NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 उषा

उषा Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions
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Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 CBSE NCERT Solutions
Book: | National Council of Educational Research and Training (NCERT) |
---|---|
Board: | Central Board of Secondary Education (CBSE) |
Class: | 12th Class |
Subject: | Hindi Aroh |
Chapter: | 6 |
Chapters Name: | उषा |
Medium: | Hindi |
उषा Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions
You can refer to MCQ Questions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 उषा to revise the concepts in the syllabus effectively and improve your chances of securing high marks in your board exams.
उषा
(अभ्यास-प्रश्न)
प्रश्न 1. कविता के किन उपमान को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्द चित्र है?
कविता में वर्णित राख से लिखा हुआ चौका, काली सिल, स्लेट पर लाल खड़िया चाक आदि उपमानों से पता चलता है कि कवि ने गाँव के परिवेश को आधार बनाकर उषाकालीन प्रकृति का सुंदर चित्रण किया है। महानगरों में कहीं भी न तो लीपा हुआ चौका देखा जा सकता है, न ही स्लेट और न ही खड़िया चाक। सभी शब्दचित्र गाँव से संबंधित हैं। गाँव के प्रत्येक घर में प्रातः काल होने के बाद पहले चौका लीपा जाता है। ततपश्चात सील का प्रयोग होता है और फिर कुछ देर बाद बालक को स्लेट दी जाती है। अतः यहाँ कवि ने ग्रामीण जनजीवन के गतिशील चित्र अंकित किए हैं।
प्रश्न 2. भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) नयी कविता में कोष्ठक, विराम चिन्हों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है' उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए।
नई कविता अपने प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ कवि ने भाषा शिल्प के स्तर पर नए प्रयोग करके अर्थ की अभिव्यक्ति की है। सर्वप्रथम कवि ने कोष्ठक 'अभी जिला पड़ा है' पंक्ति का प्रयोग किया है। जो कि अतिरिक्त ज्ञान का सूचक है। यह पंक्ति आकाश रूपी चौके की ताजगी और नमी को सूचित करती है। राख से लीपा हुआ चौका अपने आप में गीलेपन को पूर्णतः स्पष्ट करता है।
उषा
(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न
1
सूर्योदय से पहले आकाश में क्या-क्या परिवर्तन होते हैं? ‘उषा’ कविता के आधार पर बताइए।
अथवा
‘उषा’ कविता के आधार पर सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक दूश्यों का चित्रण कीजिए।
उत्तर -
सूर्योदय से पहले आकाश का रंग शंख जैसा नीला था, उसके बाद आकाश राख से लीपे चौके जैसा हो गया। सुबह की नमी के कारण वह गीला प्रतीत होता है। सूर्य की प्रारंभिक किरणों से आकाश ऐसा लगा मानो काली सिल पर थोड़ा लाल केसर डालकर उसे धो दिया गया हो या फिर काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दी गई हो। सूर्योदय के समय सूर्य का प्रतिबिंब ऐसा लगता है जैसे नीले स्वच्छ जल में किसी गोरी युवती का प्रतिबिंब झिलमिला रहा हो।
2
‘उषा’ कविता के आधार पर उस जादू को स्पष्ट कीजिए जो सूर्योदय के साथ टूट जाता है।
उत्तर -
सूर्योदय से पूर्व उषा का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है। भोर के समय सूर्य की किरणें जादू के समान लगती हैं। इस समय आकाश का सौंदर्य क्षण-क्षण में परिवर्तित होता रहता है। यह उषा का जादू है। नीले आकाश का शंख-सा पवित्र होना, काली सिल पर केसर डालकर धोना, काली स्लेट पर लाल खड़िया मल देना, नीले जल में गोरी नायिका का झिलमिलाता प्रतिबिंब आदि दृश्य उषा के जादू के समान लगते हैं। सूर्योदय होने के साथ ही ये दृश्य समाप्त हो ज़ाते हैं।
3
‘स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने। ‘ -इसका आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
कवि कहता है कि सुबह के समय अँधेरा होने के कारण आकाश स्लेट के समान लगता है। उस समय सूर्य की लालिमा-युक्त किरणों से ऐसा लगता है जैसे किसी ने काली स्लेट पर लाल खड़िया मिट्टी मल दिया हो। कवि आकाश में उभरे लाल-लाल धब्बों के बारे में बताना चाहता है।
4
भार के नभ को ‘ राख से लीपा, गीला चौका ‘ की संज्ञा दी गई है। क्यों ?
