NCERT Solutions for Class 11 Hindi Grammar Chapter 3 डायरी लिखने की कला

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Grammar Chapter 3 डायरी लिखने की कला 

NCERT Solutions for Class11 Hindi Grammar Chapter 3 डायरी लिखने की कला

डायरी लिखने की कला Class 11 Hindi Grammar NCERT Solutions

Check the below NCERT Solutions for Class 11 Hindi Grammar Chapter 3 डायरी लिखने की कला Pdf free download. NCERT Solutions Class 11 Hindi Grammar  were prepared based on the latest exam pattern. We have Provided डायरी लिखने की कला Class 11 Hindi Grammar NCERT Solutions to help students understand the concept very well.

Class 11 Hindi Grammar Chapter 3 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class11 Hindi Grammar
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 11th Class
Subject: Hindi Grammar
Chapter: 3
Chapters Name: डायरी लिखने की कला
Medium: Hindi

डायरी लिखने की कला Class 11 Hindi Grammar NCERT Books Solutions

You can refer to MCQ Questions for Class 11 Hindi Grammar Chapter 3 डायरी लिखने की कला to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.

Diary Likhne ki Kala (अभ्यास प्रश्न) | Abhivyakti aur Madhyam Class 11 | अभिव्यक्ति और माध्यम क्लास 11 (अभ्यास प्रश्न)


