NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 पथिक

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 पथिक 

NCERT Solutions for Class11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 पथिक

पथिक Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Solutions

Check the below NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 पथिक Pdf free download. NCERT Solutions Class 11 Hindi Aroh Poem  were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided पथिक Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Solutions to help students understand the concept very well.

Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class11 Hindi Aroh Poem
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11th Class
Subject: Hindi Aroh Poem
Chapter: 3
Chapters Name: पथिक
Medium: Hindi

पथिक Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Books Solutions

You can refer to MCQ Questions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 3 पथिक to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.

पथिक (अभ्यास प्रश्न)


प्रश्न 1: पथिक का मन कहाँ विचरना चाहता है?
पथिक का मन बादल पर बैठकर नीलगगन में घूमना चाहता है और समुद्र की लहरों पर बैठकर सागर का कोना-कोना देखना चाहता है।
प्रश्न 2: सूर्योदय वर्णन के लिए किस तरह के बिंबों का प्रयोग हुआ है?
सूर्योदय वर्णन के लिए कवि ने निम्नलिखित बिंबों का प्रयोग किया है-
(क) समुद्र तल से उगते हुए सूर्य का अधूरा बिंब अर्थात् गोला अपनी प्रात:कालीन लाल आभा के कारण बहुत ही मनोहर दिखता है।
(ख) वह सूर्योदय के तट पर दिखने वाले आधे सूर्य को कमला के स्वर्ण-मंदिर का कैंगूरा बताता है।
(ग) दूसरे बिंब में वह इसे लक्ष्मी की सवारी के लिए समुद्र द्वारा बनाई स्वर्ण-सड़क बताता है।
प्रश्न 3: आशय स्पष्ट करें-
(क) सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है। तट पर खड़ा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है।
इन पंक्तियों में कवि रात्रि के सौंदर्य का वर्णन करता है। वह बताता है कि संसार का स्वामी मुस्कराते हुए धीमी गति से आता है तथा तट पर खड़ा होकर आकाश-गंगा के मधुर गीत गाता है।
(ख) कैसी मधुर मनोहर उज्ज्वल हैं यह प्रेम कहानी। जी में हैं अक्षर बन इसके बनूँ विश्व की बानी।
कवि कहता है कि प्रकृति के सौंदर्य की प्रेम-कहानी को लहर, तट, तिनके, पेड़, पर्वत, आकाश, और किरण पर लिखा हुआ अनुभव किया जा सकता है। कवि की इच्छा है कि वह मन को हरने वाली उज्ज्वल प्रेम कहानी का अक्षर बने और संसार की वाणी बने। वह प्रकृति का अभिन्न हिस्सा बनना चाहता है।
प्रश्न 4: कविता में कई स्थानों पर प्रकृति को मनुष्य के रूप में देखा गया है। ऐसे उदाहरणों का भाव स्पष्ट करते हुए लिखें।
कवि ने अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है जो निम्नलिखित हैं-
(क) प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही है। नभ में वारिद-माला।
भाव- यहाँ कवि ने सूर्य के सामने बादलों को रंग-बिरंगी वेशभूषा में थिरकती नर्तकी रूप में दर्शाया है। वे सूर्य को प्रसन्न करने के लिए नए-नए रूप बनाते हैं।
(ख) रत्नाकर गर्जन करता है-
भाव-समुद्र के गर्जन की बात कही है। वह गर्जना ऐसी प्रतीत होती है मानो कोई वीरं अपनी वीरता का हुकार भर रहा हो।
(ग) लाने को निज पुण्य भूमि पर लक्ष्मी की असवारी।
रत्नाकर ने निमित कर दी स्वण-सड़क अति प्यारी।
भाव- कवि को सूर्य की किरणों की लालिमा समुद्र पर सोने की सड़क के समान दिखाई देती है, जिसे समुद्र ने लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए तैयार किया है। यह आतिथ्य भाव को दर्शाता है।
(घ) जब गभीर तम अद्ध-निशा में जग को ढक लता हैं।
अंतरिक्ष की छत पर तारों को छिटका देता है।
भाव- इस अंश में अंधकार द्वारा सारे संसार को ढकने तथा आकाश में तारे छिटकाने का वर्णन है। इसमें प्रकृति को चित्रकार के रूप में दर्शाया गया है।
(ड) सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता है।
तट पर खड़ा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है।
भाव- इस अंश में ईश्वर को मानवीय रूप में दर्शाया है। वह मुस्कराते हुए आकाश-गंगा के गीत गाता है।
(च) उससे ही विमुग्ध हो नभ में चद्र विहस देता है।
वृक्ष विविध पत्तों-पुष्पों से तन को सज लेता है।
फूल साँस लेकर सुख की सनद महक उठते हैं—
भाव- इसमें चंद्रमा को प्रकृति की प्रेम-लीला पर हँसते हुए दिखाया गया है। मधुर संगीत व अद्भुत सौंदर्य पर मुग्ध होकर चंद्रमा भी मानव की तरह हँसने लगता है। वृक्ष भी मानव की तरह स्वयं को सजाते हैं तथा प्रसन्नता प्रकट करते हैं। फूल द्वारा सुख की साँस लेने की प्रक्रिया मानव की तरह मिलती है।

