NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल 

NCERT Solutions for Class12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल

रुबाइयाँ, गज़ल Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions

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Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class12 Hindi Aroh
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12th Class
Subject: Hindi Aroh
Chapter: 9
Chapters Name: रुबाइयाँ, गज़ल
Medium: Hindi

रुबाइयाँ, गज़ल Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions

You can refer to MCQ Questions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.

रुबाइयाँ, गज़ल


(अभ्यास-प्रश्न)


प्रश्न 1. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है ?
राखी एक पवित्र धागा है। इसे बहन अपने भाई की कलाई पर बाँधती है। भले ही यह कच्चा धागा है परंतु इसका बंधन बहुत ही पक्का है। इसका आकर्षक बिजली जैसा है जिस प्रकार आकाश में चमकने वाली बिजली की हम उपेक्षा नहीं कर सकते। उसी प्रकार राखी के धागे की उपेक्षा नहीं की जा सकती। भले ही भाई-बहन एक दूसरे से दूर रहते हों, परंतु राखी का पावन त्यौहार एक दूसरे की याद दिलाता रहता है। कवि की भाव व्यंजना अधिक मनोरम और प्रभावशाली बन पड़ी है।
प्रश्न 2. खुद का पर्दा खोलने से क्या आशय है?
'खुद का पर्दा खोलने' मुहावरे का प्रयोग उन लोगों के लिए किया गया है जो दूसरों की निंदा करते हैं। सच्चाई तो यह है कि ऐसे लोग अपनी छोटी सोच का उद्घाटन करते हैं। इससे हमें बिना बताए लोग अपने चरित्र के बारे में बता देते हैं। कवि बताते हैं कि निंदा करना बुरी बात होती है। फिर भी कबीरदास जी ने कहा है कि-
"निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।
बिन साबुन पानी, निर्मल होत सुभाय।।"
प्रश्न 3. किस्मत हमको रो लेवे हैं हम किस्मत को रो ले हैं- इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तनातनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए।
किस्मत और मानव का गहरा संबंध है। सर्वप्रथम हम इस बात पर चर्चा करते हैं कि किस्मत हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। हम और किस्मत एक दूसरे के पूरक है। विद्वानों ने जो कुछ हमारे भाग्य में लिखा है वही प्राप्त होता है। किस्मत पर रोना और कोसना व्यर्थ है। हमारा कर्तव्य है कि हम किस्मत की अधिक चिंता न करके अपना कर्म और परिश्रम करें। परिश्रम करने से हमें जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।

रुबाइयाँ


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
‘रुबाइयाँ" के आधार पर घर-आँगन में दीवाली और राखी के दुश्य-बिंब को अपने शब्दों में समझाइए।
उत्तर -
कवि दीपावली के त्योहार के बारे में बताते हुए कहता है कि इस अवसर पर घर में पुताई की जाती है तथा उसे सजाया जाता है। घरों में मिठाई के नाम पर चीनी के बने खिलौने आते हैं। रोशनी भी की जाती है। बच्चे के छोटे-से घर में दिए के जलाने से माँ के मुखड़े की चमक में नयी आभा आ जाती है। रक्षाबंधन का त्योहार सावन के महीने में आता है। इस त्योहार पर आकाश में हल्की घटाएँ छाई होती हैं। राखी के लच्छे भी बिजली की तरह चमकते हुए प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 2:
फिराक की गजल में प्रकृति को किस तरह चित्रित किया गया है?
उत्तर -
फिराक की गजल के प्रथम दो शेर प्रकृति वर्णन को ही समर्पित हैं। प्रथम शेर में कलियों के खिलने की प्रक्रिया का भावपूर्ण वर्णन है। कवि इस शेर को नव रसों से आरंभ करता है। हर कोमल गाँठ के खुल जाने में कलियों का खिलना और दूसरा प्रतीकात्मक अर्थ भी है कि सब बंधनों से मुक्त हो जाना, संबंध सुधर जाना। इसके बाद कवि कलियों के खिलने से रंग और सुगंध के फैल जाने की बात करता है। पाठक के समक्ष एक बिंब उभरता है। वह सौंदर्य और सुगंध दोनों को महसूस करता है।
प्रश्न 3:
‘फिराक' की रुबाइयों में उभरे घरेलू जीवन के बिबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
‘फिराक' की रुबाइयों में घरेलू जीवन का चित्रण हुआ है। इन्होंने कई बिंब उकेरे हैं। एक बिंब में माँ छोटे बच्चे को अपने हाथ में झुला रही है। बच्चे की तुलना चाँद से की गई है। दूसरे बिंब में माँ बच्चे को नहलाकर कपड़े पहनाती है तथा बच्चा उसे प्यार से देखता है। तीसरे बिंब में बच्चे द्वारा चाँद लेने की जिद करना तथा माँ द्वारा दर्पण में चाँद कवि दवाक बचेक बहानेक कशिक बताया गया है। ये साथ बिंबालभागह घेलूजवनामें पाए जाते हैं।

