NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप 

NCERT Solutions for Class12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions

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Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class12 Hindi Aroh
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12th Class
Subject: Hindi Aroh
Chapter: 8
Chapters Name: कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
Medium: Hindi

कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions

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कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप


(अभ्यास-प्रश्न)


प्रश्न 1. कवितावली से उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।
भले ही तुलसीदास राम भक्त कवि थे परंतु अपने युग के प्रतिनिधियों से भी भली प्रकार परिचित थे। उन्होंने तत्कालीन लोगों की समस्याओं और आर्थिक स्थिति को समीप से देखा था। इसलिए कवि ने स्वीकार किया है कि उस समय लोग बेरोजगारी के शिकार थे। उनके पास कोई काम धंधा नहीं था। जिससे वे अपना पेट भर सके। मजदूर, किसान, भिखारी, कलाकार, व्यापारी आदि सभी काम न मिलने के कारण परेशान थे। तुलसीदास ने लोगों की आर्थिक दुर्दशा को देखकर कवितावली के छंदों में आर्थिक विषमता का यथार्थ वर्णन किया है।
प्रश्न 2. पेट की आग का शमन ईश्वर(राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है- तुलसी का यह काव्य-सत्य क्या इस समय का भी युग सत्य हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
तुलसीदास ने यह स्वीकार किया है कि मनुष्य के पेट की आग को ईश्वर भक्ति रूपी मेघ ही शांत कर सकते हैं। तुलसी का यह काव्य सत्य प्रत्येक युग पर चरितार्थ होता है। हम अपने चारों ओर देखते हैं कि करोड़ों लोग कोई न कोई व्यवसाय कर रहे हैं। कुछ लोगों को आशातीत सफलता प्राप्त होती है परंतु कुछ लोग खूब मेहनत करके काम करते हैं फिर भी उन्हें सफलता नहीं मिलती। इसे हम ईश्वर की कृपा के सिवाय कुछ नहीं कह सकते।
प्रश्न 3. तुलसी ने यह कहने की जरूरत क्यों समझी?
धूत कहौ, अवधूत कहौ, राजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ/ काहू की बेटी सों बेटा न ब्याहब काहू की जाति बिगार न सोऊ। इस सवैया में काहू के बेटा सों बेटी न ब्याहब कहते तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता?
यदि तुलसीदास 'काहू की बेटी से बेटा न ब्याहब' की बजाय यह कहते कि 'काहू के बेटा सो बेटी ना ब्याहब' तो सामाजिक अर्थ में बहुत अंतर आ जाता। विवाह के बाद बेटी अपने पिता के कुल गोत्र को त्यागकर पति के कुल गोत्र को अपना लेती है। अतः यदि कवि के सामने अपनी बेटी के विवाह का प्रश्न होता तो उनकी कुल गोत्र को बिगड़ने का भय था।
प्रश्न 4. धूत कहौ.... वाले छंद में ऊपर से सरल व निरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी की भीतरी असलियत एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहाँ तक सहमत हैं?
इस सवैया से कवि की सच्ची भक्ति भावना तथा उनके स्वाभिमानी स्वभाव का पता चलता है। वे स्वयं को 'सरनाम गुलामु है राम को' कहकर अपनी दीनता हीनता को प्रकट करते हैं। इससे पता चलता है कि वे राम के सच्चे भक्त हैं और उनमें समर्पण की भावना भी है। परंतु एक स्वाभिमानी भक्त भी थे। लोगों ने जो उन पर कटाक्ष किए, उनकी भी उन्होंने परवाह नहीं की। इसलिए वे निंदकों को स्पष्ट करते हैं कि उनके बारे में जिसे जो कुछ कहना है; वह कहे। उन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं है।
प्रश्न 5.1 व्याख्या करें –
मम हित लागि तजेहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता।
जौं जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पितु बचन मनतेउँ नहिं ओहू।।