उत्तर -
कवि कहता है कि भोर के समय ओस के कारण आकाश नमीयुक्त व धुंधला होता है। राख से लिपा हुआ चौका भी मटमैले रंग का होता है। दोनों का रंग लगभग एक जैसा होने के कारण कवि ने भोर के नभ को ‘राख से लीपा, गीला चौका’ की संज्ञा दी है। दूसरे, चौके को लीपे जाने से वह स्वच्छ हो जाता है। इसी तरह भोर का नभ भी पवित्र होता है।
5
‘उषा’ कविता में प्रातःकालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता व उज्ज्वलता से संबंधित पंक्तियों को बताइए।
उत्तर -
पवित्रता- राख से लीपा हुआ चौका।
निर्मलता- बहुत काली सिल जरा से केसर से/कि जैसे धुल गई हो।
उज्ज्वलता-
नीले जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
6
सिल और स्लेट का उदाहारण देकर कवि ने आकाश के रंग के बारे में क्या कहा है ?
उत्तर -
कवि ने सिल और स्लेट के रंग की समानता आकाश के रंग से की है। भोर के समय आकाश का रंग गहरा नीला-काला होता है और उसमें थोड़ी-थोड़ी सूर्योदय की लालिमा मिली हुई होती है।
7
‘उषा’ कविता में भोर के नभ की तुलना किससे की गई हैं और क्यों?
उत्तर -
‘उषा’ कविता में प्रात:कालीन नभ की तुलना राख से लीपे गए गीले चौके से की गई है। इस समय आकाश नम एवं धुंधला होता है। इसका रंग राख से लिपे चूल्हे जैसा मटमैला होता है। जिस प्रकार चूल्हा-चौका सूखकर साफ़ हो जाता है उसी प्रकार कुछ देर बाद आकाश भी स्वच्छ एवं निर्मल हो जाता है।
उषा
(पठित काव्यांश)
निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है।)
प्रश्न
(क) प्रात कालीन आकाश की तुलना किससे की गई हैं और क्यों?
(ख) कवि ने भौर के नभ को राख से लीपा हुआ चौंका क्यों कहा हैं?
(ग) अभी गीला पड़ा हैं से क्या तात्पय हैं?
(घ) प्रातःकालीन नभ के लिए कवि ने किन उपमानों का प्रयोग किया हैं?
उत्तर -
(क) प्रातःकालीन आकाश की तुलना नीले शंख से की गई है, क्योंकि वह शंख के समान पवित्र माना गया है।
(ख) कवि ने भोर के ना को राख से लीपा हुआ चौका इसलिए कहा है, क्योंकि भोर का नभ सफेद व नीले रंग से मिश्रित दिखाई देता है।
(ग) इसका अर्थ यह है कि प्रातःकाल में ओस की नमी होती है। गीले चौके में भी नमी होती है। अतः नीले नभ को गीला बताया गया है।
(घ) प्रातःकालीन नभ के लिए कवि ने दो उपमानों का प्रयोग किया है- नीला शंख तथा राख से लीपा चौकाये उपमान सर्वथा नवीन हैं।
प्रश्न 2.
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो ।
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
प्रश्न
(क) आसमान का सौंदर्य दशने के लिए कवि ने किन उपमानों का प्रयोग किया है।
(ख) कवि ने किस समय का चित्रण किया है।
(ग) कवि काली सिन और नान केसर के माध्यम से क्या कहना चाहता है
(घ) कवि ने प्रातःकालीन सौंदर्य का चित्रण किस प्रकार किया है ?
उत्तर -
(क) आसमान का सौंदर्य दर्शाने के लिए कवि ने सिल और स्लेट उपमानों के माध्यम से प्रातःकालीन नभ के लाल लाल धब्बों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है।
(ख) कवि ने सूर्योदय से पहले के भोर का चित्रण किया है।
(ग) कवि ने अंधेरे को काली सिल माना है। सुबह की किरणें लालिमायुक्त होती हैं। ऐसे में सूर्योदय से ऐसा लगता है मानो किसी ने काली सिल को लाल केसर से धो दिया है।
(घ) कवि ने प्रात:कालीन सौंदर्य को काली लेट, लाल केसर, लाल खडिया चाक के उपमानों के माध्यम से चित्रित किया है। प्रातःकालीन असि च नमी के माध्यम से काली सिल को लाल केसर से धुलना बताया गया है।
प्रश्न 3.
नील जल में या किसी की
और झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और,
जादू टूटता हैं इस उशा का अब
सूर्योदय हो रहा है।
प्रश्न
(क) गोरी देह के झिलमिलाने की समानता किससे की गई है।
(ख) उशा का जादू कैसा है:
(ग) उषा का जादू टुटने का तात्यय बताइए।
(घ) उषा का जादू का इंटता हैं?
