NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक 

NCERT Solutions for Class12 Hindi Aroh Chapter 14 पहलवान की ढोलक

पहलवान की ढोलक Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions

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Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class12 Hindi Aroh
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12th Class
Subject: Hindi Aroh
Chapter: 14
Chapters Name: पहलवान की ढोलक
Medium: Hindi

पहलवान की ढोलक Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions

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पहलवान ली ढोलक


अभ्यास-प्रश्न


प्रश्न 1. कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव-पेंच में क्या तालमेल था? पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द कीजिए।
लुट्टन ढोल की आवाज से अत्यधिक प्रभावित था। वह ढोल की एक-एक थाप को सुनकर उत्साहित हो उठता था। ढोल की प्रत्येक थाप उसे कुश्ती का कोई न कोई दाव पेंच अवश्य बताती थी जिससे प्रेरणा लेकर वह कुश्ती करता था। ढोल की ध्वनियाँ उसे इस प्रकार के अर्थ सांकेतिक करती थी:-
"
NCERT Solutions for Class 11 Hindi
ढोल की आवाज अर्थ
क) चट-धा, गिड़-धा आ जा, भिड़ जा
ख) चटाक-चट-धा उठाकर पटक दे
ग) ढाक-ढिना वाह पट्ठे
घ) चट-गिड़-धा मत डरना
ङ) धाक-धिना, तिरकट-तिना दाँव काटो और बाहर हो जा
"
ये शब्द हमारे मन में भी उत्साह भरते हैं और संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं।
प्रश्न 2. कहानी के किस किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?
क) सर्वप्रथम माता पिता के निधन के बाद लुट्टन अनाथ हो गया और उसकी विधवा सास ने ही उसका भरण पोषण किया।
ख) श्यामनगर दंगल में लुट्टन ने चाँद सिंह को हरा दिया और राज दरबार में स्थाई पहलवान बन गया।
ग) पन्द्रह साल बाद राजा की मृत्यु हो गई और विलायत से लौटे राजकुमार ने उसे राजदरबार से हटा दिया और वह अपने गाँव लौट आया।
घ) गाँव में अनावृष्टि के बाद मलेरिया और हैजा फैल गया जिससे उसके दोनों पुत्रों की मृत्यु हो गई।
ङ) पुत्रों की मृत्यु के चार-पाँच दिन बाद रात को लुट्टन की भी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 3. लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोल है?
लुट्टन ने किसी गुरु से कुश्ती के दांव-पेंच नहीं सीखे थे। उसे केवल ढोलक की उत्तेजक आवाज से ही प्रेरणा मिलती थी। ढोलक पर थाप पढ़ते ही उसकी नसे उत्तेजित हो उठती थी और तन-बदन कुश्ती के लिए मचल उठता था। श्यामनगर के मेले में उसने चाँद सिंह को ढोल की आवाज पर ही चित किया था। इसलिए कुश्ती जीतने के बाद उसने ढोल को प्रणाम किया और वह ढोल को ही अपना गुरु मानने लगा।
प्रश्न 4. गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान ढोल क्यों बजाता रहा?
लुट्टन पहलवान पर ढोल की आवाज का गहरा प्रभाव पड़ता था। ढोल की आवाज उसके शरीर की नसों में उत्तेजना पर देती थी। यह आवाज गाँव के लोगों को भी उत्साहित करती थी। गाँव में महामारी के कारण लोगों में सन्नाटा छाया हुआ था। उसी ढोल की आवाज से लोगों को जिंदगी का एहसास होता था। लोग समझते थे कि जब लुट्टन का ढोल बज रहा है तो मौत का कैसा डर! अपने बेटों की मृत्यु के बावजूद भी वह मृत्यु के सन्नाटे को तोड़ने के लिए निरंतर ढोल बजाता रहा।
प्रश्न 5. ढोलक की आवाज का पूरे गाँव में क्या असर होता था?
ढोला की आवाज से रात का सन्नाटा और डर कम हो जाता था। बच्चे या बूढ़े हो या जवान; ढोल की आवाज से सभी को आँखों के सामने दंगल का दृश्य नाचने लगता था और वे उत्साह से भर जाते थे। लुट्टन का सोचना था कि ढोलक की आवाज गाँव के लोगों में भी उत्साह उत्पन्न करती है। भले ही लोग रोग के कारण मर रहे थे लेकिन जब तक जिंदा रहते थे तब तक मौत से डरते नहीं थे। ढोलक की आवाज मौत के दर्द को सहनीय बना देती थी और वे आराम से मरते थे।
प्रश्न 6. महामारी फैलने के बाद गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?
महामारी फैलने के बाद पूरे गाँव की तस्वीर बदल गई थी। सूर्योदय होते ही गाँव में हलचल मच जाती थी। भले ही बीमार लोग रोते थे फिर भी उनके चेहरे पर एक कांति होती थी। सवेरा होते ही गाँव के लोग अपने स्वजनों के पास जाते थे और उन्हें सांत्वना देते थे। जिससे उनका जीवन उत्साहित हो उठता था।
सूर्यास्त होते ही लोग अपनी-अपनी झोपड़ियों में चुपचाप घुस जाते थे। उनकी बोलने की शक्ति भी समाप्त हो जाती थी। रात के समय पूरे गाँव में कोई हलचल नहीं होती थी।
प्रश्न 7. कुश्ती या दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा एवं लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था-
क) ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं है?