उत्तर:- लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम विलाप करते हुए बोले – हे भाई! तुम मुझे कभी दुःखी नहीं देख सकते थे। तुम्हारा स्वभाव सदा से ही कोमल था। मेरे हित के लिए तुमने माता-पिता को भी छोड़ दिया और वन में जाड़ा, गरमी और हवा सब सहन किया। वह प्रेम अब कहाँ है? मेरे व्याकुलतापूर्वक वचन सुनकर उठते क्यों नहीं? यदि मुझे ज्ञात होता कि वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊँगा मैं पिता का वचन (जिसका मानना मेरे लिए परम कर्तव्य था) उसे भी न मानता और न तुम्हें साथ लेकर आता।
प्रश्न 5.2 व्याख्या करें –
जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौं जड़ दैव जिआवै मोही।।
उत्तर:- मूर्च्छित लक्ष्मण को गोद में लेकर विलाप कर रहे हैं कि तुम्हारे बिना मेरी दशा ऐसी हो गई है जैसे पंख बिना पक्षी, मणि बिना सर्प और सूँड बिना श्रेष्ठ हाथी की स्थिति अत्यंत दयनीय हो जाती है। यदि तुम्हारे बिना कहीं जड़ दैव मुझे जीवित रखे तो मेरा जीवन भी ऐसा ही होगा।
प्रश्न 5.3 व्याख्या करें –
माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ।।
उत्तर:- तुलसीदास को समाज की उलाहना से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वे किसी पर आश्रित नहीं है। वे श्री राम का नाम लेकर दिन बिताते हैं और मस्जिद में सो जाते हैं।
प्रश्न 5.4 व्याख्या करें –
ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।।
उत्तर:- तुलसीदास ने समकालीन समाज का यथार्थपरक चित्रण किया है। उन्होंने देखा कि उनके समय में बेरोजगारी की समस्या से मजदूर, किसान, नौकर, भिखारी आदि सभी परेशान थे। अपनी भूख मिटाने के लिए सभी अनैतिक कार्य कर रहे हैं। अपने पेट की भूख मिटाने के लिए लोग अपनी संतानों तक को बेच रहे थे। पेट भरने के लिए मनुष्य कोई भी पाप कर सकता है।
प्रश्न 6. भ्रातृशोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में दिखाया है। क्या आप इससे सहमत है? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
यह स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि लक्ष्मण की मूर्च्छा पर शोकग्रस्त होकर विलाप करने वाले राम भगवान नहीं हो सकते। कवि का यह कहना सही प्रतीत नहीं होता कि वह भगवान के रूप में नरलीला कर रहे हैं। जब कोई मनुष्य अत्यधिक शोकग्रस्त होता है तो वह असहाय होकर दुख के कारण प्रलाप करने लगता है। राम के द्वारा यह कहना कि यदि उन्हें पता होता कि वन में भाई से उनका वियोग हो जाएगा तो वे अपने पिता की आज्ञा का पालन न करते। यह बात तो सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में प्रकट हुई है। इसे हम नरलीला नहीं कह सकते।
प्रश्न 7. शोकग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का आविर्भाव क्यों कहा गया है?
वैद्य सुषेण ने कहा था कि अगर प्रातः होने से पूर्व संजीवनी बूटी मिल गई तो लक्ष्मण बच सकता है। अन्यथा उसकी मृत्यु हो जाएगी। अर्द्धरात्रि बीत चुकी थी और हनुमान अभी तक लौट कर नहीं आया था। संपूर्ण भालू और वानर सेना घबराई हुई थी। राम भी लक्ष्मण की मृत्यु के डर के कारण घबरा गए थे। और वे भावुक होकर विलाप करने लगे, परंतु इस बीच हनुमान संजीवनी बूटी लेकर पहुँच गए। हनुमान को देखकर राम के विलाप म&##2375;ं आशा और उत्साह का संचार हो गया क्योंकि अब सभी की है आशा बंध गई थी कि लक्ष्मण होश में आ जाएँगे और फिर रावण पर विजय प्राप्त की जा सकेगी।
प्रश्न 8.
"जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारी हेतु प्रिय भाई गँवाई।।
बरु अपजस सहतेउँ जग माही। नारी हानि बिसेष छति नाहीं।।
भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप-वचन में स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है?
इस प्रकार के विलाप को सुनकर विलाप करने वाले की पत्नी को बुरा ही लगेगा। परंतु यह भी सच्चाई है कि इस प्रकार के प्रलाप का कोई अर्थ नहीं होता। यह शोक से व्यथित एक व्यक्ति की उक्ति है। इसे यथार्थ नहीं समझना चाहिए। इस उक्ति से यह भी अर्थ प्रकट हो सकता है कि प्रायः लोग पत्नी को भाई से अधिक महत्त्व देते हैं। और कभी-कभी ऐसे उदाहरण देखे जा सकते हैं जहाँ लक्ष्मण जैसे भाई अपनी भाभी के लिए अपनी जान देने को तैयार रहते हैं। परंतु आज ऐसा भी देखने में आया है कि पुरुष अपनी पत्नी के लिए भाई को छोड़ देता है। अतः नारी के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण सर्वत्र एक जैसा नहीं है।

