NCERT Solutions | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics) Chapter 9 | Globalisation (वैश्वीकरण)

CBSE Solutions | Rajniti Vigyan Class 12
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NCERT | Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
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Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12 |
Subject: | Rajniti Vigyan |
Chapter: | 9 |
Chapters Name: | Globalisation (वैश्वीकरण) |
Medium: | Hindi |
Globalisation (वैश्वीकरण) | Class 12 Rajniti Vigyan | NCERT Books Solutions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 Globalisation (वैश्वीकरण)
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 Text Book Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 पाठ्यपुस्तक से अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।
(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।
(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान हैं।
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
उत्तर :
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।प्रश्न 2.
(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।
(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।
(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।
(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यता सांस्कृतिक समरूपता आती है।
उत्तर :
(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।प्रश्न 3.
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।
(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।
(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ।
(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है।
उत्तर :
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।प्रश्न 4.
(क) वैश्वीकरण का सम्बन्ध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।
(ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।
(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्त्व गौण है।
(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर :
(घ) वैश्वीकरण का सम्बन्ध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।प्रश्न 5.
(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।
(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।
(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
उत्तर :
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।प्रश्न 6.
उत्तर :
विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ है-विचार, वस्तुओं तथा घटनाओं का दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचना। इससे विश्व के विभिन्न भाग परस्पर एक-दूसरे के समीप आ गए हैं।विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के घटक विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं-
- विश्व के एक हिस्से के विचारों एवं धारणाओं का दूसरे हिस्से में पहुँचना।
- निवेश के रूप में पूँजी का विश्व के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना।
- वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना और उनका व्यापार।
- बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही। विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव ऐसे प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और कायम है।
प्रश्न 7.
उत्तर :
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का प्रमुख योगदान इस प्रकार रहा है-(1) टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रान्ति ला दी है। इस प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके और सामूहिक जीवन की गतिविधियों पर उसी तरह पड़ रहा है जिस तरह मुद्रण की तकनीक का प्रभाव राष्ट्रवाद की भावनाओं पर पड़ा था।
(2) विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में तरक्की के कारण सम्भव हुई। उदाहरण के लिए, आज इण्टरनेट की सुविधा के चलते ई-कॉमर्स, ई-बैंकिंग, ई-लर्निंग जैसी तकनीक अस्तित्व में आ गई हैं जिनके द्वारा विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में व्यापार किया जा सकता है, बाजार खोजे जा सकते हैं तथा ज्ञान के नए स्रोत खोजे जा सकते हैं।
प्रश्न 8.
उत्तर :
वैश्वीकरण के सन्दर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-- वैश्वीकरण के युग में प्रत्येक विकासशील देश को इस प्रकार की विदेश एवं आर्थिक नीति का निर्माण करना पड़ता है जिससे कि दूसरे देशों से अच्छे सम्बन्ध बनाए जा सकें। पूँजी निवेश के कारण विकासशील देशों ने भी अपने बाजार विश्व के लिए खोल दिए हैं।
- विकासशील देशों में विश्व संगठनों के प्रभाव में राज्यों द्वारा बनाई जाने वाली निजीकरण की नीतियाँ, कर्मचारियों की छंटनी, सरकारी अनुदानों में कमी तथा कृषि से सम्बन्धित नीतियों पर वैश्वीकरण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
- वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप राज्य ने अपने को पहले के कई ऐसे लोक कल्याणकारी कार्यों से खींच लिया है।
- विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय नियमों के कारण सरकारों को अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आई है।
- वैश्वीकरण के फलस्वरूप कुछ मायनों में राज्य की ताकत में इजाफा भी हुआ है। आज राज्यों के पास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं।
आलोचना-विकासशील देशों में आज भी निर्धनता, निम्न जीवन स्तर, अशिक्षा, बेरोजगारी तथा कुपोषण विद्यमान है। इसलिए राज्य द्वारा सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी कार्य करने की महत्ती आवश्यकता है। लेकिन वैश्वीकरण के चलते राज्य ने इन कार्यों से अपना हाथ खींच लिया है। इसीलिए अनेक संगठनों व विचारकों द्वारा वैश्वीकरण की आलोचना की जा रही है।
प्रश्न 9.
उत्तर :
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-- व्यापार में वृद्धि तथा खुलापन-वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में आयात प्रतिबन्धों के कम होने से वस्तुओं के व्यापार में इजाफा हुआ है।
- सेवाओं का विस्तार एवं प्रवाह-वैश्वीकरण के चलते अब सेवाओं का प्रवाह अबाध हो उठा है। इण्टरनेट और कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
- विश्व जनमत का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व में जनमत बड़ी गहराई से बँट । गया है।
- राज्यों द्वारा आर्थिक जिम्मेदारियों से हाथ खींचना-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें अपनी सामाजिक सुरक्षा तथा जन-कल्याण की जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींच रही हैं। इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले लोग चिन्तित हैं। इससे वंचित, पिछड़े, अशिक्षित तथा गरीब लोग और बदहाल हो जाएंगे।
- विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण’- कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण कहा है।
- आर्थिक वैश्वीकरण केलाभकारी परिणाम-आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि हुई है, देश को प्रगति का अवसर मिला है, खुशहाली बढ़ी है तथा लोगों में जुड़ाव बढ़ रहा है।
वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव-वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत भारत पर निम्नलिखित प्रमुख प्रभाव पड़े हैं-
- इसके तहत सकल घरेलू उत्पाद दर तथा विकास दर में तीव्र वृद्धि हुई है।
- विश्व के देश भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखने लगे हैं। अत: यहाँ विदेशी निवेश बढ़ा है।
- रोजगार हेतु श्रम का प्रवाह बढ़ा है तथा पाश्चात्य संस्कृति का तीव्र प्रसार हुआ है।
प्रश्न 10.