प्रश्न 1. निम्नलिखित में से तीन अवसरों की डायरी लिखिए-
(क) आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया
(ख) प्रिय मित्र से झगड़ा हो गया(ग) परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं
(घ) परीक्षा में आप अनुर्तीण हो गए हैं
(ङ) सड़क पर रोता हुआ दस वर्षीय बच्चा मिला
(च) कोई ऐसा दिन जिसकी आप डायरी लिखना चाहते हैं
उत्तर-
क) दिनांक 15 सितंबर, 20….
आज का दिन मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है। मैं काफ़ी समय से किसी नाटक में एक छोटी-सी भूमिका चाहता था। आज मेरी यह इच्छा उस समय पूरी हुई जब स्कूल में मुझे ‘शहीद भगत सिंह ‘ नाटक में राजगुरु की भूमिका के लिए चुना गया। मुझे सबके सामने अपने डायलॉग बोलने थे पहले तो मैं झिझक गया। मुझे डर भी लगा लेकिन धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मेरे अंदर अपने आप आत्मविश्वास आ रहा है। देशभूमि के डॉयलॉग्स बोलते हुए मैंने अपने भीतर देशभक्ति का जज्बा महसूस किया। मैं उसी में बहता चला गया और पूरे जोशों-खरोश से अपने डॉयलॉग्स बोलता रहा.। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे में वास्तव में राजगुरु हूँ और आजादी की लड़ाई लड़ रहा हूँ। जैसे ही नाटक ख़त्म हुआ तो सभी दोस्तों और अध्यापकों से अपनी प्रशंसा सुनकर बड़ा मज़ा आया।
(ख) दिनांक 25 सितंबर, 20….
आज मेरा मेरी प्यारी सखी प्रिया से झगडा हो गया। मैं देख रही थी कि वह अब पहले जैसी न होकर कुछ दूसरी होती जा रहा है। मुझ से कुछ अलग-अलग रहने लगी थी। उसके व्यवहार में भी पहले जैसी गर्मी न होकर ठंडापन आ गया था। वह बेबाकपन, चंचलता, अपनत्व सब जाने कहाँ चला गया था ? मेरे यह कहते ही वह बिफ़र गई और तू-तू, मैं-मैं करते-करते हाथापाई भी हो गई। तब से मैं समझ नहीं पा रही कि हमारी वर्षों की मित्रता क्षणभर में ही कैसे काफूर हो गई ? मैं हताश हो गई हूँ। मैं निराश हूँ। बस रोती ही जा रही हूँ।
(ग) 11 अप्रैल, 20…..
आज मेरी खुशी का उस समय कोई ठिकाना न रहा जब मझे अपने परीक्षा-परिणाम का पता चला। मुझे परीक्षा में सर्वोत्तम अंक मिले थे। मेरे पिता जी की हार्दिक इच्छा थी कि मैं सर्वोत्तम अंक हासिल करूँ । वे मुझे प्राय: ऐसे कई उदहरण दिया करते थे। मैंने भी निश्चय किया हुआ था कि अब की बार तो परीक्षा में सर्वोत्तम अंक ला कर दिखाऊँंगा। आखिरकार आज मुझे वह मौका मिल ही गया जब मैं अपने पिताजी से कह सकूं कि मैं ही आपका लायक बेटा हूं।परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने के बाद मुझे मित्रों और संबंधियों के खूब फोन आए। अपनी इस उपलब्धि पर मुझे आज बहुत खुशी हो रही है।
(घ) 11 अप्रैल, 20….
आज परीक्षा-परिणाम का दिन है। खुशी- खुशी विद्यालय पहुँचा तो पता चला कि मैं अनुत्तीर्ण हो गया हूँ। मेरे परों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई हो और मैं वहीं चकराकर गिर गया। सुभाष ने मुझे उठाया, पानी पिलाया और दिलासा दिलाया कि कोई बात नहीं। कहीं कोई कमी रह गई होगी। मेहनत करना। अगले साल अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो जाओगे। मुझे लग रहा था कि गलती मेरी ही है। मैं परीक्षा के दिनों में भी पढ़ाई करने के स्थान पर दूरदर्शन देखता रहा। माता-पिता का कहना न मानकर पढ़ने के स्थान पर खेलने में लगा रहा।पढाई में एकाग्रता न लगा सका। मुझे अपने पर गलानि होने लगी। तभी मुझे अध्यापक जी का कथन याद आया कि ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में’ और मैंने निश्चय किया कि अब ठीक से पढाई करूँगा और अगले वर्ष अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर दिखाऊँगा
(ङ) दिनांक 10 मार्च, 20……..
आज मैं सारा दिन व्यस्त रहा। सुबह जब मैं स्कूल जा रहा था तो घर से थोड़ी ही दूर मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने पास जाकर देखा तो एक दस वर्षीय लड़का जोर-जोर से रोता जा रहा था। मैंने उसे चुप कराया और पूछा कि वह कौन है ? उसने बताया कि उसका नाम सुरेश है। कल वह अपने माता-पिता के साथ मेला देखने शहर आया था। मेले में ही वह गुम हो गया और अपने माता-पिता से बिछुड़ गया। मैं स्कूल न जाकर उसे अपने घर ले आया। मैंने सारी बात अपने माता-पिता को बताई। पिता जी और मैं उसे लेकर नज़दीकी पुलिस स्टेशन में गए। वहाँ पहँचकर हम क्या देखते हैं कि सुरेश के माता-पिता उसके गुम होने की रिपोर्ट लिखाने आए बैठे हैं। सुरेश दौडकर अपने माता-पिता के पास चला गया। मैं इस बात से बहुत खुश हूँ कि सुरेश को उसके माता-पिता से मिलवाने में मेरा भी योगदान है।