अब पहलवानों को कोई भी सम्मान नहीं मिलता। केवल कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में दंगल आयोजित किए जाते हैं। अब राजा-महाराजाओं का जमाना भी नहीं है। उनका स्थान विधायकों एवं सांसद सदस्यों तथì#2366; मंत्रियों ने ले लिया है। उनके पास इन कार्यों के लिए कोई समय नहीं है। दूसरा मनोरंजन के अनेक अन्य साधन अब प्रचलित हो गए हैं।
ख) इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?
कुश्ती या दंगल की जगह अब क्रिकेट, फुटबॉल हॉकी, घुड़दौड़, बैडमिंटन आदि खेल प्रचलित हो गए हैं।
ग) कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?
कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए अनेक उपाय अपनाए जा सकते हैं। दशहरा और होली आदि पर्व पर कुश्ती का आयोजन किया जा सकता है। सरकार की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवानों को पर्याप्त धनराशि तथा सरकारी नौकरी मिलनी चाहिए। इस प्रकार सेना, रेलवे, बैंक और एयरलाइंस आदि में पहलवानों को नौकरी देकर कुश्ती को बढ़ावा दिया जा सकता है।
प्रश्न 8. आशय स्पष्ट करें
आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृथ्वी को जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा सफलता पर खिलखिला कर हँस पड़ते थे।
लेखक अमावस्या की घनी काली रात में चमकते व टूटते हुए तारों की रोशनी पर प्रकाश डालता है। जब भी कोई तारा टूटकर जमीन पर गिरता तो ऐसा लगता मानो वह महामारी से पीड़ित लोगों की दयनीय स्थिति पर सहानुभूति प्रकट करने के लिए आकाश से टूटकर पृथ्वी की ओर दौड़ा चला आ रहा है। लेकिन वह बेचारा कर भी क्या सकता था। दूरी होने के कारण उसकी ताकत और रोशनी नष्ट हो जाती थी। आकाश के दूसरे तारे उसकी असफलता को देखकर मानो हँसने लगते थे। भाव यह है कि कोई भी व्यक्ति महामारी से पीड़ित लोगों की सहायता करने में समर्थ नहीं हो पाता था।
प्रश्न 9. पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए।
1. अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।
उत्तर:- आशय – यहाँ पर रात का मानवीकरण किया गया है गाँव में हैजा और मलेरिया फैला हुआ था। महामारी की चपेट में आकार लोग मर रहे थे। चारों ओर मौत का सन्नाटा छाया था ऐसे में ओस की बूंदें आँसू बहाती सी प्रतीत हो रही थी।
2. अन्य तारे अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
उत्तर:- आशय – यहाँ पर तारों को हँसता हुआ दिखाकर उनका मानवीकरण किया गया है। यहाँ पर तारे मज़ाक उड़ाते हुए प्रतीत हो रहें हैं।

पहलवान की ढोलक


अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न


प्रश्न 1:
'ढोल में तो जैसे पहलवान की जान बसी थी पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर -
लुट्टन सिंह जब जवानी के जोश में आकर चाँद सिंह नामक मैंजे हुए पहलवान को ललकार बैठा तो सारा जनसमूह, राजा और पहलवानों का समूह आदि की यह धारणा थी कि यह कच्चा किशोर जिसने कुश्ती कभी सीखी नहीं है, पहले दाँव में ही देर हो जाएगा। हालाँकि लुट्न सिंह की नसों में बिजली और मन में जीत का जज्बा उबाल खा रहा था। उसे किसी की परवाह न थी। हाँ, ढोल की थाप में उसे एक एक दाँव पेंच का मार्गदर्शन जरूर मिल रहा था। उसी थाप का अनुसरण करते हुए उसने 'शेर के बच्चे को खूब धोया, उठा-उठाकर पटका और हरा दिया। इस जीत में एकमात्र ढोल ही उसके साथ था। अतः जीतकर वह सबसे पहले ढोल के पास दौड़ा और उसे प्रणाम किया।
प्रश्न 2:
'पहलवान की ढोलक कहानी के प्रारंभ में चित्रित प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। इस कथन पर टिप्पणी कजिए।
उत्तर -
कहानी के प्रारंभ में प्रकृति का स्वरूप कहानी की भयावहता की ओर संकेत करता है। रात के भयावह वर्णन में बताया गया है कि चारों तरफ सन्नाटा है। सियारों का क़दन व उल्लू की डरावनी आवाज निस्तब्धता को कभी-कभी भंग कर दी थी। गाँव की झोपड़ियों से कराहने और कै करने की आवाज सुनाई पड़ती थी। बच्चे भी कभी-कभी निर्बल कंठों से माँ-माँ पुकारकर रो पड़ते थे। इससे रात्रि की निस्तब्धता में बाधा नहीं पड़ती थी।
प्रश्न 3:
पहलवान लुट्टन के सुख-चैन भरे दिन का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर -
पहलवान लुट्टन के सुख-चैन के दिन तब शुरू हुए जब उसने चाँद सिंह को कुश्ती में हराकर अपना नाम रोशन किया। राजा ने उसे दरबार में रखा। इससे उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन व राजा की स्नेह दृष्टि मिलने से उसने सभी नामी पहलवानों को जमीन सुंघा दी। अब वह दर्शनीय जीव बन गया। मेलों में वह लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मस्त हाथी की तरह चलता था। हलवाई उसे मिठाई खिलाते थे।
प्रश्न 4
लुट्टन के राज-पहलवान बन जाने के बाद की दिनचय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