उत्तर :
वैश्वीकरण में सांस्कृतिक विभिन्नता और सांस्कृतिक समरूपता दोनों ही प्रवृत्तियाँ विद्यमान हैं। यथा सांस्कृतिक समरूपता में वृद्धि-वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी यूरोप के देश तथा अमेरिका अपनी तकनीकी और आर्थिक शक्ति के बल पर सम्पूर्ण विश्व पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पश्चिमी संस्कृति के तत्त्व अब विश्वव्यापी होते जा रहे हैं। इससे कई परम्परागत संस्कृतियों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रकार यहाँ सांस्कृतिक समरूपता से अभिप्राय केवल पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से है, न कि किसी नयी विश्व संस्कृति के उदय से।सांस्कृतिक विभिन्नता में वृद्धि–वैश्वीकरण के द्वारा सांस्कृतिक विभिन्नताएँ भी बढ़ रही हैं तथा नयी मिश्रित संस्कृतियों का उदय हो रहा है। उदाहरण के लिए, अमेरिका की नीली जीन्स, हथकरघे के देशी कुर्ते के साथ पहनी जा रही है। यह कुर्ता विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। इस प्रकार वैश्वीकरण के कारण हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग व विशिष्ट होती जा रही है।
प्रश्न 11.
उत्तर :
वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव-वैश्वीकरण ने भारत को अत्यधिक प्रभावित किया है। यथा-- वैश्वीकरण के कारण भारत की सकल घरेलू उत्पाद दर में तेजी से वृद्धि हुई है।
- वैश्वीकरण के कारण भारत की विकास दर 4.3% से बढ़कर 7 और 8% के आसपास बनी हुई है।
- विश्व के अधिकांश विकसित देश वैश्वीकरण की प्रक्रिया के प्रभावस्वरूप भारत को एक बड़ी मण्डी के रूप में देखने लगे हैं। इससे विदेशी निवेश बढ़ा है।
- वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप भारतीय लोगों ने आजीविका के लिए विदेशों में बसना शुरू कर दिया है।
- वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप यूरोप और अमेरिका की पश्चिमी संस्कृति बड़ी तेजी से भारत में फैल रही है।
- वैश्वीकरण के कारण विश्व बाजार में विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के मध्य अन्तर्निर्भरता और प्रतियोगिता बढ़ गई है। घरेलू आर्थिक प्रगति के निर्धारण में अब अन्तर्राष्ट्रीय नीतियों व आर्थिक दशाओं का भी प्रभाव पड़ता है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर निर्णय लेने सम्बन्धी स्वायत्तता कुछ हद तक प्रभावित हुई है।
वैश्वीकरण पर भारत का प्रभाव-भारत ने भी वैश्वीकरण को कुछ हद तक प्रभावित किया है। यथा-
- भारत से अब अधिक लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों का प्रसार कर रहे हैं।
- भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व के देशों को इस ओर आकर्षित किया है।
- भारत ने कम्प्यूटर तथा तकनीक के क्षेत्र में बड़ी तेजी से उन्नति कर विश्व में अपना प्रभुत्व जमाया है।
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 InText Questions
NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 पाठान्तर्गत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
हाँ, श्रम का प्रवाह भी वैश्वीकरण का एक भाग है। एक देश के लोग दूसरे देश में जाकर मजदूरी करें। यह स्थिति भी विश्व के समस्त देशों को एक विश्व गाँव में बदलती है।प्रश्न 2.
उत्तर :
वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है। अब वैश्वीकरण के कारण आयात प्रतिबन्ध कम हो गए हैं इससे तस्करी में कमी हुई है। वैश्वीकरण के चलते तस्करी का प्रमुख कारण आयात पर प्रतिबन्ध तो समाप्त हो गया है, लेकिन तस्करी के अन्य कारण; जैसे—विक्रय पर लगने वाला कर, आयकर आदि अन्य करों की चोरी आदि कारण तो विद्यमान रहेंगे ही।प्रश्न 3.
उत्तर :
वैश्वीकरण, साम्राज्यवाद नहीं है। साम्राज्यवाद में राजनीतिक प्रभाव मुख्य रहता है। इसमें एक शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर अधिकार करके उनके संसाधनों का अपने हित में शोषण करता है। यह एक जबरन चलने वाली प्रक्रिया है। लेकिन वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है।इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। इसमें विचारों, पूँजी, वस्तुओं और व्यापार तथा बेहतर आजीविका का प्रवाह पूरी दुनिया में तीव्र हो जाता है। इन प्रवाहों की निरन्तरता से विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है तथा किसी राज्य की सम्प्रभुता को कोई चुनौती नहीं मिली है। अतः स्पष्ट है कि वैश्वीकरण साम्राज्यवाद से भिन्न तथा बहुआयामी प्रक्रिया है, इसलिए हमें इसके लिए नए नाम की आवश्यकता पड़ी है।
प्रश्न 4.
उत्तर :
मैं या मेरा परिवारबहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अनेक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे-कॉलगेट टूथपेस्ट, घड़ियाँ, पेय पदार्थ, लिवाइस आदि के बने परिधान, कार, माइक्रोवेव, फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन, फर्नीचर, मैकडोनाल्ड के भोजन, साबुन, बॉल पैन, रोशनी के बल्ब, शैम्पू, दवाइयाँ आदि।
(नोट-विद्यार्थी इस सूची को और विस्तार दे सकते हैं।)
प्रश्न 5.
