NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर 

NCERT Solutions for Class12 Hindi Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions

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Class 12 Hindi Aroh Chapter 3 CBSE NCERT Solutions

NCERT Solutions Class12 Hindi Aroh
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Board: Central Board of Secondary Education (CBSE)
Class: 12th Class
Subject: Hindi Aroh
Chapter: 3
Chapters Name: कविता के बहाने, बात सीधी थी पर
Medium: Hindi

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Class 12 Hindi Aroh NCERT Books Solutions

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कविता के बहाने, बात सीधी थी पर


(अभ्यास-प्रश्न)


प्रश्न 1. इस कविता के बहाने बताएँ कि 'सब घर एक कर देने के माने' क्या है?
सब घर एक कर देने का तात्पर्य है कि आपसी भेदभाव तथा ऊँच नीच के भेद को समाप्त कर देना और एक दूसरे के प्रति आत्मीयता का अनुभव करना। गली मोहल्ले में खेलते हुए बच्चे अपने-पराए के भेद को भूल जाते हैं। अन्य घरों को अपने घर जैसा मानने लगते हैं। इस प्रकार कवि भी काव्य रचना करते समय सामाजिक भेदभाव को भूलकर कविता के माध्यम से अपनी बात कहता है।
प्रश्न 2. 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है?
'उड़ने' और 'खिलने' से कवि का गहरा संबंध है। कवि कल्पना की उड़ान द्वारा नए-नए भावों की अभिव्यंजना करता है परंतु कविता की उड़ान पक्षियों की उड़ान से अधिक ऊँची होती है। उसकी उड़ान अनंत तथा असीम होती है। जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी सुगंध और रंग को चारों ओर फैलाता है। उसी प्रकार कवि भी अपनी कविता के भावों के आनंद को सभी पाठकों में बाँटता है। कवि की कविता सभी पाठकों को आनंद-अनुभूति प्रदान करती है।
प्रश्न 3. कविता और बच्चों को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
कवि कल्पना के संसार की सृष्टि करके आनंद प्राप्त करता है और बच्चे आनंद प्राप्त करने के लिए खेलते हैं। खेलते समय सभी बच्चे छोटे बड़े तथा अपने पराए के भेद को भूल जाते हैं। कवि भी भेदभाव को भूलकर सब के कल्याण के लिए कविता की रचना करता है। खेल खेलते समय बच्चों का संसार बड़ा हो जाता है और साहित्य रचना करते समय कवि का। इसलिए कविता और बच्चों को समानांतर रखा गया है।
प्रश्न 4. कविता के संदर्भ में 'बिना मुरझाए महकने के माने' क्या होते हैं?
फूल कुछ समय अपनी सुगंध और रंग का सौंदर्य बिखेरता है। फिर वह मुरझा जाता है। उसकी कोमल पत्तियाँ सूख कर बिखर जाती है। लेकिन कविता एक ऐसा फूल है जो कभी नहीं मुरझाता। कविता की महक अनंत काल तक पाठकों को आनंद-विभोर करती रहती है। हम हजारों साल पूर्व रचे गए साहित्य का आनंद आज भी ले सकते हैं।
प्रश्न 5. 'भाषा को सहूलियत' से बरतने का क्या अभिप्राय है?
भाषा को सहूलियत से बरतने का अभिप्राय है- सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा का प्रयोग करना ताकि श्रोता भावाभिव्यक्ति को आसानी से ग्रहण कर सके। कवि को कृत्रिम तथा चमत्कृत करने वाली भाषा से बचना चाहिए। सरल बात सरल भाषा में कहीं गई ही अच्छी लगती है।
प्रश्न 6. बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। कैसे?
बात और भाषा का गहरा संबंध होता है। मानव अपने मन की भावनाएँ शब्दों के द्वारा ही व्यक्त करता है। यदि हम अपनी अनुभूति को सहज और सरल भाषा में व्यक्त करते हैं तो किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती। परंतु कवि प्रायः अपनी बात को कहने के लिए सुंदर और चमत्कृत करने वाली भाषा का प्रयोग करने लगता है। कवि जो कुछ कहना चाहते हैं, ठीक से कह नहीं पाते। जिससे उनकी कविता के भाव अस्पष्ट होकर रह जाते हैं।
प्रश्न 7. बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबो/मुहावरों से मिलान करें।