ग़ज़ल


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 4:
पाठ्यपुस्तक में संकलित फिराक गोरखपुरी की गजल का केंद्रीय भाव लिखिए।
उत्तर -
फिराक गोरखपुरी ने गजल” में दर्द व कसक का वर्णन किया है। उसने बताया है कि लोगों ने उसे सदा ताने दिए हैं। उसकी किस्मत हमेशा उसे दगा देती रही। दुनिया में केवल गम ही था जो उसके पास रहा। उसे लगता है जैसे रात के सन्नाटे में कोई बोल रहा है। इश्क के बारे में। शायर का कहना है कि इश्क वही पा सकता है जो अपना सब कुछ दाँव पर लगा दे। कवि की गजलों पर मीर की गजलों का प्रभाव है। यह गज़ल इस तरह बोलती है जिसमें दर्द भी है एक शायर की ठसक भी है और साथ ही है काव्यशिल्प की वह ऊँचाई, जो गजल की विशेषता मानी जाती है।
प्रश्न 5:
फिराक की न्याई में भाषा के विलक्षण प्रयोग किए गए हैं-स्पष्ट करें।
उत्तर -
कवि की भाषा उर्दू है, परंतु उन्होंने हिंदी व लोकभाषा का भी प्रयोग किया है। उनकी रचनाओं में हिंदी, उर्दू व लोकभाषा के अनूठे गठबंधन के विलक्षण प्रयोग हैं जिसे गाँधी जी हिंदुस्तानी के रूप में पल्लवित करना चाहते थे। ये विलक्षण प्रयोग हैं-लोका देना, घुटनियों में लेकर कपड़े पिन्हाना, गेसुओं में कंघी करना, रूपवती मुखड़ा, नर्म दमक, जिदयाया बालक रस की पुतली। माँ हाथ में आईना देकर बच्चे को बहला रही है।

रुबाइयाँ


(पठित काव्यांश)


निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
आंगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती हैं उसे गोद भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती हैं।
गूँज उठती हैं खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
प्रश्न
(क) कवि ने चाँद का टुकड़ा' किसे कहा है और क्यों?
(ख) माँ के लिए कविता में किस शब्द का प्रयोग हुआ है और क्यों?
(ग) बच्चे की हसी का कारण क्या है? उसके गूंजने से क्या तात्पर्य है?
(घ) काव्यांश के भाव को अपने शब्दों में चित्रित कीजिए।
उत्तर -
(क) कवि ने चाँद का टुकड़ा माँ की गोद में खेल रहे बच्चे को कहा है क्योंकि वह चाँद के समान ही सुंदर है।
(ख) माँ के लिए कविता में गोद भरी' शब्द का प्रयोग है क्योंकि माँ की गोद में बच्चा होने के कारण उसकी गोद भरी हुई है।
(ग) बच्चे की हँसी का कारण है माँ द्वारा बच्चे को हवा में लोका दिया जाना या उसे खुश करने के लिए हवा में उछालना। उसके गूजने का तात्पर्य है-इससे बच्चा खुश होकर हँसता है और उसकी हँसी गूंजने लगती है।
(घ) काव्यांश का भाव यह है कि माँ अपने चाँद जैसी सुंदर संतान को गोद में लिए खड़ी है। वह उसे अपने हाथों पर झुलाती हुई हवा में उछाल देती है। इससे बच्चा खिलखिलाकर हँसने लगता है।
प्रश्न 2.
नहला के छलके छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गैसुओं में कंघी
किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को
करके जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।
प्रश्न
(क) माँ बच्चे को किस प्रकार नहलाती हैं।
(ख) माँ बच्चे की कंघी कैसे करती हैं?
(ग) बध्धा कब अपनी माँ को प्यार से देखता हैं?
(घ) बच्चा अपनी माँ को किस प्रकार देखता है?
उत्तर -
(क) माँ बच्चे को स्वच्छ जल से नहलाती है। पानी के छलकने से बच्चा प्रसन्न होता है।
(ख) माँ बच्चे के उलझे हुए बालों में कंघी करती है।
(ग) जब म बच्चे को अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनाती है तब वह अपनी माँ को देखता है।
(घ) बच्चा अपनी माँ को बहुत ही प्यार से देखता है।
प्रश्न 3.
दीवाली की शाम घर पुते और सजे
चीनी के खिलौने जगमगाते लावे
वो रूपवती मुखड़े पै इक नम दमक
बच्चे के घरौदे में जलाती हैं दिए।
प्रश्न
(क) दीवाली पर लोग क्या करते हैं?
(ख) इस अवसर पर माँ बच्चे के लिए क्या लाती है?
(ग) माँ के चेहरे पर कैसा भाव आता हैं?
उत्तर -
(क) दीवाली के अवसर पर लोग घरों में रंग-रोगन करते हैं तथा उसे सजाते हैं।
(ख) इस अवसर पर माँ बच्चे के लिए चीनी के बने खिलौने लाती है।
(ग) जब मों बच्चे के घर में दिया जलाती है तो उसके सुंदर मुख पर दमक होती है।
प्रश्न 4.
आँगन में ठनक रहा है जिदयाय हैं।
बालक तो हुई चाँद में ललचाया है।
दर्पण उसे दे के कह रही है माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है।
प्रश्न
(क) कौन ठुनक रहा है और जिदयाया है।
(ग) बाल - मनोविज्ञान के किस पक्ष का वर्णन हुआ है।
(ख) बच्चा किसको देखकर ललचाया है।
(घ) माँ अपने बेटे को किस तरह मनाती हैं?
उत्तर -
(क) बच्चा दुनक रहा है और जिदयाया हुआ है।
(ख) बच्चा चाँद को देखकर ललचाया है।
(ग) इसमें शायर ने बाल-मनोविज्ञान का सहज चित्रण किया है। बच्चे किसी भी बात या वस्तु पर जिद कर बैठते हैं तथा मचलने लगते हैं।
(घ) माँ बच्चे को दर्पण में चाँद का प्रतिबिंब दिखाकर उसे बहलाती है।
प्रश्न 5.
रक्षाबंदन की सुबह रस की पुतली
छायी है घटा गगन की हलकी हलकी
बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे
भाई के है बाँधती चमकती राखी
प्रश्न
(क) रस की पुतली' कौन है? उसे यह संज्ञा क्यों दी गई हैं?
(ख) राखी के दिन कैसा मौसम है? बताइए।
(ग) 'बिजली की तरह चमक रहे हैं लच्छे।-पक्ति का आशय बताइए।
(घ) बहन किसके हाथों में कैसी राखी बाँधती है?
उत्तर -
(क) रस की पुतली' राखी बाँधने वाली बहन है। उसे यह संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि उसके मन में अपने भाई के प्रति अत्यधिक स्नेह है।।
(ख) राखी के दिन आकाश में हलके हलके काले बादल छाए हैं तथा बिजली भी चमक रही है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि राखी में जो चमकदार लच्छे हैं, वे बिजली की तरह चमकते हैं।
(घ) बहन अपने भाई के हाथों में चमकती राखी बाँधती है।