कवितावली


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


1. लक्ष्मण-मूछ और राम का विलाप काव्याश के आधार पर आव्रशक में बेचैन राय की दशा को अपने शब्दों में प्रस्तुत कॉजिए।
अथवा
लक्ष्मण-मूच्छा और राम का विलाप कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
लक्ष्मण को मूर्चिछत देखकर राम भाव विहवल हो उठते हैं। वे आम व्यक्ति की तरह विलाप करने लगते हैं। वे लक्ष्मण को अपने साथ लाने के निर्णय पर भी पछताते हैं। वे लक्ष्मण के गुणों को याद करके रोते हैं। वे कहते हैं कि पुत्र, नारी, धन, परिवार आदि तो संसार में बार-बार मिल जाते हैं, किंतु लक्ष्मण जैसा भाई दुबारा नहीं मिल सकता। लक्ष्मण के बिना वे स्वयं को पंख कटे पक्षी के समान असहाय, मणिरहित साँप के समान तेजरहित तथा सँडरहित हाथी के समान असक्षम मानते हैं। वे इस चिंता में थे कि अयोध्या में सुमित्रा माँ को क्या जवाब देंगे तथा लोगों का उपहास कैसे सुनेंगे कि पत्नी के लिए भाई को खो दिया।
2. बेकारी की समस्या तुलसी के जमाने में भी थी, उस बेकारी का वर्णन तुलसी के कवित्त के आधार पर कीजिए।
अथवा
तुलसी ने अपने युग की जिस दुर्दशा का चित्रण किया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर -
तुलसीदास के युग में जनसामान्य के पास आजीविका के साधन नहीं थे। किसान की खेती चौपट रहती थी। भिखारी को भीख नहीं मिलती थी। दान कार्य भी बंद ही था। व्यापारी का व्यापार ठप था। नौकरी भी लोगों को नहीं मिलती थी। चारों तरफ बेरोजगारी थी। लोगों को समझ में नहीं आता था कि वे कहाँ जाएँ क्या करें?
3. तुलसी के समय के समाज के बारे में बताइए।
उत्तर -
तुलसीदास के समय का समाज मध्ययुगीन विचारधारा का था। उस समय बेरोजगारी थी तथा आम व्यक्ति की हालत दयनीय थी। समाज में कोई नियम-कानून नहीं था। व्यक्ति अपनी भूख शांत करने के लिए गलत कार्य भी करते थे। धार्मिक कट्टरता व्याप्त थी। जाति व संप्रदाय के बंधन कठोर थे। नारी की दशा हीन थी। उसकी हानि को विशेष नहीं माना जाता था।
4. तुलसी युग की आर्थिक स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कजिए।
उत्तर -
तुलसी के समय आर्थिक दशा खराब थी। किसान के पास खेती न थी, व्यापारी के पास व्यापार नहीं था। यहाँ तक कि भिखारी को भीख भी। नहीं मिलती थी। लोग यही सोचते रहते थे कि क्या करें, कहाँ जाएँ? वे धन-प्राप्ति के उपायों के बारे में सोचते थे। वे अपनी संतानों तक को बेच देते थे। भुखमरी का साम्राज्य फैला हुआ था।

लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


5. लक्ष्मण के मूर्चिछत होने पर राम क्या सोचने लगे?
उत्तर -
लक्ष्मण शक्तिबाण लगने से मूर्चित हो गए। यह देखकर राम भावुक हो गए तथा सोचने लगे कि पत्नी के बाद अब भाई को खोने जा रहे हैं। केवल एक स्त्री के कारण मेरा भाई आज मृत्यु की गोद में जा रहा है। यदि स्त्री खो जाए तो कोई बड़ी हानि नहीं होगी, परंतु भाई के खो जाने का कलंक जीवनभर मेरे माथे पर रहेगा। वे सामाजिक अपयश से घबरा रहे थे।
6. क्या तुलसी युग की समस्याएँ वतमान में समाज में भी विद्यमान हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर -
तुलसी ने लगभग 500 वर्ष पहले जो कुछ कहा था, वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने अपने समय की मूल्यहीनता, नारी की स्थिति, आर्थिक दुरवस्था का चित्रण किया है। इनमें अधिकतर समस्याएँ आज भी विद्यमान हैं। आज भी लोग जीवन निर्वाह के लिए गलत-सहीं कार्य करते हैं। नारी के प्रति नकारात्मक सोच आज भी विद्यमान है। अभी भी जाति व धर्म के नाम पर भेदभाव होता है। इसके विपरीत, कृषि, वाणिज्य, रोजगार की स्थिति आदि में बहुत बदलाव आया है। इसके बाद भी तुलसी युग की अनेक समस्याएँ आज भी हमारे समाज में विद्यमान हैं।
7. कुंभकरण ने रावण को किस सच्चाई का आइना दिखाया?
उत्तर -
कुंभकरण रावण का भाई था। वह लंबे समय तक सोता रहता था। उसका शरीर विशाल था। देखने में ऐसा लगता था मानो काल आकर बैठ गया हो। वह मुँहफट तथा स्पष्ट वक्ता था। वह रावण से पूछता है कि तुम्हारे मुँह क्यों सूखे हुए हैं? रावण की बात सुनने पर वह रावण को फटकार लगाता है तथा उसे कहता है कि अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता। इस प्रकार उसने रावण को उसके विनाश संबंधी सच्चाई का आईना दिखाया।

कवितावली


(पठित काव्यांश)


निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1.
किसबी किसान-कुल, बनिक, भिखारी, भाट
चाकर चपला नट, चोर चार चेटकी।
पेटको पढ़त गुन गुढ़ चढ़त गिरी
अटत गहन गन अहन अखेटकी।।
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि
पेट ही की पर्चित बचत बेटा-बेटकी।
तुलसी बुझाई एक राम घनस्याम ही ते
आग बड़वागिते बड़ी हैं आग पेटकी।।
प्रश्न
(क) पेट भरने के लिए लोग क्या क्या अनैतिक काय करते हैं?
(ख) कवि ने समाज के किन किन लोगों का वर्णन किया है? उनकी क्या परेशानी है ?
(ग) कवि के अनुसार, पेट की आग कौन बुझा सकता है? यह आग कैसे है?
(घ) उन कर्मों का उल्लेख कीजिए जिन्हें लोग पेट की आग बुझाने के लिए करते हैं?
उत्तर -
(क) पेट भरने के लिए लोग धर्म-अधर्म व ऊंचे-नीचे सभी प्रकार के कार्य करते है ? विवशता के कारण वे अपनी संतानों को भी बेच देते हैं।
(ख) कवि ने मज़दूर, किसान फुल, व्यापारी, भिखारी, भाट, नौकर, चौर, दूत, जादूगर आदि वर्गों का वर्णन किया है। वे भूख व गरीबी से परेशान हैं।
(ग) कवि के अनुसार, पेट की आग को रामरूपी घनश्याम ही बुझा सकते हैं। यह आग समुद्र की आग से भी भयंकर है।
(घ) कुछ लोग पेट की आग बुझाने के लिए पढ़ते हैं तो कुछ अनेक तरह की कलाएँ सीखते हैं। कोई पर्वत पर चढ़ता है तो कोई घने जंगल में शिकार के पीछे भागता है। इस तरह वे अनेक छोटे-बड़े काम करते हैं।
प्रश्न 2.
खेती न किसान को, भिखारी को न भीख, बलि,
बनिक को बनिज, न चाकर को चाकरी
जीविका बिहीन लोग सीद्यमान सोच बस,
कहैं एक एकन सों' कहाँ जाई, का करी ?"
बेद पुरान कही लोक बिलोकित
सॉकरे स सबै पै, राम ! रावरें कृपा करी।
दारिद दसानन दबाई दुनी, दीनबंधु !
दुरित दहन देखि तुलसी हहा करी।
प्रश्न
(क) कवि ने समाज के किन-किन वरों के बारे में बताया है।
(ख) लोग चिंतित क्यों हैं तथा वे क्या सोच रहे हैं।
(ग) वेदों वा पुराणों में क्या कहा गया है?
(घ) तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना किससे की है तथा क्यों?
उत्तर -
(क) कवि ने किसान, भिखारी, व्यापारी, नौकरी करने वाले आदि वर्गों के बारे में बताया है कि ये सब बेरोजगारी से परेशान हैं।
(ख) लोग बेरोजगारी से चिंतित हैं। वे सोच रहे हैं कि हम कहाँ जाएँ क्या करें?
(ग) वेदों और पुराणों में कहा गया है कि जब-जब संकट आता है तब-तब प्रभु राम सभी पर कृपा करते हैं तथा सबका कष्ट दूर करते हैं।
(घ) तुलसीदास ने दरिद्रता की तुलना रावण से की है। दरिद्रतारूपी रावण ने पूरी दुनिया को दबोच लिया है तथा इसके कारण पाप बढ़ गया है
प्रश्न 3.
धूत कहो अवधूत कह रजपूतु कहीं जोलहा कहों कोऊ।
कहू की बेटीसों बेटा न व्याहब, काकी जाति बिगार न सौऊ।
तुलसी सरनाम गुलाम हैं राम को जाको रुच सो कहें कछु आओऊ।
मॉग के खेलो मसीत को सोइबो लेजोको एकुन दैबको दोऊ।।
प्रश्न
(क) कवि किन पर व्यंग्य करता है और क्यों ?
(ख) कवि अपने किस रुप पर गर्व करता है?
(ग) कवि समाज से क्या चाहता हैं?
(घ) कवे अपने जीवन निर्वाह किस प्रकार करना चाहता है?
उत्तर -
(क) कवि धर्म, जाति, संप्रदाय के नाम पर राजनीति करने वाले ठेकेदारों पर व्यंग्य करता है, क्य#2379;ंकि समाज के इन ठेकेदारों के व्यवहार से ऊँच नीच, जाति-पाँति आदि के द्वारा समाज की सामाजिक समरसता कहीं खो गई है।
(ख) कवि स्वयं को रामभक्त कहने में गर्व का अनुभव करता है। वह स्वयं को उनका गुलाम कहता है तथा समाज की हँसी का उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
(ग) कवि रामाज से कहता है कि समाज के लोग उसके बारे में जो कुछ कहना चाहें, कह सकते हैं। कवि पर उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह किसी से कोई संबंध नहीं रखता।।
(घ) कवि भिक्षावृत्ति से अपना जीवनयापन करना चाहता है। वह मस्जिद में निश्चित होकर सोता है। उसे किसी से कुछ लेना देना नहीं है। वह अपने सभी कार्यो के लिए अपने आराध्य श्रीराम पर आश्रित है।

लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप


(पठित काव्यांश)


