NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 7 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 7 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण 

NCERT Solutions for Class12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 7 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण Class 12 Hindi NCERT Solutions

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Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 7 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class12 Hindi
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12th Class
Subject: Hindi
Chapter: 7
Chapters Name: कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण
Medium: Hindi

कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण Class 12 Hindi NCERT Books Solutions

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कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण


अभ्यास प्रश्न


प्रश्न 1. कहानी और नाटक में क्या समानता होती है ?
उत्तर-कहानी और नाटक में निम्नलिखित समानताएं हैं-
कहानी
1. कहानी का केंद्र बिंदु कथानक होता है।
2. कहानी में एक कहानी होती है।
3. कहानी में पात्र होते हैं।
4. कहानी में परिवेश होते हैं।
5. कहानी का क्रमिक विकास होता है।
6. कहानी में संवाद होते हैं।
7. कहानी में पात्रों के मध्यम द्वंद्व होता है।
8. कहानी में एक उद्देश्य निहित होता है।
9. कहानी का चरमोत्कर्ष होता है।
नाटक
1.नाटक का केंद्र बिंदु कथानक होता है।
2. नाटक में भी एक कहानी होती है।
3. नाटक में भी पात्र होते हैं।
4. नाटक में भी परिवेश होता है।
5. नाटक का भी क्रमिक विकास होता है।
6. नाटक में भी संवाद होते हैं।
7. नाटक में भी पात्रों के मध्य द्वंद्व होता है।
8. नाटक में भी एक उद्देश्य निहित होता है।
9. नाटक का भी चरमोत्कर्ष होता है।
प्रश्न 2. स्थान और समय का ध्यान में रखते हुए 'दोपहर का भोजन' कहानी को विभिन्न दृश्यों में विभाजित करें। किसी एक दृश्य का संवाद भी लिखें।