गजल


(पठित काव्यांश)


प्रश्न 1.
नौरस गुंचे पंखड़ियों की नाजुक गिरौं खोले हैं।
या उड़ जाने को रंगो-बू गुलशन में पर तोले हैं।
प्रश्न
(क) कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया हैं?
(ख) पहली पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'नीरस 'विशेषण से क्या अभिप्राय हैं?
(घ) कलियाँ किस तैयारी में हैं?
उत्तर -
(क) कवि ने बसंत ऋतु का वर्णन किया है।
(ख) इसका अर्थ यह है कि बसंत ऋतु में कलियों में नया रस भरा होता है और वे अपनी पंखुड़ियों से कोमल बंधनों को खोल रही हैं।
(ग) इसका अर्थ है-नया रस। बसंत के मौसम में कलियों में नया रस भर जाता है।
(घ) कलियाँ फूल बनने की तैयारी में हैं। उनके खिलने से खुशबू चारों तरफ फैल जाएगी।
प्रश्न 2.
तारे आँखें झपकावे हैं जर्रा - जर्रा सोये हैं।
तुम भी सुनो हो यारो। शब में सन्नाटे कुछ बोले हैं।
प्रश्न
(क) रात के समय कैसा दूश्य हैं?
(ख) ज़र्रा ज़र्रा हैं में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ग) शब में कौन बोलता हैं तथा कैसे?
(घ) कवि किसे संबोधित कर रहा है तथा क्यों?
उत्तर -
(क) रात के समय वातावरण शांत है। आकाश में तारे आँखें झपकाते हुए लगते हैं।
(ख) इसका अर्थ है-रात के समय सारी सृष्टि शांत हो जाती है। हर जगह सन्नाटा छा जाता है।
(ग) रात में सन्नाटा बोलता है। इस समय चुप्पी की आवाज सुनाई देती है।
(घ) कवि दोस्तों को संबोधित करता है और बताता है कि रात को खामोशी भी बोलती हुई लगती है।
प्रश्न 3.
हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किस-किसको समान बताता है?
(ख) 'किस्मत हमको रो ले है। अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि तथा किस्मत क्या कार्य करते हैं?
(घ) कवि ने मानव स्वभाव के बारे में किस सत्य का उल्लेख किया हैं?
उत्तर -
(क) कवि ने स्वयं तथा भाग्य को एक समान बताया है।
(ख) इसका अर्थ यह है कि कवि की बदहाली को देखकर किस्मत उसकी अकर्मण्यता पर झल्लाती है।
(ग) कवि अपनी दयनीय दशा के लिए भाग्य को दोषी ठहराता है तथा किस्मत उसकी अकर्मण्यता को देखकर झल्लाती है। दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं।
(घ) कवि ने अपने माध्यम से मानव स्वभाव के बारे में उस सत्य का उल्लेख किया है कि किसी भी प्रकार की अभावग्रस्तता होने पर वह किस्मत को ही दोषी ठहराता है।
प्रश्न 4.
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
प्रश्न
(क) निदा करने वाले दूसरों की निदा के साथ-साथ अपनी निदा स्वय कर जाते हैं, कैसे?
(ख) निदक किन्हें कहते हैं। वे किसे बदनाम करना चाहते हैं?