कविता के बहाने


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
'कविता के बहाने कविता का प्रतिपाद्य बताइए।
उत्तर -
कविता एक यात्रा है जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति है दूसरी ओर भविष्य की ओर कदम बढ़ाता बच्चा। कवि कहता है कि चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसकी परिणति निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद ब खुद टूट जाएँगे। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।
प्रश्न 2:
"कविता के बहाने कविता के कवि की क्या अश्याका हैं और क्यों?
उत्तर -
इस कविता में कवि को कविता के अस्तित्व के बारे में संदेह है। उसे आशंका है कि औद्योगीकरण के कारण मनुष्य यांत्रिक होता जा रहा है। उसके पास भावनाएँ व्यक्त करने या सुनने का समय नहीं है। प्रगति की अंधी दौड़ से मानव की कोमल भावनाएँ समाप्त होती जा रही हैं। अत कवि को कविता का अस्तित्व खतरे में दिखाई दे रहा है।
प्रश्न 3:
फूल और चिड़िया को कविता की क्या-क्या जानकारियाँ नहीं हैं। 'कविता के बहाने' कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर -
फूल और चिड़िया को कविता की निम्नलिखित जानकारियाँ नहीं हैं।
1. फूल को कविता के खिलने का पता नहीं है। फूल एक समयावधि में मुरझा जाते हैं, परंतु कविता के भाव सदा खुशबू बिखेरते रहती है।
2. विक कविताक उनक पता नाह है कवता मेंजना कल्याणक डनहेज विड़याक उनसे व्यापक हैं।
प्रश्न 4;
'कविता के बहाने के आधार पर कविता के असीमित अस्तित्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर =
'कविता के बहाने में कविता का असीमित अस्तित्व प्रकट करने के लिए कवि ने चिड़िया की उड़ान का उदाहरण दिया है। वह कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित होती है किंतु कविता की कल्पना का दायरा असीमित होता है। चिड़िया घर के अंदर-बाहर या एक घर से दूसरे घर तक उड़ती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। कवि के भावों की कोई सीमा नहीं है। कविता घर घर की कहानी कहती है। वह पंख लगाकर हर जगह उड़ सकती है। उसकी उड़ान चिड़िया की उड़ान से कहीं आगे है।

बात सीधी थी पर ...


(अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


प्रश्न 1:
'बात सीधी थी पर का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
अथवा
'बात सीधी थी पर... कविता का संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
इस कविता में कवि ने कथ्य और माध्यम के द्वंद्व को उकेरा है तथा भाषा की सहजता की बात कही है। हर बात के लिए कुछ खास शब्द नियत होते हैं, ठीक वैसे ही जैसे हर पेंच के लिए एक निश्चित खाँचा होता है। अब तक हम जिन शब्दों को एक-दूसरे के पर्याय के रूप में जानते रहे हैं, उन सबके भी अपने विशेष अर्थ होते हैं। अच्छी बात या अच्छी कविता का बनना सही बात का सही शब्द से जुड़ना होता है। और जब ऐसा होता है तो किसी दबाव या मेहनत की जरूरत नहीं होती, वह सहूलियत के साथ हो जाता है।
प्रश्न 2:
कवि के अनुसार कोई बात पेचीदा कैसे हो जाती हैं?
उत्तर -
कवि कहता है कि जब अपनी बात को सहज रूप से न कहकर तोड़-मरोड़कर या घुमा-फिराकर कहने का प्रयास किया जाता है तो बात । उलझती चली जाती है। ऐसी बातों के अर्थ श्रोता या पाठक समझ नहीं पाता। वह मनोरंजन ती पा सकता है, परंतु कवि के भावों को समझने में असमर्थ होता है। इस तरीके से बात पेचीदा हो जाती है।
प्रश्न 3:
प्रशंसा का व्यक्ति पर क्या प्रभाव पड़ता हैं? बात सीधी थी पर' 'कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर -
प्रशंसा से व्यक्ति स्वयं को सही व उच्च कोटि का मानने लगता है। वह गलत-सही का निर्णय नहीं कर पाता। उसका विवेक कुंठित हो जाता है। कविता में प्रशंसा मिलने के कारण कवि अपनी सहज बात को शब्दों के जाल में उलझा देता है। फलतः उसके भाव जनता तक नहीं पहुँच पाते।
प्रश्न 4;
कवि को पसीना अाने का क्या कारण था?
उत्तर -
कवि अपनी बात को प्रभावशाली भाषा में कहना चाहता था। इस चक्कर में वह अपने लक्ष्य से भटककर शब्दों के आडंबर में उलझ गया। भ#2366;षा के चक्कर से वह अपनी बात को निकालने की कोशिश करता है, परंतु वह नाकाम रहता है। बार बार कोशिश करने के कारण उसे पसीना आ जाता है।
प्रश्न 5
कवि ने कथ्य को महत्व दिया है अथवा भाषा को 'बात सीधी थी पर'' के आधार पर तक सम्मत उत्तर दीजिए।
उत्तर -
'बात सीधी थी पर कविता में कवि ने कथ्य को महत्व दिया है। इसका कारण यह है कि सीधी और सरल बात को कहने के लिए जब कवि ने चमत्कारिक भाषा में कहना चाहा तो भाषा के चक्कर में भावों की सुंदरता नष्ट हो गई। भाषा के उलट-फेर में पड़ने के कारण उसका कथ्य भी जटिल होता गया।"
प्रश्न 6:
'बात सीधी थी पर'' कविता में भाषा के विषय में व्यग्य करके कवि क्या सिद्ध करना चाहता है?
उत्तर -
'बात सीधी थी पर " कविता में कवि ने भाषा के विषय में व्यंग्य करके यह सिद्ध करना चाहा है कि लोग किसी बात को कहने के क्रम में । भाषा को सीधे, सरल और सहज शब्दों में न कहकर तोड़ मरोड़कर, उलटपलटकर, शब्दों को घुमा फिराकर कहते हैं, जिससे भाषा क्लिष्ट होती जाती है और बात बनने की बजाय बिगड़ती और उलझली चली जाती है। इससे हमारा कथ्य और भी जटिल होता जाता है क्योंकि बात सरल बनने की जगह पेचीदी बन जाती है।