उत्तर :
सामाजिक न्याय के पक्षधर इस बात पर जोर देते हैं कि सामाजिक सुरक्षा कवच तैयार किया जाना चाहिए ताकि जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। इसका आशय यह है कि आर्थिक वैश्वीकरण से जनसंख्या के छोटे तबके को बड़े स्तर पर लाभ होगा जबकि नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई की सुविधा आदि के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जाएँगे क्योंकि वैश्वीकरण के चलते सरकारें सामाजिक न्याय सम्बन्धी अपनी जिम्मेदारियों से हाथ खींचती हैं। इससे अल्पविकसित और विकासशील देशों के गरीब लोग एकदम बदहाल हो जाएंगे।इससे स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण के चलते गरीब देशों के लोग बदहाल हो जाएँगे। इसीलिए उनके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की बात की जाती है।
प्रश्न 6.
उत्तर :
हम पश्चिमी संस्कृति से क्यों डरते हैं, इसका प्रमुख कारण यह है कि वैश्वीकरण का एक पक्ष सांस्कृतिक समरूपता है जिसमें विश्व-संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती है जो समूची मानवता के लिए खतरनाक है।हमें अपनी संस्कृति पर पूर्ण विश्वास है लेकिन हमारे ऊपर पाश्चात्य संस्कृति को जबरन लादा न जाए।
प्रश्न 7.
उत्तर :
- खाद्य उत्पाद हैं-चाइनीज’ भोजन, बर्गर, पीजा, मैगी, चाउमीन।
- बिजली से चलने वाले घरेलू इस्तेमाल के उपकरण हैं-टी०वी०, फ्रिज, गीजर, कम्प्यूटर, पंखा, एयरकण्डीशनर, इनवर्टर, मिक्सी, माइक्रोवेव।
- सुख-सुविधा के सामान हैं-स्कूटर, कार, ए०सी०, टेलीफोन, मोबाइल, कम्प्यूटर, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान।
प्रश्न 8.
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।NCERT Solutions For Class 12 Political Science Chapter 9 Other Important Questions
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प्रश्न 1.
उत्तर :
वैश्वीकरण का अर्थ-जब कोई देश विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के साथ वस्तु, सेवा, पूँजी तथा बौद्धिक सम्पदा इत्यादि का किसी प्रतिबन्ध के बिना परस्पर आदान-प्रदान करता है, तो इसे वैश्वीकरण अथवा भूमण्डलीकरण के नाम से जाना जाता है। वैश्वीकरण तभी सम्भव है जब परस्पर ऐसे आदान-प्रदान के दौरान किसी भी देश द्वारा कोई रुकावट अर्थात् बाधा उत्पन्न न की जाए और इस प्रक्रिया को कोई ऐसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था संचालित करे जिस पर सभी देशों का अटूट विश्वास हो तथा जो सभी की अनुमति से नीति-निर्धारक सिद्धान्तों का प्रतिपादन करे।जब सभी देश एक-समान नियमों के अन्तर्गत अपने व्यापार तथा निवेश का संचालन करते हैं तो स्वाभाविक रूप से एक ही धारा प्रभावित होती है और यही वैश्वीकरण है।
वैश्वीकरण के पक्ष में तर्क-वैश्वीकरण के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए गए हैं-
- वैश्वीकरण से लोगों में विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ा है।
- वैश्वीकरण के कारण पूँजी की गतिशीलता बढ़ी है। इससे प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश बढ़ा है तथा विकासशील देशों की अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर निर्भरता कम हुई है।
- वैश्वीकरणं की प्रक्रिया द्वारा विकासशील देशों को उन्नत तकनीक का लाभ मिला सकता है।
- वैश्वीकरण ने विश्वव्यापी सूचना क्रान्ति को जन्म दिया है। इससे सामाजिक गतिशीलता बढ़ी है।
- वैश्वीकरण के कारणं रोजगार की गतिशीलता में भारी वृद्धि हुई है।
वैश्वीकरण के विपक्ष में तर्क-वैश्वीकरण के विपक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं-
- वैश्वीकरण की व्यवस्था धनिकों को ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।
- वैश्वीकरण से राज्य के गरीबों के हितों की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
- वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर-तरीकों से हाथ धो बैठेंगे।
- वैश्वीकरण के चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारीवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रभुतासम्पन्न राष्ट्रों द्वारा विकासशील देशों के बाजारों को हस्तगत करने के लिए कमजोर राष्ट्रों पर जबरन थोपी जा रही है।
- वैश्वीकरण से आर्थिक असमानता को बढ़ावा मिला है तथा तीसरी दुनिया के देशों में गरीबी बढ़ती जा रही है।
- इस प्रक्रिया का लाभ समाज का उच्च सुविधा सम्पन्न वर्ग उठा रहा है।
प्रश्न 2.