(ग) कवि कुछ लोगों को सचेत क्यों करना चाहता है?
(घ) 'मेरा परदा खोले हैं-आशय स्पष्ट करें।
उत्तर -
(क) निंदक किसी की बुराइयाँ जब दूसरों के सामने प्रस्तुत करते हैं तो उससे उनकी अपनी कमियाँ स्वयं प्रकट हो जाती हैं। इस प्रकार वे अपनी निंदा स्वयं कर जाते हैं।
(ख) निंदक वे लोग होते हैं जो अकारण दूसरों की कमियों को बिना सोचे समझे दूसरों के समक्ष प्रस्तुत कर देते हैं। ऐसे लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं।
(ग) कवि कुछ लोगों को इसलिए सचेत करना चाहता है क्योंकि जो लोग कवि को बदनाम करना चाहते हैं, उन्हें इतना समझना चाहिए कि इस कार्य से वे अपने रहस्य भी दूसरों को बता रहे हैं।
(घ) इसका अर्थ यह है कि कवि के विरोधी उसकी कमियों को समाज के सामने प्रस्तुत करते हैं ताकि उसकी बदनामी हो जाए।
प्रश्न 5.
ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो-हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी हो ली हैं।
प्रश्न
(क) हम बदुरुस्त-ए-होशो-हवास' का अर्थ बताइए।
(ख) कवि किसे संबोधित करता है?
(ग) सौदा करने से क्या अभिप्राय है?
(घ) कवि किसकी कीमत अदा करने की बात कहता है?
उत्तर -
(क) इसका अर्थ है-हम पूरे होशोहवास से। दूसरे शब्दों में हम पूरे विवेक से।
(ख) कवि प्रियतमा को संबोधित करता है।
(ग) इसका अर्थ है-किसी चीज को खरीदना। यहाँ यह प्रेम की कीमत अदा करने से संबंधित है।
(घ) कवि प्रेम की कीमत अदा करने की बात कहता है।
प्रश्न 6.
तेरे गम का पासे-अदब हैं कुछ दुनिया का खयाल भी हैं।
सबसे छिपा के दर्द के मारे चुपके चुपके रो ले हैं।
प्रश्न
(क) तेरे गम का पास-अदब हैं - भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) कवि को किसका ख्याल हैं, क्यों?
(ग) कवि चुपके-चुपके क्यों रोता है?
(घ) कवि की मनोदशा कैसी है?
उत्तर -
(क) इसका अर्थ यह है कि कवि के मन में अपने प्रिय की विरह-वेदना के प्रति पूर्ण सम्मान है।
(ख) कवि को सांसारिकता का ख्याल है क्योंकि वह सामाजिक प्राणी है और अपने प्रेम को बदनाम नहीं होने देना चाहता।
(ग) कवि अपने प्रेम को दुनिया के लिए मजाक या उपहास का विषय नहीं बनाना चाहता। इसी कारण वह चुपके-चुपके रो लेता है।
(घ) कवि प्रेम के विरह से पीड़ित है। उसे संसार की प्रवृत्ति से भी भय है। वह अपने वियोग को चुपचाप सहन करता है ताकि बदनाम न हो।
प्रश्न 7.
फितरत का कायम हैं तवाजुन आलमे हुस्नो इश्क में भी
उसको उतना ही पाते हैं खुद को जितना खो ले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किस संतुलन की बात करता है?