उत्तर-'दोपहर का भोजन' कहानी में पहला दृश्य सिद्धेश्वरी के घर की दयनीय दशा और टूटी खाट पर लेटा उस का सब से छोटा बेटा। दूसरे दृश्य में सिद्धेश्वरी का बार-बार दरवाज़े से गली में आते-जाते को देखना। तीसरे दृश्य में थकेहारे रामचंद्र का आकर हताश-सा बैठना और खाना खाना। मोहन के संबंध में बातचीत करना। अगले दृश्य में रामचंद्र का भोजन करके चले जाना और मोहन का खाना-खाने के लिए आना। माँ-बेटे की बातचीत। मोहन भोजन करके जाता है। अगले दृश्य में चंद्रिका प्रसाद का परेशान मुद्रा में आना। भोजन करना। पति-पत्नी का वार्तालाप। अगले दृश्य में सिद्धेश्वरी का खाना खाने बैठना। सोए हुए पुत्र को देखना आधी रोटी उसके लिए रखना। अंतिम दृश्य में आँसू बहाते हुए सिद्धेश्वरी का भोजन करना, घर में मक्खियों का भिनभिनाना और चंद्रिका प्रसाद का निश्चिततापूर्वक सोना।
दृश्य तीन
(रामचंद्र थकाहारा-सा घर में आता है। सिद्धेश्वरी उसके हाथ-पैर धुलवाती है। वह पटरा लेकर बैठ जाता है।
सिद्धेश्वरी उसके सामने थाली में खाना लगा रख देती है।)
सिद्धेश्वरी-खाना खाओ बेटा!
(रामचंद्र चुपचाप खाना खाने लगता है। सिद्धेश्वरी उसे पंखा झलने लगती है।)
सिद्धेश्वरी-दफ़्तर में कोई बात हो गई है क्या ?
रामचंद्र-नहीं तो, रोज़ जैसा ही था।
सिद्धेश्वरी-इतने चुप क्यों हों ?
रामचंद्र-लाला काम इतना लेता है पर पैसे देते हुए मरता है।
सिद्धेश्वरी-कोई बात नहीं, जब तक कहीं और काम नहीं मिलता सहन करना ही पड़ेगा।
रामचंद्र-वह तो है ही।
(सिद्धेश्वरी उसे और रोटी लेने के लिए कहती है पर वह सिर हिलाकर इनकार कर देता है। रामचंद्र हाथ धोकर
बाहर निकल जाता है।)
प्रश्न 3. कहानी के नाट्य रूपांतरण में संवादों का विशेष महत्त्व होता है। नीचे ईदगाह कहानी से संबंधित कुछ चित्र दिए जा रहे हैं। इन्हें देखकर संवाद लिखें।
उत्तर-नाट्य रूपांतरण
महमूद (पैसे गिनते हुए)-अरे, सुन। मेरे पास पूरे बारह पैसे हैं।
मोहसिन-और मेरे पास तो पंद्रह हैं। तेरे पास कितने हैं, हामिद ?
हामिद-अभी तो मेरे पास कुछ भी नहीं है। अभी जाता हूँ घर, और लेकर आता हूँ दादी जान से।
महमूद-हाँ, हाँ। भाग कर जा। ईदगाह जाना है। बहुत दूर है वह यहाँ से।
हामिद-(कोठरी के दरवाज़े से)-दादी जान। सब मेला देखने जा रहे हैं। मुझे भी पैसे दो। मैं भी मेला देखने जाऊँगा।
अमीना (आँखें पोंछते हुए)-बेटा इतनी दूर वहाँ कैसे जाएगा ?
हामिद (उत्साहपूर्वक)-सब के साथ। सभी तो जा रहे हैं।
अमीना (बटुआ खोलते हुए) ले बेटा, तीन पैसे हैं। संभल कर जाना। सब एक साथ रहना।
हामिद (उत्साह में भर कर)-नहीं दादी हम इकट्ठे ही रहेंगे।
मोहसिन-अरे तेज़-तेज़ चलो। हमें वहाँ जल्दी पहुँचना है। अरे देख तो
महमूद-कितने मोटे-मोटे आम लगे हैं इन पेड़ों पर।
हामिद-लीचियाँ भी लगी हैं।
मोहसिन-तोड़ें, इन्हें।
हामिद-अरे, नहीं। माली पीटेगा।