लुटून जब राज पहलवान बन गया तो उसकी कीर्ति दूर दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन मिलने से वह राज दरबार का दर्शनीय जीव बन । गया। ठाकुरबाड़े के सामने पहलवान गरजता-'महावीर। लोग समझ लेते पहलवान बोला। मेलों में वह घुटने तक लंबा चोंगा पहनकर तथा अस्त व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह चलता था। मेले के दंगल में वह लैंगोट पहनकर, शरीर पर मिट्टी मलकर स्वयं को साँड़ या भैसा साबित करता रहता था।
प्रश्न 5:
लुट्टन पहलवान का चरित्र-चित्रण कजिए।
अथवा
'पहलवान की ढोलक पाठ के आधार पर लुट्टन का चरित्र चित्रण कजिए।
उत्तर -
लुट्न पहलवान के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं।
1. व्यक्तित्व लुट्टन सिंह लंबा-चौड़ा व ताकतवर व्यक्ति था। वह लंबा चोंगा पहनता था तथा अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधता था। वह इकलौती एवं अनाथ संतान था। अतः उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया था।
2 भाग्यहीन-लुट्टन का भाग्य शुरू से ही खराब था। बचपन में माता-पिता गुजर गए। पत्नी युवावस्था में ही चल बसी थी। उसके दोनों लड़के महामारी की भेंट चढ़ गए। इस प्रकार वह सदैव पीड़ित रहा।
3 साहसी-लुट्टन साहसी था। उसने अपने साहस के बल पर चाँद सिंह जैसे पहलवान को चुनौती दी तथा उसे हराया। उसने 'काला खाँ जैसे पहलवान को भी चित कर दिया। महामारी में भी वह सारी रात ढोल बजाता था।
4. संवेदनशील-लुट्टन में संवेदना थी। वह अपनी सास पर हुए अत्याचारों को सहन नहीं कर सका और पहलवान बन गया। गाँव में महामारी के समय निराशा का माहौल था। ऐसे में वह रात में ढोल बजाकर लोगों में जीने के प्रति उत्साह पैदा करता था।
प्रश्न 6:
'पहलवान की ढोलक' कहानी का प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
'पहलवान की ढोलक कहानी व्यवस्था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अप्रासंगिक हो जाने को रेखांकित करती है। राजा साहब के मरते ही नयी व्यवस्था ने जन्म लिया। पुराने संबंध समाप्त कर दिए गए। पहलवानी जैसा लोकखल समाप्त कर दिया गया। यह 'भारत' पर इंडिया' के छा जाने का प्रतीक है। यह व्यवस्था लोक-कलाकार को भूखा मरने पर मजबूर कर देती है।
प्रश्न 7:
लुट्टन को गाँव वापस क्यों आना पड़ा?
उत्तर -
तत्कालीन राजा कुश्ती के शौकीन थे, परंतु उनकी मृत्यु के बाद विलायत से शिक्षा प्राप्त करके आए राजकुमार ने सत्ता संभाली। उन्होंने राजकाज से लेकर महल के तौर तरीकों में भी परिवर्तन कर दिए&##2404; मनोरंजन के साधर्मों में कुश्ती का स्थान घुड़दौड़ ने ले लिया। अतः पहलवानों पर राजकीय खर्च का बहाना बनाकर उन्हें जवाब दे दिया गया। इस कारण लुट्टन को गाँव वापस आना पड़ा।
प्रश्न 8 :
पहलवान के बेटों की मृत्यु पर गाँव वालों की हिम्मत क्यों टूट गई?
उत्तर -
पहलवान के दोनों बेटे गाँव में फैली महामारी की चपेट में आकर चल बसे। इस घटना से गाँव वालों की हिम्मत टूट गई क्योंकि वे पहलवान को अपना सहारा मानते थे। अब उन्हें लगा कि पहलवान अंदर से टूट जाएगा तथा उनकी सहायता करने वाला कोई नहीं रहेगा।
प्रश्न 9:
'पहलवान की ढोलक' कहानी में किस प्रकार पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या को व्यक्त किया गया है? लिखिए।
उत्तर -
'पहलवान की ढोलक कहानी में पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के टकराव से उत्पन्न समस्या यह है-
1. पुरानी व्यवस्था में कलाकारों और पहलवानों को राजाओं का आश्रय एवं संरक्षण प्राप्त था। वे शाही खर्च पर जीवित रहते थे, पर नई व्यवस्था में ऐसा न था।
2. पुरानी व्यवस्था में राज-दरबार और जनता द्वारा इन कलाकारों को मान सम्मान दिया जाता था, पर नई व्यवस्था में उन्हें सम्मान देने का प्रचलन न रहा।

पहलवान की ढोलक


पठित गद्यांश


निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएप्रश्न 1.
जाड़े का दिन। अमावस्या की रात-ठंडी और काली। मलेरिया और हैजे से पीड़ित गाँव भयात शिशु की तरह थर-थर काँप रहा था। पुरानी और उजड़ी बॉस-फूस की झोपड़ियों में अंधकार और सन्नाटे का सम्मिलित साम्राज्य आँधेरा और निस्तब्धता !
प्रश्न
(क) लेखक किस तरह के मौसम का वर्णन कर रहा है।
(ख) गाँव किससे पीड़ित है?
(ग) गाँव किसके समान काँप रहा है।
(घ) गद्यांश के आधार पर गाँव की आर्थिक दशा का चित्रण कीजिए।
उत्तर -
(क) लेखक सर्दी के दिनों का वर्णन कर रहा है। अमावस्या की रात है। भयंकर ठंड है तथा चारों तरफ अँधेरा है।
(ख) गाँव हैजे व मलेरिया की बीमारी से पीड़ित हैं।
(ग) गाँव मलेरिया व हैजे से पीड़ित है तथा वह भयभीत शिशु की तरह थर-थर काँप रहा है।
(घ) गटांश से ज्ञात होता है कि गाँव की आर्थिक दशा दयनीय थी। घर के नाम पर टूटी-फूटी झोपड़ियाँ थीं जिनमें खुशी का नामोनिशान तक नहीं था।
प्रश्न 2.
अधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी। निस्तब्धता करुण सिसकियों और आहों को बलपूर्वक अपने हृदय में ही दबाने की चेष्टा कर रही थी। आकाश में तारे चमक रहे थे। पृथ्वी पर कहीं प्रकाश का नाम नहीं। आकाश से टूटकर यदि कोई भावुक तारा पृ4 पर जाना चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी। अन्य तारे उसकी भावुकता अथवा असफलता पर खिलखिलाकर हँस पड़ते थे।
प्रश्न
(क) गाँव में ऐसा क्या हो गया था कि आँधेरी रात चुपचाप असू बहा रहीं थीं?
(ख) कहानी में वातावरण निर्माण के लिए लेखक औधरी रात के स्थान पर चाँदनी रात को चुनता तो क्या अंतर आ जाता? स्पष्ट करें।
(ग) उक्त गद्यांश के आधार पर लेखक की भाषा-शैली पर टिप्पणी कीजिए।
(घ) 'निस्तब्धता किसे कहते हैं उस रात की निस्तब्धता क्या प्रयत्न कर रही थी और क्यों?
उत्तर -
(क) गाँव में है व मलेरिया का प्रकोप था। इसके कारण घर-घर में मौतें हो रही थीं। चारों ओर मौत का सन्नाटा था। इसी कारण अंधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी।
ख) कहानी में वातावरण निर्माण के लिए लेखक चाँदनी रात को चुनना तो भाव में अंतर आ जाता। चाँदनी रात प्रेम व योग को । अभिव्यक्ति प्रदान करती है। इससे मनुष्य की व्यथा एवं दयनीय दशा का सफल चित्रण न हो पाता।
(ग) इस गद्याश में लेखक ने चित्रात्मक व आलंकारिक भाषा का प्रयोग किया है। रात का मानवीकरण किया गया है। वह मानव की तरह शोक प्रकट कर रही है। मिश्रित शब्दावली है। खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।
(घ) 'निस्तब्धता का अर्थ है-मीन या गतिहीनता। रात के अंधेरे में सब कुछ शांत हो जाता है। उस रात की निस्तब्धता करुण सिसकियों व आहों को बलपूर्वक दबाने की कोशिश कर रही थी क्योंकि दिन में मौत का तांडव रहता था तथा हर तरफ चीख पुकार होती थी।
प्रश्न 3.
रात्रि अपनी भीषणताओं के साथ चलती रहती और उसकी सारी भीषणता को ताल ठोककर ललकारती रहती थी सिर्फ पहलवान को होलक संध्या से लेकर प्रात काल तक एक ही गति से बाती रहती-चट्-धा, गिड़-था, ' चट्-था, गिड़ धा' यानी 'आ | भिड़ गा, आ जा, भिड़ जा'' बीच-बीच में चटाक्चर्-धा, 'चटाचट्-धा!' यानी 'उठाकर पटक दे! उठाकर पटक दे।' यही आवाज मृत गाँव में संजीवनी भरती रहती थी।
प्रश्न
(क) रात्रि की भीषणताएँ कैसी थीं?
(ख) पहलवान की ढोलक किसको ललकारती थी?
(ग) पहलवान की ढोलक के मज़ने का क्या समय था?
घ) ढोलक की कौन - सी आवाज क्या असर दिखाती थी?
उत्तर -
(क) लेखक ने रात्रि की भीषणताओं के बारे में बताते हुए कहता है कि जाड़े की अमावस्या की रात थी। मलेरिया व है) का प्रकोप था। चारों तरफ निस्तब्धता थी।
(ख) पहलवान की ढोलक रात्रि की भीषणता को ताल ठोककर ललकारती थी। वह एक ही गति से बजती रही थी।
(ग) पहलवान की ढोलक बजने का समय संध्या से प्रातःकाल तक का था।
(घ) ढोलक की आवाज थी घट धा, गिड़ धा यानी आ जा भिड़ जा। बीच बीच में 'धटाई थट् था' यानी उठाकर पटक 2' की आवाज आती थी। यह आवाज मृत गाँव में जीवन-आशा का संचार करती थी।
प्रश्न 4.
लुटुन के माता पिता उसे नौ वर्ष की उम्र में ही अनाथ बनाकर चल बसे थे। सौभाग्यवश शादी हो चुकी थीं, वरना वह भी माँ बाप का अनुसरण करता। विधवा सास ने पाल-पोसकर बड़ा किया। बचपन में वह गाय चराना, धारोष्ण दूध पीता और कसरत किया करता था। गाँव के लोग उसकी सास को तरह-तरह की तकलीफ़ दिया करते थे, लुट्न के सिर पर कसरत की धुन लोगों से बदला लेने के लिए ही सवार हुई।
प्रश्न
(क) लुटून कौन था? उसका नाम क्यों पैला था?
(ख) नौ वर्ष की उम्र में विवाह हो जाना लुटन का सौभाग्य क्यों था?
(ग) धारण दूध से क्या तात्पर्य है? बचपन में लुदृटन और यया क्या काम किया करता था।
(घ) कसरत करके पहलवान बनने की इच्छा उसके मन में क्यों पैदा हुई थी?