(ख) आलमे-हुस्नो-इश्क का अर्थ बताइए।
(ग) प्रिय को कैसे पाया जा सकता है।
(घ) “खुद को खोने का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) कवि प्रेम और सौंदर्य के लिए खोने और पाने में संतुलन की बात करता है।
(ख) इसका अर्थ है-प्रेम और सौंदर्य की दुनिया।
(ग) प्रिय को पाने का एकमात्र उपाय है-खुद को प्रेमी के प्रति समर्पित कर देना।
(घ) इराका अर्थ है-अहं भाव को छोड़कर प्रेमी के प्रति समर्पित होना।
प्रश्न 8.
आबो-ताब अशआर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
प्रश्न
(क) कवि किसकी चमक की बात कर रहा हैं?
(ख) आँखें रक्खो हो का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ग) जगमग बैंतों की चमक' का आशय बताइए।
(घ) 'या हम सोती रोले हैं का अर्थ बताइए।
उत्तर -
(क) कवि अपनी शायरी की चमक की बात कर रहा है।
(ख) इसका अर्थ है- विवेक से हर बात को समझना, मर्म को जानना।
(ग) इसका अर्थ है-शेरो-शायरी का आलंकारिक सौंदर्य।
(घ) कवि कहता है कि मेरी कविता में विरह की वेदना व्यक्त हुई है।
प्रश्न 9.
ऐसे में तू याद आए है अंजुमने मय में रिंदों को
रात गए गर्दै पै फ़रिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।
प्रश्न
(क) प्रथम पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) 'तू' कौन हैं? उसके बारे में कवि क्या कहता हैं?
(ग) रात में फ़रिश्ते क्या करते हैं?
(घ) 'अंजुमने-मय में रिंदों को' से कवि क्या बताता हैं?
उत्तर -
(क) प्रथम पंक्ति का भाव यह है कि शायर अपनी प्रिया, प्रेमिका को बहुत ही सिद्दत से याद करता है। यह याद ठीक वैसी है जैसे शराबखाने में शराब को शराब याद आती है।
(ख) तू कवि की प्रेमिका है। वह उसे विरह के समय याद आती है।
(ग) रात के समय देवदूत आकाश में सारे संसार के पापों का अध्याय खोलते हैं।
(घ) इसमें कवि शराबखाने में शराबियों की दशा का वर्णन करता है। यहाँ उसे शराब की बहुत याद आती है।
प्रश्न 10.
सदके फिराक एजाज-सुखन के कैसे उड़ा ली ये आवाज
इन गलों के पदों में तो मीर' की गजलें बोले हैं।
प्रश्न
(क) फिराक किस पर कुर्बान हैं?
(ख) फिराक की शायरी किससे प्रभावित है।
(ग) कवि के प्रशंसकों ने क्या प्रतिक्रिया जताई।
(घ) 'मीर की गजलें बोले हैं का भाव समझाइए
उत्तर -
(क) फिराक अपनी शायरी पर कुर्बान हैं।
(ख) फिराक की शायरी प्रसिद्ध शायर मीर से प्रभावित है।
(ग) कवि के प्रशंसकों ने कहा कि उसने कविता की यह सुंदरता कहाँ से उड़ा ली।
(घ) 'मीर की गजलें बोले हैं का भाव यह है कि कवि फिराक गोरखपुरी की गजलों और सुप्रसिद्ध शायर 'मीर' की गजलों में पर्याप्त समानता है।