पथिक (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
'पथिक" कविता का प्रतिपादय लिखें।
उत्तर-
'पथिक कविता में दुनिया के दुखों से विरक्त काव्य नायक पथिक की प्रकृति के सौंदर्य पर मुग्ध होकर वहीं बसने की इच्छा का वर्णन किया। है। यहाँ वह किसी साधु द्वारा संदेश ग्रहण करके देशसेवा का व्रत लेता है। राजा उसे मृत्युदंड देता है, परंतु उसकी कीर्ति समाज में बनी रहती सागर के किनारे खड़ा पथिक, उसके सौंदर्य पर मुग्ध है। प्रकृति के इस अद्भुत सौंदर्य को वह मधुर मनोहर उज्ज्वल प्रेम कहानी की तरह पाना चाहता है। प्रकृति के प्रति पथिक का यह प्रेम उसे अपनी पत्नी के प्रेम से दूर ले जाता है। इस रचना में प्रेम, भाषा व कल्पना का अद्भुत संयोग मिलता है।
प्रश्न 2:
किन-किन पर मधुर प्रेम-कहानी लिखी प्रतीत होती है?
उत्तर-
समुद्र के तटों, पर्वतों, पेड़ों, तिनकों, किरणों, लहरों आदि पर यह मधुर प्रेम कहानी लिखी प्रतीत होती है।
प्रश्न 3:
'अहा! प्रेम का राज परम सुंदर, अतिशय सुंदर है।'-भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-
कवि प्रकृति के सुंदर रूप पर मोहित है। उसके सौंदर्य से अभिभूत होकर उसे सबसे अधिक सुंदर राज्य कहकर अपने आनंद को अभिव्यक्त कर रहा है।
प्रश्न 4:
सूर्योदय के समय समुद्र के दृश्य का कवि ने किस प्रकार वर्णन किया है?
उत्तर-
पथिक के माध्यम से सूर्योदय का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि इस समय समुद्र की सतह से सूर्य का बिंब अधूरा निकल रहा है अर्थात् आधा सूर्य जल के अंदर है तथा आधा बाहर। ऐसा लगता है मानो यह लक्ष्मी देवी के स्वर्ण-मंदिर का चमकता हुआ केंगूरा हो। पथिक को लगता है कि समुद्र ने अपनी पुण्य भूमि पर लक्ष्मी की सवारी लाने के लिए अति प्यारी सोने की सड़क बना दी हो। सुबह सूर्य का प्रकाश समुद्र तल पर सुनहरी सड़क का दृश्य प्रस्तुत करता है।

पथिक (पठित पद्यांश)