प्रश्न 1.
तव प्रताप जर राखि प्रभु जहउँनाथ तुरंग।
अस कहि आयसु पाह पद बर्दि चलेउ हनुमत।
भरत बाड़ बल सील गुन् प्रभु पद प्रति अपार।।
मन महुँ जात सराहत पुनि-पुनि पवनकुमारः।।
प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम बताइए
(ख) हनुमान ने भारत जी को क्या अश्वासन दिया।
(ग) हनुमान ने भरत सो वया कहा
(घ) हनुमान भरत की किस बात से प्रभावित हुए।
(ङ) हनुमान ने सकट में धैर्य नहीं खोया। वे वीर एवं धैर्यवान थे। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) कवि-तुलसीदास।
कविता-लक्ष्मण मूर्च्छा और राम का विलाप।
(ख) हनुमान जी ने भरत जी को यह आश्वासन दिया कि हे नाथ मैं आपका प्रताप हृदय में रखकर तुरंत संजीवनी बूटी लेकर लंका पहुँच जाऊँगा। आप निश्चित रहिए।"
(ग) हनुमान ने भरत से कहा कि "हे नाथ! मैं आपके प्रताप को मन में धारण करके तुरंत जाऊँगा।”
(घ) हनुमान भरत की रामभक्ति, शीतल स्वभाव व बाहुबल से प्रभावित हुए।
(ड) मेघनाथ का बाण लगने से लक्ष्मण घायल व मूर्चित हो गए थे। इससे श्रीराम सहित पूरी वानर सेना शोकाकुल होकर विलाप कर रही थी। ऐसे में हनुमान ने विलाप करने की जगह चैर्य बनाए रखा और संजीवनी लेने गए। इससे स्पष्ट होता है कि हनुमान वीर एवं धैर्यवान थे।
प्रश्न 2.
उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले वचन मनुज अनुसार।।
अप्ध राति गङ्ग कवि नहिं आयउ/ राम उठाड़ अनुज उर लायउ।।
सकडू न दुखित देखि मोहि काऊ! बाधु सदा तव मृदुल सुभाऊ।।
सो अनुराग कहाँ मन भाई । उठन सुनि मम बच बिकलाई।।
जों जनउँ बन बंधु बिलोह। पिता बचन मनऊँ नहिं ओह।।
प्रश्न
(क) रात अधिक होते देख राम ने क्या किया?
(ख) राम ने लक्ष्मण की किन-किन विशेषताओं को बताया
(ग) लक्ष्मण ने राम के लिए क्या क्या कष्ट सहे
(घ) सी अनुराग' कहकर राम कैसे अनुराग की दुलभता की ओर संकेत कर रहे है सोदाहरण लिखिए।
उत्तर -
(क) रात अधिक होते देख राम व्याकुल हो गए। उन्होंने लक्ष्मण को उठाकर अपने हृदय से लगा लिया।
(ख) राम ने लक्ष्मण की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई
i) वे राम को दुखी नहीं देख सकते थे।
ii) उनका स्वभाव कोमल था।
iii) उन्होंने माता-पिता को छोड़कर उनके लिए वन के कष्ट सहे।
(ग) लक्ष्मण ने राम के लिए अपने माता-पिता को ही नहीं, अयोध्या का सुख-वैभव त्याग दिया। वे वन में राम के साथ रहकर नाना प्रकार की मुसीबतें सहते रहे।
(घ) 'सो अनुराग' कहकर राम ने अपने और लक्ष्मण के बीच स्नेह की तरफ संकेत किया है। ऐसा प्रेम दुर्लभ होता है कि भाई के लिए दूसरा भाई अपने सब सुख त्याग देता है। राम भी लक्ष्मण की मूच्छी मात्र में व्याप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 3.
सुन बित नारि भवन परिवारा। होहें जाहिं जग बारह बारा।।
अस बिचारि जिस जागहु ताता। मिलइ न जगत सहोदर भ्राता।।
जथा पंख बिनु खग अति दीना मान बिनु नि करिजर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। ज़ों जड़ दैव जिआयें मोही।।
जैहउँ अन्न वन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाड़ गवाई।।।
बरु अपभ्स राइते 1 माहीं। नारि हानि बिशेष छति नाहीं।।
प्रश्न
(क) काव्यांश के आधार पर राम के व्यक्तित्व पर टिप्पणी कीजिए।
(ख) राम ने भ्रातृ-प्रेम की तुलना में किनकी हीन माना है
(ग) राम को लक्ष्मण के बिना अपना जीवन कैसा लगता है
(घ) ' अवध कथन मुई लाई’ - कथन के पीछे निहित भवन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर -
(क) इस काव्यांश में राम का आम आदमी वाला रूप दिखाई देता है। वे लक्ष्मण के प्रति स्नेह व प्रेमभाव को व्यक्त करते हैं तथा संसार के हर सुख से ज्यादा सगे भाई को महत्व देते हैं।
(ख) राम ने भ्रातृ प्रेम की तुलना में पुत्र धन, स्त्री, घर और परिवार सबको हीन माना है। उनके अनुसार, ये सभी चीज आती रहती हैं, परंतु सगा भाई बार-बार नहीं मिलता।
(ग) राम को लक्ष्मण के बिना अपना जीवन उतना ही हीन लगता है जितना पंख के बिना पक्षी, मणि के बिना साँप तथा सँड़ के बिना हाथी का जीवन हीन होता है।
(घ) इस कथन से श्रीराम का कर्तव्यबोध झलता हैं। वे अपनी जिम्मेदारी पर लक्ष्मण को अपने साथ लाए थे, परंतु वे अपना कर्तव्य पूरा न कर सके। अत ये अयोध्या में अपनी जवाबदेही से डरे हुए थे।
प्रश्न 4.
