NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan Chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan Chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर 

NCERT Solutions for Class11 Hindi Vitan Chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर Class 11 Hindi Vitan NCERT Solutions

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Class 11 Hindi Vitan Chapter 1 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class11 Hindi Vitan
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11th Class
Subject: Hindi Vitan
Chapter: 1
Chapters Name: भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर
Medium: Hindi

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर Class 11 Hindi Vitan NCERT Books Solutions

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भारतीय गायिकाओं में बेजोड़: लता मंगेशकर (अभ्यास प्रश्न)


प्रश्न 1. लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है। पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करते हुए बताएँ कि आपके विचार में इसे प्राप्त करने के लिए किस प्रकार के अभ्यास की आवश्यकता है?
लेखक ने पाठ में गानपन का उल्लेख किया है जिसका अर्थ है कि वह गायिकी जो आदमी को भावविभोर कर दे। मेरे विचार से इसे प्राप्त करने के लिए स्वरों की निर्मलता होना आवश्यक है। स्वरों की कोमलता, मुग्धता को पर्याप्त अभ्यास के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। जीवन को देखने के दृष्टिकोण में भी निर्मलता होनी चाहिए जिससे गायन में निर्मलता झलक सके।
प्रश्न 2. लेखक ने लता की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन सी विशेषताएँ नजर आती हैं? उदाहरण सहित बताइए।
लेखक ने लता की गायिकी में निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया है:-
☞ गानपन
☞ स्वरों की निर्मलता
☞ मुग्धता
☞ नादमय उच्चार
मुझे भी लता की गायिकी में उपर्युक्त सभी विशेषताएँ नजर आती है। इसके साथ ही करुण रस की प्रभावशाली अभिव्यक्ति तथा मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले गीतों को लता ने अत्यंत कुशलता से गाया है। लता द्वारा गाए गए गीतों की लोकप्रियता और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
प्रश्न 3. लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया जबकि श्रृंगारपरक गाने बड़ी उत्कटता से गाती है। -इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया है जबकि श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती है। लेखक मानता है कि श्रृंगारपरक गानों को गाने में लता अद्वितीय है। परंतु हम मानते हैं कि करुण रस के गानों को भी उन्होंने इतनी अच्छी तरह से गाया है। यह ठीक है कि लता के अधिकतर गानों को संगीत निदेशक ने ऊँची पट्टी में गवाया है परंतु इसमें लता का क्या दोष? उनका गाया गया गीत "ए मेरे वतन के लोगों, जरा आँख में भर लो पानी" सुनकर पंडित जवाहरलाल नेहरु भी रो पड़े थे।
प्रश्न 4. संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है। वहाँ अब तक अलक्षित असंशोधित और अदृष्टिपूर्ण ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं। इस कथन को वर्तमान फिल्मी संगीत के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
संगीत का क्षेत्र ही विस्तीर्ण है। वहाँ अब तक अलक्षित असंशोधित और अदृष्टिपूर्ण ऐसा खूब बड़ा प्रांत है तथापि बड़े जोश से इसकी खोज और उपयोग चित्रपट के लोग करते चले आ रहे हैं- यह कथन वर्तमान फिल्मी संगीत के संदर्भ में एकदम उपयुक्त है। संगीत के क्षेत्र की कोई सीमा नही है। हर समय इसमें कुछ नया करने की संभावनाएँ बनी रहती है। इसलिए हमें फिल्मी संगीत में नित नए प्रयोग से सजे गीत सुनाई देते हैं।
प्रश्न 5. चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए।- अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गंधर्व की राय और अपनी राय लिखें।
चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए।- अक्सर यह आरोप लगाया जाता रहा है। इस संदर्भ में कुमार गन्धर्व की राय यह है कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान खराब नहीं किए अपितु सुधार दिए है क्योंकि चित्रपट संगीत की लयकारी अलग और आसान होती है। मेरी राय भी कुमार गंधर्व जैसी ही है, क्योंकि शास्त्रीय संगीत में शास्त्र शुद्धता को आवश्यक मानते हैं किंतु चित्रपट संगीत की लचकदारी उसकी शक्ति है। अतः चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए- इससे मैं सहमत नहीं हूँ।
प्रश्न 6. शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीतों के महत्त्व का आधार क्या होना चाहिए? कुमार गंधर्व की इस संबंध में क्या राय है? स्वयं आप क्या सोचते हैं?
कुमार गंधर्व के अनुसार शास्त्रीय एवं चित्रपट दोनों तरह के संगीत के महत्त्व का आधार यह है कि रसिक को आनंद देने का सामर्थ्य किस गाने में कितना है। यदि शास्त्रीय संगीत भी रंजक न हो तो वह बिल्कुल ही नीरस ठहरेगा। वह अनाकर्षक तथा कुछ कमी वाला प्रतीत होगा। इसी प्रकार चित्रपट संगीत में भी रंजकता का गुण होना चाहिए। यही दोनों संगीतों के महत्त्व का आधार है। हम भी यही सोचते हैं।

भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत में क्या अंतर है?
उत्तर –
शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत-दोनों का लक्ष्य आनंद प्रदान करना है, फिर भी दोनों में अंतर है। शास्त्रीय संगीत में गंभीरता अपेक्षित होती है। यह इसका स्थायी भाव है, जबकि चित्रपट संगीत का गुणधर्म चपलता व तेज लय है। शास्त्रीय संगीत में ताल अपने परिष्कृत रूप में पाया जाता है, जबकि चित्रपट संगीत का ताल प्राथमिक अवस्था का ताल होता है शास्त्रीय संगीत में तालों का पूरा ध्यान रखा जाता है, जबकि चित्रपट संगीत में आधे तालों का उपयोग होता है। चित्रपट संगीत में गीत और आघात को ज्यादा महत्त्व दिया जाता है, सुलभता तथा लोच को अग्र स्थान दिया जाता है। शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी होना आवश्यक है। तीन-साढ़े तीन मिनट के गाए हुए चित्रपट के किसी गाने का और एकाध खानदानी शास्त्रीय गायक की तीन-साढे तीन घटे की महफिल का कलात्मक व आनंदात्मक मूल्य एक ही है।
प्रश्न 2:
कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर को बेजोड़ गायिका माना है। क्यों?
उत्तर –
लेखक ने लता मंगेशकर को बेजोड़ गायिका माना है। उनके मुकाबले कोई भी गायिका नहीं है। नूरजहाँ अपने समय की प्रसिद्ध चित्रपट संगीत की गायिका थी, परंतु लता ने उसे बहुत पीछे छोड़ दिया। वे पिछले पचास वर्षों से एकछत्र राज कायम किए हुए हैं। इतने लंबे समय के बावजूद उनका स्वर पहले की तरह कोमल, सुरीला व मनभावन है। उनकी अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. उनके गायन में जो गानपन है, वह अन्य किसी गायिका में नहीं मिलता।
2. उच्चारण में शुद्धता व नाद का संगम तथा भावों में जो निर्मलता है, वह अन्य गायिकाओं में नहीं है।
3. उनकी सुरीली आवाज ईश्वर की देन है, परंतु लता जी ने उसे अपनी मेहनत से निखारा है।
4. वे शास्त्रीय संगीत से परिचित हैं, परंतु फिर भी सुगम संगीत में गाती हैं।
4. उनके गानों को सुनकर देश-विदेश में लोग दीवाने हो उठते हैं।
5. उनका सबसे बड़ा योगदान यह है कि उन्होंने आम व्यक्ति की संगीत अभिरुचि को परिष्कृत किया है।
प्रश्न 3:
लता मंगेशकर ने किस तरह के गीत गाए हैं? पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर –
लता मंगेशकर ने चित्रपट संगीत में मुख्यतया करुण व श्रृंगार रस के गाने गाए हैं। उन्होंने अनेक प्रयोग किए हैं उन्होंने राजस्थानी, पंजाबी, बंगाली व मराठी लोकगीतों को अपनाया है। लता जी ने पंजाबी लोकगीत, रूक्ष और निर्जल राजस्थान में बादल की याद दिलाने वाले गीत, पहाड़ों की घाटियों में प्रतिध्वनित होने वाले पहाड़ी गीत गाए हैं। ऋतु चक्र समझने वाले और खेती के विविध कामों का हिसाब लेने वाले कृषि गीत और ब्रजभूमि के सहज मधुर गीतों को फिल्मों में लिया गया है। उन्होंने मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले गाने बड़ी उत्कटता से गाए हैं।
प्रश्न 4:
लेखक लता के संगीत से कब स्वयं को जुड़ा महसूस करने लगे?
उत्तर –
लेखक वर्षों पहले बीमार थे। उस समय उन्होंने रेडियो पर अद्वतीय स्वर सुना। यह स्वर सीधे उनके हृदय तक जा पहुँचा। उन्होंने तन्मयता से पूरा गीत सुना। उन्हें यह स्वर आम स्वरों से विशेष लगा। गीत के अंत में जब रेडियो पर गायिका के नाम की घोषणा हुई तो उन्हें मन-ही-मन संगति पाने का अनुभव हुआ। वे सोचने लगे कि सुप्रसिद्ध गायक दीनानाथ मंगेशकर की अजब गायकी एक दूसरा स्वरूप लिए उन्हीं की बेटी की कोमल आवाज में सुनने को मिली है।
प्रश्न 5:
लता के नूरजहाँ से आगे निकल जाने का क्या कारण है?