कविता के बहाने


(पठित काव्यांश)


निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1.
कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिडिया क्या जाने
बाहर भीतर
इस धर उस घर
कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?
प्रश्न
(क) 'कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने-पक्ति का भाव बताइए।
(ख) कविता कहाँ कहाँ उड़ सकती हैं?
(ग) कविता की उड़ान व चिडिया की उडान में क्या अंतर हैं?
(घ) कविता के पंख लगाकर कौन उड़ता है।
उत्तर -
(क) इस पंक्ति का अर्थ यह है कि चिड़िया को उड़ते देखकर कवि की कल्पना भी ऊँची ऊँची उड़ान भरने लगती है। वह रचना करते समय कल्पना की उड़ान भरता है।
(ख) कविता पंख लगाकर मानव के आंतरिक व बाहय रूप में उड़ान भरती है। वह एक घर से दूसरे घर तक उड़ सकती है।
(ग) चिड़िया की उड़ान एक सीमा तक होती है, परंतु कविता की उड़ान व्यापक होती है। चिड़िया कब्रिता की उड़ान को नहीं जान सकती।
(घ) कविता के पंख लगाकर कवि उड़ता है। वह इसके सहारे मानव-मन व समाज की भावनाओं को अभिव्यक्ति देता है।
प्रश्न 2.
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला कूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस पर उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने
प्रश्न
(क) कविता एक खिलन हैं, फूलों के बहाने ऐसा क्यों?
(ख) कविता रचने और फूल खिलने में क्या साम्यता हैं?
(ग) बिना मुरझाए कौन कहाँ महकता हैं।
(घ) 'कविता का खिलना भला कूल क्या जाने। '-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
(क) कविता फूलों के बहाने खिलना है क्योंकि फूलों को देखकर कवि का मन प्रसन्न हो जाता है। उसके मन में कविता फूलों की भॉति विकसित होती जाती है।
(ख) जिस प्रकार पूल पराग, मधु व सुगंध के साथ खिलता है, उसी प्रकार कविता भी मन के भावों को लेकर रची जाती है।
(ग) बिना मुरझाए कविता हर जगह महका करती है। यह अनंतकाल तक सुगंध फैलाती हैं।
(घ) इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल के खिलने व मुरझाने की सीमा है, परंतु कविता शाश्वत है। उसका महत्त्व फूल से अधिक है।
प्रश्न 3.
कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर रह घर
न घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
प्रश्न
(क) कविता को क्या संज्ञा दी गई हैं? क्यों?
(ख) कविता और बच्चों के खेल में क्या समानता हैं?
(ग) कविता की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं।
(घ) बच्चा कौन-सा बहाना जानता है?
उत्तर -
(क) कविता को खेल की संज्ञा दी गई है। जिस प्रकार खेल का उद्देश्य मनोरंजन व आत्मसंतुष्टि होता है, उसी प्रकार कविता भी शब्दों के माध्यम से मनोरंजन करती है तथा रचनाकार को संतुष्टि प्रदान करती है।
(ख) बच्चे कहीं भी, कभी भी खेल खेलने लगते हैं। इस तरह कविता कहीं भी प्रकट हो सकती है। दोनों कभी कोई बंधन नहीं स्वीकारते।
(ग) कविता की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
1. यह सर्वव्यापक होती है।
2. इसमें रचनात्मक ऊर्जा होती है।
3. यह खेल के समान होती है।
(घ) बच्चा सभी घरों को एक समान करने के बहाने जानता है।