(च) दिनांक 26 फरवरी, 20………
आज का दिन मेरे जीवन का महत्त्वपूर्ण दिन है। सुबह से ही स्थानीय टैगोर विद्यालय की फुटबाल टीम से हमारे विद्यालय की टीम से होने वाली मैच के लिए मैं पूरी तैयारी कर रहा था। निश्चित समय पर विद्यालय गया और मैच में खेलने लगा। मुझे नहीं पता कि कैसे मैंने टैगोर विद्यालय के खिलाड़ियों से गेंद छीनकर उन पर एक के बाद एक करके तीन गोल किए और अपनी टीम को जिता दिया। शायद मेरी मेहनत और निरंतर अभ्यास ने मुझे यह सफलता दिलाई थी। जब भी कभी किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो फुटबाल मैच का यह दिन मुझे उस कठिनाई का दृढ़ता से सामना करने की प्रेरणा देता है। इसलिए इस घटना को मैं अपनी डायरी में लिखना चाहता हैँ।
प्रश्न 2. नीचे दिए गए कथनों के सामने ‘✓’ या x’ गलत का चिहन लगाते हए कारण भी दें
(क) डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है।
(ख) डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है।
(ग) डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करती है।
(घ) डायरी अंतरंग साक्षात्कार है।
(ङ) डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
उत्तर-
(क)✓ डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है।
इसका कारण यह है कि डायरी में हम अपने व्यक्तिगत सुख-दुःख को लिखते हैं। डायरी को सदा अपने लिए ही लिखा जाता है। डायरी हमारी निजी जीवन का लखा-जोखा प्रस्तुत करने के कारण ही नितांत वैयक्तिक रचना है।
(ख) ✓डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है।
यह सही है कि डायरी में डायरी लिखने वाले व्यक्ति का ही पक्ष हमारे सामने आता है। डायरी में सदा हम अपने से संबंधित बातों को ही शब्दबद्ध करते हैं। अत: डायरी में किसी दूसरे के पक्ष का उजागर होना संभव नहीं होता।
(ग) ✓डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करती है।
इसका कारण यह है कई बार डायरी लिखने वाला अपनी व्यक्तिगत घटनाओं के साथ-साथ तत्कालीन, सामाजिक और आर्थिक वातावरण को भी प्रस्तुत कर देता है। डायरी-लेखक अपने व्यक्तिगत अनुभवों को जब लिखता है तो उसे पढ़कर तत्कालीन, सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
(घ)✓ डायरी अंतरंग साक्षात्कार है।
यह कथन बिल्कुल सही है। डायरी में डायरी लेखक अपने साथ ही संवाद स्थापित करता है। जिन बातों को कहा भी नहीं जा सकता उन्हें डायरी लेखक अपनी डायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध कर देता है। डायरी के माध्यम से स्वयं को भली प्रकार समझने का अवसर मिलता है क्योंकि डायरी हमारी भावनाओं और नितांत वैयक्तिक संवेदनाओं का ही लेखा-जोखा होता है। किसी व्यक्ति की डायरी पढ़कर उसके व्यक्तित्व को सहज ही समझा जा सकता है। अत: डायरी व्यक्ति का अंतरंग साक्षात्कार होता है।
(ङ) ✓डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
इसका कारण यह है कि डायरी हमारे सुखों और दुखों में हमारा साथ देती है। व्यक्ति अपनी गहरी निराशा और दुःख में शायरी लिखकर अपने दुख को हल्का महसूस करता है। डायरी एक दोस्त की भांति हमारे सुख और दुख में पूरी भागीदारी रहती है। अत: डायरी हमारे जीवन में सबसे अच्छे दोस्त की भूमिका निभाती है।
डायरी लिखने की कला | Diary-Likhane-ki-Kala-Class-11-Hindi-Abhivyakti-aur-Madhyam-Question-Answer
प्रश्न 1. डायरी किसे कहते हैं?
उत्तर-डायरी एक ऐसी नोट बुक होती है, जिसके पृष्ठों पर वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों की तिथियाँ क्रम से लिखी होती हैं। प्रत्येक तिथि के बाद पृष्ठ को खाली छोड़ दिया जाता है। डायरी को दैनिकी, दैनंदिनी, रोज़नामचा, रोजनिशि, वासरी, वासरिया भी कहते हैं। यह मोटे गत्ते की सुंदर जिल्द से सजी हुई होती है। कुछ डायरियाँ प्लास्टिक के रंग-बिरंगे कवरों से सजाई जाती हैं। डायरी विभिन्न आकारों में मिलती है। इनमें टेबल डायरी, पुस्तकाकार डायरी, पॉकेट डायरी प्रमुख हैं। नए वर्ष के आगमन के साथ ही विभिन्न आकार-प्रकार की डायरियाँ भी बाज़ार में मिलने लगती हैं। डायरी लिखने वाले हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि नए वर्ष के पहले दिन उसके पास नई डायरी हो।
प्रश्न 2. डायरी का क्या उपयोग है ?