उत्तर -
(क) लट्टन वह बाल था जिसके माँ बाप उस समय मर गए थे जब वह मात्र नौ बरस का था। उसका पालन-पोषण उस दिधवा सास ने किया। उसने चाँद सिंह जैसे प्रसिद्ध पहलवान को हराकर राज पहलवान बनने का गौरव प्राप्त किया था। इस कारण उसका नाम फेला था।
(ख) लुट्टन का विवाह नौ वर्ष की आयु में हो गया था। लेखक इसे उसका सौभाग्य कहता है क्योंकि इस आयु में उसके माँ-बाप गुजर चुके थे। उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था। वह भी मौत के आगोश में समा जाता। विवाह होने के कारण उसकी विधवा सास ने उसे पाला पोसा।
(ग) इसका अर्थ है-धार का गरम दूध। बचपन में लुट्न गाय चराता था तथा कसरत करता था।
(घ) लट्टन की सास को गाँव के लोग तरह-तरह की तकलीफें देते थे। वह उनसे बदला लेना चाहता था इसलिए कसरत करके पहलवान बनने की इच्छा उसके मन में पैदा हुई।
प्रश्न 5.
एक बार वह 'दंगल देखने श्यामनगर मेला गया। पहलवानों की कुर्ती और दाँव-पेंच देखकर उससे नहीं रहा गया। जवानी की मस्ती और ढोल की ललकारती हुई आवाज ने उसकी नसों में बिजली उत्पन्न कर दी। उसने बिना कुछ सोचे-समझे दंगल में 'शेर के बच्चे को चुनौती दे दी। 'शेर के बच्चे का असल नाम था चाँद सिंह। वह अपने गुरु पहलवान बादल सिंह के साथ पंजाब से पहले-पहल श्यामनगर मेले में भाया था। सुंदर जवान, अंग मांग से सुंदरता टपक पड़ती थी। तीन दिन में ही पंजाबी और पठान पहलवानों के गिरोह के अपनी जोड़ी और उम्र के सभी पड़ों को पछाड़कर उसने शेर के बच्चे की टायटिल प्राप्त कर ली थी। इसलिए वह दंगल के मैदान में लैंगोट लगाकर एक अजीब किलकारी भरकर छोटी दुलकी लगाया करता था। देशी नौजवान पहलवान उससे लड़ने की कल्पना से भी घबराते थे। अपनी टायटिल को सत्य प्रमाणित करने के लिए ही चाँद सिंह बीच-बीच में दहाड़ता फिरता था।
प्रश्न
(क) प्रथम पंक्ति में वह कौन है? वह कहाँ गया और उस पर क्या प्रभाव पड़ा?
(ख) बिजली उत्पन्न होना' का आशय व्यताइए। इसका कारण क्या था?
(ग) शैर का बच्चा कौन था? उसने यह टायटल कैसे प्राप्त किया?
(घ) चाँद सिंह अपने टायटिल को सत्य प्रमाणित करने के लिए क्या करता था?
उत्तर -
(क) वह लुट्न पहलवान है। वह श्यामनगर मेले में दंगल देखने गया। वहीं पहलवानों की कुश्ती व दाँव पेंच देखकर उसमें जोश भर गया।
(ख) बिजली उत्पन्न होना' का अर्थ है प्रबल जोश उत्पन्न होना। जवानी की मस्ती व ढोल की ललकारती हुई आवाज ने लुटुन की बों में जोश भर दिया।
(ग) 'शेर का बच्चा पहलवान बादल सिंह का शिष्य चाँद सिंह था। वह पंजाब से आया था। उसने तीन दिन में ही पंजाबी य पठान पहलवानों की टोली में अपनी जोड़ी व उम्र के पहलवानों को हराकर यह टायटिल प्राप्त किया।
(घ) धाँद सिंह दंगल के मैदान में लैंगोट बाँधकर अजीब किलकारी भरकर छोटी दुली लगाया करता था। वह बीच बीच में हाता भी था।
प्रश्न 6.
शांत दर्शकों की भीड़ में खलबली मच गई पागल है पागल, मरा- म मरा!" पर वाह रे बहादुर लुट्न वा सफाई से आग को सँभालकर निकलकर उठ खड़ा हुआ और पैतरा दिखाने लगा। राजा साहब ने कुश्ती बंद करवाकर लुट्टन को अपने पास बुलवाया और समझाया। अंत में उसकी हिम्मत की प्रशंसा करते हुए, दस रुपये का नोट देकर कहने लगे-जाओ, मेला देखकर घर जाओ!"
प्रश्न
(क) शांत दर्शकों में खलबली मचने का क्या कारण था?
(ख) लड़न पर किसने आक्रमण किया? उसने क्या प्रतिक्रिया जताई।
(ग) राजा साहब ने कुश्ती बीच में क्यों रुकवा दी?
(घ) राजा साहब ने लुट्न को क्या नसीहत दी?
उत्तर -
(क) लुटून ने मेले के मशहूर पहलवान चौंद सिंह को चुनौती दी थी। चाँद सिंह को चुनौती देना तथा उससे कुश्ती लड़ना हँसी-खेल न धा इसलिए शांत दर्शकों की भीड़ में खलबली मच गई।
(ख) लुड़न पर चाँद सिंह ने आक्रमण किया। लुट्टन बड़ी सफ़ाई से आक्रमण को सँभालकर उठ खड़ा हुआ और पैंतरा दिखाने लगा।
(ग) राजा साहब चाँद सिंह की कुश्ती के बारे में जानते थे। वह पहले ही 'शेर के बच्चे की उपाधि प्राप्त कर चुका था। लुट्न पहली बार दंगल लड़ा था, इसलिए राजा साहब ने कुश्ती बीच में रुकवा दी।
(घ) राजा साहब ने लुटून को दस रुपये का नोट दिया, उसकी हिम्मत की प्रशंसा की तथा मेला देखकर घर जाने के की नसीहत दी।
प्रश्न 7,
भीड़ अधीर हो रही थी। बाजे बंद हो गए थे। पंजामी पहलवानों की जमायत क्रोध से पागल होकर लुट्टन पर गालियों की बौछार कर रही थीं। दर्शकों की मंडली उत्तेजित हो रही थी। कोई कोई लुट्टन के पक्ष से चिल्ला उठता था उसे लड़ने दिया जाए।
प्रश्न
(क) भीड़ की अधीरता का क्या कारण था?
