अर्थव्यवस्था अप्रत्याशित दर से उन्नति कर रही है।
- पूर्वी सोवियत संघ के विघटन से नए बने राष्ट्र एवं पूर्वी यूरोप के पूर्व साम्यवादी देश संयुक्त राष्ट्र संघ में शामिल हो गए हैं।
- वर्तमान विश्व के समक्ष अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं जिनमें जनसंहार, गृहयुद्ध, जातीय संघर्ष, आतंकवाद, परमाण्विक प्रसार, महामारी, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण की हानि आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 6.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पाँच स्थायी सदस्य हैं-- संयुक्त राज्य अमेरिका,
- फ्रांस,
- ब्रिटेन,
- रूस,
- चोन।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की कार्य-प्रणाली की कमियाँ सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में एक प्रस्ताव स्वीकृत कर निम्नलिखित कमियाँ बतायी गईं-
- वर्तमान समय में सुरक्षा परिषद् राजनीतिक वास्तविकताओं की नुमाइंदगी नहीं करती।
- सुरक्षा परिषद् के फैसलों पर पश्चिमी मूल्यों एवं हितों की छाप होती है। इसमें कुछ देशों के दबाव में रहकर फैसले लिए जाते हैं।
- सुरक्षा परिषद् में बराबर का प्रतिनिधित्व नहीं है। केवल पाँच देशों को ही वीटो का अधिकार दिया गया है। शेष विश्व के देशों की बातों को सुरक्षा परिषद् में कोई महत्त्व नहीं दिया गया है। समस्त फैसलों पर केवल पाँच देशों का ही प्रभाव रहता है।
प्रश्न 7.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन में परिवर्तन की उठती हुई माँग के परिप्रेक्ष्य में 1 जनवरी, 1997 को तत्कालीन महासचिव कोफी अन्नान ने रचनात्मक कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार के लिए सुझावों को आमन्त्रित किया। यहाँ यह तथ्य उल्लेखनीय है कि इस प्रक्रिया में इस प्रश्न को भी शामिल किया गया है कि क्या सुरक्षा परिषद् के नए सदस्य होने चाहिए।इस दौरान अनेक सुझाव आए, जिनके द्वारा सुरक्षा परिषद् की स्थायी तथा अस्थायी सदस्यता हेतु मापदण्ड सुझाए गए। इनमें से कुछ प्रमुख सुझाव निम्नलिखित थे-
- संयुक्त राष्ट्र संघ के एक नए सदस्य को बड़ी आर्थिक तथा सैन्य शक्ति होनी चाहिए।
- ऐसे देश का संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में अधिकाधिक योगदान होना चाहिए।
- नए सदस्य को जनसंख्या के दृष्टिकोण से विशाल देश होना चाहिए।
- नई सदस्यता पाने वाले देश के लोकतन्त्र तथा मानवाधिकारों का सम्मान करने वाला होना चाहिए।
- यह देश ऐसा हो जो अपनी भौगोलिक संरचना, अर्थव्यवस्था तथा संस्कृति के दृष्टिकोण से दुनिया की विविधताओं का प्रतिनिधित्व करता हो
उक्त से स्पष्ट है कि इन मापदण्डों में से प्रत्येक की कुछ-न-कुछ वैधता है। सरकारें अपने-अपने हित एवं महत्त्वाकांक्षाओं के दृष्टिकोण से कुछ कसौटियों को लाभप्रद तो कुछ को नुकसानदेह मानती हैं। चाहे कोई देश सुरक्षा परिषद् की सदस्यता हेतु इच्छुक न हो, वह इसके बावजूद यह बता सकता है कि इन कसौटियों में अमुक परेशानी है।
प्रश्न 8.