बात सीधी थी पर …


(पठित काव्यांश)


प्रश्न 1.
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेडी कैंस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा की उलट-पालट
तोडा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो अने
या फिर भाषा से बाहर आए
लेकिन इससे भाषा के साथ साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
प्रश्न
(क) 'भाषा के चक्कर का तात्पय बताइए।
(ख) कवि अपनी बात के बारे में क्या बताता है?
(ग) कवि ने बात को पाने के चक्कर में क्या-क्या किया?
(घ) कवि की असफलता का क्या कारण था?
उत्तर -
(क) 'भाषा के चक्कर से तात्पर्य है भाषा को जबरदस्ती अलंकृत करना।
(ख) कवि कहता है कि उसकी बात साधारण थी, परंतु वह भाषा के चक्कर में उलझकर जटिल हो गई।
(ग) कवि ने बात को प्राप्त करने के लिए भाषा को घुमाया-फिराया, उलट-पलटा, तोड़-मरोड़ा। फलस्वरूप वह बात पेचीदा हो गई।
(घ) कवि ने अपनी बात को कहने के लिए भाषा को जटिल व अलंकारिक बनाने की कोशिश की। इस कारण बात अपनी सहजता खो बैठी और वह पेचीदा हो गई।
प्रश्न 2.
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
में फेंच को खोलने की बजाय
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्योंकि इस करतब पर मुझे
साफ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह!
प्रश्न
(क) कवि की क्या कमी थी।
(ख) पेंच को खोलने की बजाय कसना-पक्ति का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि ने अपने किस काय को करतब कहा है?
(घ) कवि के करतब का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर -
(क) कवि ने अपनी समस्या को ध्यान से नहीं समझा। वह धैर्य खो बैठा।
(ख) इसका अर्थ यह है कि उसने बात को स्पष्ट नहीं किया। इसके विपरीत, वह शब्दजाल में उलझता गया।
(ग) कवि ने अभिव्यक्ति को बिना सोचे समझे उलझाने व कठिन बनाने को करतब कहा है।
(घ) कवि ने भाषा को जितना ही बनावटी ढंग और शब्दों के जाल में उलझाकर लाग-लपेट करने वाले शब्दों में कहा, सुनने वालों द्वारा उसे उतनी ही शाबाशी मिली।
प्रश्न 3.
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूडी मर गई।
और वह भाषा में बेकार चूमने लगी
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया!
ऊपर से ठीकठाक
परअंदर से
न तो उसमें कसाव था
बात ने जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
क्या तुमने भाषा को
सहुलियत से अतना कभी नहीं सीखा
प्रश्न
(क) बात की चूड़ी मर जाने और बेकार घूमने के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता हैं?
(ख) काव्यांश में प्रयुक्त दोन आयामों के प्रयोग सौंदर्य पर टिप्पणी कीजिए।
(ग) भाष को सहूलियत से बरतने का क्या अभिप्राय हैं?
(घ) बात ने कवि से क्या पूछा तथा क्यों?
उत्तर -
(क) जब हम पेंच को जबरदस्ती कसते चले जाते हैं तो वह अपनी चूड़ी खो बैठता है तथा स्वतंत्र रूप से घूमने लगता है। इसी तरह जब किसी बात में जबरदस्ती शब्द ढूंसे जाते हैं तो वह अपना प्रभाव खो बैठती है तथा शब्दों के जाल में उलझकर रह जाती है।
(ख) बात के उपेक्षित प्रभाव के लिए कवि ने पेंच और कील की उपमा दी है। इन शब्दों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि निरर्थक व अलंकारिक शब्दों के प्रयोग से बात शब्द-जाल में घूमती रहती है। उसका प्रभाव नष्ट हो जाता है।
(ग) भाषा को सहूलियत से बरतने का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति को अपनी अभिव्यक्ति सहज तरीके से करनी चाहिए। शब्द-जाल में उलझने से बात का प्रभाव समाप्त हो जाता है और केवल शब्दों की कारीगरी रह जाती है।
(घ) बात ने शरारती बच्चे के समान कवि से पूछा कि क्या उसने भाषा के सरल, सहज प्रयोग को नहीं सीखा। इसका कारण यह था कि कवि ने भाषा के साथ जोर-जबरदस्ती की थी।