उत्तर-डायरी के प्रत्येक पृष्ठ पर एक तिथि होती है तथा शेष पृष्ठ खाली होता है। इस खाली पृष्ठ का उपयोग उस तिथि विशेष से संबंधित सूचनाओं अथवा अपनी निजी बातों को लिखने के लिए किया जाता है। किसी विशेष तिथि पर यदि हमें कोई विशेष कार्य करना है अथवा कहीं जाना है तो उससे संबंधित सूचना पहले से ही उस तिथि वाले पृष्ठ पर लिख दी जाती है। इससे उक्त तिथि के आने पर हमें किए जाने वाले कार्य याद आ जाते हैं। हमारे दिन-प्रतिदिन के अनुभवों को भी हम उस तिथि के पृष्ठ पर लिख कर अपने अनुभवों को सुरक्षित रख सकते हैं। कुछ लोग अपने दैनिक आय-व्यय का विवरण, धोबी-दूध का हिसाब, बच्चों की शरारतों आदि को भी डायरी में लिखते हैं
प्रश्न 3. डायरी-लेखन क्या है ? कुछ प्रसिद्ध डायरियों और डायरी लेखकों के नाम भी बताइए।
उत्तर-अत्यंत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और उससे संबंधित बौद्धिक तथा भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा डायरी कहलाता है। हमारे जीवन में प्रतिदिन अनेक घटनाएं घटती हैं। हम अनेक गतिविधियों और विचारों से भी गुज़रते हैं। दैनिक जीवन में हम जिन घटनाओं, विचारों और गतिविधियों से निरंतर गुज़रते हैं, उन्हें डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध कर लेना ही डायरी-लेखन है। प्रसिद्ध डायरियों और उनके लेखकों के नाम निम्नलिखित हैं-
(i) एक साहित्यिक की डायरी-गजानन माधव मुक्तिबोध।
(ii) पैरों में पंख बाँध कर-रामवृक्ष बेनीपुरी।
(iii) रूस में पच्चीस मास-राहुल सांकृत्यायन।
(iv) सुदूर दक्षिणपूर्व-सेठ गोविंददास।
(v) द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल-ऐनी फ्रैंक।
(vi) हरी घाटी-डॉ० रघुवंश।
(vi) हरा घाटा-डॉ० रघुवंश।
प्रश्न 4. डायरी-लेखन अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार कैसे है ?
उत्तर-डायरी में हम अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं, अनुभवों आदि का विवरण प्रत्येक तिथि के अनुसार लिखते रहते हैं। हम अपनी डायरी में उन बातों को भी लिख देते हैं, जिन्हें हम किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बता सकते। इस प्रकार हम डायरी पर लिखते समय अपनी बातें स्वयं को ही बताते चलते हैं। इससे हमारा अपने आप से ही संवाद स्थापित हो जाता है। इससे हमें हमारी अच्छाइयों और बुराइयों का ज्ञान हो जाता है। हम स्वयं को अच्छी प्रकार से समझ पाते हैं तथा जहाँ कमियाँ हैं उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं। हमें जब भी आवश्यकता होती है हम डायरी के पिछले पृष्ठों को पढ़कर अपने अतीत को स्मरण कर सकते हैं। इस प्रकार डायरी-लेखन हमें अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार करने का अवसर प्रदान करता है।
प्रश्न 5. डायरी एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ कैसे है ?
उत्तर-डायरी में हम अपने जीवन के कुछ विशेष क्षणों में घटित अनुभवों, विचारों, घटनाओं, मुलाकातों आदि का विवरण लिखते हैं। यदि हम इन विवरणों को उसी तिथि विशेष पर नहीं लिखते तो संभव है कि हम उस विशेष क्षण में घटित अनुभव को भूल जाएँगे और फिर कभी उसे स्मरण नहीं कर पाएंगे। डायरी में लिखित विवरण हमें भूलने से बचाते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम किसी पर्यटन स्थल पर जाते हैं और वहाँ पर अनेक स्थलों को देखते हैं। यदि हम प्रत्येक स्थल की यात्रा का विवरण उसी दिन अपनी डायरी में लिख लेते हैं तो हम अपने अनुभव को पूर्ण रूप से सुरक्षित रख सकते हैं तथा अवसर मिलने पर इसे पढ़कर उस यात्रा का फिर से पूरा आनंद उठा सकते हैं। यदि हम यात्रा से लौट कर सारा विवरण लिखना चाहें तो संभव नहीं हो पाएगा। हम अनेक विवरण लिखना छोड़ जाएंगे। डायरी से जब हम अपने विगत को पढ़ते हैं तो यह हमारा एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ बन जाता है।
प्रश्न 6. डायरी लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-डायरी लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है
(i) डायरी सदा किसी नोटबुक अथवा पिछले साल की डायरी में लिखी जानी चाहिए। इसका कारण यह है कि यदि
हम वर्तमान वर्ष की डायरी तिथि अनुसार लिखेंगे तो उसमें एक दिन के लिए दी गई जगह कम या अधिक हो सकती है। इससे हमें भावों की अभिव्यक्ति को उसी सीमा में ही बाँधना पड़ेगा।
(ii) डायरी लिखते समय स्वयं तय करें कि आप क्या सोचते हैं और स्वयं को क्या कहना चाहते हैं। दिन भर की घटनाओं में से मुख्य घटना अथवा गतिविधि का चयन करने के बाद ही उसे शब्दबद्ध करें।