1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला
रवि के सम्मुख धिरक रही हैं नभ में वारिद-माला।
नीचे नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन है।
घन पर बैठ बीच में बिचरूं यहीं चाहता मन है।
रत्नाकर गजन करता हैं मलयानिल बहता है।
हरदम यह हौसला हृदय में प्रिसे भरा रहता हैं।
इस विशात्न विस्तृत महिमामय रत्नाकर के घर के
कोने-कोने में लहरों पर बैठ फिरू जी भर के।
प्रश्न
1. कवि किस दृश्य पर मुग्ध है?
2. बादलों को देखकर कवि का मन क्या करता है?
3. समुद्र के बारे में कवि क्या कहता है?
4. 'कोने-कोने जी भर के। पंक्ति का आशय बताइए।
उत्तर-
1, कवि सूरज की धूप व बादलों की लुका-छिपी पर मुग्ध है। आकाश भी नीला है तथा मनोहर समुद्र भी नीला और विस्तृत है।
2. बादलों को देखकर कवि का मन करता है कि वह बादल पर बैठकर नीले आकाश और समुद्र के मध्य विचरण करे।
3. समुद्र के बारे में पथिक के माध्यम से कवि बताता है कि यह रत्नों से भरा हुआ है। यहाँ सुगंधित हवा बह रही है तथा समुद्र गर्जना कर रहा है।
4. इसका अर्थ है कि कवि लहरों पर बैठकर महान तथा दूर-दूर तक फैले सागर का कोना-कोना घूमकर उसके अनुपम सौंदर्य को देखना चाहता है।
2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
निकल रहा हैं जलनिधि-तल पर दिनकर-बिंब अधूरा
कमला के कचन मदिर का मानों का कैमूर।
लाने को निज पुण्य-भूमि पर लक्ष्मी की असवारी
रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण सडक त प्यारी।
निर्भय दृढ़ गभीर भाव से गरज रहा सागर है।
नहरों पर लहरों का आना सुदर अति सुदर हैं।
कहो यहाँ से बढ़कर सुख क्या पा सकता है प्राणी
अनुभव करो हृदय से ह अनुराग-भरी कल्याणी ।।
प्रश्न
1. सूर्योदय देखकर कवि को क्या लगता है।
2. सागर के विषय में पथिक क्या बताता है?
3, पधिक अपनी प्रिया को कैसे संबोधित करता है तथा उसे क्या बताना चाहता है?
4. कमला का कचन मंदिर किसे कहा गया हैं।
उत्तर
1. सूर्योदय का दृश्य देखकर कवि को लगता है कि समुद्र तल पर सूर्य का बिंब अधूरा निकल रहा है अर्थात् आधा सूर्य जल के अंदर है। तथा आधा बाहर, मानो यह लक्ष्मी देवी के स्वर्ण मंदिर का चमकता हुआ कैंगूरा हो।
2. सागर के विषय में पधिक बताता है कि वह निर्भय होकर मजबूती के साथ गंभीर भाव से गरज रहा है, उस पर लहरों का भाना-जाना बहुत सुंदर लगता है।
3. पथिक ने अपनी प्रिया को 'अनुराग भरी कल्याणी' कहकर संबोधित किया है। वह उसे बताना चाहता है कि प्रकृति-सौंदर्य असीम है। उसका कोई मुकाबला नहीं है।