उत्तर –
लता मंगेशकर प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ के बहुत बाद में आई, परंतु शीघ्र ही उनसे आगे निकल गई। नूरजहाँ के गीतों में मादक उत्तान था जो मनुष्य को जीवन से नहीं जोड़ता था। लता के स्वरों में कोमलता, निर्मलता व मुग्धता थी। जीवन के प्रति दृष्टिकोण उनके गीतों की निर्मलता में दिखता है।
प्रश्न 6:
कुमार गंधर्व ने लता मंगेशकर के गायन को चमत्कार की संज्ञा क्यों दी है?
उत्तर –
चित्रपट संगीत के क्षेत्र में लता बेताज सम्राज्ञी हैं। और भी कई पाश्र्व गायक-गायिकाएँ हैं, पर लता की लोकप्रियता इन सबसे अधिक है। उनकी लोकप्रियता का शिखर अचल है। लगभग आधी शताब्दी तक वे जन-मन पर छाई रही हैं। भारत के अलावा परदेश में भी लोग उनके गाने सुनकर पागल हो उठते हैं। यह चमत्कार ही है जो प्रत्यक्ष तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा कलाकार शताब्दियों में एकाध ही उत्पन्न होता है।
प्रश्न 7:
शास्त्रीय गायकों पर लेखक ने क्या टिप्पणी की है?
उत्तर –
लेखक कहता है कि शास्त्रीय गायक आत्मसंतुष्ट प्रवृत्ति के हैं। उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपनी हुकुमशाही स्थापित कर रखी है। उन्होंने शास्त्र शुद्धता को जरूरत से ज्यादा महत्त्व दे रखा है। वे रागों की शुद्धता पर जोर देते हैं।
प्रश्न 8:
चित्रपट संगीत के विकसित होने का क्या कारण है?
उत्तर –
चित्रपट संगीत के विकसित होने का कारण उसकी प्रयोग धर्मिता है। यह संगीत आम आदमी की समझ में आ रहा है। इस संगीत को सुरीलापन, लचकदारी आदि ने लोकप्रिय बना दिया है। इन्होंने शास्त्रीय संगीत की रागदानी भी अपनाई है, वहीं राजस्थानी, पहाड़ी, पंजाबी, बंगाली, लोकगीतों को भी अपनाया है। दरअसल यह विभिन्नता में एकता का प्रचार कर रहा है। इसके माध्यम से लोग अपनी संस्कृति से परिचित हो रहे हैं।
प्रश्न 9:
लता की गायकी से संगीत के प्रति आम लोगों की सोच में क्या परिवर्तन आया है?
उत्तर –
लता की गायकी के कारण चित्रपट संगीत अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है। अब वे संगीत की सूक्ष्मता को समझने लगे हैं। वे गायन की मधुरता, मस्ती व गानपन को महत्व देते हैं। आज के बच्चे पहले की तुलना में सधे हुए स्वर से गाते हैं। लता ने नई पीढ़ी के संगीत को संस्कारित किया है। आम लोगों का संगीत के विविध प्रकारों से परिचय हो रहा है।
प्रश्न 10:
कुमार गंधर्व ने लता जी की गायकी के किन दोषों का उल्लेख किया है?
उत्तर –
कुमार गंधर्व का मानना है कि लता जी की गायकी में करुण रस विशेष प्रभावशाली रीति से व्यक्त नहीं होता। उन्होंने करुण रस के साथ न्याय नहीं किया।
दूसरे, लता ज्यादातर ऊँची पट्टी में ही गाती हैं जो चिल्लाने जैसा होता है।
प्रश्न 11:
शास्त्रीय संगीत की तीन-साढ़े तीन घंटे की महफिल और चित्रपट संगीत के तीन मिनट के गान का आनंदात्मक मूल्य एक क्यों माना गया है?
उत्तर –
लेखक ने शास्त्रीय संगीत की तीन-साढे तीन घटे की महफिल और चित्रपट संगीत से तीन मिनट के गान का आनंदात्मक मूल्य एक माना है इन दोनों का लक्ष्य श्रोताओं को आनंदमग्न करना है। तीन मिनट के गाने में स्वर, लय व शब्दार्थ की त्रिवेणी बहती है। इसमें श्रोताओं को भरपूर आनंद मिलता है।
प्रश्न 12:
लय कितने प्रकार की होती है?
उत्तर –
लय तीन प्रकार की होती है-
1. विलंबित लय– यह धीमी होती है।
2. मध्य लय– यह बीच की होती है।
3. दुत लय– यह मध्य लय से दुगुनी तथा विलबित लय से चौगुनी तेज होती है।

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