अब अपलोकु सोकु सुत तोरा। सहहि निठुर कठोर उर मोरा।।
निज जननी के एक कुमारा । तात तासु तुम्ह प्रान अधारा।।।
सौंपेसि मोहि तुम्हहि गहि पानी। सब विधि सुखद परम हित जानी।।
उतरु काह दैहऊँ तेहि जाई। उठि किन मोहि सिखावहु भाई।।।
बहु विधि सोचत सोचि बुमोचन। स्त्रवत सलिल राजिव दल लोचन।।।
उमा एक अखंड रघुराई। नर गति भगत कृपालु देखाई।।
प्रभु प्रलाप सुनि कान् बिकल भए बानर निकर।
आइ गयउ हनुमान, जिमि करुना महं वीर रस।।
प्रश्न
(क) व्याकुल श्रीराम अपना दुख कैसे प्रकट कर रहे हैं?
(ख) श्रीराम सुमित्रा माता का स्मरण करके क्यों दुखी हो उठते हैं?
उत्तर -
(क) व्याकुल श्रीराम आपना दुख प्रकट करते हुए कहते हैं कि वे कठोर हृदय से लक्ष्मण के वियोग व अपयश को सहन कर लेंगे, परंतु अयोध्या में सुमित्रा माता को क्या जवाब देंगे।
(ख) श्रीराम सुमित्रा माता के विषय में चिंतित हैं, क्योंकि उन्होंने राम को हर तरह से हितैषी मानकर लक्ष्मण को उन्हें सौंपा था। अतः वे उन्हें लक्ष्मण की मृत्यु का जवाब कैसे देंगे। वे लक्ष्मण से ही इसका जवाब पूछ रहे हैं।
प्रश्न 5.
हरषि राम भेटेउ हनुमान। अति कृतस्य प्रभु परम सुजाना ।।
तुरत बँद तब कीन्हि उ पाई। उठि बैठे लछिमन हरषाड़।।
हृदयाँ लाइ प्रभु भेटेउ भ्राता। हरघे सकल भालु कपि भ्राता।।
कपि पुनि बँद तहाँ पहुँचवा। जेहि बिधि तबहिं ताहि लह आवा।।
प्रश्न
(क) हनुमान के आने पर राम ने क्या प्रतिक्रिया जताई?
(ख) लक्ष्मण की मूच्र्छा किस तरह टूटी?
(ग) किस घटना से वानर सेना प्रसन्न हुई।
(घ) जेहि विधि तबहिं ताहि लद्ध लावा। - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) हनुमान के आने पर राम प्रसन्न हो गए तथा उन्हें गले से लगाया। उन्होंने हनुमान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
(ख) सुषेण वैद्य ने संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार किया। परिणामस्वरूप उनकी मूच्र्छा टूटी और लक्ष्मण हँसते हुए उठ बैठे।
(ग) लक्ष्मण के ठीक होने पर प्रभु राम ने उन्हें गले से लगा लिया। इस दृश्य को देखकर सभी बंदर, भालू व हनुमान प्रसन्न हो गए।
(घ) इसका अर्थ यह है कि हनुमान जिस तरीके से सुषेण वैद्य को उठाकर लाए थे, उसी प्रकार उन्हें उनके स्थान पर पहुँचा दिया।
प्रश्न 6.
यह बृतांत दसानन सुनेऊ/ अति बिषाद पुनि पुनि सिर धुनेऊ।।
व्याकुल कुंभकरन पहिं आवा। बिबिध जतन करि ताहि जगावा ।।
जागा निसिचर देखि कैसा मानहुँ कालु देह धरि बैंस ।।।
कुंभकरन बूझा कहु भाई । काहे तव मुख रहे सुखाई।।
प्रश्न
(क) रावण ने कॉन-सा वृत्तांत सुना? उसकी क्या प्रतिक्रिया थी?
(ख) रावण कहाँ गया तथा क्या किया?
(ग) कुंभकर्ण को कैसा लग रहा था?
(घ) कुंभकर्ण ने रावण से क्या पूछा?
उत्तर -
(क) रावण ने लक्ष्मण की मूच्छीं टूटने का समाचार सुना। यह सुनकर वह अत्यंत दुखी हो गया तथा सिर पीटने लगा।
(ख) रावण कुंभकरण के पास गया तथा अनेक तरीकों से उसे नींद से जगाया।
(ग) कुंभकरण जागने के बाद ऐसा लग रहा था मानो यमराज शरीर धारण करके बैठा हो।
(घ) कुंभकरण ने रावण से पूछा, 'कहो भाई, तुम्हारे मुख क्यों सूख रहे हैं? अर्थात तुम्हें क्या कष्ट है?"
प्रश्न 7.
कथा कही सब तेहिं अभिमानी। कहीं प्रकार सीता हरि आनी।।
तात कपिन्ह सब निसिचर मारे। महा महा जोधा संघारे महा।।
दुर्मुख सुररुपु मनुज अहारी। भट अतिकाय अकंपन भारी।।
अपर महोदर आदिक बीरा। परे समर महि सब रनधीरा।।
सुनि दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान।।
जगदबा हरि अनि अब सठ चाहत कल्यान।।
प्रश्न
(क) किसने किसको क्या कथा सुनाई थी?
(ख) रावण की सेना के कौन-कौन से वीर मारे गए
(ग) हनुमान के बारे में रावण क्या बताता हैं।
(घ) रावण की बातों पर कुंभकरण ने क्या प्रतिक्रिया जताई?
उत्तर -
(क) रावण ने कुंभकरण से सीता-हरण से लेकर अब तक के युद्ध और उसमें मारे गए अपनी सेना के वीरों के बारे में बताया।
(ख) रावण की सेना के दुर्मुख, अतिकाय, अकंपन, महोदर, नरांतक आदि वीर मारे गए।
(ग) हनुमान ने अनेक बड़े-बड़े वीरों को मारकर रावण की सेना को गहरी क्षति पहुँचाई थी। रावण कुंभकरण को हनुमान की वीरता अपनी विवशता और पराजय की आशंका के बारे में बताता है।
(घ) रावण की बात सुनकर कुंभकरण बिलखने लगा। उसने कहा, 'हे मूर्ख, जगत-जननी का हरण करके तू कल्याण की बात सोचता है? अब तेरा भला नहीं हो सकता।"

कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
●यहाँ कवि ने अपने युग की यथार्थता का प्रभावशाली वर्णन किया है।
● यहाँ सहज एवं सरल साहित्यिक ब्रज-अवधी भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
● शब्द-चयन उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● कवित्त छंद का प्रयोग है।
निम्नलिखित काव्यशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
किसबी, किसान कुल बनिक, भिखारी भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरी,
अटत गहन-गन अन अखेटकी।।
ऊँचे-नीचे करम, धरम-अधरम करि,
पेट ही को पचत, बचत बेटा-बेंतेकी।
तुलसी' बुझाह एक राम घनस्याम ही ते
आगि बढ़वागिते बड़ी हैं आगि पेटको ।।
प्रश्न
(क) इन काव्य-शक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए?
(ख) पेट की आग को कैसे शांति किया जा कीजिए।
(ग) काव्यांश के भाषिक सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर -
(क) इस समाज में जितने भी प्रकार के काम हैं, वे सभी पेट की आग से वशीभूत होकर किए जाते हैं। पेट की अविवेक नष्ट करने वाली है। ईश्वर की कृपा के अतिरिक्त कोई इस पर नियंत्रण नहीं पा सकता।
(ख) पेट की आग भगवान राम की कृपा के बिना नहीं बुझ सकती। अर्थात राम की कृपा ही दह जल है, जिससे इस भाग का शमन हों सकता है।
ग)
•पेट की आग बुझाने के लिए मनुष्य द्वारा किए जाने वाले कार्यों का प्रभावपूर्ण वर्णन है।
• काव्यांश कवित्त छंद में रचित है।
• ब्रजभाषा का माधुर्य घनीभूत है।
• 'राम घनश्याम' में रूपक अलंकार है। किसी किसान-कुल, चाकर चपल बेचत बेटा-बेटकी आदि में अनुप्रास अलंकार कीबछटा दर्शनीय है।
2
खेती न किसान को भिखारी को न भीख, अलि,
बनिक को जनज, न चाकर को चाकरी ।
कहैं एक एकन सों कहाँ जाड़, क्या करी ?"
साँकरे सर्ने मैं राम राब” कृपा करी ।
दारिद-दसानन दवाई दुनी, दीनबंधु
दुरित दहन देखि तुलसी हहा करी ।।
प्रश्न
(क) किसन व्यापारी, भिखारी और धाकर किस बात से परेशन है।
(ख) बेदहें पुरान कही..... कृपा करी' इस पंक्ति का भाव-सौदर्य स्पष्ट कीजिए।
ग) कवि ने दरिद्रता को किसके समान बताया है और क्यों?
उत्तर -
(क) किसान को खेती के अवसर नहीं मिलते, व्यापारी के पास व्यापार की कमी है, भिखारी को भीख नहीं मिलती और नौकर को नौकरी नहीं मिलती। सभी को खाने के लाले पड़े हैं। पेट की आग बुझाने के लिए सभी परेशान हैं।
(ख) के सुभ ह लता हैऔसंसारब्बाह देता गया है कभगवान श्रमिक कृपादृष्टपड्नेरह द्विता दूर होती है।
(ग) कवि ने दरिद्रता को दस मुख वाले रावण के समान बताया है क्योंकि वह भी रावण की तरह समाज के हर वर्ग को प्रभावित करते हुए अपना अत्याचार चक्र चला रही है।
(ख) लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● सहज एवं सरल साहित्यिक अवधी भाषा का प्रयोग किया गया है।
● शब्द चयन उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● यहाँ कवि ने संवादात्मक और कथात्मक शैली का प्रयोग किया है।
● तत्सम प्रधान साहित्यिक भाषा का प्रयोग है।
● प्रसाद गुण का परिपाक है।
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
भरत बाहु बल सील गुन, प्रभु पद प्रीति अपारा।
मन महुँ जात सराहत, पुनि-पुनि पवनकुमार।।
प्रश्न
(क) अनुप्रास अलकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।
(ख) कविता के भाषिक सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) काव्याशा के भाव वैशिष्ट्रय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण-
(i) प्रभु पद प्रीति अपार।
(i) पुनि-पुनि पवनकुमार।
(ख) काव्यांश में सरस, सरल अवधी भाषा का प्रयोग है। इसमें दोहा छद का प्रयोग है।
(ग) काव्यांश में हनुमान द्वारा भरत के बाहुबल, शील-स्वभाव तथा प्रभु श्री राम के चरणों में उनकी अपार भक्ति की सराहना का वर्णन
2
सुत वित नारि भवन परिवारा। होहि जाहिं ज? बारह बारा ।।
अस बिचारि जिय जपहु ताता। मिलह न जगत सहोदर भ्रात।।
जथा पंख बिनु खग अति दीना । मनि बिनु फनि करिबर कर हीना।।
अस मम जिवन बंधु बिनु तोही। जौ जड़ दैव जिआवै मोही।।
जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाई गंवाई।।।
बरु अपजस सहतेउँ जग माहीं। नारि हानि बिसेष छति नाहीं।।
प्रश्न
(क) काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(ख) इन पंक्तियों को पढ़कर राम-लक्ष्मण की किन-किन विशेषताओं का पता चलता है।
(ग) अंतिम दो पंक्तियों को पढ़कर हमें क्या सीख मिलती है।
उत्तर -
(क) विष्णु भगवान के अवतार भगवान श्री राम का मनुष्य के समान व्याकुल होना और राम, लक्ष्मण एवं भरत का यह परसार भ्रातृ-प्रेम हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
(ख) दोनों भाइयों में अगाध प्रेम था। श्री राम अनुज से बहुत लगाव रखते थे तथा दोनों के बीच पिता पुत्र सा संबंध था। लक्ष्मण श्री राम का बहुत सम्मान करते थे।