4. कमला का कंचन मंदिर उदय होते सूर्य का छोटा अंश है। यह कवि की नूतन कल्पना है। लक्ष्मी का निवास सागर ही है जहां से पूरा निकल रहा है।
3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
जब गधीर तम अद्ध-निशा में जग को ढक लता है।
अतरिक्ष की छत पर तारों को छिटका देता है।
सस्मित-वदन जगत का स्वामी मृदु गति से आता हैं।
तट पर खडा गगन-गगा के मधुर गीत गाता है।
उसमें ही विमुग्ध हो नभ में घट्ट विहस देता है।
वृक्ष विविध पक्षों पुष्यों से तन को सज़ लेता है।
पक्षी हर्ष संभाल न सकतें मुग्ध चहक उठते हैं।
फूल साँस लेकर सुख को सनद महक उठते हैं
प्रश्न
1, आर्द्धरात्रि का सौदर्य बताइए।
2. संसार का स्वामी क्या कार्य करता है?
3. चंद्रमा के हैंसने का क्या कारण है?"
4. वृक्षों व पक्षियों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
उत्तर-
1, अद्धरात्रि में संसार पर गहरा अंधकार छा जाता है। ऐसे समय में आकाश की छत पर तारे टिमटिमाने लगते हैं। आकाश गंगा को निहारने के लिए संसार का स्वामी गुनगुनाता है।
2.संसार का स्वामी मुसकराते हुए धीमी गति से आता है तथा तट पर खड़ा होकर आकाश गंगा के लिए मधुर गीत गाता है।
3, संसार का स्वामी आकाशगंगा के लिए गीत गाता है। उस प्रक्रिया को देखकर चंद्रमा हँसने लगता है।
4. रात में आकाश गंगा के संदर्य, चंद्रमा के हँसने जगत स्वामी के गीतों से वृक्ष व पक्षी भी प्रसन्न हो जाते हैं। वृक्ष अपने शरीर को पत्तों व फूलों से राजा लेता है तथा पक्षी चहकने लगते हैं।
4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
वन उपवन गिरि सानु कुंज में मेघ बरस पड़ते हैं।
मेरा आत्म-प्रलय होता हैं नयन नीर झड़ते हैं।
पढ़ो लहर तट तृण तरु गिरि नभ किरन जलद पर प्यारी।
लिखी हुई यह मधुर कहानी विश्व-विमोहनहरी।।
कैसी मधुर मनोहर उज्व ल हैं यह प्रेम-कहानी।
जी में हैं अक्षर बन इसके बनें विश्व की बानी।
स्थिर पवित्र आनद प्रवाहित सदा शांति सुखकर हैं।
अहाः प्रेम का राज्य परम सुदर अतिशय सुंदर हैं।।
प्रश्न
1. कवि कन्द भाव-विभोर हो जाता है?
2. कवि अपनी प्रेयसी से क्या अपेक्षा रखता है।
३. प्रकृति के लिए कवि ने किन किन विशेषणों का प्रयोग किया है।
उत्तर-
1. वन, उपवन, पर्वत आदि सभी पर बरसते बादलों को देखकर कवि भाव-विभोर हो जाता है। फलस्वरूप उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं।
2. कवि अपनी प्रेयसी से अपेक्षा रखता है कि वह लहर तट, तिनका, पेड, पर्वत, भाकाश किरण व बादलों पर लिखी हुई प्यारी कहानी को पढ़े और उनसे कुछ सीखे।
3, प्रकृति के लिए कवि ने 'स्थिर पवित्र आनंद-प्रवाहित तथा 'सदा शांति सुखकर विशेषणों का प्रयोग किया है।

