NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 बादल राग

बादल राग Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions
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Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 CBSE NCERT Solutions
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
---|---|
Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12th Class |
Subject: | Hindi Aroh |
Chapter: | 7 |
Chapters Name: | बादल राग |
Medium: | Hindi |
बादल राग Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions
You can refer to MCQ Questions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 बादल राग to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.
बादल राग
(अभ्यास-प्रश्न)
प्रश्न 1. 'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' पंक्ति में दुख की छाया किसे कहा गया और क्यों?
'अस्थिर सुख पर दुख की छाया' पंक्ति में दुख की छाया क्रांति अथवा विनाश का प्रतीक है। सुविधा भोगी लोगों के पास सुख के अनेक साधन होते हैं। इसलिए वे क्रांति से हमेशा डरे रहते हैं। क्रांति से पूँजीपतियों को हानि होगी, गरीबों को नहीं। इसलिए कवि ने अमीर लोगों के सुख को अस्थिर कहा है। क्रांति की संभावना ही दुख की वह छाया है जिससे वे हमेशा डरे रहते हैं। यही कारण है कि दुख की छाया का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 2. अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर- पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया गया है?
'अशनि पात से शापित उन्नत शत शत वीर' पंक्ति में क्रांति विरोधी अभिमानी पूँजीपतियों की ओर संकेत किया गया है जो क्रांति को दबाने का भरसक प्रयास करते हैं। परंतु क्रांति के वज्र के प्रहार से घायल होकर वे क्षत विक्षत हो जाते हैं। जिस प्रकार बादलों के द्वारा किए गए अशनि पात से पर्वतों की ऊँची-ऊँची चोटियाँ क्षत विक्षत हो जाती है उसी प्रकार क्रांति की मारकाट से बड़े बड़े पूँजीपति तथा वीर लोग की धरती चाटने लगते हैं।
प्रश्न 3. विप्लव रव से छोटे ही शोभा पाते -पंक्ति में विप्लव-रव से क्या तात्पर्य है? छोटे ही शोभा पाते ऐसा क्यों कहा गया है?
'विप्लव-रव' से तात्पर्य है- क्रांति की गर्जना। क्रांति से समाज के सामान्य जन को ही लाभ प्राप्त होता है। उससे सर्वहारा वर्ग का विकास होता है क्योंकि क्रांति शोषकों और पूँजीपतियों के विरुद्ध होती है। संसार में जहाँ कहीं क्रांति हुई है, वहाँ पूँजीपतियों का विनाश हुआ है और गरीब तथा अभावग्रस्त लोगों की आर्थिक हालत सुधरी है। इसलिए कवि ने इस भाव के लिए 'छोटे ही है शोभा पाते' आदि शब्दों का प्रयोग किया है।
प्रश्न 4. बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती है?
बादलों के आगमन से प्रकृति में असंख्य परिवर्तन होते हैं। पहले तो तेज हवा चलने लगती है और बादल गरजने लगते हैं। उसके बाद मूसलाधार बरसात होती है। बिजली के गिरने से ऊँचे ऊँचे पर्वतों की चोटियों क्षत विक्षत हो जाती है परंतु छोटे-छोटे पौधे वर्षा का पानी पाकर प्रसन्नता से खिल उठते हैं।
प्रश्न 5.1 व्याख्या कीजिए
तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-
उत्तर:- कवि बादल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे क्रांति दूत रूपी बादल। तुम आकाश में ऐसे मंडराते रहते हो जैसे पवन रूपी सागर पर नौका तैर रही हो। छाया ‘उसी प्रकार पूंजीपतियों के वैभव पर क्रांति की छाया मंडरा रही है इसीलिए कहा गया है ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’।
कवि ने बादलों को विप्लवकारी योद्धा, उसके विशाल रूप को रण-नौका तथा गर्जन-तर्जन को रणभेरी के रूप में दिखाया है। कवि कहते है कि हे बादल! तेरी भारी-भरकम गर्जना से धरती के गर्भ में सोए हुए अंकुर सजग हो जाते हैं अर्थात् कमजोर व् निष्क्रिय व्यक्ति भी संघर्ष के लिए तैयार हो जाते हैं।
प्रश्न 5.2 व्याख्या कीजिए
अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन
उत्तर:- कवि कहते है कि पूँजीपतियों के ऊँचे-ऊँचे भवन मात्र भवन नहीं हैं अपितु ये गरीबों को आतंकित करने वाले भवन हैं। इसमें रहनेवाले लोग महान नहीं हैं। ये तो भयग्रस्त हैं। जल की विनाशलीला तो सदा पंक को ही डुबोती है, कीचड़ को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। उसी प्रकार क्रांति की ज्वाला में धनी लोग ही जलते है, गरीबों को कुछ खोने का डर ही नहीं।
बादल राग
(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
1. बादल राग’ कविता में कवि ने बादलों के बहाने क्रांत का आहवान किया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
उत्तर -
'विप्लव-रव' से तात्पर्य है-क्रांति का स्वर। क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है। अतः क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।
2. क्रांति की गर्जना का शोषक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है? उनका मुख ढंकना किस मानसिकता का द्योतक है?"बादल राग कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर -
शोषक वर्ग ने आर्थिक साधनों पर एकाधिकार जमा लिया है, परंतु क्रांति की गर्जना सुनकर वह अपनी सत्ता को खत्म होते देखता है। वह बुरी तरह भयभीत हो जाता है। उसकी शांति समाप्त हो जाती है। शोषक वर्ग का मुख ढाँकना उसकी कमजोर स्थिति को दर्शाता है। क्रांति के परिणामों से शोषक वर्ग भयभीत है।
3, "बादल राग ‘जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
‘बादल राग' कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में । करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा सूखा और मुरझाया सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे अधिक उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।
4, बादल राग ‘कविता में ऐ विप्लव के वीर/किसे कहा गया हैं और क्यों?
उत्तर -
‘बादल राग’ कविता में 'ऐ विप्लव के वीर!बादल को कहा गया है। बादल घनघोर वर्षा करता है तथा बिजलियाँ गिराता है। इससे सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति आने से बुराई रूपी कीचड़ समाप्त हो जाता है तथा आम व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है।
5. बादल राग' शीर्षक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर -
‘बादल राग' क्रांति की आवाज का परिचायक है। यह कविता जनक्रांति की प्रेरणा देती है। कविता में बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं, उसी प्रकार क्रांति होने से आम आदमी को विकास के नए अवसर मिलते हैं। कवि बादलों का बारिश करने या क्रांति करने के लिए करता है। यह शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप है। अतः यह शीर्षक सर्वथा उचित है।
बादल राग
(पठित काव्यांश)
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
तिरती हैं समीर सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया
जगळे दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकांक्षाओं से
धन्, भेरी-गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
उर में पृथ्वी के, आशावों से
नवजीवन की ऊँचा कर सिर,
तक रहे हैं, ऐ विप्लव के बादल
प्रश्न
(क) कवि किसका आहवान करता हैं क्यों?
(ख) यह तेरी रण-तरी भरी आकांक्षाओं से ' का भाशय स्पष्ट कीजिए।
(ग) अस्थिर सुख पर दुख की छाया-पंक्ति का अर्थ बताइए।
(घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर किसका क्या प्रभाव पड़ता हैं?
उत्तर -
(क) कवि बादल का आहवान करता है क्योंकि वह उसे क्रांति का प्रतीक मानता है। बादल बरसने से आम जनता को राहत मिलती है। तथा बिजली गिरने से विशिष्ट वर्ग खत्म होता है।
(ख) इस पंक्ति का आशय यह है कि जिस प्रकार युद्ध के लिए प्रयोग की जाने वाली नाव विभिन्न हथियारों से सज्जित होती है उसी प्रकार बादलों की युद्धरूपी नाव में जन साधारण की इच्छाएँ या मनोवांछित वस्तुएँ भरी हैं जो बादलों के बरसने से पूरी होंगी।
(ग) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि जिस प्रकार वायु अस्थिर है, बादल स्थायी है, उसी प्रकार मानव जीवन में सुख अस्थिर होते हैं तथा दुख स्थायी होते हैं।
(घ) पृथ्वी में सोए हुए अंकुरों पर बादलों की गर्जना का प्रभाव पड़ता है। गर्जना सुनकर वे नया जीवन पाने की आशा रो सिर ऊँचा करके प्रसन्न होने लगते हैं।
प्रश्न 2.