(ग) भगवान श्री राम के अनुसार संसार के सब सुख भाई पर न्यौछावर किए जा सकते हैं। भाई के अभाव में जीवन व्यर्थ है और भाई जैसा कोई हो ही नहीं सकता। आज के युग में यह सीख अनेक सामाजिक कष्टों से मुक्त करवा सकती है।
3
प्रभु प्रलाप सुनि कान, बिकल भए बानर निकरा
आई गयउ हनुमान जिमि करुना महाँ वीर रस।
प्रश्न
(क) भाषा प्रयोग की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ख) काव्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(ग) काव्यांश की अलकार-योजना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(क) भाषा प्रयोग की दो विशेषताएँ हैं।
(i) सरस, सरल, सहज, मधुर अवधी भाषा का प्रयोग।
(ii) भाषा में दृश्य बिंब साकार हो उठा है।
(ख) काव्यांश में लक्ष्मण के मूर्चिछत होने पर श्री राम एवं वानरों की शोक संवेदना एवं दुख का वर्णन है। उसी बीच हनुमान के आ जाने से दुख में हर्ष के संचार हो जाने का वर्णन है, क्योंकि उनके संजीवनी बूटी लाने से अब लक्ष्मण के प्राण बच जाएँगे।
(ग) विकल भए वानर निकर में अनुप्रास तथा आइ गयउ हनुमान, जिमि करुना महँ वीर रस' में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
4
हरषि राम भेटेउ हनुमाना। अति कृतग्य प्रभु परम सुजाना।।
तुरत बैद तब कीन्हि उपाई। उठि बैठे लछिमन हराई।।
सदय लाइ प्रभु भेटेउ भ्राता। हरणे सकल भालु कपि ब्राता।।
कपि पुनि बैद तहाँ पहुँचाया। जेहि बिधि तबहिं ताहि लई आवा।।
प्रश्न
(क) काव्यांश का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(ख) इन पंक्तियों के आधार पर हनुमान की विशेषताएँ बताईए।
(ग) काव्यांश की भाषागत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर -
(क) इसमें राम-भक्त हनुमान की बहादुरी व कर्मठता का, लक्ष्मण के स्वस्थ होने का श्री राम सहित भालू और वानरों के समूह के हर्षित होने का बहुत ही सजीव वर्णन किया गया है।
(ख) हनुमान जी की वीरता और कर्मनिष्ठा ऐसी है कि वे दुख में व्याकुल नहीं होते और हर्ष में कर्तव्य नहीं भूलते। इसीलिए लक्ष्मण के मूर्चिछत होने पर उन्होंने बैठकर रोने के स्थान पर संजीवनी लाये और काम होते ही वैद्य को यथास्थान पहुँचाया।
(ग)
(i) काव्यांश सरल, सहज अवधी भाषा में है, जिसमें चौपाई छंद है।
(ii) अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(iii) भाषा प्रवाहमयी है।

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Hindi Grammar Syllabus Class 12 CBSE

Class 12 Hindi NCERT Solutions Aroh, Vitan

NCERT Solutions Class 12 Hindi Aroh

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh (Kavya bhag)

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    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 2 पतंग
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 उषा
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 बादल राग
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 कवितावली, लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप
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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh (Gadya bhag)

    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 12 बाजार दर्शन
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 13 काले मेघा पानी दे
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 चार्ली चैप्लिन यानी हम सब
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 16 नमक
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 17 शिरीष के फूल
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NCERT Solutions Class 12 Hindi Vitan

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    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

NCERT Solutions Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam

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    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 3 विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार
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    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 5 नाटक लिखने का व्याकरण
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 6 कैसे लिखें कहानी
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 7 कैसे करें कहानी का नाट्य रूपांतरण
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 8 कैसे बनता है रेडियो नाटक
    NCERT Solutions for Class 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam 9 नए और अप्रत्याशित विषयों पर लेखन

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