उत्तर :
विश्व में स्थिरता बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र के अनुरूप उसके पाँचों स्थायी सदस्यों को विशेषाधिकार अर्थात् वीटो शक्ति प्रदान करना उनकी सदस्यता को स्थायी बनाए रखने के लिए परमावश्यक है। दुनिया में ये देश परमाणु हथियारों से सम्पन्न बड़ी शक्तियाँ हैं। हालाँकि शीतयुद्ध का अन्त हो चुका है, लेकिन अभी भी साम्यवाद का अन्त नहीं हुआ है। यह तथ्य भी विश्व शान्ति, उदारवाद, वैश्वीकरण, व्यक्तिगत-राजनीतिक स्वतन्त्रताओं तथा समाप्ति के अधिकार इत्यादि हेतु भयंकर खतरा बन सकता है। दुनिया अभी भी इतने विशाल स्तर पर परिवर्तनों के लिए तैयार नहीं है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी 193 सदस्यों को समानता का स्तर प्रदान कर दिया जाए।इस तथ्य को भी नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता कि वीटो पावर को समाप्त किए जाने की परिस्थिति में इन शक्तिशाली देशों की रुचि संयुक्त राष्ट्र संघ में नहीं रहेगी। संयुक्त राष्ट्र संघ से अलग होकर ये राष्ट्र अपनी इच्छानुसार कार्य करेंगे तथा इनके जुड़ाव अथवा समर्थन के अभाव में यह संगठन प्रभावहीन हो जाएगा। ऐसी परिस्थिति में विश्व सुरक्षा एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा विकास को अपार क्षति उठानी पड़ेगी।
प्रश्न 9.
उत्तर :
विश्व बैंक की औपचारिक स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद सन् 1945 में हुई।विश्व बैंक के कार्य विश्व बैंक की गतिविधियाँ मुख्य रूप से विकासशील देशों से सम्बन्धित हैं, जो निम्नलिखित हैं-
(1) विश्व बैंक मानवीय विकास (शिक्षा, स्वास्थ्य), कृषि एवं ग्रामीण विकास (सिंचाई, ग्रामीण सेवाएँ), आधारभूत ढाँचा (सड़क, विद्युत, शहरी विकास), पर्यावरण सुरक्षा (प्रदूषण में कमी, नियमों का निर्माण व उन्हें लागू करना) एवं सुशासन (कदाचार का विरोध, विविध संस्थाओं का विकास) के लिए कार्य करता है।
(2) यह अपने सदस्य देशों को आसान शर्तों पर ऋण देता है।
(3) यह अपने सदस्य देशों को अनुदान प्रदान करता है, अधिक निर्धन देशों को यह अनुदान वापस नहीं चुकाना पड़ता है।
इस तरह विश्व बैंक समकालीन वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। यह निर्धन देशों के विकास में अनुदान व ऋण आदि के माध्यम से पर्याप्त सहायता प्रदान कर रहा है।
प्रश्न 10.
उत्तर :
बदलते हुए परिवेश में संयुक्त राष्ट्र को अधिक प्रासंगिक तथा सशक्त बनाने हेतु उसमें सुधारों की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए निम्नलिखित सुधारात्मक कदम उठाए जाने जरूरी हैं- विश्व के जो देश अभी तक संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं उन्हें सदस्यता हेतु सहमत किया जाना चाहिए।
- समस्त सदस्यों को एक मत देने की शक्ति होनी चाहिए तथा वह व्यक्तिगत रूप से गुप्त मतदान के रूप में प्रयुक्त किया जाना चाहिए। सभी निर्णय अर्थात् फैसले महासभा द्वारा बहुमत के आधार पर किए जाने चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् में पाँच के स्थान पर पन्द्रह स्थायी सदस्य होने चाहिए तथा वीटो का अधिकार समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
- परिवर्तित विश्व में भारत, जापान, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका को स्थायी सदस्यता प्रदान की जानी चाहिए।
- पर्यावरण, जनसंख्या तथा आतंकवाद जैसी समस्याओं और परमाणु हथियारों को नष्ट करने में सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों को पूर्ण सहयोग करना चाहिए।
- सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों की संख्या में भी वृद्धि होनी चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के कोष में अभिवृद्धि की जानी चाहिए जिससे वह विकास एवं वृद्धि के और अधिकाधिक कार्यक्रमों को संचालित कर सके।
प्रश्न 11.