फिर-फिर
बार-बार गर्जन
वर्षण है मूसलधार
हृदय थाम लेता संसार
सुन-सुन घोर वज़-हुंकार।
अशनि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर
क्षत-वानं हतं अचल-शरीर
गगन पश/ स्पद्धा धीर।
हैंसते हैं छोटे पौधे लघुभार
अस्य अमर
हिल-हिल,
येल-खिल
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
विप्लव-व से छोटे ही हैं शोभा पाते।
प्रश्न
(क) संसार के भयभीत होने का क्या कारण हैं.
(ख) क्रांति की गर्जना पर कौन है?
(ग) गगन-स्पर्शी स्पद्धा-धीर- कौन है?
(घ) लाभार शस्य पार जिनके प्रतीक हैं। वे बादलों का स्वागत किस प्रकार करते हैं?
उत्तर -
(क) बादल भयंकर मूसलाधार बारिश करते हैं तथा वज्र के समान कठोर गर्जना करते हैं। इस भीषण गर्जना को सुनकर प्रलय की आशंका से संसार भराभौत हो जाता है।
(ख) कांति की गर्जना से निम्न वर्ग के लोग हैंसते हैं क्योंकि इस क्रांति से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता, अपितु उनका शोषण समाप्त हो जाता है। उन्हें उनका खोया अधिकार मिल जाता है।
(ग) गगन-स्पर्शी स्पद्धा धीर वे पूँजीपति लोग हैं जो अत्यधिक धन कमाना चाहते हैं। वे संसार के अमीरों में अपना नाम दर्ज कराने केनलिए होड़ लगाए रहते हैं।
(घ) लघुभार वाले छोटे-छोटे पौधे किसान-मजदूर वर्ग के प्रतीक हैं। वे झूम-झूमकर खुश होते हैं तथा हाथ हिला-हिलाकार बादलों का स्वागत करते हैं।
प्रश्न 3.
अट्टालिका नहीं है ?
आंतक भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लवन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजं से
सदा छलकता नीर
रोग-शोक में भी हसता है।
शैशव का सुकुमार शरीर
रुद्ध कोष हैं सुब्ध तोष ।
अंग अग सो लिपटे भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी वज्र गर्जन से बादल
त्रस्त नयन मुख ढाँप रहे हैं।
प्रश्न
(क) पंक और अट्टालिका किसके प्रतीक है?
(ख) शैशव का सुकुमार शरीर किसमें हँसता रहता हैं।
(ग) धनिक वर्ग के लोग किससे भयभीत हैं वे भयभीत होने पर क्या कर रहे हैं?
(घ) कवि ने भय को कैसे वर्णित किया है?
उत्तर -
(क) 'पक आम आदमी का प्रतीक है तथा अट्टालिका शोषक पूँजीपतियों का प्रतीक है।
(ख) शैशव का सुकुमार शरीर रोग व शोक में भी हँसता रहता है। दूसरे शब्दों में, निम्न वर्ग कष्ट में भी प्रसन्न रहता है।
(ग) फूलोगांतो भावी हैं। वे अपान पिलयों कागदमें लोहुएहैं तथा भायरोअन आ व मैं को बैंक रहे हैं।
(घ) कवि ने बादलों की गर्जना से धनिकों की राखी जिंदगी में खलल दिखाया है। वे सुख के क्षणों में भी भय से काँप रहे हैं। इस प्रकार भय का चित्रण सटीक व सजीव है।
प्रश्न 4.
रुद्ध कोष है क्षुब्ध तोष
अंगना-अग से लिपट भी
आतंक अंक पर कॉप रहे हैं।
धनी वज़-गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख ढाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु है शीर्ण शरीर
तुझे बुलाता कृषक अधीर
ऐ विप्लव के वीर
चूस लिया हैं उसका सार
धनी वज़-गजन से बादल।
हे जीवन के पारावार
प्रश्न
(क) विप्लव के वीर” किसे कहा गया हैं उसका आहवान क्यों किया जा रहा हैं?
