NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर 

NCERT Solutions for Class11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Solutions

Check the below NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Pdf free download. NCERT Solutions Class 11 Hindi Aroh Poem  were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Solutions to help students understand the concept very well.

Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class11 Hindi Aroh Poem
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11th Class
Subject: Hindi Aroh Poem
Chapter: 8
Chapters Name: हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
Medium: Hindi

हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर Class 11 Hindi Aroh Poem NCERT Books Solutions

You can refer to MCQ Questions for Class 11 Hindi Aroh Poem Chapter 8 हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.

हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (अभ्यास प्रश्न)


प्रश्न 1. लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती हैं- इसके संदर्भ में अपने तर्क दीजिए।
उपरोक्त कथन सही है कि लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती है इन्द्रियाँ हमें जकड़ लेती है। जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि। ये सब इन्द्रियाँ उत्पन्न करती है। हमारे शरीर में पाँच कर्मेंद्रियों और पाँच ज्ञानेंद्रियाँ एवं ग्यारहवाँ मन होता है। यदि हमें किसी लक्ष्य को प्राप्त करना है तो इन इंद्रियों को वश में करना अनिवार्य है। अन्यथा जब हमें यह अपनी और आकर्षित करती है तब हर आदमी अपने लक्ष्य को भूल जाता है।
प्रश्न 2. ओ चराचर! मत चूक अवसर- इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
अक्क महादेवी जी ने अपने वचन में साधक को इंद्रियों को वश में करने पर बल देते हुए भगवान के प्रति समर्पण की भावना को दूर करने का संदेश दिया है। 'ओ चराचर! मत चूक अवसर' से अभिप्राय है कि जड़ व चेतन पदार्थों तुम मेरे अनुकंपा का अवसर हाथ से मत जाने दो अर्थात इंद्रियों को वश में करने में मेरी मदद करो। वह कहती है कि इंद्रियाँ अपने-अपने स्वभाव के अनुसार प्राप्ति के लिए बाध्य करेंगी परंतु उसे इन नश्वर सुखों के बदले ईश्वर के प्रति आकर्षित होने का अवसर नहीं चूकना चाहिए।
प्रश्न 3. ईश्वर के लिए किस दृष्टांत का प्रयोग किया गया है? ईश्वर और उसके साम्य का आधार बताइए।
यहाँ अक्क महादेवी ने ईश्वर को जूही का फूल कहा है। ईश्वर ऐसे फूल की भाँति है जो खिलकर अपनी महक हर जगह बिखेरता है तथा सभी को आनंदित करता है। ठीक उसी प्रकार प्रभु भी हर जगह विद्यमान है तथा हर व्यक्ति को अपना आभास करवाता है। इसके होने का आभास सभी को भीतर तक होता है। यदि साधक भी इन्द्रियाँ निग्रह करके अपनी मानवीय दुर्बलताओं पर विजय पा ले तो वह भी ईश्वर के समान बन सकता है।
प्रश्न 4. अपना घर से क्या तात्पर्य है? इसे भूलने की बात क्यों कही गई है?
अपना घर से तात्पर्य है- अंहकार अर्थात मैं का अनुभव। कवयित्री अपना घर भूलने की बात इसलिए कहती है क्योंकि वह अपना अहंकार चाहती है। यह केवल तभी संभव है जब सांसारिक वस्तुओं से नाता तोड़ा जाए क्योंकि जगत और जगदीश दोनों एक जगह नहीं रह सकते। जगदीश प्राप्त करने के लिए जगत त्यागना आवश्यक है।
प्रश्न 5. दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?
अक्क महादेवी ने अपने दूसरे वचन में ईश्वर से शुभकामना व्यक्त की है कि उसमें व्याप्त अहंकार को नष्ट करने में सहयोग दे। वह अहंकार मर्दन के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है कि संसार में कोई उसे भीख न दें यदि कोई उसे भीख देने के लिए हाथ बढ़ाए तो उसके हाथों से भीख में मिली वस्तु नीचे गिर जाए। यदि फिर भी लोभवश वह उस वस्तु को पाने के लिए झुके तो उस वस्तु को कुत्ता झपट कर ले जाए। कवयित्री ने अपने अहंकार मर्दन के लिए ईश्वर से सहयोग की कामना व्यक्त की है।