उत्तर :
वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पक्ष हैं जिनका विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है-1. वैश्वीकरण का राजनीतिक पक्ष (प्रभाव)—वैश्वीकरण के राजनीतिक पक्ष (प्रभाव) का वर्णन तीन आधारों पर किया जा सकता है-
(i) वैश्वीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय निगमों के हस्तक्षेप से राज्य की स्थिति कमजोर हुई है। राज्यों के कार्य करने की क्षमता अर्थात् सरकारों को जो करना है उसे करने की ताकत में कमी आती है। सम्पूर्ण विश्व में आज लोक कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गयी है और इसका स्थान न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले लिया है। अब राज्य कुछ मुख्य कार्यों तक ही अपने को सीमित रखता है; जैसे—कानून और व्यवस्था को बनाए रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना।
इस प्रकार के राज्य ने स्वयं को कई ऐसे लोक कल्याणकारी कार्यों से अलग कर लिया है जिनका लक्ष्य आर्थिक और सामाजिक कल्याण होता था। लोक कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का मुख्य निर्धारक है।
(ii) कुछ विद्वानों के अनुसार वैश्वीकरण के चलते राज्य की शक्तियाँ कम नहीं हुई हैं। राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को कोई चुनौती नहीं मिली है। राज्य कानून और व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अपने अनिवार्य कार्यों को पूरा कर रहे हैं। अपनी इच्छा से कई कार्यों से राज्य अपने आपको अलग कर रहे हैं।
(iii) वैश्वीकरण के कारण राज्यों को आधुनिक प्रौद्योगिकी प्राप्त हुई है जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं। इन सूचनाओं के आधार पर राज्य अधिक कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं। उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि हुई है।
2. वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष (प्रभाव)-वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने अधिक जोर पकड़ा है। आर्थिक वैश्वीकरण की प्रक्रिया में विश्व के विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तीव्र हो जाता है। कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं तो कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं एवं शक्तिशाली देशों द्वारा थोपे जाते हैं। वैश्वीकरण में वस्तुओं, सेवाओं, पूँजी, विचारों तथा जनता का एक देश से दूसरे देश में आवागमन आसान हुआ है। विश्व के अधिकांश देशों ने आयात से प्रतिबन्ध हटाकर अपने बाजारों को विश्व समुदाय के लिए खोल दिया है। अनेक बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विकासशील देशों में निवेश कर रही हैं।
यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों के अनुसार इससे अधिकांश लोगों को लाभ प्राप्त होगा परन्तु वैश्वीकरण के आलोचक इस कथन से सहमत नहीं हैं। उनके अनुसार विकसित देशों ने अपने वीजा नियमों को कठोर बनाना शुरू कर दिया है जिससे लोगों के वैश्विक आवागमन में कमी आयी है। इसके अलावा आर्थिक वैश्वीकरण का लाभ धनिक वर्ग को अधिक प्राप्त हुआ है। निर्धन वर्ग आज भी इसके लाभों से वंचित है।
3. वैश्वीकरण का सांस्कृतिक पक्ष (प्रभाव)—वैश्वीकरण के सांस्कृतिक पक्ष ने भी लोगों को प्रभावित किया है। वैश्वीकरण का हमारे खाने-पीने, पहनने तथा सोचने पर प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस बात को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचाएगी। विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति थोपी जा रही है, जिससे एक देश विशेष की संस्कृति के पतन का डर उत्पन्न हो गया है। परन्तु वैश्वीकरण के समर्थकों का मत है कि वैश्वीकरण से संस्कृति के पतन की आशंका निराधार है बल्कि इससे मिश्रित संस्कृति का उदय होता है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभावों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है-I. वैश्वीकरण के सकारात्मक आर्थिक प्रभाव-
1. वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि–वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है। अलग-अलग देशों ने अपने यहाँ होने वाले आयात पर लगने वाले प्रतिबन्धों को कम किया है।
2. पूँजी के प्रवाह में वृद्धि-वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में पूँजी की आवाजाही में वृद्धि हुई है। पूँजी के आवाजाही पर अब अपेक्षाकृत कम प्रतिबन्ध है। अब धनी देश के निवेशकर्ता अपने धन का अपने देश के स्थान पर कहीं और निवेश कर सकते हैं विशेषकर विकासशील देशों में जहाँ उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होगा।
3. विचारों के समक्ष राष्ट्र की सीमाओं की बाधा नहीं-वैश्वीकरण के कारण अब विचारों के समक्ष राष्ट्र की सीमाओं की बाधा नहीं रहीं, उनका प्रवाह अबाध हो गया है। इण्टरनेट एवं कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
4. व्यक्तियों के आवागमन में वृद्धि-वैश्वीकरण के कारण एक देश से दूसरे देश में लोगों के आवागमन में वृद्धि हुई है। एक देश के लोग दूसरे देश में काम-धन्धा कर रहे हैं। यद्यपि लोगों का आवागमन वस्तुओं और पूँजी के प्रवाह की गति से नहीं बढ़ा है।
5. आर्थिक समृद्धि का बढ़ना-वैश्वीकरण के कारण लोगों की आर्थिक समृद्धि बढ़ी है और खुलेपन के कारण अधिकाधिक जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
6. पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना-आर्थिक वैश्वीकरण से लोगों में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। पारस्परिक निर्भरता की गति अब तीव्र हो गयी है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सहकार, व्यवसाय एवं लोगों के मध्य जुड़ाव बढ़ रहा है।
II. वैश्वीकरण के नकारात्मक आर्थिक प्रभाव
- जनता का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में जनमत बड़ी गहराई में विभाजित हो गया है।
- सरकारों द्वारा सामाजिक न्याय की अपेक्षा-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें अपनी कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ खींच रही हैं। इस कारण सामाजिक न्याय के पक्षधर लोग चिन्तित हैं। इनका मत है कि आर्थिक वैश्वीकरण से एक बड़े-छोटे वर्ग को लाभ प्राप्त हुआ है, जबकि नौकरी और जन-कल्याण के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो रहे हैं।
- गरीब देशों के लिए अहितकर विश्व में हो रहे अनेक आन्दोलनों ने बलपूर्वक किए जा रहे वैश्वीकरण को रोकने की आवाज उठायी है क्योंकि इससे गरीब देश आर्थिक रूप से बर्बादी की कगार पर पहुँच रहे हैं।
- विश्व के पुनः उपनिवेशीकरण का भय–विश्व के कुछ प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने चिन्ता जाहिर की है कि वर्तमान विश्व में हो रहा आर्थिक वैश्वीकरण धीरे-धीरे पुन: उपनिवेशीकरण की ओर ले जा रहा है।
प्रश्न 4.