(ख) लुटून पर गालियों की बौछार कौन कर रहा था? क्यों?
(ग) दशर्को की मंडली उत्तेजित क्यों हो रही थीं।
(घ) लुटून के पक्ष में एक-दो दशक ही क्यों चिल्ला रहे थे?
उत्तर -
(क) लसिक इंग्लक चुद थी भी नोक कुश्त देना वाहता थी इसाल वाहअर रही थी।
(ख) शिकार प्रिय वृद्ध राजा साहब पंजाब के पहलवान चाँद सिंह की ख्याति से प्रभावित होकर उसे अपने दरबार में रखने की बात सोच रहे थे। इसीलिए पंजाबी पहलवानों का वर्ग लुटून की चाँद सिंह को दी गई चुनौती की प्रतिक्रियास्वरूप लुटून पर गालियों की बार कर रहा था। लुटून की चुनौती से उनके हाथ से मौका निकल सकता था इसलिए वे क्रोधित होकर उसे गालियाँ दे रहे थे।
(ग) दर्शकों की मंडली इसलिए उत्तेजित हो रही थी क्योंकि लुट्न नया पहलवान था जबकि चाँद सिंह प्रसिद्ध पहलवान था। असमान मुकाबले को देखने के लिए दर्शकों में उत्सुकता थी।
(घ) जुन पहलवानी के क्षेत्र में अपरिचित नाम था। उसे कोई-कोई ही जानता था, इसलिए एक-दो लोग ही उसका उत्साहवर्धन क थे।
प्रश्न 8,
पंजाबी पहलवानों की जमायत चाँद सिंह की आँखें पोंछ रहीं थीं। लुट्टन को राजा साहब ने पुरस्कृत ही नहीं किया, अपने दरबार में सदा के लिए रख लिया। तब से लुटून राज-पहलवान हो गया और राजा साहब उसे लुट्न सिंह कहकर पुकारने लगे। राज-पद्धती ने मुँह विधकाया 'हुजूर जाति का - - - - - सिंह ---- A " मैनेजर साहब क्षत्रिय थे। वलीन शेड' चेहरे को संकुचित करते हुए, अप। शक्ति लगाकर नाक के बाल उखाड़ रहे थे। चुटकी से अत्याचारी बाल को रगड़ते हुए बोले-हाँ सरकार यह अन्याय है!” राजा साहब ने मुसकुराते हुए सिर्फ इतना ही कहा-उसने क्षत्रिय का काम किया है। उसी दिन से लुटून सिंह पहलवान की कीर्ति दूर-दूर तक फैल गई। पौष्टिक भोजन और व्यायाम तथा राजा साहब की स्नेह-दृष्टि ने उसकी प्रसिद्ध में चार चाँद लगा दिए। कुछ वर्षों में ही उसने एक-एक कर सभी नामी पहलवानों को मिट्टी सुंघाकर भासमान दिखा दिया।
प्रश्न
(क) कौन किसकी आँखें पोंछ रहा था और वय
(ख) लुट्टन सिंह का विरोध किसने किया और क्यों?
(ग) लुटून के विरोध से तत्कालीन समाज की किस बुराई का पता चलता हैं?
(घ) लुट्नं की कॉर्ति दूर दूर तक कैसे फैल गई?
उत्तर -
(क) पंजाबी पहलवानों की जमात चाँद सिंह की आँखें पोंछ रही थी क्योंकि चाँद सिंह को लुटून ने हरा दिया था। इस हार के कारण उसे राज-पहलवान का दर्जा नहीं मिला। फलत वह दुखी था।
(ख) लुट्टन सिंह का विरोध राज-पंडितों और मैनेजर ने किया। ये दोनों उच्च जाति के थे तथा लुटून नीच जाति का था। वे क्षत्रिय या ब्राहमण को राज पहलवान बनाना चाहते थे।
(ग) लुट्टन का विरोध करने से पता चलता है कि उस समय क्षेत्रवाद के साथ-साथ जाति प्रथा जोरों पर थी। निम्न जाति के व्यक्ति को सरकारी पद व लाभ से दूर रखा जाता था।
(घ) लट्टन ने चाँद सिंह जैसे प्रसिद्ध पहलवान को हरा दिया। राज दरबार में रहकर उसने एक एक करके भी नामी पहलवा- को चित कर दिया। इससे उसकी प्रसिद्ध दूर-दूर तक फैल गई।
प्रश्न 9,
मेलों में वह घुटने तक लंबा चोंगा पहने, अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी की तरह झूमता चलता। दुकानदारों को चुहल करने की सूझती। हलवाई अपनी दुकान पर बुलाता-पहलवान काका! ताजा रसगुल्ला बना है, जरा नाश्ता कर लो!' पहलवान बच्चों की-सी स्वाभाविक हँस हँसकर कहता-'आरे तन-मनी काहे। ले आव डेढ़ सेर।' और बैठ जाता।
प्रश्न
(क) मेले में जुट्टन सिंह क्या पहनता था?
(ख) दुकानदार उसके साध क्या करते थे?
(ग) हलवाई उसे क्यों बुलाता था?