कविता के बहाने


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● इस पद में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
● सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
● शब्द-चयन उचित एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● मुक्तक छंद का सफल प्रयोग हुआ है।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1
कविता एक उड़ान हैं चिडिया के बहाने
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
बाहर भीतर
इस घर, उस पर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
विडेया क्या जाने?
प्रश्न
(क) काव्यांश के कश्य के सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(ख) इन पंक्तियों की भाषागत विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
(ग) कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने पति के भावगत सौंदर्य पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर -
(क) कवि ने चिड़िया की उड़ान से कविता की तुलना की है जो बहुत सुंदर बन पड़ी है। उसने कविता की उड़ान को बंधनमुक्त माना है। चिड़िया कविता की उड़ान के विषय में कुछ नहीं जान सकती।
(ख) - इस अंश में साहित्यिक खड़ी बोली का प्रयोग है, जिसमें मिश्रित शब्दावली का प्रयोग है।
- 'चिड़िया क्या जाने में प्रश्न अलंकार है।।
- कविता का मानवीकरण किया गया है।
- 'इस घर, उस घर, कविता की में अनुप्रास अलंकार है।
(ग) इस पंक्ति में कवि ने चिड़िया के माध्यम से कविता की यात्रा दिखाई है, किंतु चिड़िया कविता की उड़ान के आगे हीन है। कविता की उड़ान असीमित है, जबकि चिड़िया की उड़ान सीमित, कविता कल्पना है, चिड़िया यथार्थ।
2
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भुला फूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस पर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
प्रश्न
(क) कविता रचने और फूल के खिलने में क्या समानता है?
(ख) कवि ने कैसे समझाया हैं कि कविता के प्रसव की कार्द्ध तीमा तहां होती?
(ग) बिन मुरझाए महकना और 'सब घर एक कर देने का आशय स्पष्ट कीजिए
उत्तर -
(क) कविता फूल की तरह खिलती व विकसित होती है। फूल विकसित होने पर अपनी खुशबू चारों तरफ बिखेरता है, उसी प्रकार कविता अपने विचारों व रस से पाठकों के मनोभावों को खिलाती है।
(ख) कवि ने कविता को बच्चों के खेल के समान माना है। कविता का प्रभाव व्यापक है। बच्चे कहीं भी, कभी भी किसी भी तरीके से खेलने लगते हैं। इसी तरह कवि भी शब्दों के माध्यम से किसी भी भाव दशा में कहीं भी कविता रचता है। कविता शाश्वत है।
(ग) बिन मुरझाए महकने के माने का अर्थ यह है कि कविता फूल की तरह खिलती है, परंतु मुरझाती नहीं है। यह हर समय ताजी रहती है तथा अपनी महक से सबको प्रसन्न करती है। 'सब घर एक कर देना से तात्पर्य यह है कि कविता में बच्चों के खेल की तरह बंधन नहीं होता। यह किसी से भेदभाव नहीं करती।

बात सीथी थी पर.....


काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न


पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स:
● सरल, सहज तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
● शब्द योजना सर्वथा उचित एवं सटीक है।
● मुक्तक छंद का प्रयोग है।
● आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
जोर जबरदती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया।
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
ना ताकत
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
*क्या तुमने भाता की
सहूलियत से बरतना कभी नहीं तीखा?"
प्रश्न
(क) रचनाकार के सामने कथ्य और माध्यम की क्या समस्या थी?
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए जोर जबरदस्ती से बात की चूड़ी मर गई।
(ग) कोई रचना ढील पेंच की तरह कब और कैसे प्रभावहीन हो जाती हैं?
उत्तर -
(क) रचनाकार का कथ्य सरल व प्रभावी था। वह अपनी बात को प्रभावी ढंग से कहना चाहता था, परंतु वह वक़ शैली के चक्कर में उलझ गया तथा शब्दों के जाल में उलझकर रह गया।
(ख) कवि कहता है कि जब हम बात को सरल ढंग से न कहकर आलंकारिक, जटिल या वक़ शैली में कहना चाहते हैं तो उस कथन का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
(ग) कोई भी रचना ढीले पेंच की तरह तब प्रभावहीन हो जाती है जब गलत व जटिल शब्दों का प्रयोग वक्र शैली में प्रस्तुत की जाती है। जटिलता के चक्कर में कथन सही रूप नहीं ले पाता।

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