उत्तर :
वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभावों का विवेचन निम्नलिखित तीन बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-- वैश्वीकरण ने कुछ राज्यों में राज्य की शक्ति को कमजोर किया है, यथा-
- वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में अब राज्य कुछेक मुख्य कामों; जैसे-कानून व्यवस्था को बनाए रखना तथा अपने नागरिकों की सुरक्षा करना आदि तक ही अपने को सीमित रखते हैं।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया के कारण राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है।
- वैश्वीकरण के चलते पूरे विश्व में बहुराष्ट्रीय निगमों की भूमिका बढ़ी है। इससे सरकारों के अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आई है।
- कुछ क्षेत्रों में राज्य की शक्ति पर वैश्वीकरण का कोई प्रभाव नहीं-राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है।
- वैश्वीकरण ने राज्य की शक्ति में वृद्धि भी की है-वैश्वीकरण के फलस्वरूप अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकता है। इस सूचना के दम पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से काम कर सकते हैं।
वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव निम्नलिखित हैं-
1. वैश्वीकरण के नकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव-वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभावों को देखते हुए इस भय को बल मिला है कि यह प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचाएगी क्योंकि वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लाता है जिसमें विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इस कारण विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे पूरे विश्व में विभिन्न संस्कृतियों की समृद्ध धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है। यह स्थिति समूची मानवता के लिए खतरनाक है।
2. वैश्वीकरण के सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव-वैश्वीकरण के कुछ सकारात्मक सांस्कृतिक प्रभाव भी पड़े हैं। जैसे
- बाहरी संस्कृति के प्रभावों से हमारी पसन्द-नापसन्द का दायरा बढ़ता है; जैसे-बर्गर के साथ-साथ मसाला डोसा भी अब हमारे खाने में शामिल हो गया है।
- इसके प्रभावस्वरूप कभी-कभी संस्कृति का परिष्कार भी होता है; जैसे-नीली जीन्स के साथ खादी का कुर्ता पहनना।
- वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
वैश्वीकरण के अच्छे प्रभाव-- वैश्वीकरण की अवधारणा आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर वस्तुओं के मूल्य कम कराने में मददगार सिद्ध होता है। इससे ज्यादा-से-ज्यादा आम उपभोक्ताओं को अधिकाधिक लाभ पहुँचता है।
- वैश्वीकरण के कारण एक ही वस्तु के विभिन्न उत्पादक उत्पन्न हो जाते हैं जिससे उपभोक्ता को उपलब्ध अनेक विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ उत्पाद चयनित करने की स्वतन्त्रता मिल जाती है।
- प्रतिस्पर्धा के कारण देश में उपलब्ध आर्थिक संसाधनों का उचित प्रकार से उपयोग हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक प्रगति में तीव्रता आ जाती है।
- वैश्वीकरण से राष्ट्रीय उद्योगों की वैदेशिक सम्बद्धता में भी अभिवृद्धि होती है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 2.
उत्तर :
जिस प्रक्रिया को आर्थिक वैश्वीकरण की उपमा दी जाती है उसमें दुनिया के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तीव्रतम हो जाता है। जहाँ कुछ प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं वहीं कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा शक्तिशाली देशों द्वारा बलपूर्वक थोपे जाते हैं। ये प्रवाह अनेक प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरणार्थ; वस्तुओं, पूँजी जनता अथवा विचारों का प्रवाह।वैश्वीकरण के फलस्वरूप सम्पूर्ण दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में अभिवृद्धि हुई है। विभिन्न देश अपने यहाँ होने वाले आयात पर प्रतिबन्ध लगाते हैं, लेकिन वर्तमान में ये प्रतिबन्ध ढीले पड़ गए हैं। ठीक इसी प्रकार विश्व में पूँजी के आवागमन पर अब कहीं कम प्रतिबन्ध है। व्यावहारिक धरातल पर इसका अभिप्राय यह हुआ कि पूँजीपति देशों के निवेशकर्ता अपनी पूँजी अपने देश के स्थान पर कहीं और निवेश कर सकते हैं। विशेष रूप से विकासशील देशों में पूँजी निवेश से उन्हें अधिक लाभ होता है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप अब विचारों के समक्ष राष्ट्र की सीमाओं की बाधा अर्थात् रुकावट नहीं रही, उनका प्रवाह अबाध हो गया है। कम्प्यूटर एवं इण्टरनेट से सम्बद्ध सेवाओं का विस्तार इसका जीवन्त उदाहरण है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी के योगदान को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-- नि:सन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, इण्टरनेट तथा सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के मध्य संचार क्रान्ति का बिगुल बजाया है।
- प्रारम्भ में जब मुद्रण अर्थात् छपाई की तकनीक विकसित हुई तब उसने राष्ट्रवाद की आधारशिला रखी थी। इसी तरह वर्तमान में हम यह अपेक्षा कर सकते हैं कि प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारी सोच को भी प्रभावित करेगा। हम स्वयं अपने सम्बन्ध में जिस प्रकार से सोचते हैं और हम सामूहिक जीवन के बारे में जिस ढंग से चिन्तन करते हैं उस पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव भी किसी-न-किसी रूप में पड़ता है।
- विचार, पूँजी, वस्तु तथा लोगों का विश्व के विभिन्न हिस्सों में सुगमतापूर्वक आवागमन सिर्फ प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति के फलस्वरूप ही सम्भव हो पाया है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है।
प्रश्न 4.
उत्तर :
वैश्वीकरण के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-- वैश्वीकरण की अवधारणा आर्थिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर वस्तुओं के मूल्य कम कराने में मददगार सिद्ध होती है। इससे ज्यादा-से-ज्यादा उपभोक्ताओं को अधिकाधिक लाभ पहुँचता है।
- वैश्वीकरण का एक गुण यह भी है कि इसकी वजह से एक ही वस्तु के विभिन्न उत्पादक मैदान में कूद पड़ते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को उपलब्ध अनेक विकल्पों में से सर्वश्रेष्ठ उत्पाद चयनित करने की स्वतन्त्रता मिल जाती है।
- प्रतिस्पर्धा के कारण देश में उपलब्ध आर्थिक संसाधनों का उचित प्रकार से उपयोग हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक प्रगति में तीव्रता आ जाती है।
- वैश्वीकरण का एक अन्य गुण यह भी है कि इससे राष्ट्रीय उद्योगों की वैदेशिक सम्बद्धता में भी अभिवृद्धि होती है जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 5.