हे भूख मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
पहले वचन का प्रतिपादय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
प्रथम वचन में इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश दिया गया है। यह उपदेशात्मक न होकर प्रेम-भरा मनुहार है। वे चाहती हैं कि मनुष्य को अपनी भूख, प्यास, नींद आदि वृत्तियों व क्रोध, मोह, लोभ, अह, ईष्या आदि भावों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। वे लोगों को समझाती हैं कि इंद्रियों को वश में करने से शिव की प्राप्ति संभव है।
प्रश्न 2:
दूसरे वचन का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
दूसरा वचन एक भक्त का ईश्वर के प्रति समर्पण है। चन्नमल्लिकार्जुन की अनन्य भक्त अक्कमहादेवी उनकी अनुकंपा के लिए हर भौतिक । वस्तु से अपनी झोली खाली रखना चाहती हैं। वे ऐसी निस्पृह स्थिति की कामना करती हैं जिससे उनका स्व या अहंकार पूरी तरह से नष्ट हो जाए। वह ईश्वर को जूही के फूल के समान बताती हैं, वह कामना करती हैं कि ईश्वर उससे ऐसे काम करवाए जिनसे उसका अहकार समाप्त हो जाए। वह उससे भीख मैंगवाए, भले ही उसे भीख न मिले। वह उससे घर की मोह-माया छुड़वा दे। जब कोई उसे कुछ देना चाहे तो वह गिर जाए और उसे कोई कुत्ता छीनकर ले जाए। कवयित्री का एकमात्र लक्ष्य अपने परमात्मा की प्राप्ति है।
प्रश्न 3:
कवयित्री मनोविकारों को क्यों दुकारती है?
उत्तर =
कवयित्री का मानना है कि मनोविकार मनुष्य को सांसारिक मोह-माया में लिप्त रखते हैं। मोह से व्यक्ति वस्तु संग्रह करता है। क्रोध में वह विवेक खोकर हानि पहुँचाता है। लोभ मनुष्य से गलत कार्य करवाता है। अहंकार मानव को मदहोश कर देता है तथा वह स्वयं को महान समझने लगता है। ये सभी मनुष्य को ईश्वरीय भक्ति से दूर ले जाते हैं। इसी कारण मनुष्य का कल्याण नहीं होता।
प्रश्न 4:
कवयित्री शिव का क्या संदेश लेकर आई है?
उत्तर =
कवयित्री शिव की अनन्य भक्त है। वह संसार में शिव का संदेश प्रचारित करना चाहती हैं कि ईशभक्ति में ही प्राणी की मुक्ति है। शिव करुणामयी हैं तथा संसार का कल्याण करने वाले हैं। जो प्राणी सच्चे मन से उनकी भक्ति करता है, वे उसे मुक्ति प्रदान करते हैं। प्राणी को जीतन में ऐसा अवसर बार बार नहीं मिलता। अतः उसे इस अवसर को छोड़ाना नहीं चाहिए।
प्रश्न 5:
अक्क महादेवी ईश्वर से भीख मैंगवाने की प्रार्थना क्यों करती है?
उत्तर -
अक्कमहादेवी का मानना है कि व्यक्ति तभी भीख माँगता है जब उसका अभाव समाप्त हो जाता है। वह निर्विकार हो जाता है। ऐसी दशा में ही ईश्वर भक्ति की जा सकती है। व्यक्ति निस्पृह होकर लोककल्याण की सोचने लगता है।

हे भूख मत मचल (पठित पद्यांश)


1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हे भूख' मत मचल
प्यास तड़प मत हे
हे नींद मत सता
क्रोध मचा मत उथल पुथल
है मोह' पाश अपने ढील
लोभु मत ललचा
मदमत कर मदहोश
ईष्य जला मत
ओ चराचर मत चूक अवसर
आई हूँ सदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का
प्रश्न
1. कवयित्री ने किन-किन को संबोधित किया है।
2. कवयित्री क्या प्रार्थना करती है तथा क्यों?
३. कवयित्री चराचर जगत् को क्या प्रेरणा देती है?
4. कवयित्री किसकी भक्त है? अपने आराध्य को प्राप्त करने का उसने क्या उपाय बताया है?
उत्तर -
1. कवयित्री ने भूख, प्यास, नींद, मोह, ईष्या, मद और चराचर को संबोधित किया है।
2. कवयित्री इंद्विय व भावों से प्रार्थना करती है कि वे उसे सांसारिक कष्ट न दें, क्योंकि इससे उसकी भक्ति बाधित होती है।
3, कवयित्री चराचर जगत् को प्रेरणा देती है कि वे इस अवसर को न चूकें तथा सांसारिक मोह को छोड़कर प्रभु की भक्ति करें। वह भगवान शिव का संदेश लेकर आई है।
4. कवयित्री चन्नमल्लिकार्जुन अर्थात् शिव की भक्त है। उसने आराध्य को प्राप्त करने का यह उपाय बताया है कि मनुष्य की अपनी इंद्रियों को वश में करने से आराध्य (शिव) की प्राप्ति की जा सकती है।

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर (पठित पद्यांश)


2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
हे मेरे जुही के फूल जैसे ईश्वर
मँगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो।
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि में झुकू उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।
प्रश्न
1. कवयित्री आराध्य से क्या प्रार्थना करती है?
2. अपने घर भूलने से क्या आशय है?
3, पहले भीख और फिर भोजन न मिलने की कामना क्यों की गई है?
4, ईश्वर को जूही के फूल की उपमा क्यों दी गई है।
उत्तर -
1. कवयित्री आराध्य से प्रार्थना करती है कि वह ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न करे जिससे संसार से उसका लगाव समाप्त हो जाए।
2. 'अपना घर भूलने से आशय है गृहस्थी के सांसारिक झंझट को भूलना, जिसे संसार को लोग सच मानने लगते हैं।
3. भीख तभी माँगी जा सकती है जब मनुष्य अपने अहभाद को नष्ट कर देता है और भोजन न मिलने पर मनुष्य वैराग्य की तरफ जाता है। इसलिए कवयित्री ने पहले भीख़ और फिर भोजन न मिलने की कामना की है।
4 ईश्वर को जूही के फूल की उपमा इरालिए दी गई है कि ईश्वर भी जूही के फूल के समान लोगों को आनंद देता है, उनका कल्याण करता है।