पथिक


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
1
प्रतिक्षण नूतन वेश बनाकर रंग-बिरंग निराला।
रवि के सम्मुख थिरक रही हैं नभ में वारिद माला।
नीच नील समुद्र मनोहर ऊपर नील गगन हैं।
घन पर बैठ बीच में बिच यही चाहता मन हैं।
प्रश्न
क) भाव सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) काव्यांश का शिल्प-सौदर्य बताइए।
उत्तर-
क) इस काव्यांश में कवि ने पथिक के माध्यम से बादलों के क्षण-क्षण में रूप बदलकर नृत्य करने का वर्णन करता है। प्रकृति का सौंदर्य अप्रतिम है।
ख)
• प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
• संगीतात्मकता है। अनुप्रास अलंकार है नीचे नील, नील गगन।
• खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है। मुक्त छद है।
• तत्सम शब्दावली की प्रधानता है।
• कवि की कल्पना निराली है।
• दृश्य बिंब है।
2
रत्नाकर गजन करता हैं मलयानिल बहता हैं।
हरदम यह हौसला हृदय में प्रिये भरा रहता है।
इस विशाल विस्तृत महिमामय रत्नाकर के
घर कैकोने-कोने में लहरों पर बैठ फिरू जी भर के।
प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
ख) काव्याश का शिल्प-सौदर्य बताइए।
उत्तर-
क) कवि ने पथिक के माध्यम से समुद्र के गर्जन, सुगंधित हवा तथा अपनी इच्छा को व्यक्त किया है। सूर्योदय का सुंदर वर्णन है। पथिक सागर का कोना-कोना देखना चाहता है।
ख)
• संस्कृतनिष्ठ शब्दावली है, जैसे- रत्नाकर, मलयानिल, विस्तृत।
• 'कोन-कोने में पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार है।
• जी भरकर' मुहावरे का सटीक प्रयोग है।
• रत्नाकर' का मानवीकरण किया गया है।
• विशेषणों का सुंदर प्रयोग है, जैसे विशाल, विस्तृत, महिमामय।
• संबोधन शैली से सौंदर्य में वृद्धि हुई है।
• अनुप्रास अलंकार है-विशाल विस्तृत।
• मुक्त छंद है।
3
निकल रहा हैं जलनिधि-तल पर दिनकर बिब अधूरा।
कमला के कचन-मदिर का मानो कात कुँगुरा।
लाने को निज पुण्य-भूमि पर लक्ष्मी की असवारी।
रत्नाकर ने निर्मित कर दी स्वर्ण सडक अति प्यारी।
प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
ख) शिल्प सौदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
क) पथिक के माध्यम से कवि सूर्योदय का वर्णन करने में अद्भुत कल्पना करता है। वह सूर्योदय के समय समुद्र पर उत्पन्न सौंदर्य से अभिभूत है।
ख)
• सुनहरी लहरों में लक्ष्मी के मंदिर की कल्पना तथा चमकते सूरज में कैंगूरे की कल्पना रमणीय है।
• स्वर्णिम सड़क का निर्माण भी अनूठी कल्पना है।
• रत्नाकर का मानवीकरण किया गया है। अतः मानवीकरण अलंकार है।
• अनुप्रास अलंकार की छटा है कमला के कंचन, कांत कैंगूरा।
• कमला के .....' कैंगूरा' में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
• तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
• असवारी' शब्द में परिवर्तन कर दिया गया है।
• दृश्य बिंब है।
4
वन, उपवन, गिरि सानु कुंज में मेघ बरस पड़ते हैं।
मेरा आत्म-प्रलय होता है नयन नीर झड़ते हैं।
पढ़ो लहर तट तृण, तरु गिरि नभ, किरन, जलद पर प्यारी।
लिखी हुई यह मधुर कहानी विश्व-विमोहनहारी।
प्रश्न
क) भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
ख) शिल्प-सौदर्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
क) इस काव्यांश में कवि ने प्रकृति के प्रेम को व्यक्त किया है। सागर किनारे खड़ा होकर पथिक सूर्योदय के सौंदर्य पर मुग्ध है।
ख)
• प्रकृति को मानवीय क्रियाकलाप करते हुए दिखाया गया है। अतः मानवीकरण अलंकार है।
• संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के साथ खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है।
• आत्म-प्रलय' कवि की विभोरता का परिचायक है।
• छोटे छोटे शब्द अर्थ को स्पष्ट करते हैं।
• अनुप्रास अलंकार की छटा है-नयन नीर, तट, तृण, तरु, पर प्यारी, विश्व-विमोहनहारी।
• संगीतात्मकता है।
• संबोधन शैली भी है।

Hindi Vyakaran


Hindi Grammar Syllabus Class 11 CBSE

Here is the list of chapters for Class 11 Hindi Core NCERT Textbook.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh (आरोह)

पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक
आरोह, भाग-1
(पाठ्यपुस्तक)

(अ) गद्य भाग

(ब) काव्य भाग

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan (वितान)

वितान, भाग-1
(पूरक पाठ्यपुस्तक)

CBSE Class 11 Hindi कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन

CBSE Class 11 Hindi Unseen Passages अपठित बोध

CBSE Class 11 Hindi Grammar हिंदी व्याकरण

NCERT Solutions for Class 12 All Subjects NCERT Solutions for Class 10 All Subjects
NCERT Solutions for Class 11 All Subjects NCERT Solutions for Class 9 All Subjects

NCERT SOLUTIONS

Post a Comment

इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)

Previous Post Next Post