उत्तर :
वैश्वीकरण के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-- वैश्वीकरण को अपनाने से पूँजीवाद को प्रोत्साहन मिलता है।
- वैश्वीकरण में मूलभूत उद्योगों के स्थान पर उपभोक्ता वस्तुओं से सम्बद्ध उद्योगों को अधिक महत्त्व दिया जाता है।
- विदेशी प्रतिस्पर्धा में हिस्सेदारी करने की वजह से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को काफी क्षति पहुँचती है।
- चूँकि आर्थिक असमानता की वृद्धि में वैश्वीकरण का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। अतः इससे धनी तथा निर्धन के मध्य और अधिक दूरी बनती चली जाती है।
- वैश्वीकरण से राज्य की ताकत में कमी आयी है। इसके कारण राज्य ने लोक-कल्याणकारी कार्यों से अपना हाथ खींच लिया है जिसका लक्ष्य आर्थिक व सामाजिक कल्याण होता था। लोक-कल्याणकारी राज्य के स्थान पर अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का निर्धारक बन गया है।
प्रश्न 6.
उत्तर :
आर्थिक वैश्वीकरण-वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव को आर्थिक वैश्वीकरण भी कहा जाता है। वैश्वीकरण का आर्थिक पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि आर्थिक आधार पर ही वैश्वीकरण की धारणा ने जोर पकड़ा। आर्थिक वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देशों के मध्य आर्थिक प्रवाह तीव्र हो गया है। इसमें वस्तुओं, पूँजी एवं जनता का एक देश से दूसरे देश में जाना सरल हो गया है।वैश्वीकरण के कारण अब विचारों का प्रवाह भी अबाध हो गया है। इण्टरनेट एवं कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार हुआ है। वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देशों की सरकारों ने एक-सी आर्थिक नीतियों को अपनाया है। यद्यपि वैश्वीकरण के समर्थकों का मत है कि वैश्वीकरण के कारण विश्व के अधिकांश लोगों का लाभ हुआ है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है तथा खुशहाली बढ़ी है। परन्तु इसके आलोचकों के अनुसार वैश्वीकरण का लाभ सम्पूर्ण आबादी को न मिलकर एक छोटे-से वर्ग को ही प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 7.
उत्तर :
आर्थिक वैश्वीकरण के विरोध में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं-- विश्व जनमत का विभाजन-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सम्पूर्ण विश्व में जनमत बड़ी गहराई से विभाजित हो गया है।
- सरकारों द्वारा सामाजिक न्याय की उपेक्षा–आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें अपनी कुछ जिम्मेदारियों से अपना हाथ खींच रही है। इस कारण सामाजिक न्याय के पक्षधर लोग चिन्तित हैं। इनका कहना है कि आर्थिक वैश्वीकरण से जनसंख्या के छोटे वर्ग के लोगों को बड़े स्तर पर लाभ प्राप्त होगा, जबकि नौकरी और जनकल्याण के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जाएंगे।
- गरीब देशों के लिए अहितकर-विश्वभर में हो रहे अनेक आन्दोलनों ने बलपूर्वक किए जा रहे वैश्वीकरण को रोकने की आवाज बुलन्द की है क्योंकि इससे गरीब देश आर्थिक रूप से बर्बादी के कगार पर पहुँच जाएँगे विशेषकर इन देशों के नागरिकं बदहाल हो जाएँगे।
- विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण-विश्व के कुछ अर्थशास्त्रियों का मत है कि वर्तमान विश्व में हो रहा आर्थिक वैश्वीकरण धीरे-धीरे पुनः उपनिवेशीकरण का रूप ले लेगा।
प्रश्न 8.
उत्तर :
आर्थिक वैश्वीकरण के पक्ष में प्रमुख तर्क निम्नलिखित हैं-- समृद्धि में वृद्धि-आर्थिक वैश्वीकरण के कारण समृद्धि बढ़ती है एवं खुलेपन के कारण अधिकाधिक जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
- व्यापार में वृद्धि–आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि होती है। वैश्विक स्तर पर व्यापार में वृद्धि से . प्रत्येक देश को अपना उत्कृष्ट प्रदर्शन करने का अवसर मिलता है। इससे सम्पूर्ण विश्व को लाभ प्राप्त होगा।
- आर्थिक वैश्वीकरण अपरिहार्य आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि आर्थिक वैश्वीकरण अपरिहार्य है तथा इतिहास की धारा को अवरुद्ध करना कोई बुद्धिमत्ता का कार्य नहीं है।
- पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना-आर्थिक वैश्वीकरण से लोगों में पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। पारस्परिक निर्धनता की गति अब तीव्र हो गयी है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व के विभिन्न भागों में सरकार, व्यवसाय एवं लोगों के मध्य जुड़ाव बढ़ रहा है।
प्रश्न 9.
उत्तर :
वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लेकर आता है। सांस्कृतिक समरूपता की आड़ में विश्व संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति को थोपा जा रहा है। विश्व में राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम शक्तिशाली समाजों पर अपनी छाप छोड़ती है और विश्व वैसा ही दिखलाई देता है जैसा शक्तिशाली संस्कृति उसे बनाना चाहती है। यही कारण है कि नीली जीन्स या बर्गर-मसाला डोसा की लोकप्रियता का नजदीकी रिश्ता अमेरिकी जीवन-शैली के गहरे प्रभाव से है जो विश्व के मैक्डोनॉल्डीकरण की ओर संकेत देते हैं। उनका मानना है कि विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं। इससे सम्पूर्ण विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। इसलिए यह केवल निर्धन देशों के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक हो सकती है।प्रश्न 10.