(ख) कवि ने किसकी दुर्दशा का वर्णन किया है?
(ग) भारतीय कृषक की दुर्दशा के बारे में बताइए।
(घ) जीवन के पारावार किसे कहा गया हैं तथा क्यों?
उत्तर -
(क) विप्लव के वीर बादल को कहा गया है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति द्वारा विषमता दूर करने तथा किसानमजदूर वर्ग का जीवन खुशहाल बनाने के लिए उसको बुलाया जा रहा है। किसान और मजदूर वर्ग की दुर्दशा का कारण पूँजीपतियों द्वारा उनका शोषण किया जाना है।
(ख) कवि ने भारतीय किसान की दुर्दशा का वर्णन किया है।
(ग) भारतीय कृषक पूरी तरह शोषित है। वह गरीब व बेसहारा है। शोषकों ने उससे जीवन की सारी सुविधाएँ छीन ली हैं। उसका शरीर हड्डयों का ढाँचा मात्र रह गया है।
(घ) जीवन के पारावार बादल को कहा गया है। बादल वर्षा करके जीवन को बनाए रखते हैं। फसल उत्पन्न होती है तथा पानी की कमी दूर होती है। इसके अलावा क्रांति से शोषण समाप्त होता है और जीवन खुशहाल बनता है।
बादल राग
काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● कविता का मूल स्वर प्रकृतिवादी है।
● छायावादी कविता होने के कारण इस कविता में लाक्षणिक पदावली का अत्यधिक प्रयोग है।
● संस्कृतनिष्ठ साहित्यिक हिंदी भाषा का सफल प्रयोग किया गया है।
● शब्द-चयन उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● मुक्तक छंद का सफल प्रयोग किया गया है।
● इस पद में मानवीकरण अलंकार का सफल प्रयोग हुआ है।
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1
रुद्ध कोष हैक्षुब्ध तोष
अंगना-अग से लिपट भी
आतंक अंक पर काँप रहे हैं।
धनी, वज्र गर्जन से बादल
त्रस्त नयन-मुख हाँप रहे हैं।
जीर्ण बाहु है शीर्ण शरीर,
तुझे बुलाता कृषक अधीर,
विप्लव के वीर'
चुरा लिया हैं उसका सार,
धनी, वज़-गजन से बादल
असत-नयन मुख ढाँप रहे हैं।
ऐ जीवन के पारावार !
प्रश्न
(क) धनिकों और कृषकों के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) विल्पव के वीर' शब्द के सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए।
(ग) इस काव्यांस को भाषिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
(क) कवि ने धनिकों के लिए रुद्र, आतंक, त्रस्त आदि विशेषणों का प्रयोग किया है। ये उनकी घबराहट की दशा को बताते हैं। कृषक के लिए जीर्ण, शीर्ण, अधीर आदि प्रयुक्त विशेषणों से किसानों की दीन-हीन दशा का चित्रण होता है।
(ख) 'विप्लव के वीर' शब्द का प्रयोग बादल के लिए किया गया है। बादल को क्रांति का अग्रणी माना गया है। बादल हर तरफ विनाश कर सकता है। इस विनाश के उपरांत भी बादल का अस्तित्व ज्यों-का-त्यों रह जाता है।
(ग) इरा काव्यांश में कवि ने विशेषणों का सुंदर प्रयोग किया है। आतंक, वज्र जीर्ण शीर्ण आदि विशेषण मन स्थिति को सटीक रूप से व्यक्त करते हैं। तत्सम शब्दावली का सुंदर प्रयोग है। खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति है। संबोधन शैली भी है। अनुप्रास अलंकार की छटा है।
2
अशान पात से शापित उन्नत शत शत वीर,
क्षत-विक्षत हत अचल शरीर,
गगन-स्पर्शी स्पर्धा घर,
हँसते हैं छोटे पैध लघुभार
शस्य अपार,
हिल हिल
खिलखिल,
हाथ हिलाते
तुझे बुलाते
विप्लब रन से छोटे ही हैं शोभा पाते।
प्रश्न
(क) आशय स्पष्ट कीजिए- विप्लव रव से छोटे ही है शोभा पाते ।
(ख) यवत के लिए प्रयुक्त विशेषणों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का छोटे पौधे कैसे आहवान करते हैं और क्यों ?