(घ) हलवाड़ के बुलाने पर तुइन की क्या प्रतिक्रिया होती?
उत्तर -
(क) मेले में लड़न सिंह घुटने तक लंबा गा पहनकर अस्त-व्यस्त पगड़ी बाँधकर मस्त हाथी की तरह झुमती लता था।
(ख) दुकानदार उसके साथ चुहलबाजी करते थे।
(ग) हलवाई उसे दुकान पर बुलाता और उसे ताजे रसगुल्ले का नाश्ता करने के लिए कहता था।
(घ) हलवाई द्वारा नाश्ते का निमंत्रण पाकर लुट्न बच्चों की तरह खुश होता और थोड़ा नहीं बल्कि डेढ़ सेर रसगुल्ले लेकर खाने बैठ जाता।
प्रश्न 10,
दोनों ही लड़के राज-दरबार के भावी पहलवान घोषित हो चुके थे। अतः दोनों का भरण-पोषण दरबार से ही हो रहा था। प्रतिदिन प्रात काल पहलवान स्वयं ढोलक बाजा-बजाकर दोनों से कसरत करवाता। दोपहर में, लेटे-लेटे दोनों को सांसारिक ज्ञान की भी शिक्षा देता-समझे। ढोलक की आवाज पर पूरा ध्यान देना। हाँ, मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही झोल है, समझे! ढोल की आवाज के प्रताप से ही में पहलवान हुआ। दंगल में उतरकर सबसे पहले ढोलों को प्रणाम करना, समझे!” ऐसी ही बहुत-सी बातें बह कहा करता। फिर मालिक को कैसे खुश रखा जाता है, कब कैसा व्यवहार करना चाहिए, आदि की शिक्षा वह नित्य दिया करता था।
प्रश्न
(क) पहलवान के बटों का भरण-पोषण राज-दरबार से क्यों होता था?
(ख) पहलवान अपने पुत्रों को बया शिक्षा दिया करता था?
(ग) लुट्न किस अपना गुरु मानता था और क्यों?
(घ) आज गाँवों में अखाड़ समाप्त हो रहे हैं, इसके क्या कारण हो सकते हैं।
उत्तर -
(क) पहलवान के बेटों का भरण-पोषण राज-दरम्यार से इसलिए होता था क्योंकि लुट्टन राज-पहलवान घोषित हो चुका था। उसने चाँद पहलवान को हराकर राजा का दिल जीत लिया था।
(ख) पहलवान अपने पुत्रों को शिक्षा देता था कि ढोल की आवाज पर पूरा ध्यान देना। दंगल में उतरकर सबसे पहले ढोल को प्रणाम करना। इसके अलावा वह मालिक को खुश रखने का उपाय भी बताता था।
(ग) लुट्न अपना गुरु ढोल को इसलिए मानता था क्योंकि उसने जो भी धन, प्रतिष्ठा और प्रसिद्ध पाई थी उसमें ढोल का बड़ा योगदान था।
(घ) भाज गाँवों में पहलवानों को दर सरकार न मिलना, लोगों के पास समयाभाव होना, शुशी को आदर-सम्मान न देना तथा अखाड़ों से अच्छी आय का साधन न बन पाने के कारण गाँवों से अखाड़े समाप्त हो रहे हैं।
प्रश्न 11.
किंतु उसकी शिक्षा-दीक्षा, सब किए-किराए पर एक दिन पानी फिर गया। वृद्ध राजा स्वर्ग सिधार गए। नए राजकुमार ने विलायत से आते ही राज्य को अपने हाथ में ले लिया। राजा साहब के समय शिथिलता आ गई थी, राजकुमार के आते ही दूर हो गई। बहुत से परिवर्तन हुए। उन्हीं परिवर्तनों की चपेटामात में पड़ा पहलवान भी। दंगल का स्थान घोड़े की रेस ने लिया। पहलवान तथा दोनों भावी पहलवानों का दैनिक भोजन व्यय सुनते ही राजकुमार ने कहा 'टैरिबुल!" नए मैनेजर साहब ने कहा " पहलवान को साफ जवाब मिल गया, राज दरबार में उसकी आवश्यकता नहीं। उसको गिड़गिड़ाने का भी मौका नहीं दिया गया।
प्रश्न
(क) पहलवान के किए-कराए पर पानी क्यों फिरा?
(ख) सस्ता परिवर्तन के क्या परिणाम हुए?
(ग) पहलवान को राज्याश्रय क्यों नहीं मिला?
(घ) मैनेजर ने लुटून को कैसे निकाला
उत्तर -
(क) पुराने राजा ने लुट्टन को राज-पहलवान बनाया था। यहाँ पर लुट्न पंद्रह वर्ष से अपने लड़कों को शिक्षा-दीक्षा देकर भावी पहलवान बनाना चाहता था, परंतु राजा की मृत्यु होते ही उसकी सारी योजना फेल हो गई। नए राजा ने उसे निकाल दिया।
(ख) सत्ता परिवर्तन होते ही नए राजकुमार ने विलायती ढंग से शासन शुरू किया। उसने पहलवानी की जगह धो की रेरा को बढ़ावा दिया, प्रशासनिक शिथिलता को दूर किया और राज-पहलवान को राज-दरबार से हटा दिया।
(ग) पहलवान व उसके भावी पहलवानों का दैनिक भोजन-व्यय अधिक था। दूसरे, नए राजा की रुचि दंगल में नहीं थी। इसलिए पहलवान को राज्यालय नहीं मिला।
(प) मैनेजर नीच जाति के लुट्न से पहले ही चिढ़ते थे। नए राजा को पहलवानों का शौक नहीं था। अतः जब उसने पहलवानों के व्यय पर एतराज जताया तो मैनेजर ने इनकी बात का समर्थन तथा इनके खर्च को होरीबुल' बताकर पहलवानों को दरबार से हटा दिया।
प्रश्न 12.