उत्तर :
वैश्वीकरण के प्रतिरोध के कारण-- वैश्वीकरण, विश्वव्यापी पूँजीवाद की एक विशेष अवस्था है, जो धनिकों को अधिक धनी एवं गरीबों को और अधिक गरीब बनाती है।
- वैश्वीकरण से राज्य की शक्ति में कमी आती है और राज्य के कमजोर होने से गरीबों के हितों की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
- वैश्वीकरण से राजनीतिक दृष्टि से राज्य कमजोर होता है।
- वैश्वीकरण से परम्परागत संस्कृति की हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन-मूल्य एवं तौर-तरीके से हाथ धो बैठेंगे।
- वैश्वीकरण के चलते विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की एकाधिकारवादी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
उत्तर :
संवाद, पूँजी, विचार, वस्तु तथा लोगों का विश्व के विभिन्न भागों में आवागमन की सरलता प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति की वजह से ही सम्भव हुई है। इन प्रवाहों की गति में अन्तर हो सकता है। उदाहरणार्थ, विश्व के विभिन्न भागों के मध्य पूँजी एवं वस्तु की गतिशीलता लोगों के आवागमन की तुलना में अधिक तीव्र तथा व्यापक होगी।प्रश्न 2.
उत्तर :
निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर कह सकते हैं कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है-- इस अवधारणा का सम्बन्ध आर्थिक वैश्वीकरण, खुला बाजार, पूर्ण प्रतियोगिता तथा उदारीकरण से है।
- वैश्वीकरण की अवधारणा मानव गतिशीलता, पूँजी की गतिशीलता, प्रौद्योगिकी अन्तरण तथा नियन्त्रण मुक्त अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है।
- वैश्वीकरण की अवधारणा सांस्कृतिक गतिशीलता का भी समर्थन करती है।
प्रश्न 3.
उत्तर :
प्रौद्योगिकी क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व वृद्धि की वजह से वैश्वीकरण के चलते अब विचारों के प्रवाह में राष्ट्रीय सीमाएँ किसी भी प्रकार से बाधक नहीं रह गई हैं। निःसन्देह टेलीग्राफ, टेलीफोन, माइक्रोचिप, इण्टरनेट आदि नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच क्रान्तिकारी बदलाव किए हैं। वैश्वीकरण प्रक्रिया के बाद वर्तमान में विभिन्न महाद्वीपों के लोग परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हैं। वे प्रत्यक्ष विचारों का आदान-प्रदान करते हैं, प्रौद्योगिकी की वजह से सभी बाधाओं का अन्त कर दिया गया है।प्रश्न 4.
उत्तर :
उदारीकरण एवं निजीकरण की भाँति वैश्वीकरण के दो पहलुओं की वजह से राज्य का कल्याणकारी स्वरूप परिवर्तित हो रहा है और बाजार शक्तियाँ (माँग एवं पूर्ति) अत्यधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर रही हैं। अतः यह कहना उचित है कि वैश्वीकरण राज्य की सम्प्रभुता का हनन करता है।प्रश्न 5.
उत्तर :
वैश्वीकरण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-- वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय क्रियाकलापों में तेजी आ जाती है।
- वैश्वीकरण से अन्तर्राष्ट्रीय बाजार का प्रादुर्भाव होता है।
- व्यापार का तीव्रता से विकास होने के कारण इसमें बहुराष्ट्रीय निगमों का अधिक महत्त्व होता है।
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में विश्व अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत होने की वजह से भौगोलिक तथा राजनीतिक गतिरोध समाप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 6.
उत्तर :
वैश्वीकरण के उदय के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-- वैश्वीकरण के उदय का प्रमुख कारण युद्ध की सम्भावनाओं को कम करना था।
- इसके उदय का एक कारण राष्ट्रों के अलगाववाद को समाप्त करके उन्हें विश्व व्यवस्था में सक्रिय करना था।
- पर्यावरण सन्तुलन को लगातार बनाए रखना भी वैश्वीकरण के उदय का कारण रहा है।
प्रश्न 7.
उत्तर :
वैश्वीकरण के समक्ष विद्यमान चुनौतियों में से प्रमुख रूप से निम्नलिखित चुनौतियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-- वैश्वीकरण के दौरान प्रत्येक देश हेतु यह आवश्यक है कि वह प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्धा को बनाए रखे।
- अनेक विकासशील देशों में स्वदेशी के नाम पर राजनीति की जाती है जो वैश्वीकरण के सामने कड़ी चुनौती प्रस्तुत करती है।
- अन्तर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य का विकास करना भी वैश्वीकरण के समक्ष एक गम्भीर चुनौती है।
प्रश्न 8.
उत्तर :
वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों की आवाजाही बढ़ी है, लेकिन यह आवाजाही वस्तुओं और पूँजी के समान नहीं बढ़ पायी है। इसका कारण यह है कि विकसित देश अपनी वीजा नीति के माध्यम से अपनी राष्ट्रीय सीमाओं को बड़ी सावधानी से अभेद्य बनाए रखते हैं ताकि दूसरे देशों के नागरिक उनके देशों में आकर कहीं उनके नागरिकों के नौकरी-धन्धे पर कब्जा न कर लें।प्रश्न 9.
उत्तर :
वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) – नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ है। इस मंच के तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता एकजुट होकर नव-उदारवादी वैश्वीकरण का विरोध करते हैं।प्रश्न 10.
उत्तर :
वैश्वीकरण के विरोध में वामपन्थी आलोचकों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण विश्वव्यापी पूँजीवादी की एक विशेष अवस्था है जो धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।प्रश्न 11.