हे भूख मत मचल


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● यहाँ कवयित्री प्रत्येक प्राणी को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करने की प्रेरणा देती है।
● सहज, सरल तथा भावानुकूल हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है।
● प्रसाद गुण शांत रस का परिपाक है।
● 'मत' शब्द की आवृत्ति से विषय-विकारों से बचने पर बल दिया गया है।
हे भूख' मत मचल
प्यास, तड़प मत हे
हे नींद मत सता
क्रोध मचा मत उथल-पुथल
है मोहपाश अपने ढील
लोभ मत ललचा
मदमत कर मदहोश
ईष्र्या जला मत ।
अ चराचर मत चूक अवसर
आई हूँ सदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का
प्रश्न
क) इस पद का भाव स्पष्ट करें।
ख) शिल्प व भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर =
क) इस पद में, कवयित्री ने इंद्रियों व भावों पर नियंत्रण रखकर ईश्वर-भक्ति में लीन होने की प्रेरणा दी है। मनुष्य को भूख, प्यास, नींद, क्रोध, मोह, लोभ, ईष्या, अहंकार आदि प्रवृत्तियाँ सांसारिक चक्र में उलझा देती हैं। इस कारण वह ईश्वर-भक्ति के मार्ग को भूल जाता है।
ख) यह पद कन्नड़ भाषा में रचा गया है। इसका यहाँ अनुवाद है। इस पद में संबोधन शैली का प्रयोग किया है। इंद्रियों व भावों को मानवीय तरीके से संबोधित किया गया है। अतः मानवीकरण अलंकार है। मत मचल मचा मत में अनुप्रास अलंकार है। प्रसाद गुण है। शैली में उपदेशात्मकता है। खड़ी बोली के माध्यम से सहज अभिव्यक्ति है।

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● कवयित्री का यह वचन उपदेशात्मक है।
● यह वचन मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखा गया है, जिसका हिंदी रूपांतरण किया गया है।
● सहज, सरल तथा भावानुकूल हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया है।
● देशज शब्दों का प्रयोग किया गया है।
● प्रसाद गुण तथा शांत रस का परिपाक है।
हे मेरे जुही के फूल जैसे ईश्वर
मॅगवाओ मुझसे भीख
और कुछ ऐसा करो
कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह
झोली फैलाऊँ और न मिले भीख
कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को
तो वह गिर जाए नीचे
और यदि में झुकू उसे उठाने
तो कोई कुत्ता आ जाए
और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।
प्रश्न
क) इस पद का भाव स्पष्ट करें।
ख) शिल्प-सौदर्य बताइए।
उत्तर -
क) इस वचन में, कवयित्री ने अपने आराध्य के प्रति पूर्णतः समर्पित भाव को व्यक्त किया है। वह अपने आराध्य के लिए तमाम भौतिक साधनों को त्यागना चाहती है वह अपने अहकार को खत्म करके ईश्वर की प्राप्ति करना चाहती है। कवयित्री निस्पृह जीवन जीने की कामना रखती है।
ख) कवयित्री ने ईश्वर की तुलना जूही के फूल से की है। अतः उपमा अलंकार है। 'मैंगवाओ मुझसे व 'कोई कुत्ता में अनुप्रास अलंकार है।अपना घर' यहाँ अह भाव का परिचायक है। सुंदर बिंब योजना है, जैसे भीख न मिलने, झोली फैलाने, भीख नीचे गिरने, कुत्ते द्वारा झपटना आदि। खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है। संवादात्मक शैली है। शांत रस का परिपाक है।

Hindi Vyakaran


Hindi Grammar Syllabus Class 11 CBSE

Here is the list of chapters for Class 11 Hindi Core NCERT Textbook.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh (आरोह)

पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक
आरोह, भाग-1
(पाठ्यपुस्तक)

(अ) गद्य भाग

(ब) काव्य भाग

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan (वितान)

वितान, भाग-1
(पूरक पाठ्यपुस्तक)

CBSE Class 11 Hindi कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन

CBSE Class 11 Hindi Unseen Passages अपठित बोध

CBSE Class 11 Hindi Grammar हिंदी व्याकरण

NCERT Solutions for Class 12 All Subjects NCERT Solutions for Class 10 All Subjects
NCERT Solutions for Class 11 All Subjects NCERT Solutions for Class 9 All Subjects

NCERT SOLUTIONS

Post a Comment

इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)

Previous Post Next Post