उत्तर :
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना ‘जनरल एग्रीमेण्ट ऑन ट्रेड एण्ड टैरिफ’ (GATT) के स्थान पर 1 जनवरी, 1945 को हुई थी।कार्य-विश्व व्यापार संगठन एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का संगठन है। यह वैश्विक व्यापार के नियमों को निश्चित करने का कार्य करता है।
इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या 150 है। इसमें होने वाले फैसले समस्त सदस्यों की आपसी सहमति से लिए जाते हैं। लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ व जापान जैसी बड़ी आर्थिक शक्तियों ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों को इस तरह बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है जिससे इनके हित सधते हों। इस संगठन के अधिकांश विकासशील देशों को यह शिकायत रहती है कि इस संगठन की कार्यविधि पारदर्शी नहीं है और बड़ी आर्थिक शक्तियों को अधिक महत्त्व प्रदान किया जाता है। अर्थात् यह संगठन बड़ी आर्थिक शक्तियों के प्रभाव में कार्य करता है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
हाँ, हम इस कथन से सहमत हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ एक अनिवार्य संगठन है। संयुक्त राष्ट्र संघ निम्नलिखित कारणों से एक अनिवार्य संगठन है-- संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। सम्पूर्ण विश्व में बढ़ते आतंकवाद एवं भय को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे संगठनों की ही आवश्यकता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व के देशों को एक ऐसा मंच प्रदान किया है, जहाँ अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं पर विचार-विमर्श होता है।
प्रश्न 2.
उत्तर :
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) की भयानक तबाही को देखकर विश्व के सभी भागों में प्रत्येक , व्यक्ति यह सोचने लगा कि यदि ऐसा एक और युद्ध हुआ तो सम्पूर्ण विश्व और मानव जाति का सर्वनाश हो जाएगा। अत: अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति स्थापित किए जाने की दिशा में प्रयास किए जाने प्रारम्भ हुए। इसके लिए एक ऐसे संगठन की स्थापना जरूरी थी जिसको विश्व के सभी देश महत्त्व दें। अत: 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना की गयी। आरम्भ में 51 राष्ट्र इसके सदस्य थे। वर्तमान में 193 राष्ट्र इसके सदस्य हैं। सन् 2011 में दक्षिणी सूडान 193वाँ सदस्य बना है।प्रश्न 3.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र के द्वितीय महासचिव डेग हैमरशोल्ड के उक्त कथन का तात्पर्य है कि संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था का प्रमुख उद्देश्य दुनिया के समस्त लोगों की खराब स्थिति से उन्हें बचाना है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की मान्यता है कि इसके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की दीर्घ समयावधि से चली आ रही समस्याएँ तथा विवाद, युद्ध लड़े बिना वार्ता के द्वारा हल किए जा सकते हैं। इसी तरह यह संगठन भयंकर जानलेवा बीमारियों; जैसे-एड्स तथा बर्ड फ्लू इत्यादि के कारगर तरीके से निपटने के लिए पूर्ण सहयोग देगा।प्रश्न 4.
उत्तर :
सुरक्षा परिषद् के पाँच स्थायी सदस्यों को वीटो का अधिकार इसलिए दिया गया है कि जिस समय संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई तब ये देश द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता थे और इस मामले पर इनकी सहमति सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थी। संयुक्त राष्ट्र के शिल्पियों के मन-मस्तिष्क में यह डर समाया हुआ था कि यदि इन देशों को कुछ विशेषाधिकार प्रदान नहीं किए जाएँगे तो ये विश्व की समस्याओं में अधिक रुचि नहीं लेंगे।प्रश्न 5.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ की सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से निबटने के लिए निम्नलिखित एजेन्सियाँ हैं –- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO),
- संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम (UNDP),
- संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार आयोग (UNHRC),
- संयुक्त राष्ट्र संघ शरणार्थी आयोग (UNHCR),
- संयुक्त राष्ट्र संघ बाल कोष (UNICEF),
- संयुक्त राष्ट्र संघ शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सास्कृतिक संगठन (UNESCO)।
प्रश्न 6.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना एवं शान्ति स्थापित करना।
- राष्ट्रों के मध्य सहयोग स्थापित करना।
- समस्तं विश्व में सामाजिक-आर्थिक विकास की समानताओं को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों को एक साथ लाना।
- किसी कारणवश विभिन्न देशों के मध्य युद्ध छिड़ने पर शत्रुता के दायरे को सीमित करना।
प्रश्न 7.
उत्तर :
वैश्विक ताप वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) से आशय कई कारणों से विश्व के तापमान के बढ़ने से है। वैश्विक ताप वृद्धि क्लोरो फ्लोरो कार्बन कहलाने वाले कुछ रसायनों के फैलाव के कारण हो रही है। वैश्विक ताप वृद्धि से समुद्र तल की ऊँचाई बढ़ने लगी है जिससे तटीय देशों के डूबने का खतरा उत्पन्न हो गया है।प्रश्न 8.