उत्तर :
वैश्वीकरण के दक्षिणपन्थी आलोचकों को-- राजनीतिक अर्थों में राज्य के कमजोर होने की चिन्ता है।
- आर्थिक क्षेत्र में वे चाहते हैं कि कम-से-कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद का दौर फिर कायम हो।
- सांस्कृतिक सन्दर्भ में इनकी चिन्ता है कि इससे परम्परागत संस्कृति की हानि होगी।
प्रश्न 12.
उत्तर :
वैश्वीकरण से हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग और विशिष्ट होती जा रही है। इस प्रक्रिया को सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण कहते हैं। इसका आशय है कि सांस्कृतिक मेल-जोल का प्रभाव एकतरफा नहीं होता है, बल्कि दुतरफा होता है।प्रश्न 13.
उत्तर :
वैश्वीकरण में विश्व सामाजिक मंच एक मुक्त आकाश के समान होगा। जिस प्रकार मुक्त आकाश सम्पूर्ण पक्षियों के लिए खुला होता है, ठीक उसी प्रकार विश्व को एक सामाजिक मंच मान लिया जाए तो सभी जगह उदारीकरण की अर्थव्यवस्था आ जाएगी जो सभी के लिए खुली होगी।प्रश्न 14.
उत्तर :
बाहरी संस्कृति के प्रभावों से कभी-कभी परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार होता है। उदाहरण के लिए, नीली जीन्स भी हथकरघा पर बुने खादी के कुर्ते के साथ खूब चलती है। जीन्स के ऊपर कुर्ता पहने अमेरिकियों को देखना अब सम्भव है।प्रश्न 15.
उत्तर :
कभी-कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसन्द-नापसन्द का दायरा बढ़ता है। उदाहरण के लिए बर्गर, मसाला डोसा का विकल्प नहीं है, इसलिए बर्गर से मसाला-डोसा को कोई खतरा नहीं है। इससे इतना मात्र हुआ है कि हमारे भोजन की पसन्द में एक और चीज शामिल हो गई है।बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
(a) पूँजी का प्रवाह
(b) वस्तुओं का प्रवाह
(c) विचारों का प्रवाह
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर :
(d) उपर्युक्त सभी।प्रश्न 2.
(a) वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि
(b) आर्थिक प्रवाह की तीव्रता
(c) सांस्कृतिक समरूपता
(d) राज्य के कार्यों में कमी।
उत्तर :
(d) राज्य के कार्यों में कमी।प्रश्न 3.
(a) कमी
(b) वृद्धि
(c) कोई परिवर्तन नहीं
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(b) वृद्धि।प्रश्न 4.
(a) वित्तीय प्रभाव
(b) राजनीतिक प्रभाव
(c) आर्थिक प्रभाव
(d) सांस्कृतिक प्रभाव।
उत्तर :
(d) सांस्कृतिक प्रभाव।प्रश्न 5.
(a) वर्ल्ड सोशल फोरम
(b) बहुराष्ट्रीय निगम
(c) इण्डियन सोशल फोरम
(d) वामपन्थी कार्यकर्ता।
उत्तर :
(b) बहुराष्ट्रीय निगम।प्रश्न 6.
(a) सन् 1991 में
(b) सन् 2002 में
(c) सन् 2005 में
(d) सन् 2011 में
उत्तर :
(a) सन् 1991 में।प्रश्न 7.
(a) व्यापार में वृद्धि
(b) पूँजी के प्रवाह में वृद्धि
(c) जनमत के विभाजन में वृद्धि
(d) विचारों के प्रवाह में वृद्धि।
उत्तर :
(c) जनमत के विभाजन में वृद्धि।प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के कारण जिस सीमा तक वस्तुओं का प्रवाह बढ़ा है उस सीमा तक प्रवाह नहीं बढ़ा है-
(a) पूँजी का
(b) व्यापार का
(c) लोगों की आवाजाही का
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर :
(c) लोगों की आवाजाही का।NCERT Class 12 Rajniti Vigyan समकालीन विश्व राजनीति (Contemporary World Politics)
Class 12 Rajniti Vigyan Chapters | Rajniti Vigyan Class 12 Chapter 9
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Contemporary World Politics
( भाग ‘अ’ – समकालीन विश्व राजनीति)
-
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 The Cold War Era
(शीतयुद्ध का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 The End of Bipolarity
(दो ध्रुवीयता का अंत)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 US Hegemony in World Politics
(समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 Alternative Centres of Power
(सत्ता के वैकल्पिक केंद्र)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Contemporary South Asia
(समकालीन दक्षिण एशिया)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 International Organisations
(अंतर्राष्ट्रीय संगठन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Security in the Contemporary World
(समकालीन विश्व में सुरक्षा)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Environment and Natural Resources
(पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Globalisation
(वैश्वीकरण)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium (राजनीतिक विज्ञान)
NCERT Solutions for Class 12 Political Science : Politics In India Since Independence
(भाग ‘ब’ – स्वतंत्र भारत में राजनीति)
-
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 1 Challenges of Nation Building
(राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 Era of One Party Dominance
(एक दल के प्रभुत्व का दौर)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 3 Politics of Planned Development
(नियोजित विकास की राजनीति)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 4 India’s External Relations
(भारत के विदेश संबंध)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 5 Challenges to and Restoration of Congress System
(कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 6 The Crisis of Democratic Order
(लोकतांत्रिक व्यवस्था का संकट)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 7 Rise of Popular Movements
(जन आन्दोलनों का उदय)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 8 Regional Aspirations
(क्षेत्रीय आकांक्षाएँ)
NCERT Solutions For Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 9 Recent Developments in Indian Politics
(भारतीय राजनीति : नए बदलाव)
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