उत्तर -
(क) गोरी देह के लिागलाने की समानता सुबह के सूर्य से की गई है। सुबह वातावरण में नमी तथा पता होने के कारण सूर्य चमकता प्रतीत होता है।
(ख) उषा का जादू अद्भुत है। सुबह का सूर्य ऐसा लगता है मानो नीले जल में गोरी युवती का प्रतिबिंब झिलमिला रहा हो। यह जादू जैसा लगता है।
(ग) उषाकाल में प्राकृतिक सौंदर्य अति शीघ्रता से बदलता रहता है। सूर्य के आकाश में चढ़ते ही उषा का सौंदर्य समाप्त हो जाता है। ऐसा लगता है कि उषा का जादू समाप्त हो गया है।
(घ) सूर्य के उदय होते ही उषा का जादू टूट जाता है। सूर्य की किरणों से आकाश में छाई लालिमा समाप्त हो जाती है।
उषा
काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न
पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● सहज, सरल तथा साहित्यिक हिंदी भाषा का प्रयोग है।
● शब्द प्रयोग सर्वथा उचित तथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● प्रस्तुत पद नवीन उपमानों तथा मौलिक कल्पना के लिए प्रसिद्ध है।
● प्रस्तुत पद्यांश चित्रात्मक भाषा के लिए प्रसिद्ध है।
● मुक्तक छंद का प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 1.
प्रातः नभ या बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
अभी गीला पड़ा है।
बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर सा लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने
नील जल में या किसी की
गौर निलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और
जादू हटता हैं इस उषा का अन
सूर्योदय हो रहा हैं।
प्रश्न
(क) काव्यांश में प्रयुक्त उपमानों का उल्लेख कीजिए।
(ख) कविता की भाषागत दो विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
अथवा
किन उपमानों से पता चलता है कि गाँव की सुबह का वर्णन हैं।
(ग) भाव सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
नील जन में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
उत्तर -
(क) काव्यांश में निम्नलिखित उपमान प्रयुक्त किए गए हैं।
१) नीला शंख (सुबह के आकाश के लिए)।
२) राख से लीपा हुआ चौका (भोर के नभ के लिए।
३) काली सिल (धेरे से युक्त आसमान के लिए।
(४) स्लेट पर लाल खड़िया चाक (भौर से नमीयुक्त वातावरण में उगते सूरज की लाली के लिए।
(५) नीले जल में झिलमिलाती गोरी देह (नीले आकाश में आते सूरज के लिए।
ख)
(i) कवि ने नए उपमानों का प्रयोग किया है।
(ii) ग्रामीण परिवेश का सहज शब्दों में चित्रण।
अथवा
निम्नलिखित उपमानों से पता चलता है कि यह गाँव की सुबह का वर्णन है।
१) राख से लीपा हुआ चौका
२} बहुत काली सिल पर किसी ने लाल केसर मल दिया हो।
(ग) कवि कहना चाहता है कि सुबह सूर्योदय से पहले नीले आकाश में नमी होती है। स्वच्छ वातावरण के कारण सूर्य अत्यंत सुंदर दिखाई देता है। ऐसा लगता है जैसे नीले जल में गोरी युवती की सुंदर देह झिलमिला रही है।
प्रश्न 2.
(क) कोष्ठकों के प्रयोग से कविता में क्या विशेषता आई है’ समझाइए।
(ख) काव्य में आए किन्हीं दो अलकारों का नामोल्लेख करते हुए उनसे उत्पन्न सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ग) उपयुक्त कविता में आए किस दृश्य बिंब से आप सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और क्यों?
उत्तर -
(क) कवि ने कोष्ठकों का प्रयोग किया है। कोष्ठक अतिरिक्त जानकारी प्रदान करते हैं, जैसे कविता में कोष्ठक में दी गई जानकारी (अभी गीला पड़ा है) से आसमान की नमी व ताजगी की जानकारी मिलती है।
(ख) काव्यांश में 'शंख जैसे में उपमा तथा बहुत काली सिल' गई हो। में उत्प्रेक्षा अलंकार है। इनसे आकाश की पवित्रता व प्रात के समय का मटियालापन प्रकट होता है।
(ग) इस काव्यांश में हग नीले जल में गोरी देह के झिलमिलाने के बिंब से अधिक प्रभावित हुए। सुबह नीला आकाशस्य होता है।
नर्मी के कारण दृश्य हिलते प्रतीत होते हैं। श्वेत सूर्य का बिंब आकाश में सुंदर प्रतीत होता हैं।
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