उत्तर :
आम सभा (महासभा) संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे बड़ा अंग है। यह एक प्रकार से विश्व की संसद है। संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य देश इसके सदस्य होते हैं। सभी सदस्यों को एक-समान मत का अधिकार होता है। आम सभा के लिए जाने वाले प्रमुख निर्णयों के लिए दो-तिहाई एवं अन्य निर्णयों के लिए सामान्य बहुमत की आवश्यकता होती है। इसके निर्णय सभी सदस्यों पर बाध्यकारी नहीं होते। वर्तमान में इसके सदस्यों की संख्या 193 है।प्रश्न 9.
उत्तर :
निषेधाधिकार या वीटो पावर सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन तथा फ्रांस को प्राप्त महत्त्वपूर्ण शक्ति है। निषेधाधिकार का अर्थ है कि यहाँ पाँच सदस्यों में से कोई भी एक सदस्य संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में रखे गए प्रस्ताव के विरोध में वोट डाल दे तो वह प्रस्ताव पारित नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि सुरक्षा परिषद् का यदि कोई स्थायी सदस्य अनुपस्थित रहता है तो उसे निषेधाधिकार का प्रयोग नहीं माना जाएगा।प्रश्न 10.
उत्तर :
एक नए सदस्य देश के लिए सुरक्षा परिषद् की स्थायी एवं अस्थायी सदस्यता हेतु निम्नलिखित मानदण्ड सुझाए गए हैं-- एक नए सदस्य को बड़ी आर्थिक शक्ति होना चाहिए।
- बड़ी सैन्य शक्ति होना चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में ऐसे देश का योगदान अधिक होना चाहिए।
- जनसंख्या की दृष्टि से एक बड़ा राष्ट्र होना चाहिए।
प्रश्न 11.
उत्तर :
सन् 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में स्वीकृत प्रस्ताव में निम्नलिखित तीन शिकायतों का उल्लेख था- सुरक्षा परिषद् अब राजनीतिक वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।
- सुरक्षा परिषद् के फैसले पर पश्चिमी मूल्यों और हितों की छाप होती है और इन फैसलों पर कुछ ही देशों का वर्चस्व होता है।
- सुरक्षा परिषद् में विभिन्न देशों को बराबरी का प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं है।
प्रश्न 12.
उत्तर :
शीतयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र में निम्नलिखित सुधार लाए गए हैं-- इसके सदस्यों की संख्या लगातार बढ़ी है। आण्विक ऊर्जा एजेन्सी, साधारण सभा तथा सुरक्षा परिषद् को उत्तरदायी बनाया गया है।
- विशिष्ट कार्यों हेतु विशेष आयोग गठित किए गए हैं। उदाहरणार्थ-मानवाधिकार, मादक द्रव्य, टिकाऊ विकास तथा महिलाओं की स्थिति सम्बन्धी आयोग।
- विश्वव्यापी आतंकवाद के खिलाफ अनेक प्रस्ताव पारित किए गए हैं।
प्रश्न 13.
उत्तर :
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठन एवं प्रक्रिया में सुधार हेतु दो सुझाव निम्नलिखित हैं-1. निषेधाधिकार (वीटो पावर) को समाप्त अथवा सीमित करना-संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् की कार्यप्रणाली को व्यवस्थित एवं लोकतान्त्रिक बनाने के लिए निषेधाधिकार (वीटो पावर) की शक्ति को समाप्त कर देना चाहिए अथवा उसे सीमित कर देना चाहिए।
2. समान सदस्यता प्रदान करना-सुरक्षा परिषद् में अस्थायी सदस्यों के निर्वाचन पर रोक लगाकर सभी सदस्य देशों को समान स्तर की सदस्यता प्रदान की जानी चाहिए।
प्रश्न 14.
उत्तर :
भारत सुरक्षा परिषद् के अस्थायी एवं स्थायी दोनों ही तरह के सदस्यों की संख्या में वृद्धि का निम्नलिखित कारणों से समर्थक है-(1) पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा परिषद् की गतिविधियों का दायरा बढ़ा है।
(2) सुरक्षा परिषद् की कार्यप्रणाली की सफलता विश्व समुदाय के समर्थन पर निर्भर करती है। इस कारण सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन की कोई योजना व्यापक धरातल पर निर्मित होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, सुरक्षा परिषद् में वर्तमान की अपेक्षा अधिक विकासशील देश शामिल किए जाने चाहिए।
प्रश्न 15.