रात्रि की विभीषिका को सिर्फ पहलवान की ढोलक ही ललकारकर चुनौती देती रहती थी। पहलवान संध्या से सुबह तक, चाहे जिस खयाल से ढोलक बजाता हो, किंतु गाँव के अद्धमृत, औषधिद्धपचार-पथ्य विहीन प्राणियों में यह संजीवनी शक्ति ही भरती थी। बूढे बने जवानों की शक्तिहीन आँखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था। स्पंदन-शक्तिशून्य स्नायुओं में भी बिजली दौड़ जाती थी। भाश्य ही ढोलक की आवाज में न तो बुखार हटाने का कोई गुण था और न महामारी की सर्वनाश शक्ति को रोकने की शक्ति ही, पर इसमें संदेह नहीं कि मरते हुए प्राणियों को आँख मूंदते समय कोई तकलीफ़ नहीं होती थी, मृत्यु से वे डरते नहीं थे।
प्रश्न
(क) गटाश में रात्रि की किस विभीषिका की चर्चा की गई है? ढोलक उसको किस प्रकार की चुनौती देती थी।
(ख) किस प्रकार के व्यक्तियों को ढोलक से राहत मिलती थी? यह राहत कैसी ?
(ग) दंगल के दृश्य से लेखक का क्या अभिप्राय है? यह दृश्य लोगों पर किस तरह का प्रभाव डालता था?
(घ) पहलवान को ढोलक की आवाज कैसे लोगों में संजीवनी शक्ति भरती थी?
उत्तर -
(क) गटाश में महामारी की विभीषिका की चर्चा की गई है। ढोलक की आवाज मन में उत्साह पैदा करती थी जिससे मनुष्य महामारी से निपटने को तैयार होता था।
(ख) ढोलक से महामारी के कारण अद्र्धमृत, औषधे और उपचार विहीन लोगों को राहत मिलती थी। उसकी आवाज सुनकर उनके शरीरों में दंगल जीतने का दृश्य साकार हो उठता था।
(ग) लुट्टन ढोलक की आवाज के बल पर ही दंगल जीता था। उस दृश्य को याद करके लोग उत्साह से भर उठते थे। वह उन्हें बीमारी से लड़ने की प्रेरणा देता था।
(घ) पहलवान को ढोलक की आवाज गाँव के अद्धमृत औषधि उपचार-पथ्य-विहीन प्राणियों में संजीवनी शक्ति ।
प्रश्न 13.
उस दिन पहलवान ने राजा श्यामानंद की दी हुई रेशमी जाँघिया पहन ली। सारे शरीर में मिट्टी मलकर थोड़ी कसरत की, फिर दोनों पुत्रों को कंधों पर लादकर नदी में बहा आया। लोगों ने सुना तो दंग रह गए। कितनों की हिम्मत टूट गई। किंतु, रात में फिर पहलवान की ढोलक की आवाज प्रतिदिन की भाँति सुनाई पड़ी। लोगों की हिम्मत दुगुनी बढ़ गई। संतप्त पिता-माताओं ने कहा-'दोनों पहलवान बेटे मर गए, पर पहलवान की हिम्मत तो देखो, डेढ़ हाथ का कलेजा है!” चार-पाँच दिनों के बाद। एक रात को ढोलक की आवाज नहीं सुनाई पड़ी। ढोलक नहीं बोली। पहलवान के कुछ दिलेर, किंतु रुग्ण शिष्यों ने प्रात.काल जाकर देखा-पहलवान की लाश 'चित पड़ी है। आँसू पोंछते हुए एक ने कहा-गुरु जी कहा करते थे कि जब मैं मर जाऊँ तो चिता पर मुझे चित नहीं, पेट के बल सुलाना। मैं जिंदगी में कभी चित नहीं हुआ। और चिता सुलगाने के समय ढोलक बजा देना।' वह आगे बोल नहीं सका।
प्रश्न
(क) पहलवान ने अपने बच्चों का अतिम संस्कार कैसे किया?
(ख) लोग पहलवान की किस बात पर हैरान थे?
(ग) पहलवान की ढोलक बजनी बद क्यों हो गई?
(घ) पहलवान की अंतिम इच्छा क्या थी?
उत्तर -
(क) बीमारी से पहलवान के दोनों लड़के चल बसे। उस दिन उसने राजा श्यामानंद की दी हुई रेशमी जाँघिया पहनी, सारे शरीर पर मिट्टी मलकर थोड़ी कसरत की तथा फिर दोनों पुत्रों को कंधों पर लादकर नदी में बहा आया।
(ख) लोग पहलवान की आत्मशक्ति देखकर हैरान थे। दोनों जवान पुत्रों की मृत्यु पर भी वह हिम्मत नहीं हारा था। उसने रोज की तरह रात भर ढोलक बजाई। लोगों ने उसके कलेजे को डेढ़ हाथ का बताया। वे उसकी हिम्मत की दाद देते थे।
(ग) एक रात पहलवान के ढोलक की आवाज नहीं सुनाई दी। शिष्यों ने सुबह जाकर देखा तो पहलवान की मृत्यु हो चुकी थी।
(घ) पहलवान की अंतिम इच्छा थी कि मरने के बाद उसे चिता पर पेट के बल लिटा दिया जाए क्योंकि वह जीवन में कभी 'चित' नहीं हुआ। इसके अलावा चिता सुलगाने के समय ढोलक बजाया जाए।

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