रुबाइयाँ


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● सहज, सरल साहित्यिक हिंदी भाषा का प्रयोग है।
● शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं सटीक है।
● संपूर्ण पद में दृश्य तथा श्रव्य-बिंबों का सुंदर प्रयोग है।
● प्रसाद- गुण तथा वात्सल्य रस का प्रयोग है।
● रुबाई छंद का सफल प्रयोग हुआ है।
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1
आंगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी
हाथों पे झुलाती हैं उसे गोद-भरी
रह-रह के हवा में जो लोका देती है
पूँज उठती हैं खिलखिलाते बच्चे की हँसी।
नहला के छलके छलके निर्मल जल से
उलझे हुए गेसुओं में कंघी
किस प्यार से देखता हैं बच्चा मुँह को
करके जब घुटनियों में ले के हैं पिन्हाती कपड़े।
प्रश्न
(क) चाँद का टुकड़ा' कौन हैं? इस बिंब के प्रयोगगत भावों में क्या विशेषता हैं?
(ख) बच्चे को लेकर माँ के किन क्रियाकलापों का चित्रण किया गया हैं? उनसे उसके किस भाव की अभिव्यक्ति हो रही है?
(ग) 'किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को ' में अभिव्यक्त बच्चे के चष्टजन्य सौंदर्य की विशेषता को स्पष्ट कीजिए।
(घ) माँ और बच्चे के स्नेह-सबधों पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर -
(क) चाँद का टुकड़ा' माँ की गोद में खेल रहा वह बच्चा है, जिसे माँ हाथों में लिए हवा में झुला रही है। इस प्रयोग से बच्चे को प्रसन्न करने के लिए उसे हवा में झुलाती माँ का बिंब साकार हो उठा है।
(ख) बच्चे को लेकर माँ आँगन में खड़ी है। वह हँसाने के लिए बच्चे को हवा में झुला रही है, लोका दे रही है। इन क्रियाओं से प्रेम और वात्सल्य के साथ ही उसकी ममता की अभिव्यक्ति हो रही है।
(ग) किस प्यार से देखता है बच्चा मुँह को अंश में बालसुलभ और चेष्टाजन्य क्रियाएँ साकार हो उठी हैं। माँ बच्चे को नहला-धुलाकर जब अपने घुटनों में लेकर कपड़े पहनती है तो बच्चा अपनत्व भाव से मों के चेहरे को देखता है। ऐसे में बच्चे का सौंदर्य और भी निखर जाता है।
(घ) माँ और बच्चे का संबंध वात्सल्य और ममता से भरपूर होता है। बच्चा अपनी सारी जरूरतों के लिए जहाँ माँ पर निर्भर होता है, वहीं माँ को बच्चा सर्वाधिक प्रिय होता है। वह उसकी जरूरतों का ध्यान रखती है तथा प्यार और ममता से पोषित करके उसे बड़ा करती है।
2
आँगन में ठनक रहा हैं जिदयाय है।
बालक तो हई चाँद में ललचाया है।
दर्पण उसे दे के कह रही हैं माँ
देख आईने में चाँद उतर आया है।
प्रश्न
(क) काव्यांश की भाषा की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) यह काव्यांश किस छंद में लिखा गया हैं? विशेषता बताइए।
(ग) 'देख आईने में चाँद उतर आया है कथन के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) काव्यांश की भाषा उर्दू-हिंदी भाषा है। इसमें सरलता, सुबोधता है। बाल-मनोविज्ञान का राजीव चित्रण है।
(ख) यह काव्यांश रुबाई छंद में लिखा गया है। इसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। इसकी पहली व चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है तथा तीसरी पंक्ति स्वतंत्र होती है।
(ग) इस कथन में माँ की सूझ बूझ का वर्णन है। वह बच्चे की जिद को आईने में चाँद को दिखाकर पूरा करती है। यहाँ ग्रामीण संस्कृति प्रत्यक्ष रूप से साकार हो उठती है।

गजल


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● इस शेर का भाव और भाषा दोनों उर्दू भाषा से प्रभावित हैं।
● शब्द चयन उचित एवं सटीक है।
● अभिव्यक्ति की दृष्टि से शेर सरल और ह्रदयग्राही है।
● इस शेर में कवि ने प्रकृति के सौंदर्य का सजीव वर्णन किया है।
निम्नलिखित शेरों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
हम हों या किस्मत हो हमारी दोनों को इक ही काम मिला
किस्मत हमको रो लेते है हम किस्मत को रो ले हैं।
जो मुझको बदनाम करे हैं काश वे इतना सोच सकें
मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
प्रश्न
(क) गजल के इस अंश की दो भाषिक विशेषताएँ बताइए।
(ख) प्रधम शेर में आइ पंक्तियों की व्यंजना स्पष्ट कजिए।
(ग) भाव-सौंदर्य स्पष्ट कजिए-
'मेरा परदा खोले हैं या अपना परदा खोले हैं।
उत्तर -
(क) गजल में उर्दू भाषा के शब्दों का अधिक प्रयोग होता है। दूसरा, इसमें सर्वनामों का प्रयोग होता है। जो, वे, हम, अपना आदि सर्वनाम उर्दू गजलों में पाए जाते हैं। इनका लक्ष्य कोई भी हो सकता है।
(ख) कवि अपनी किस्मत से असंतुष्ट है। वह उसे अपने ही समान मानता है। दोनों एक-दूसरे को कोसते रहते हैं।
(ग) कवि इन पंक्तियों में कहता है कि उसको बदनाम करने वाले लोग स्वयं ही बदनाम हो रहे हैं। वे अपने चरित्र को स्वयं ही उद्घाटित कर रहे हैं।

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