उत्तर :
शीतयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों पर कुछ देश और विशेषज्ञ चाहते हैं कि यह संगठन शान्ति और सुरक्षा से जुड़े मिशनों में अधिक प्रभावकारी भूमिका निभाए जबकि अन्य की इच्छा है कि यह संगठन अपने को विकास एवं मानवीय भलाई के कार्यों; जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, जनसंख्या की वृद्धि, जेण्डर, सामाजिक न्याय एवं मानवाधिकार तक सीमित रखें।बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
(a) 24 अक्टूबर, 1945
(b) 3 नवम्बर, 1950
(c) 1 जनवरी, 1955
(d) 11 जून, 1960
उत्तर :
(b) 3 नवम्बर, 1950.प्रश्न 2.
(a) 4
(b) 5
(c) 6 .
(d) 7
उत्तर :
(c) 6.प्रश्न 3.
(a) सुरक्षा परिषद्
(b) ट्रस्टीशिप (न्यास) परिषद्
(c) आर्थिक व सामाजिक परिषद्
(d) साधारण सभा (महासभा)।
उत्तर :
(d) साधारण सभा (महासभा)।प्रश्न 4.
(a) महासभा द्वारा
(b) सुरक्षा परिषद् द्वारा
(c) महासभा की सिफारिश पर सुरक्षा परिषद् द्वारा
(d) सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा
उत्तर :
(d) सुरक्षा परिषद् की सिफारिश पर महासभा द्वारा।प्रश्न 5.
(a) 24 अक्टूबर, 1945
(b) 11 जनवरी, 1945
(c) 11 जून, 1946
(d) 17 फरवरी, 1948
उत्तर :
(a) 24 अक्टूबर, 1945प्रश्न 6.
(a) वाशिंगटन में
(b) न्यूयॉर्क में
(c) हेग में
(d) जिनेवा में।
उत्तर :
(c) हेग में।प्रश्न 7.
(a) 10 दिसम्बर को
(b) 10 नवम्बर को
(c) 10 मार्च को
(d) 10 अप्रैल को।
उत्तर :
(a) 10 दिसम्बर को।प्रश्न 8.
(a) 24 अक्टूबर को
(b) 24 जून को
(c) 10 अगस्त को
(d) 11 मार्च को।
उत्तर :
(a) 24 अक्टूबर को।प्रश्न 9.
(a) सुरक्षा परिषद्
(b) न्यासिता परिषद्
(c) आर्थिक और सामाजिक परिषद्
(d) आम सभा।
उत्तर :
(b) न्यासिता परिषद्।प्रश्न 10.
(a) ट्राइग्व ली
(b) यू थांट
(c) बुतरस-बुतरस घाली
(d) कोफी ए० अन्नान।
उत्तर :
(a) ट्राइग्व ली।NCERT Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Class 12 Rajniti Vigyan Chapters | Rajniti Vigyan Class 12 Chapter 6
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Contemporary World Politics
( भाग ‘अ’ – समकालीन विश्व राजनीति)
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NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 The Cold War Era
(शीतयुद्ध का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 The End of Bipolarity
(दो ध्रुवीयता का अंत)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 US Hegemony in World Politics
(समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 Alternative Centres of Power
(सत्ता के वैकल्पिक केंद्र)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Contemporary South Asia
(समकालीन दक्षिण एशिया)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 International Organisations
(अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Security in the Contemporary World
(समकालीन विश्व में सुरक्षा)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Environment and Natural Resources
(पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Globalisation
(वैश्वीकरण)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Politics In India Since Independence
(भाग ‘ब’ – स्वतंत्र भारत में राजनीति)
-
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 Challenges of Nation Building
(राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 Era of One Party Dominance
(एक दल के प्रभुत्व का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 Politics of Planned Development
(नियोजित विकास की राजनीति)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 India’s External Relations
(भारत के विदेश संबंध)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Challenges to and Restoration of Congress System
(कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 The Crisis of Democratic Order
(लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Rise of Popular Movements
(जन आन्दोलनों का उदय)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Regional Aspirations
(क्षेत्रीय आकांक्षाएँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics
(भारतीय राजनीति : नए बदलाव)
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