उत्तर -
(क) इसका आशय यह है कि क्रांति से शोषक वर्ग हिल जाता है। उसे इससे अपना विनाश दिखाई देता है। किसान मजदूर वर्ग अर्थात शोषित वर्ग क्रांति से प्रसन्न होता है। क्योंकि उन्हें इससे शोषण से मुक्ति तथा खोया अधिकार मिलता है।
(ख) पर्वत के लिए निम्नलिखित शेणों का प्रयोग किया गया है
• अशनि-पात से शापित- यह विशेषण उन पर्वतों के लिए हैं जो बिजली गिरने से भयभीत हैं। झांति से बड़े लोग ही भयभीत होते हैं।
• इस विशेषण का प्रयोग संपूर्ण शोषक वर्ग के लिए किया गया है।
• क्षत-विक्षत हत अचल शरीर- यह विशेषण क्रांति से घायल, भयभीत व सुन्न होकर बिखरे हुए शोषकों के लिए प्रयुक्त हुआ है।
(ग) वज्रपात करने वाले भीषण बादलों का आहवान छोटे पौधे हिल-हिलकर खिल-खिलकर तथा हाथ हिलाकर करते हैं क्योंकि क्रांति से ही उन्हें न्याय मिलने की आशा होती है। उन्हें ही सर्वाधिक लाभ पहुँचता है।
3
अट्टालिका नहीं है ?
आंतक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,
क्षुद्र प्रफुल्ल जलजे से
सदा छलकता नीर,
रोग शोक में भी हँसता है।
शैशव का सुकुमार शरीर।
प्रश्न
(क) काव्यांश की दो भाषिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ख) काव्यांश की अलकार-योजना पर प्रकाश डालिए।
(ग) काव्यांश की भाव-सौंदर्य लोखिए।
उत्तर -
(क) काव्य की दो भाषिक विशेषताएँ
(I) तत्सम शब्दावली की बहुलतायुक्त खड़ी बोली।
(II) भाषा में प्रतीकात्मकता है।
(ख) शोक में भी हँसता है-विरोधाभास अलंकार।
सदा पंक पर ही होता- अनुप्रास अलंकार
शैशव का सुकुमार शरीर -
(ग) कवि के अनुसार धनियों के आवारा शोषण के केंद्र हैं। यहाँ सदा शोषण के नए-नए तरीके ढूँढे जाते हैं। लेकिन शोषण की चरम सीमा के बाद होने वाली क्रांति शोषण का अंत कर देती है। साथ ही शोषित वर्ग के बच्चे भी संघर्षशील तथा जुझारू होते हैं। वे रोग तथा शोक में भी प्रसन्नचित्त रहते हैं।
4
तिरती हैं समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निदय विप्लव की प्लावित माया
यह तेरी रण-तरी
भरी आकाक्षा से
घन, भरी गजन से सजग सुप्त अकुर।
प्रश्न
(क) काव्याशा का भाव-सौंदर्य लिखिए।
(ख) प्रयुक्त अलकार का नाम लिखिए और उसका सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) काव्यांश की भाषा पर टिपण्णी कीजिए।
उत्तर -
(क) इस काव्यांश में कवि ने बादल को क्रांति का प्रतीक माना है। वह कहता है कि जीवन के सुखों पर दुखों की अदृश्य क्षति ही है। बालक शो सुलेह पृथ के पापं में बिजअंकुल हक आक्शक को निहारते हैं।
(ख) समीर सागर, 'विप्लव के बादल', 'दुख की छाया में रूपक अलंकार, फिर-फिर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार तथा सजग सुप्त' में अनुप्रास अलंकार हैं। इन अलंकारों के प्रयोग से भाषिक सौंदर्य बढ़ गया है।
(ग) काव्यांश में प्रयुक्त भाषा संस्कृत शब्दावलीयुक्त खड़ी बोली है जिसमें दृश्य बिंब साकार हो उठा है। मेरी गर्जन' में बादलों की गर्जना से श्रव्य बिंब उपस्थित है।
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