महमूद-देख तो इन्हें, कितनी बड़ी-बड़ी इमारतें हैं।
मोहसिन-हाँ। यह कॉलेज है और वह अदालत। कॉलेज में बड़े-बड़े आदमी पढ़ते हैं बड़ी-बड़ी मूंछों वाले।
हामिद-वे क्यों पढ़ते हैं अब तक ? मेरे मदरसे में तो दो-तीन बड़े-बड़े लड़के पढ़ते हैं। रोज़ मार खाते हैं। कॉलेज में भी बड़े-बड़े लड़के मार ही खाते होंगे।
महमूद-कितनी भीड़ है यहाँ तो ? लोगों के कपड़े देख। कितने सुंदर हैं। और इतनी मोटरें।
मोहसिन (चिल्ला कर)-ओ ! सामने देखा। कितनी बड़ी ईदगाह।
हामिद-सब लोग कतारों में खड़े हैं। इतने लोग। सब सिजदे में झुक रहे हैं।
महमूद-आओ, गले मिलेंगे। नमाज़ के बाद सब गले मिलते हैं।
मोहसिन-हाँ, हाँ। आओ हामिद तुम भी।
महमूद-अब तो हम खिलौने खरीदेंगे।
मोहसिन-अरे, यह भिश्ती देख। झुकी हुई कमर है इसकी। इसकी मशक तो देख।
महमूद-मैं तो सिपाही लूँगा, बंदूक वाला। उसकी पगड़ी तो लाल है। ख़ाकी वर्दी पहने है। अरे नूरे तू क्या लेगा?
नूरा-मैं तो वकील लूँगा। काला चोला पहन रखा है उसने। हामिद, तू क्या लेगा ?
हामिद-इन में से कुछ भी नहीं। मिट्टी के ही तो बने हैं। गिरते ही चकनाचूर।
मोहसिन-अरे, यह तो अपने पैसे बचा रहा है।
सम्मी-हाँ, इसके पास कुल तीन ही तो पैसे हैं। क्या लेगा बेचारा यह उन से। आओ, आओ। हम तो मिठाई खरीदेंगे।
हामिद (हाथ में चिमटा लिए हुए)-देखो, मैंने क्या खरीदा।
मोहसिन (हँस कर)-अरे, चिमटे का क्या करेगा ? क्या इससे खेलेगा ?
हामिद (चिमटा दिखाते हुए)-देखो तो सही। कितना मज़बूत है। लोहे का बना है।
मोहसिन-तो क्या ?
हामिद (चिमटा नीचे फेंकते हुए)-तू भी अपना भिश्ती नीचे ऐसे फेंक कर दिखा। टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा तेरा मिट्टी का खिलौना।
महमूद-तेरा चिमटा कोई खिलौना है।
हामिद-और क्या! यह कंधे पर रखने से बंदूक है। यह फ़कीरों का चिमटा भी है और मंजीरा भी।
सम्मी-अरे, मेरी खंजरी देख ज़रा।
हामिद-मेरा चिमटा तो तेरी खंजरी का जब चाहे पेट फाड़ दे। इसके सामने तो सिपाही भी मिट्टी की बंदूक छोड़कर भाग जाएँ।
मोहसिन-हाँ भाई, इसका चिमटा तो रुस्तमे हिंद है।
महमूद-हामिद, तू मेरा खिलौना ले लो और मुझे अपना चिमटा दे दो।
हामिद-न भाई। मैं तो यह अपनी दादी के लिए लाया हूँ। रोटियाँ सेंकते हुए उसकी उंगलियाँ जल जाती थीं।
मोहसिन-बड़ा सयाना है, तू तो।
हामिद (दादी को चिमटा देते हुए)-लो दादी चिमटा। मेले से तुम्हारे लिए लाया हूँ। अब तुम्हारी उंगलियाँ नहीं जला करेंगी।
(दादी हामिद को गले लगाती है।)\