(iii) डायरी अत्यंत निजी वस्तु है। इसे सदा यही मानकर लिखें कि उसके पाठक भी आप स्वयं हैं और लेखक भी।इससे भाषा-शैली स्वाभाविक बनी रहती है।
(iv) डायरी में भाषा की शुद्धता और शैली की विशेषता पर ध्यान नहीं देना चाहिए। मन के भावों को स्वाभाविक वेग से जिस रूप में भी प्रस्तुत किया जाए, वही डायरी की शैली होती है।
(v) डायरी समकालीन इतिहास होता है। अतः डायरी लिखते समय हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। डायरी में डायरी लेखक के भावों और तत्कालीन समाज को स्पष्ट देखा जा सकता है।
प्रश्न 7. डायरी कैसे और किस में लिखनी चाहिए ?
उत्तर-डायरी सोने से पूर्व दिनभर की गतिविधियों को स्मरण करते हुए लिखनी चाहिए। डायरी किसी नोट बुक अथवा पुरानी डायरी में लिखने वाले दिन की तिथि डाल कर लिखनी चाहिए। नोट बुक अथवा पुराने साल की डायरी में डायरी लिखना इसलिए उचित होता है क्योंकि कई बार नए साल की डायरी की तिथियों में दिया गया खाली पृष्ठ हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कम लगता है अथवा कभी हम दो-चार पंक्तियों में ही अपनी बात लिखना चाहते हैं। इसलिए नए साल की डायरी के पृष्ठों की तिथियों तक स्वयं को सीमित रखने के स्थान पर यदि हम किसी नोटबुक अथवा पुराने साल की डायरी में अपनी सुविधा के अनुसार तिथियाँ डालकर अपने विचारों और अनुभवों को लिपिबद्ध करेंगे तो हम स्वयं को खुलकर अभिव्यक्त कर सकते हैं.
प्रश्न 8. डायरी-लेखन की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
उत्तर-डायरी लिखते समय हमें सहज, व्यावहारिक तथा आडंबरविहीन भाषा-शैली का प्रयोग करना चाहिए। मानव एवं साहित्यिक भाषा-शैली के प्रयोग के मोह में हम डायरी में अपनी भावनाओं को सहज रूप से व्यक्त नहीं कर सकते। डायरी में भावों को सर्वत्र सहजता से प्रकट होने का अवसर मिलना चाहिए। मन में उत्पन्न भाव अत्यंत सरलता से शब्दों में ढलते जाने चाहिए। डायरी-लेखन प्रत्येक अच्छी-बुरी बात को सहज रूप से लिखा जाता है। इसलिए इसमें भाषा-शैली के आडंबरपूर्ण होने का अवसर ही नहीं होता है। डायरी में आप अपनी बात जैसे चाहें और जिस ढंग से चाहें लिख सकते हैं। यही डायरी की भाषा-शैली की विशेषता है। डायरी की भाषा-शैली समस्त बंधनों से मुक्त होती है।
प्रश्न 9. ऐनी फ्रैंक का परिचय दीजिए।
उत्तर-ऐनी फ्रैंक का जन्म सन् 1929 ई० में जर्मनी में हुआ था। वह एक यहूदी लड़की थी। जब जर्मनी में नाज़ियों ने यहूदियों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम चली गई। जब नीदरलैंड्स पर नाज़ियों का अधिकार हो गया और उन्होंने वहाँ रहने वाले यहूदियों पर अत्याचार किए तो ऐनी का परिवार जुलाई, सन् 1942 में एक दफ़्तर में गुप्त रूप से रहने लगा। यहाँ से दो साल बाद उन्हें नाज़ियों ने पकड़कर यातना कैंप में भेज दिया था। ऐनी को उसके तेरहवें जन्म-दिन पर एक डायरी मिली थी, जिसमें उसने जून, सन् 1942 से अगस्त, सन् 1944 तक की घटनाओं का वर्णन किया था। सन् 1945 ई० में ऐनी की मृत्यु हो गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद उसके पिता ने एम्स्टर्डम जाकर ऐनी की डायरी तलाश की और इसे प्रकाशित करवाया। मूल डायरी डच भाषा में लिखी हुई थी जो सन् 1947 ई० में अंग्रेजी में 'द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल' के नाम से प्रकाशित हुई। यह बीसवीं सदी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक मानी गई है।

Hindi Vyakaran


Hindi Grammar Syllabus Class 11 CBSE

Here is the list of chapters for Class 11 Hindi Core NCERT Textbook.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh (आरोह)

पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक
आरोह, भाग-1
(पाठ्यपुस्तक)

(अ) गद्य भाग

(ब) काव्य भाग

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan (वितान)

वितान, भाग-1
(पूरक पाठ्यपुस्तक)

CBSE Class 11 Hindi कार्यालयी हिंदी और रचनात्मक लेखन

CBSE Class 11 Hindi Unseen Passages अपठित बोध

CBSE Class 11 Hindi Grammar हिंदी व्याकरण

NCERT Solutions for Class 12 All Subjects NCERT Solutions for Class 10 All Subjects
NCERT Solutions for Class 11 All Subjects NCERT Solutions for Class 9 All Subjects

NCERT SOLUTIONS

Post a Comment

इस पेज / वेबसाइट की त्रुटियों / गलतियों को यहाँ दर्ज कीजिये
(Errors/mistakes on this page/website enter here)

Previous Post Next Post