Kaise Krein Kahani ka Natya Rupantran | कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण | Abhivyakti Aur Madhyam Class 12 Hindi


अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न


प्रश्न 1. कहानी और नाटक में अंतर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी और नाटक में क्या-क्या असमानताएँ हैं ?
उत्तर-कहानी और नाटक दोनों गद्य विधाएँ हैं। इनमें जहाँ कुछ समानताएँ हैं, वहाँ कुछ असमानताएँ या अंतर भी हैं जो इस प्रकार है-
कहानी
1. कहानी एक ऐसी गद्य विधा है जिसमें जीवन के किसी अंक विशेष का मनोरंजन पूर्ण चित्रण किया जाता है।
2. कहानी का संबंध लेखक और पाठकों से होता है।
3. कहानी कहीं अथवा पढ़ी जाती है।
4. कहानी को आरंभ, मध्य और अंत के आधार पर बांटा जाता है।
5. कहानी में मंच सज्जा, संगीत तथा प्रकाश का महत्त्व नहीं है।
नाटक
1. नाटक एक ऐसी गद्य विधा है जिसका मंच पर अभिनय किया जाता है।
2. नाटक का संबंध लेखक, निर्देशक, दर्शक तथा श्रोताओं से है।
3. नाटक का मंच पर अभिनय किया जाता है।
4. नाटक को दृश्यों में विभाजित किया जाता है।
5. नाटक में मंच सज्जा, संगीत और प्रकाश व्यवस्था का विशेष महत्त्व होता है।
प्रश्न 2. कहानी को नाटक में किस प्रकार रूपांतरित किया जा सकता है ?
उत्तर-कहानी को नाटक में रूपांतरित करने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है जो इस प्रकार है-
1. कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित किया जाता है।
2. कहानी में घटित विभिन्न घटनाओं के आधार पर दृश्यों का निर्माण किया जाता है।
3. कथावस्तु से संबंधित वातावरण की व्यवस्था की जाती है।
4: ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था का ध्यान रखा जाता है।
5. कथावस्तु के अनुरूप मंच सज्जा और संगीत का निर्माण किया जाता है।
6. पात्रों के द्वंद्व को अभिनय के अनुरूप परिवर्तित किया जाता है।
7. संवादों को अभिनय के अनुरूप स्वरूप प्रदान किया जाता है।
8. कथानक को अभिनय के अनुरूप स्वरूप प्रदान किया जाता है।
प्रश्न 3. नाट्य रूपांतरण में किस प्रकार की मुख्य समस्या का सामना करना पड़ता है ?
अथवा
नाट्य रूपांतरण करते समय कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं ?
उत्तर-नाट्य रूपांतरण करते समय अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है जो इस प्रकार है-
1. सबसे प्रमुख समस्या कहानी के पात्रों के मनोभावों को कहानीकार द्वारा प्रस्तुत प्रसंगों अथवा मानसिक द्वंद्वों के नाटकीय प्रस्तुति में आती है।
2. पात्रों के द्वंद्व को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या आती है।
3. संवादों को नाटकीय रूप प्रदान करने समस्या आती है।
4. संगीत, ध्वनि और प्रकाश व्यवस्था करने में समस्या होती है।
5. कथानक को अभिनय के अनुरूप बनाने में समस्या होती है।
प्रश्न 4. कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
उत्तर-कहानी अथवा कथानक का नाट्य रूपांतरण करते समय निम्नलिखित आवश्यक बातों का ध्यान रखना चाहिए-
1. कथानक के अनुसार ही दृश्य दिखाए जाने चाहिए।
2. नाटक के दृश्य बनाने से पहले उसका खाका तैयार करना चाहिए।
3. नाटकीय संवादों का कहानी के मूल संवादों के साथ मेल होना चाहिए।
4. कहानी के संवादों को नाट्य रूपांतरण में एक निश्चित स्थान मिलना चाहिए।
5. संवाद सहज, सरल, संक्षिप्त, सटीक, प्रभावशैली और बोलचाल की भाषा में होने चाहिए।
6. संवाद अधिक लंबे और ऊबाऊ नहीं होने चाहिए।
प्रश्न 5. कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में किस प्रकार परिवर्तित किये जा सकते हैं ?
उत्तर-कहानी के पात्र नाट्य रूपांतरण में निम्न प्रकार से परिवर्तित किये जा सकते हैं-
1. नाट्य रूपांतरण करते समय कहानी के पात्रों की दृश्यात्मकता का नाटक के पात्रों से मेल होना चाहिए।
2. पात्रों की भावभंगिमाओं तथा उनके व्यवहार का भी उचित ध्यान रखना चाहिए।
3. पात्र घटनाओं के अनुरूप मनोभावों को प्रस्तुत करने वाले होने चाहिए।
4. पात्र अभिनय के अनुरूप होने चाहिए।
5. पात्रों का मंच के साथ मेल होना चाहिए।
प्रश्न 6. कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन कैसे करते हैं ?
उत्तर-कहानी का नाट्य रूपांतरण करते समय दृश्य विभाजन निम्न प्रकार करते हैं-
1. कहानी की कथावस्तु को समय और स्थान के आधार पर विभाजित करके दृश्य बनाए जाते हैं।
2. प्रत्येक दृश्य कथानक के अनुसार बनाया जाता है।
3. एक स्थान और समय पर घट रही घटना को एक दृश्य में लिया जाता है।
4. दूसरे स्थान और समय पर घट रही घटना को अलग दृश्यों में बांटा जाता है।
5. दृश्य विभाजन करते समय कथाक्रम और विकास का भी ध्यान रखा जाता है।

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